Saturday, October 19, 2024
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Soybean Farming सोयाबीन की खेती कैसे करें? बुवाई, सिंचाई, रोग, पैदावार – पूरी जानकारी

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Table of Contents

Soybean Farming सोयाबीन की खेती कैसे करें? : सोयाबीन या ग्लाइसीन मैक्स वैज्ञानिक रूप से जानी जाती है। यह भारत में महत्वपूर्ण फसल मानी जाती है, और इसे दलहन के बजाय तिलहन की तरह देखा जाता है। सोयाबीन का उत्पादन 1985 के बाद से लगातार बढ़ता जा रहा है, और इसके तेल की मांग मूँगफली और सरसों के तेल को पीछे छोड़ रही है।

सोयाबीन एक महत्वपूर्ण खाद्य स्रोत है, जिसमें प्रमुख घटक प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, और वसा होते हैं। इसमें लगभग 38-40 प्रतिशत प्रोटीन, 22 प्रतिशत तेल, 21 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 12 प्रतिशत नमी, और 5 प्रतिशत भस्म होता है।

दुनियाभर में Soybean Farming सोयाबीन की खेती का 60% उत्पाद अमेरिका से आता है, जबकि भारत में मध्यप्रदेश सबसे अधिक सोयाबीन उत्पादित करता है। यहाँ पर इंदौर में एक सोयाबीन रिसर्च सेंटर स्थित है।

Soybean Farming सोयाबीन की खेती – किस्म, बुवाई, बीज उपचार

Soybean Farming सोयाबीन की खेती में सही किस्म का चयन कैसे करें :

राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान केंद्र और विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों ने विभिन्न क्षेत्रों के लिए विशेष कृषि जलवायु और मिट्टी के लिए विकसित किस्मों का अनुसंधान किया है और उन्हें समर्थन किया है।

इस आधार पर, सोयाबीन की उचित किस्में चयनित करनी चाहिए। इन किस्मों के बीजों को लाकर आप अपने क्षेत्र में इसे बोने और उसे बढ़ावा देकर उपयोग में ला सकते है।

Soybean Farming सोयाबीन की खेती बुवाई का सही समय क्या है :

Soybean Farming सोयाबीन की खेती में बीज बोने जाने का सबसे अच्छा समय है जून के आखिरी सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह तक। ध्यान रखें कि भूमि में 10 सेमी तक नमी होनी चाहिए ताकि बीज अच्छे से फैल सकें। जुलाई के पहले सप्ताह के बाद, बोने गए बीजों की मात्रा में 5-10% की वृद्धि कर देना फायदेमंद होगा।

बीज की मात्रा:

छोटे दाने वाली किस्मों के लिए – 70 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
मध्यम दाने वाली किस्मों के लिए – 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
बड़े दाने वाली किस्मों के लिए – 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

Soybean Farming सोयाबीन की खेती में बीज उपचार कैसे करें :

Soybean Farming सोयाबीन की खेती में सोयाबीन के बीजों को बोने से पहले उपचार करें। 24 घंटे के लिए, हर किलोग्राम बीज के साथ 2 ग्राम कार्बेन्डीजिम या थिरम का उपयोग करें या ट्राइकोडर्मा के टैल्क सूत्रीकरण के साथ हर किलोग्राम बीज के लिए 4 ग्राम या स्यूडोमोनस फ्लोरेसेंस का प्रयोग करें।

Soybean Farming सोयाबीन की खेती – मृदा स्वास्थ्य, खेत की तैयारी और उर्वरक

मिट्टी परिक्षण:

मिट्टी की संतुलित ऊर्वरक और मृदा स्वास्थ्य के लिए, मुख्य तत्वों में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, सल्फर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, तांबा, लोहा, मैंगनीज, मोलिब्डेनम, बोरॉन और पीएच, ईसी, और कार्बनिक द्रव्य की परीक्षण करें।

भूमि:

Soybean Farming सोयाबीन की खेती के लिए हल्की रेतीली और हल्की भूमि से लेकर सभी प्रकार की भूमि में सफलतापूर्वक की जा सकती है, लेकिन सोयाबीन के लिए पानी निकालने वाली चिकनी दोमट भूमि अधिक उपयुक्त होती है। जहां भी खेत में पानी जमा रहता है, वहां सोयाबीन नहीं बोएं।

जलवायु:

सोयाबीन फसल के लिए सुखद गरम जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके बीजों का अंकुरण 25 डिग्री सेल्सियस पर 4 दिन में होता है, जबकि इससे कम तापमान पर बीजों का अंकुरण 8 से 10 दिन लगता है। इसलिए, सोयाबीन की खेती के लिए 60-65 सेमी वर्षा वाले स्थानों को उपयुक्त माना जाता है।

Soybean Farming सोयाबीन की खेती में खेत की जुताई कैसे करें :

Soybean Farming सोयाबीन की खेती में वर्षा के प्रारंभ होने पर 2 या 3 बार बखर तथा पाटा चलाकर खेत को तैयार कर लेना चाहिए। इससे सभी हानिकारक कीटाणुओं की समस्त लारों को नष्ट किया जा सकता है। जहां तक संभव हो, आखिरी बखरनी और पाटा समय पर करना चाहिए ताकि अंकुरित बीजों को किसी भी कीटाणु से नुकसान ना हो।

Soybean Farming सोयाबीन की खेती में उर्वरक कैसे दें :

सोयाबीन की बुआई से पहले, खेत को तैयार करते समय, अच्छी गुणवत्ता वाले गोबर का कम्पोस्ट (सड़ी हुई) को खेत में 5 टन प्रति हेक्टेयर मिलाएं। अंतिम बखरनी के समय, खेत में इसे अच्छी तरह से मिला दें और बोने जाने पर, प्रति हेक्टेयर 20 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस, 20 किलो पोटाश, और 20 किलो सल्फर दें। यह मात्रा मिट्टी के परीक्षण के आधार पर समायोजित की जा सकती है।

Soybean Farming सोयाबीन की खेती में गहरी काली मिट्टी में, जिंक सल्फेट को 50 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर एवं उथली मिट्टी में, 25 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रति हेक्टेयर उपयोग करें, और 5 से 6 फसलों के बाद इसका उपयोग करें।

Soybean Farming सोयाबीन की खेती – हानिकारक कीट, रोग और रोकथाम:

Soybean Farming सोयाबीन की खेती में कीट नियंत्रण

सफेद मक्खी:

