भारत में मॉनसून का समय कृषि के लिए अहम है. सही समय पर वर्षा होने से फसलें सुरक्षित रहती हैं और उत्पादन बढ़ता है. किसानों को मौसम के पूर्वानुमान के अनुसार खेती के उपाय अपनाने चाहिए, ताकि वे मौसम की अनिश्चितताओं से निपट सकें और बेहतर उत्पादन सुनिश्चित कर सकें. मौसम विभाग के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून का उत्तरी सिरा फिलहाल गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल से गुजर रहा है, जबकि दक्षिणी सिरा तमिलनाडु और केरल की तरफ बढ़ रहा है. इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि मॉनसून देश के उत्तरी और पश्चिमोत्तर भागों में कुछ देर से पहुंच सकता है क्योंकि इसके आगे बढ़ने की गति थोड़ी धीमी है.
मॉनसून भारतीय कृषि के लिए अहम
भारत में मॉनसून के आगमन का हर किसी को बेसब्री से इंतजार रहता है. किसान से लेकर सरकार तक सभी की नजरें आसमान पर टिकी रहती हैं. देश की अर्थव्यवस्था और खाद्यान्न उत्पादन का बड़ा हिस्सा मॉनसून पर निर्भर करता है. मॉनसून अच्छा हो तो किसान खुश, शेयर बाजार में उछाल और सरकार भी अपनी पीठ थपथपा सकती है. मॉनसून एक मौसम परिवर्तन है जो मुख्य रूप से हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवाओं द्वारा होता है. ये हवाएं वर्षा लाती हैं, जो भारतीय कृषि के लिए जीवनदायिनी होती हैं. भारत में मॉनसून का आगमन जून के महीने में होता है और यह सितंबर तक रहता है.
उत्तर भारत में मॉनसून की स्थिति
उत्तर भारत में, जून के मध्य तक मॉनसून के आने की संभावना रहती है. यह समय किसानों के लिए अहम होता है लेकिन थोड़ी क्योंकि खेतों में नमी की कमी के कारण फसलें सूखने लगती हैं. इस समय वर्षा होने से धान की फसल में नई जान आ सकती है. उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में भयंकर गर्मी और अत्यधिक ऊंचे तापमान के कारण कृषि कार्य प्रभावित हो रहा है. आमतौर पर बिहार में 15 जून तक मॉनसून पहुंच जाता है, मगर धीमी गति के कारण अब उत्तरी राज्यों में इसके पहुंचने में कुछ विलंब होने की संभावना है. इससे धान सहित अन्य खरीफ फसलों की खेती करने में किसानों को कठिनाई हो रही है.
ICAR की किसानों को सलाह
ICAR की संस्था कृषि बरानी अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद और अखिल भारतीय कृषि-मौसम अनुसंधान परिषद परियोजना ने देरी हो रही मॉनसून को लेकर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए खेती संबंधी सलाह दी है. ऐसा इसलिए क्योंकि कम बारिश और देर हो रहे मॉनसून में भी किसान अपनी खेती से बेहतर उत्पादन ले सकें.
यूपी के किसान ये करें काम
इस परियोजना से जुड़े विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि 1 जून से 17 जून 2024 तक, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में केवल 2 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य से 92 फीसदी कम है. वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश में 6 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य से 83 फीसदी कम है. अगले दो सप्ताह के मौसम पूर्वानुमान के अनुसार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सामान्य से कम और पूर्वी उत्तर प्रदेश में सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना है. संस्थान ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को सलाह दी है कि कम अवधि वाली धान की किस्मों की बुवाई करें और जल्दी बोई गई अरहर की फसल में सिंचाई और निराई-गुड़ाई करें.
पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए कूलर का उपयोग करें और खिड़कियों पर गीले जूट के थैले लगाएं. बैंगन और मिर्च की फसलों को कीटों से बचाने के लिए एजाडिरेक्टिन का छिड़काव करें. पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों को सलाह देते हुए बताया गया है कि हीट वेव और अधिक तापमान से सुरक्षा के लिए खेत में बोई गई धान और सब्जियों की नर्सरी और खेत में लगी सब्जी फसलों, चारा फसलों और बगीचों में लगातार सिंचाई करें. डेयरी पशुओं में खुरपका और मुंहपका रोग के विरुद्ध टीकाकरण करवाएं.
बिहार के किसान ये करें इंतजाम
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, बिहार में 1 जून से 17 जून 2024 तक 17 मिमी बारिश हुई है. इस तरह 73 फीसदी कम बारिश हुई है. लेकिन आशा है कि अगले दो सप्ताह के लिए मौसम सामान्य रहेगा. इसलिए बिहार के किसान धान की मध्यम अवधि की किस्मों की नर्सरी की बुवाई करें. बुवाई से पहले बीजों को कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें. सब्जी फसलों में पत्ती खाने वाले कीट और फल छेदक कीट का प्रकोप हो तो इससे बचाने के लिएडाइमेथोएट का छिड़काव करें.
झारखंड में कम बारिश का अनुमान
झारखंड में 1 जून से 17 जून तक 22 मिमी बारिश हुई है. इस तरह से 67 फीसदी कम बारिश हुई है. अगले दो सप्ताह के लिए मौसम पूर्वानुमान सामान्य से कम है. झारखंड के किसान सब्जी के खेतों में पूरक सिंचाई करें और 2 फीसदी डीएपी + 1 फीसदी एमओपी का फोलियर छिड़काव करें. किसान मक्का की खेती लिए दीमक से बचाने के लिए सूखी रेत के साथ इमिडाक्लोप्रिड का उपयोग करें.