वातावरण को शुद्ध रखने के साथ ही ह्यूमन बॉडी को हेल्दी बनाए रखने में मधुमक्खियों की बड़ी भूमिका है. मधुमक्खियां बादाम, सेब, ब्लूबेरी और सूरजमुखी सहित कई फसलों की उपज बढ़ाने में मददगार तो हैं ही ये अपनी परागकण जुटाने की प्रक्रिया से पर्यावरण को स्वस्थ रखती हैं. जबकि, अपने शहद से लोगों को शुगर जैसी बीमारी से बचने का विकल्प देती हैं. 20 मई को दुनियाभर में विश्व मधुमक्खी दिवस मनाया जाता है, इसके तहत मधुमक्खियों के पालन, विकास और उनके योगदान के प्रति दुनियाभर में जागरूकता फैलाई जाती है.
एग्रीकल्चर सेक्टर में काम करने वाली कंपनी एफएमसी कॉर्पोरेशन इंडिया के इंडस्ट्री और पब्लिक अफेयर्स के डायरेक्टर राजू कपूर ने कहा कि मधुमक्खियां हमारे इकोसिस्टम के लिए बड़ा महत्व रखती हैं और दुनिया भर में कृषि और जैव विविधता के अस्तित्व के लिए इनकी बेहद जरूरत है. मधुमक्खियां न केवल हमारी फसल की पैदावार बढ़ाती हैं, बल्कि खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित करती हैं. बादाम, सेब, ब्लूबेरी और सूरजमुखी सहित कई फसलों की उपज बढ़ाने में मधुमक्खियों की परागकण जुटाने की प्रक्रिया बेहद कारगर साबित होती है.
मधुमक्खी पालन इकोसिस्टम को हेल्दी बनाने में मददगार
भारत और उत्तरी क्षेत्रों में सरसों, बादाम, सेब, ब्लूबेरी और सूरजमुखी फसलों की अत्यधिक खेती और खपत होती है. ऐसे में इन क्षेत्रों की महिलाओं और युवाओं को मधुमक्खी पालन के लिए प्रेरित करना जरूरी है. जबकि, युवा पीढ़ी और ग्रामीण महिलाओं को मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग उपलब्ध कराना भी जरूरी है. मधुमक्खी पालन दुनिया भर के इकोसिस्टम को हेल्दी बनाए रखने में मदद करता है.
मधु शक्ति प्रोजेक्ट से जुड़ीं 8 हजार महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार
मधुमक्खी पालन के माध्यम से उत्तराखंड की ग्रामीण महिलाओं के बीच उद्यमशीलता विकसित करने और हमारे इकोसिस्टम के भविष्य की सुरक्षा के उद्देश्य से एग्रीकल्चर सेक्टर में काम करने वाली कंपनी एफएमसी ने 2022 में ‘मधु शक्ति’ प्रोजेक्ट शुरू किया है. राजू कपूर ने कहा कि जब से इस प्रोजेक्ट को शुरू किया गया है तब से इससे जुड़ी 8,000 से अधिक ग्रामीण महिलाओं को अपना जीवन बेहतर करने का जरिया मिला है. उन्हें इस प्रोजेक्ट से जोड़कर कृषि उद्यमी बनाया जा रहा है और मधुमक्खी अनुकूल कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दिया जा रहा है.