सफेद मक्खी को रोकने के लिए, प्रति एकड़ में थाइमैथोक्सम 40 ग्राम या ट्राइज़ोफोस 300 मिलीलीटर की स्प्रे करें।
आवश्यकता होने पर, पहली स्प्रे के 10 दिनों के बाद एक और स्प्रे करें।

तंबाकू सुंडी:

यदि तंबाकू सुंडी का हमला हो, तो प्रति एकड़ में एसीफेट 57 एस पी 800 ग्राम या क्लोरपाइरीफॉस 20 ई सी को 1.5 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

जरूरत पड़ने पर, पहली स्प्रे के 10 दिनों के बाद एक और स्प्रे करें।

बालों वाली सुंडी:

बालों वाली सुंडी का हमला कम होने पर, उन्हें हाथों से उठाएं या केरोसीन में डालकर खत्म करें।

अगर हमला ज्यादा है, तो प्रति एकड़ में क्विनलफॉस 300 मिलीलीटर या डाइक्लोरवास 200 मिलीलीटर की स्प्रे करें।

Soybean Farming सोयाबीन की खेती में फफूंद नियंत्रण:

सफेद मक्खी:

Soybean Farming सोयाबीन की खेती में सोयाबीन के पत्तों पर होने वाले फफूंद जनित रोगों को नियंत्रित करने के लिए, प्रति लीटर पानी में 0.05 से 0.1 प्रतिशत कार्बेन्डाजिम 50 डब्लू पी या थायोफेनेट मिथाइल 70 डब्लू पी का छिड़काव करें।
पहला छिड़काव 30-35 दिन की अवस्था में और दूसरा छिड़काव 40-45 दिन की अवस्था में करें।

बैक्टीरियल पश्चयूल (रोग को नियंत्रित करने के लिए):

स्ट्रेप्टोसाइक्लीन या कासूगामाइसिन की 200 पीपीएम 200 मिलीग्राम; प्रति लीटर पानी के घोल के साथ कापर आक्सीक्लोराइड 0.2 (2 ग्राम प्रति लीटर) का मिश्रण का छिड़काव करें।

विषाणु जनित पीला मोजेक वायरस रोग और वड़ व्लाइट रोग:

  • एफिड, सफेद मक्खी, थ्रिप्स आदि द्वारा फैलने वाले रोगों की रोकथाम के लिए, स्वस्थ बीज का उपयोग करें।
  • रोग फैलाने वाले कीटाणुओं को नियंत्रित करने के लिए, प्रति किलोग्राम के लिए थायोमेथेक्जोन 70 डब्लू एवं से 3 ग्राम का उपयोग करें और 30 दिनों के अंतराल पर दोहराएं।
  • रोगी पौधों को खेत से निकाल दें और इथोफेनप्राक्स 10 ईसी 1 लीटर प्रति हेक्टेयर और थायोमिथेजेम 25 डब्लू जी, 1000 ग्राम प्रति हेक्टेयर का उपयोग करें।

Soybean Farming सोयाबीन की खेती – खरपतवार नियंत्रण और सिंचाई

Soybean Farming सोयाबीन की खेती में खरपतवार नियंत्रण:

Soybean Farming सोयाबीन की खेती में फसल के प्रारंभिक 30 से 40 दिनों तक, खरपतवारों का नियंत्रण महत्वपूर्ण है।
खरपतवार दिखाई देने पर, डोरा या कुल्फा चलाकर उपायुक्त खरपतवारों का नियंत्रण करें और दूसरी बार निंदाई अंकुरण होने के 30 और 45 दिन बाद इसे दोहराएं।

15 से 20 दिन की खड़ी फसल में, क्यूजेलेफोप इथाइल का उपयोग करके खरपतवारों को नष्ट करने के लिए कदम उठाएं, या फिर घांस कुल में और कुछ चौड़ी पत्तियों वाले खरपतवारों के लिए इमेजेथाफायर का छिड़काव करें, जिसकी अनुशंसा एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से की जा सकती है।

Soybean Farming सोयाबीन की खेती में सिंचाई

सोयाबीन को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन खेत में नमी की कमी होने पर, विशेषकर खरीफ मौसम में, एक-दो बार हल्की सिंचाई करना फायदेमंद हो सकता है।

फलियों के दौरान, Soybean Farming सोयाबीन की खेती में खेत में ठंडक बनाए रखने के लिए सिंचाई की जरुरत हो सकती है, जिससे सोयाबीन अच्छे से उग सकती है। यह सुनिश्चित करने के लिए है कि सही समय पर और सही तरीके से सिंचाई की जाए, ताकि फसल को सही मात्रा में पानी मिले।

Soybean Farming सोयाबीन की खेती – कटाई और भंडारण

Soybean Farming सोयाबीन की खेती में फसल कटाई:

जब सोयाबीन की फलियां सूख जाएं और पत्तों का रंग पीला हो जाए और पत्ते गिर जाएं, तब फसल कटाई के लिए तैयार होती है। इसे हाथों से या कटाई मशीन का उपयोग करके करें। कटाई के बाद, फसल को 2-3 दिनों तक धूप में अच्छे से सुखा लें। फिर, बीजों को पूरी तरह से निकालने के लिए थ्रेसर, ट्रैक्टर, या अन्य कृषि उपकरणों का उपयोग करें।

Soybean Farming सोयाबीन की खेती में बीज भंडारण:

Soybean Farming सोयाबीन की खेती में बीजों को अच्छे से सुखाने के बाद, इन्हें धूप में अच्छे से साफ करें। छोटे आकार के बीजों, प्रभावित बीजों, और डंठलों को हटा दें। बीजों को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें सुखी और हवादार जगहों पर भंडारित करें।

फरवरी में शुरू करें इस फसल की खेती, कम समय में मिलेगा अधिक मुनाफा

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जानें, कौनसी है यह फसल और इससे कितना हो सकता है लाभ

किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए कई प्रकार की फसलों की खेती करते हैं। हर फसल का अपना एक निश्चित समय होता है और उसी समय पर उसकी बुवाई की जाती है। हालांकि आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से अब हर ऋतु में हर तरह फसल बोई जा सकती है, लेकिन इससे उसके स्वाद और क्वालिटी में अंतर आ जाता है। जिस फसल की बुवाई का जो समय है, उसी के अनुरूप यदि फसल की बुवाई की जाए तो अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। साथ ही स्वाद और उसकी क्वालिटी अच्छी होती है।

 

हमारे देश में खेती के मौसम को तीन भागों में विभक्त किया गया है। इसमें एक रबी सीजन, दूसरा खरीफ सीजन और तीसरा जायद सीजन है। खेती के इन सीजनों में अलग-अलग फसलों की खेती की जाती है। वहीं महीनों के हिसाब से भी फसलों की बुवाई का समय निर्धारित किया गया है। यदि आपको यह पता हो कि किस माह में किस फसल की खेती करने से अधिक लाभ होता है तो आप खेती से बंपर मुनाफा कमा सकते हैं।

फरवरी के महीने में किसान किन फसलों की कर सकते हैं खेती

इस समय फरवरी का महीना चल रहा है। फरवरी का महीना सब्जियों के खेती के लिहाज से काफी अच्छा माना जाता है, क्योंकि इस महीने में न तो अधिक गर्मी होती है और न ही अधिक सर्दी। इस मौसम में किसान भिंडी, करेला, खीरा, ककड़ी, लौकी, पत्ता गोभी, टमाटर, पालक, अरबी व मिर्च आदि सब्जियों की खेती कर सकते है। इनमें से कई सब्जियां ऐसी है जो कम समय में अधिक मुनाफा देने वाली होती है। इनमें सबसे ऊपर नाम आता है भिंडी की खेती (Okra Cultivation) का। यह एक ऐसी सब्जी है जो कम समय में आधिक मुनाफा दे सकती है। खास बात यह है कि इसके बाजार में भाव भी ठीक-ठाक मिल जाते हैं। इस फसल की खेती में नुकसान की गुंजाइश कम रहती है।

फरवरी में भिंडी की खेती करने से क्या होगा लाभ

फरवरी महीने में आप भिंडी की अगेती खेती (early cultivation of okra) कर सकते हैं। यदि आप भिंडी की खेती से बेहतर कमाई करना चाहते हैं तो आपको भिंडी की अगेती खेती ही करनी चाहिए जिससे मार्केट में सही समय पर भिंडी की फसल पहुंच जाए और इसके बेहतर भाव मिल सके। क्योंकि अक्सर देखने में आता है कि कई किसान भिंडी की बुवाई देरी से करते हैं जिससे फसल भी देरी से तैयार होती है और फसल को मार्केट पहुंचने में देर हो जाती है। ऐसे में किसान को भिंडी की फसल का बेहतर दाम नहीं मिल पाता है। किसान को मजबूरन कम भाव पर अपनी फसल बेचनी पड़ती है। इस समस्या के समाधान के लिए किसान हमेशा भिंडी की अगेती फसल ही लें ताकि उन्हें अधिक लाभ मिल सके।

भिंड़ी के बेहतर अंकुरण के लिए क्या करें

भिंडी के अच्छे अंकुरण के लिए फरवरी का महीना काफी अच्छा रहता है। इस महीने में भिंडी की बुवाई करके किसान काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं। इस महीने भिंडी की बुवाई करने पर अंकुरण अच्छा होता है जिससे काफी अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा भिंडी के बेहतर उत्पादन के लिए इसकी उन्नत किस्म का चयन करना भी आवश्यक है। यदि आप भिंडी की खेती का मन बना रहे हैं तो उन्हें इस माह इसकी बुवाई का काम निपटा लेना चाहिए ताकि गर्मी का सीजन आते ही आपकी भिंडी की फसल बाजार में बिक सके। गर्मियों में भिंडी की मांग काफी रहती है। ऐसे में आप सही समय पर भिंडी की फसल बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं।

कौनसी है भिंडी उन्नत किस्में (Ladyfinger Improved Varieties)

भिंडी की कई उन्नत किस्में है जो कम समय में अधिक पैदावार दे सकती है। यह किस्में 50 से लेकर 65 दिन की अवधि में तैयार हो जाती हैं। भिंडी की किस्मों में पूसा सावनी, परभनी क्रांति, अर्का अनामिका, पंजाब पद्मिनी, अर्का अभय आदि आती है। किसान अपने क्षेत्र के अनुसार भिंडी की किस्म का चयन कर सकते हैं। इसके लिए किसान अपने राज्य के लिए अनुसंशित की गई किस्म काे बुवाई के लिए इस्तेमाल करें। इस संबंध में आप अपने जिले के कृषि विभाग से जानकारी प्राप्त कर सकते है।

कैसे करें भिंडी की फसल के लिए खेत की तैयारी

कृषि विशेषज्ञ के मुताबिक भिंडी की बुवाई (sowing of okra) से पहले खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए। इसके बाद दो बार कल्टीवेटर (Cultivator) से हल्की जुताई करके मिट्‌टी को भुरभुरा बना लें। यदि आपने फसल बुवाई से पहले अपने खेत की मिट्टी की जांच करवाई है तो आप उन खाद व उर्वरकों का ही इस्तेमाल करें जिसकी अनुसंशा मिट्‌टी की जांच में की गई है।

यदि आपने खेत की मिट्‌टी की जांच नहीं करवाई है तो आपको बुवाई से पूर्व खेत में 90 किलो यूरिया और 50 किलो डीएपी और 30 किलो एमओपी की मात्रा प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करनी चाहिए। इसमें से आधा भाग यूरिया और पूरा भाग डीएपी और पूरा भाग एमओपी की मात्र खेत की जुताई के समय डालनी चाहिए। शेष बची हुई मात्रा को खड़ी फसल में इस्तेमाल करना चाहिए।

कृषि विशेषज्ञ के मुताबिक भिंडी की बुवाई (sowing of okra) से पहले खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए। इसके बाद दो बार कल्टीवेटर (Cultivator) से हल्की जुताई करके मिट्‌टी को भुरभुरा बना लें। यदि आपने फसल बुवाई से पहले अपने खेत की मिट्टी की जांच करवाई है तो आप उन खाद व उर्वरकों का ही इस्तेमाल करें जिसकी अनुसंशा मिट्‌टी की जांच में की गई है।

यदि आपने खेत की मिट्‌टी की जांच नहीं करवाई है तो आपको बुवाई से पूर्व खेत में 90 किलो यूरिया और 50 किलो डीएपी और 30 किलो एमओपी की मात्रा प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करनी चाहिए। इसमें से आधा भाग यूरिया और पूरा भाग डीएपी और पूरा भाग एमओपी की मात्र खेत की जुताई के समय डालनी चाहिए। शेष बची हुई मात्रा को खड़ी फसल में इस्तेमाल करना चाहिए।

भिंडी के बीजों की बुवाई से पहले करें यह जरूरी काम

किसानों को भिंडी खेती के लिए हमेशा उन्नत बीज का चयन करना चाहिए। फसल को कीट, रोग के प्रकोप से बचाने बीजों को बोने से पहले उन्हें उपचारित कर लेना चाहिए। जायद भिंडी (Zaid Bhindi) के बीजों को बोने से पहले उन्हें 12 से लेकर 24 घंटे तक पानी में भिगाने के बाद उसे उपचारित करना चाहिए। बीजों को उपचारित करने के बाद उन्हें छाया में सुखाकर बोना चाहिए। भिंडी के बीजों को उपचारित करने के लिए बीज को 3 ग्राम थीरम या कार्बेन्डाजिम प्रति किलोग्राम बीज की दर से लेकर उपचारित करना चाहिए। यदि बीज की मात्रा की बात करें तो भिंडी की उन्नत बीज की मात्रा प्रति एकड़ 6 किलोग्राम और संकर किस्मों के लिए 2 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ के हिसाब से लेना पर्याप्त होता है।

भिंडी की बुवाई का क्या है सही तरीका (What is the right way to sow lady finger)

भिंडी की बुवाई हमेशा सीधी कतार में ही करनी चाहिए। इसकी बुवाई उठी हुई क्यारियों में करनी चाहिए। इसमें कम से कम 15 से 20 सेंटीमीटर ऊंची बेड बनाकर इसकी बुवाई करनी चाहिए। ऐसा करने से सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि पौधों को पोषक तत्वों की उचित मात्रा मिलती रहती है और फसल उत्पादन भी बेतहर होता है। जायद और गर्मी की बुवाई के लिए भिंडी की बुवाई में कतार से कतार की दूरी 25 से 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।

भिंडी की खेती में कब करें सिंचाई

यदि खेत में नमी नहीं हो तो भिंडी की फसल की बुवाई करने से पहले खेत की एक सिंचाई कर देनी चाहिए। इसके बाद 8 से 10 दिन के अंतराल में सिंचाई की जा सकती है। सिंचाई के लिए फव्वारे या ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल करना चाहिए।

कब करें भिंडी की तुड़ाई

भिंडी की फसल 45 से 50 दिन के बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। जब भिंडी का आकार 4 से 5 इंच हो जाए और इसका रंग बिलकुल हरा हो तब इसकी तुड़ाई करनी चाहिए। तुड़ाई के बाद भिंडी की छंटाई करके अलग-अलग केटेगरी बनाकर बाजार में बेचना चाहिए जिससे उचित भाव मिल सके। इस तरह आप कम समय में भिंडी की खेती से बेहतर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

भिंडी की फसल में कितनी आती है लागत और कितना हो सकता है मुनाफा

भिंडी की खेती (Okra Cultivation) में प्रति हैक्टेयर लागत 50 से 60 हजार रुपए तक आती है। वहीं भिंडी की खेती से प्रति हैक्टेयर 70 से 80 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। सामान्य तौर पर भिंडी का बाजार भाव (Market Price of Okra) 30 से 40 रुपए प्रति किलोग्राम के बीच रहता हैं। ऐसे में किसान एक हैक्टेयर में भिंडी की खेती से करीब 3,20,000 रुपए तक की कमाई कर सकते हैं।

आरूग एग्रो हमेशा आपको खेती से संबंधित सटीक जानकारी देकर अपडेट रखता है।कृषि उपकरणों के नए मॉडल और उनके उपयोग की जानकारी आपको सबसे पहले आरूग एग्रो पर मिलती है। हम सरकारी योजनाओं की खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित करते हैं।

सिर्फ 1 बीघा खेती से 55 लाख की कमाई, यह खास फसल कर रही मालामाल

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सिर्फ 1 बीघा खेती से 55 लाख की कमाई, यह खास फसल कर रही मालामाल : क्या आप चाहेंगे कि आपकी जमीन में खेती का जादू हो? एक कमाई वाली खेती का दृश्य देखने के लिए बिलकुल तैयार रहें: सिर्फ एक बीघा ज़मीन से आप 55 लाख रुपये तक कमा सकते हैं।

यह शुरुआत में थोड़ा अजीब लग सकता है, पर पूरा लेख पढ़ें ताकि आप समझ सकें कि यह कैसे हो सकता है। तो, कोई देरी न करते हुए, चलिए जानते हैं उस खेती के राज को जो एक बीघा से 55 लाख की कमाई देती है।

महोगनी की खेती

महोगनी, एक शक्तिशाली पौधा, आपको अच्छी कमाई दिलाता है। एक बार जब आप इसे बोना होते हैं, तो इसके लिए न्यूनतम देखभाल की आवश्यकता है, जिससे आप अधिक दवा और पानी के खर्चों से बचा सकते हैं।

महोगनी के साथ, आपकी खेती की लागत कम हो जाती है, जिससे आपको पर्याप्त लाभ हो सकता है।

महोगनी की खेती की तकनीक

महोगनी की खेती में कदम रखने के लिए, आपको अपने खेत की सावधानीपूर्वक तैयारी की आवश्यकता है। मिट्टी की संरचना की जाँच करें और आवश्यक पोषण सामग्री से सुनिश्चित करें कि कोई कमी नहीं है। बाजार से पौधे खरीदें, जिसकी मूल्यां आमतौर पर 50 से 120 रुपये के बीच होती हैं।

महोगनी की खेती का सफर आरंभ करने के लिए आपको अपने खेत की तैयारी में सावधानी बरतनी होगी। मिट्टी की स्ट्रक्चर की जाँच करें और ज़रा से पोषक तत्वों की पूर्ति करें ताकि कोई कमी न रहे। बोने गए पौधों के बीच 8 फीट का अंतर बनाएं और पंक्तियों के बीच 6 फीट का अंतर रखें।

इस तरह, आप बीघे को लगभग 400 पौधों से भर सकते हैं। जलवायु परिस्थितियों के अनुसार, जल निकासी को सही ढंग से नियंत्रित करें, और ध्यान रखें कि महोगनी बारिशी मौसम में भी ठीक से बढ़ सकती है।

खेती के लिए सर्वोत्तम तापमान 25 से 43 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए, और मिट्टी का पीएच 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। ये मापदंड विकास और उत्पादन को समर्थन करते हैं। इसके अलावा, सीधे पौधे की ऊँचाई को बनाए रखने और अनियमितताओं को रोकने के लिए सावधानीपूर्वक कटाई आवश्यक है।

महोगनी की खेती से कमाई

खेती में अछे से उतरने से पहले, संभावित लाभ का हिसाब लगाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रति बीघे 400 पौधों के परिपक्व होने से एक दशक में प्रति पेड़ से काफी आच्छा मुनाफा हो सकता है। महोगनी को सामान्यत: घन फीट के हिसाब से बेचा जाता है, जिसमें प्रमुख खंडों की मूल्य अधिक हो सकती है।

औसतन, महोगनी का एक पौधा 50,000 से 60,000 रुपये तक की प्राप्ति कर सकता है जब वह परिपक्व होता है। समग्र रूप से, एक बीघा से आपकी कुल कमाई आकर्षक रूप से 55 लाख रुपये से अधिक हो सकती है।

खर्चों को शामिल करने के बावजूद, जो सामान्यत: प्रति वर्ष 3000 से 4000 रुपये तक होता है, शुद्ध लाभ काफी होता है।

निष्कर्ष

महोगनी की खेती का बिजनस न केवल पैसे कमाने में रूचिकर है, बल्कि इसकी टिकाऊ और कम मेहनती प्रकृति में भी बड़ी खासियत है। सही खेती की तकनीकों का पालन करने और अपनी फसल को ठीक से पोषण देने से, आप इसका पूरा फायदा उठा सकते हैं और बहुत अच्छा लाभ कमा सकते हैं।

Perfect Flowers To Grow In February Month In India

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Introduction: As winter fades away, February brings a burst of colors to Indian gardens. Vibrant flowers bloom, transforming home gardens into captivating landscapes. This article unveils the magic of February flowering plants, providing insights into the perfect flowers to grow during this month in India. Let’s delve into the world of February blossoms, exploring what to plant for a picturesque garden.

List Of February Flowering Plants In India

S.No.
Flower Name
Where to Buy Seeds or Bulbs
1
Zinnia
2
Marigold
3
Pansy
4
Sweet Pea
5
Gladiolus
6
Antirrhinum (Snapdragon)
7
Lily
8
Morning Glory
9
Nasturtium
10
Cosmos
11
Sunflower
12
Gardenia
Not Available
13
Alyssum
14
Salvia
15
Poppy
16
Bergenia
Not Available
17
Periwinkle (Vinca)
18
Encore Azalea
Not Available
19
Chrysanthemum
20
Dahlias
21
Aparajita
Not Available
22
Viola
Not Available
23
Geranium
24
Petunia
25
Gaillardia
26
Gomphrena
27
Begonia
Not Available
28
Carnation
29
Joey flower
Not Available
30
Verbena
31
Phlox
32
Hollyhock
33
Allium flower
Not Available

Before diving into the gardening process, let’s discover some popular flowering plants that thrive in Indian gardens during February. Learn about their seeds or bulbs and where to find them for a flourishing garden.

How to Start Growing Flowers in February

Whether you’re an experienced gardener or a budding enthusiast, follow this step-by-step guide to kickstart your journey into growing February flowers at home.

  1. Planning and Selection: Initiate your spring flower garden by planning the layout. Consider space, sunlight, and soil conditions. Opt for flowers suited to the Indian climate, such as Marigold, Alyssum, Zinnia, Gazania, Dahlia, Phlox, Hollyhocks, Petunia, and Chrysanthemum.
  2. Gather Your Supplies: Collect essential materials like high-quality potting soil, nutrient-rich compost, flower seeds or plants for February, gardening tools, and suitable containers. Be it pots, grow bags, or rectangular containers, gather all necessary supplies.
  3. Germination and Planting: For flowers like dahlias and phlox, start seeds indoors. Utilize seedling trays with seed-starting mix, maintaining proper moisture levels and warmth. Once germinated, transplant the seedlings into your garden or chosen containers.
  4. Direct Sowing: Certain flowers like Marigold, Alyssum, and Petunia are best sown directly in well-prepared soil. Ensure loose, well-drained soil enriched with compost. Follow recommended spacing for each flower type to support healthy growth.
  5. Sunlight and Watering: Most February flowering plants thrive in full sunlight. Ensure your garden receives 6-8 hours of sunlight daily. Consistent watering and maintaining soil moisture are crucial for successful growth.
  6. Maintenance and Pruning: Regularly inspect February flowers for pests or diseases. Clear the garden, removing competing weeds. Prune flowers as needed to encourage bushier growth and abundant blooms.

Conclusion

Create a vibrant and lively garden by following these steps for growing perfect flowers in February in India. Embrace the beauty of nature in your home, making the most of the colorful blossoms that February has to offer.

Thanks for reading this post where I discussed the list of flowers to grow or plant in February month in India including a step-by-step guide on how to start growing flowers in February month. Now you can easily grow February month flowers by choosing your favorite flowers and enjoy spring.

ठंड में उगने वाले यह फूल बनाएंगे आपके गार्डन को खुशहाल: Flowers That Grow In Winter In India In Hindi

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विंटर अर्थात ठंड का मौसम जहाँ हर किसी को गर्म कपड़े पहनने पर मजबूर कर देता है, वहीं दूसरी ओर हमारे गार्डन में लगे कुछ फूलों के पौधे इस सीजन को बहुत एन्जॉय करते है। जी हाँ, आज हम ऐसे ही बेस्ट फूलों के बारे में चर्चा करने जा रहे है, जिन्हें सर्दी के मौसम में उगना पसंद है और इन फ्लावर प्लांट्स की खास बात यह है, कि लगाने के कुछ ही दिनों बाद यह पौधे फूल देने लगते है। इन विंटर फ्लावर के साथ अपनी बगिया को खूबसूरत बनाने का वक़्त आ गया है। चलिए, इस सर्दी में गार्डन को कलरफुल बनाने का सफर शुरू करते हैं और जानते हैं, कि विंटर अर्थात सर्दी या ठंड में उगने वाले फूल कौन-कौन से हैं, जिन्हें आप अपने घर पर गमले में भी उगा सकते हैं।

सर्दी या ठंड में लगाए/उगाए जाने वाले फूल कौन से हैं, इन विंटर सीजन फ्लावर (Winter Growing Flowers In Hindi) की जानकारी के लिए आर्टिकल को लास्ट तक पढ़ें।


ठंड में लगाए जाने वाले फूल – Flowers To Be Planted In Winter In Hindi

 

होम गार्डन में सर्दियों में लगाए जाने वाले या ठंड में उगने वाले फूल निम्न हैं:-

S. No.
फूलों के नाम
बीज कहाँ से खरीदें
1
ट्यूलिप (Tulip)
2
एलिसम (Alyssum)
3
सूरजमुखी (Sunflower)
4
गुलदाउदी (Chrysanthemum)
5
पोर्टुलाका (Portulaca)
6
कॉसमॉस (Cosmos)
7
एस्टर (Aster)
8
स्वीट पी (Sweet Pea)
9
पैन्सी (Pansy)
10
डैफ़ोडिल (Daffodil)
11
डायन्थस (Dianthus)
12
गेंदा (Marigold)
13
जीनिया (Zinnia)
14
डहेलिया (Dahlia)
15
कैलेंडुला (Calendula)
16
कॉर्नफ़्लावर (Cornflower)
17
डेज़ी (Daisy)
18
नैस्टर्टियम (Nasturtium)
19
पिटूनिया (Petunia)
20
कार्नेशन (Carnation)
21
स्टॉक (Stock)
22
वर्बेना (Verbena)
23
विंका (Periwinkle)
24
ल्यूपिन (Lupin)
25
फ़्लॉक्स (Phlox)
26
जेरेनियम (Geranium)
27
गज़ानिया (Gazania)
28
क्रोकस (Crocus)
29
एग्रेटम (Ageratum)
30
क्लार्किया (Clarkia )
31
गैलार्डिया (Gaillardia)
32
फ्लॉक्स (Phlox)
33
डेल्फीनियम (Delphinium)
34
गजानिया (Gazania)
35
रैननकुलस (Ranunculus)
36
साल्विया (Salvia)

 

ठंड में उगने वाले फूल के लिए ग्रो बैग साइज – Pot Size For Winter Growing Flowers In Hindi


आमतौर पर फूल वाले पौधे की ग्रोथ के लिए ग्रो बैग या गमले की साइज बहुत महत्वपूर्ण होती है। इसके अलावा सर्दियों में पौधे को ठंड से बचाना बहुत जरूरी होता है। वैसे तो फूलों के पौधों को किसी भी तरह के गमले या ग्रो बैग में लगा सकते हैं, लेकिन HDPE ग्रो बैग में इनकी मिट्टी तेजी से गर्म होती हैं और इसके अतिरिक्त फैब्रिक ग्रो बैग में जल निकासी बेहतर होती है, जो कि पौधे की स्वस्थ ग्रोथ के लिए आवश्यक है।

अपने गार्डन में सर्दियों या ठंड में उगाए जाने वाले फूल के पौधों के लिए निम्न साइज के ग्रो बैग का इस्तेमाल कर सकते हैं:-

6 x 6 इंच (W x H)
9 x 9 इंच (W x H)
12 x 9 इंच (W x H)
15 x 9 इंच (W x H)
18 x 9 इंच (W x H)
12 x 12 इंच (W x H)
36 x 24 x 12 इंच (L x W x H)

सर्दियों में फूल कैसे उगाएं – How To Grow Flower In Winter In Hindi

ऊपर बताए गए ठंड में उगने वाले फूल वाले पौधों को गमले में लगाने के टिप्स कुछ इस प्रकार हैं:-

ठंड में उगने वाले फूलों के बीज खरीदें – Buy Winter Flower Seeds In Hindi

आप सर्दी के इन फूलों के बीज हमारे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म Aarugagro.com से खरीद सकते हैं। उन फूलों की किस्मों का चयन करें, जो ठंडे तापमान में भी अच्छी तरह ग्रोथ कर सकें।

मिट्टी तैयार करें – Prepare Soil For Planting Flower Plants In Hindi

सर्दियों में उगने वाले फूल के पौधों के लिए ओवरवाटरिंग की स्थिति हानिकारक हो सकती है इसलिए मिट्टी की जलनिकासी में सुधार के लिए रेत, पर्लाइट या वर्मीकुलाइट मिलाएं। इसके अतिरिक्त गमले की मिट्टी की उर्वरता में सुधार के लिए जैविक खाद जैसे गोबर खाद, वर्मीकम्पोस्ट, नीमकेक, मस्टर्ड केक आदि कार्बनिक पदार्थ मिलाएं।

सर्दियों के फूलों के बीज लगाएं – Plant Winter Flower Seeds In Hindi

समर सीजन के लास्ट या फॉल की शुरुआत में अपने पसंदीदा फूलों की सीडलिंग तैयार करें। जब पौधे उचित आकार के हो जाएं, तब आप उन्हें गार्डन में ट्रांसप्लांट कर सकते हैं।

फूल के पौधों को पानी तथा खाद दें – Give Water And Fertilizer To Flower Plants In Hindi

सर्दियों में मिट्टी में नमी के स्तर की निगरानी करना आवश्यक है, क्योंकि इस समय मिट्टी जल्दी नहीं सूखती है। नमी की जांच करने पर जब मिट्टी सूखी लगे, तब पौधों को पानी दें। ध्यान रहें, कि अधिक पानी न डालें, क्योंकि जल भराव से पौधे की जड़ें ख़राब हो सकती हैं।

ग्रोइंग सीजन के अपने फूल के पौधे को जैविक उर्वरक जैसे प्लांट ग्रोथ प्रमोटर, बायो NPK, सीवीड आदि दें। इसके अतिरिक्त आप फ्लावरिंग के समय बोनमील, PROM, रॉक फास्फेट इत्यादि उर्वरक दे सकते हैं।

प्रूनिंग और डेडहेडिंग करें – Do Pruning And Deadheading Of Flower Plants In Hindi

किसी भी मृत या क्षतिग्रस्त वृद्धि को हटाने के लिए अपने सर्दियों के फूलों की नियमित रूप से प्रूनिंग करें, ताकि पौधे में नई वृद्धि हो सके। डेडहेडिंग या मुरझाए हुए फूलों को हटाने से पौधे में निरंतर फूल खिलते हैं।

कीटों और रोगों की जांच करें – Check For Pests And Diseases In Flowering Plants In Hindi

फूलों वाले पौधों पर कीटों व रोगों के लक्षणों की जांच करते रहे। किसी भी संक्रमण के लक्षण दिखादे पर तुरंत उपचार करें और आवश्यकता पड़ने पर जैविक कीटनाशक और फंगीसाइड नीम ऑयल का स्प्रे करें।

इस लेख में आपने जाना विंटर सीजन फ्लावर अर्थात सर्दी या लगाए जाने वाले फूल कौन कौन से हैं, ठंड में उगने वाले फूल के पौधों के नाम तथा उगाने की जानकारी के बारे में। अगर हमारा लेख आपको अच्छा लगा हो, तो इसे अन्य लोगों के साथ साझा करें। आर्टिकल के संबंध में आपके जो भी सुझाव हैं, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

 

Grow Your Own Greens: Easy Vegetables for Your Terrace Garden in India

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Introduction: Embarking on a journey to create a flourishing terrace garden in India? Discover the ease of cultivating your own greens with a variety of vegetables perfectly suited for your terrace. From tomatoes to lettuce, here’s a guide to growing your own fresh produce in the comfort of your home.

Tomatoes

Sun-Kissed Delights Tomatoes, a kitchen essential, thrive on your terrace with ample sunlight and minimal care. Start seeds indoors for a successful transplant, use a spacious grow bag, and expect a harvest in 60-80 days.

Chillies

 

Spice Up Your Garden Easy-to-grow chillies, essential in Indian cuisine, require sunlight and regular watering. Germinate indoors, choose a suitable grow bag, and relish homegrown spice in 60-90 days.

Spinach

Shady Green Haven Palak, or spinach, is a superfood that flourishes with minimal sunlight. Directly sow the seeds in a shallow grow bag, and harvest fresh leaves in just 30-45 days.

Cucumbers

Refreshing Summer Treat Ideal for summer, cucumbers thrive in pots with good sunlight and consistent watering. Germinate seeds in warm soil, opt for a spacious grow bag, and enjoy your harvest in 50-70 days.

Brinjal (Eggplant)

Purple Beauties in Pots Baingan, a staple in Indian kitchens, prospers in pots with moderate sunlight. Begin indoors, choose a roomy grow bag, and expect a harvest in 70-90 days.

Coriander

Aromatic Herb Haven Must-have coriander grows well in small containers with partial sunlight. Directly sow seeds, select a moderately sized grow bag, and relish fresh coriander in 30-45 days.

Lettuce

Salad Lover’s Delight Lettuce, perfect for salads, grows quickly and thrives in cooler temperatures. Sow seeds shallowly in a suitable grow bag, and enjoy crisp leaves in 30-45 days.

Beans

Climbing Wonders Climbing or bush beans flourish in terrace gardens with good support and sunlight. Opt for a well-sized grow bag, and relish your harvest in 45-60 days.

Okra (Bhindi)

Tall and Green Beloved in Indian households, okra suits pot cultivation with sunlight and regular watering. Choose a deep grow bag and harvest your pods in 50-60 days.

Beetroot

Vibrant Root Delight Grow beetroot in pots for a nutritious addition to your garden. Sow seeds directly in a spacious grow bag and enjoy harvest in 50-70 days.

Conclusion

Terrace gardening in India is a delightful way to nurture your own greens. From tomatoes to beetroot, these vegetables are not only easy to grow but also bring the joy of gardening to your daily life. Create a vibrant and fresh haven right at home with these terrace-friendly veggies.

नए साल पर लगाएं ये पौधे और बनाएं घर को खूबसूरत – Plants That Grow In New Year In Hindi

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जैसे ही हम नए साल में कदम रखते हैं, तो अपने आपको खुश रखने के लिए तरह-तरह के तरीकों को अपनाते हैं। कुछ लोग अपनी पुरानी आदतों को पीछे छोड़ नई-नई आदतों के साथ शुरुआत करते हैं, तो कुछ अपने घर पर पेड़-पौधे लगाकर पाजिटिविटी लाते हैं। पेड़ पौधे न सिर्फ हमें नेचर से जोड़ते हैं, बल्कि घर को आकर्षक और सुंदर बनाने के मदद करते हैं। अगर इस न्यू इयर आप अपने घर को पौधों से सजाना चाहते हैं, तो हमारा यह आर्टिकल आपकी मदद कर सकता है। आज के लेख में हम आपको नए साल पर लगाए जाने वाले पौधे की जानकारी देंगे। नए साल पर कौन से पौधे लगाएं, न्यू इयर की शुरुआत के लिए पौधे (New Year’s Plant In Hindi) की जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी।

नए साल पर लगाए जाने वाले पौधे – Plants That Grow In New Year In Hindi

अगर आप नए साल पर अपने घर को खूबसूरत पौधों से सजाना चाहते हैं, तो हम आपको कुछ पौधों की जानकारी देंगे, जिन्हें आप अपने घर के अंदर या बाहर गमले में लगा सकते हैं। आइये जानते हैं- उन खूबसूरत पौधों के बारे में, जिनकी जानकारी नीचे लेख में दी गई है:-

कोलियस – Grow Coleus In This New Year At Home In Hindi

कोलियस, एक सुंदर पत्तियों वाला हाउसप्लांट है, जिसे आप न्यू इअर में अपने घर पर लगा सकते हैं। इस पौधे की पत्तियां गहरे बैंगनी से लेकर हरे रंग के कोम्बिनेशन में होती है, जो देखने पर काफी सुंदर लगती हैं। कोलियस घर के अंदर और बाहर दोनों जगह उग सकता है, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी और आंशिक छाया की स्थिति पौधे की ग्रोथ में मदद करती है।

डैफोडिल – Daffodil Is Best Bulb Growing Flower For New Year In Hindi

डैफोडिल, जिसे नरगिस का फूल भी कहा जाता है यह एक बल्ब से उगने वाला फूल का पौधा है, जिसे आप नए साल में लगा सकते हैं। डैफोडिल के बल्ब अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी और धूप वाली जगह पसंद करते हैं। इन्हें आप विंटर सीजन में घर के अंदर लगा सकते हैं।

पीस लिली – Peace Lily Is An Indoor Plant With Beautiful Leaves In Hindi

पीस लिली को शांति का प्रतीक माना जाता है, जिसे आप नए साल में अपने घर पर शांति लाने के लिए लगा सकते हैं। यह एक कम रखरखाव वाला पौधा है, जिसके न सिर्फ फूल, बल्कि पत्तियां भी बेहद खूबसूरत होती हैं। यह पौधा इनडायरेक्ट सनलाइट में ग्रोथ करता है, जिसे आप 6 से 8 इंच के ड्रेनेजहोल्स युक्त गमले में लगा सकते हैं।

पेटूनिया – Best Flower Petunia Growing In This New Year In Hindi

पेटूनिया, जो अपने प्रचुर मात्रा में खिलने वाले फूलों के लिए जाना जाता है, यह फूल कई रंगों में खिलते हैं, जिन्हें आप हैंगिंग बास्केट, बॉर्डर या हैंगिंग पॉट्स में लगा सकते हैं। ये पौधे पूरी धूप और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में ग्रोथ करते हैं और इन्हें नियमित रूप से पानी देने की आवश्यकता होती है। मुरझाए हुए फूलों को पिंच करने से निरंतर फ्लावरिंग में मदद मिलती है।

ऑर्किड – Best Flower Orchid To Grow In This New Year In Hindi

ऑर्किड, एक बल्ब से उगाया जाने वाला फूल का पौधा है, जिसे आप अपने घर पर पानी में भी उगा सकते हैं नए साल में अपने घर को सजाने के लिए आप इस इनडोर फ्लावर प्लांट को लगा सकते हैं। ऑर्किड अच्छी जल निकासी वाले मिश्रण, अप्रत्यक्ष प्रकाश और लगातार नमी को पसंद करता है। इस पौधे के फूल लंबे समय तक खिले रहते हैं।

विंटर जैस्मिन – Winter Jasmine Is Best Plant To Grow In New Year In Hindi

विंटर जैस्मिन, अपने शानदार सफ़ेद फूलों के साथ, सर्दियों के परिदृश्य में धूप का स्पर्श जोड़ती है। इसे आप नए साल की शुरुआत के लिए अपने आँगन में लगा सकते हैं। विंटर जैस्मिन का पौधा पूरी धूप वाले स्थान और नमीयुक्त मिट्टी में ग्रोथ करता है, जिसे आप 9 से 12 इंच के ग्रो बैग में लगा सकते हैं। बेहतर फ्लावरिंग के लिए फूल आने के बाद इसकी प्रूनिंग करें।

हायसिंथ – Hyacinth Is Beautiful Flower To Grow This New Year In Hindi

हायसिंथ को उनकी तीव्र सुगंध और कॉम्पैक्ट फूलों की स्पाइक्स के लिए पसंद किया जाता है। यह फूल स्प्रिंग सीजन में खिलते हैं, जो आपके घर पर एक अनोखा स्पर्श जोड़ सकते हैं। हायसिंथ फ्लावर प्लांट पूरी धूप से लेकर आंशिक छाया की स्थिति में ग्रोथ कर सकते हैं। गर्म मौसम में पौधे को नियमित रूप से पानी देने से ग्रोथ अच्छी होती है।

लकी बैम्बू – Lucky Bamboo Is Good For Create Positivity In This Year In Hindi

लकी बैम्बू, देखभाल में आसान एक इनडोर पौधा है, जिसे अच्छे भाग्य का प्रतीक माना जाता है। यह पौधे छोटे आकार होता है, जिसे पानी या मिट्टी दोनों में लगाया जा सकता है। यह पौधा अप्रत्यक्ष धूप में ग्रोथ करता है। जड़ों को लगातार नम बनाए रखें और पौधे को साफ़ सुथरा बनाए रखने के लिए फ़िल्टर्ड या डिस्टिल्ड वाटर का उपयोग करने पर विचार करें।

गुलदाउदी – Best Flower Chrysanthemum To Grow In This New Year In Hindi

गुलदाउदी, अपने विविध रंगों के फूलों के साथ साल के शुरुआती महीनों में खिल सकते हैं और आपके घर को रंगों से भर सकते हैं। गुलदाउदी फूल का पौधा झाड़ीदार होता है, जो अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी और पूरी धूप में ग्रोथ करता है। पौधे की अच्छी ग्रोथ और फ्लावरिंग के लिए नियमित रूप से पानी और आवश्यकता पड़ने पर खाद देना अच्छा होता है।

एमेरीलिस – Amaryllis Is A Beautiful Flowering Plant To Plant In New Year In Hindi

एमेरीलिस, नए साल की शुरुआत के लिए सबसे अच्छे पौधे में से एक है, जो अपने शानदार फूलों के लिए जाना जाता है। यह एक पसंदीदा इनडोर प्लांट है, जिसे बल्ब से लगाया जाता है। एमेरीलिस के बल्ब को अच्छे जल निकास वाले पॉटिंग मिक्स में लगाएं और पौधे की अच्छी ग्रोथ के लिए फिल्टर्ड धूप वाले स्थान पर रखें। ग्रोइंग सीजन के दौरान मिट्टी को लगातार नम बनाए रखें।

इस लेख में आपने नए साल की शुरुआत के लिए पौधे की जानकारी प्राप्त की, साथ ही आपने जाना, कि नए साल पर कौन से पौधे लगाएं या न्यू इयर पर लगाए जाने वाले पौधे कौन से हैं। उम्मीद है हमारा लेख आपको अच्छा लगा हो। इस लेख के संबंध में आपके जो भी सुझाव हैं हमें कमेंट बॉक्स में बताएं।

 

 

अक्टूबर के महीने में लगाई जाने वाली सब्जियां – Vegetables to grow in October in Hindi

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Table of Contents

यदि आप अपने घर पर गार्डन में सब्जियों को ग्रो करना चाहते हैं, तो आपको मौसम के अनुसार सब्जियां उगाने और उनकी देखरेख करने की जानकारी होना आवश्यक है। भारत में मौसम के अनुसार उगाई जाने वाली सब्जियां अधिक पैदावार देती है। यदि आप अक्टूबर माह में उगाई जाने वाली सब्जियों के बारे में विचार कर रहें हैं तो यह लेख आपके लिए फायदेमंद होने वाला है। इस लेख में आप जानेगें कि अक्टूबर के महीने में कौन कौन सी सब्जी बोई जाती है? सब्जियां उगाने के लिए मिट्टी कैसे तैयार करें?

पौधों से अच्छी उपज लेने के लिए आपको यह पता होना चाहिए, कि किस महीने में कौन सी सब्जी लगाई जाती हैं। अक्टूबर के महीने में आप ठंड के मौसम में प्राप्त होने वाली सब्जियों को लगा सकते हैं, जिसके अंतर्गत प्याज, लेटस (Lettuce), फूलगोभी, ब्रोकोली, ब्रसेल्स स्प्राउट्स (Brussels sprouts), मटर, आलू, लहसुन, मूली, शलजम और पालक आदि को लगा सकते हैं। अक्टूबर माह में लगाईं जाने वाली सब्जियों को आप अपने गार्डन में लगाकर पूरी ठण्ड भर भरपूर मात्रा में सब्जियां प्राप्त कर सकते हैं।

अक्टूबर के महीने में लगाई जाने वाली सब्जियां – Vegetable gardening in October in Hindi

यदि आप अक्टूबर माह में घर पर सब्जियां लगाने का विचार बना रहें हैं, तो आप उचित सब्जियों का चयन कर सकते हैं। अक्टूबर के महीने में उगाई जाने वाली सब्जियों की सूची और उच्च गुणवत्ता वाले बीज खरीदने की जानकारी निम्न हैं:

S.No.
सब्जी का नाम
बीज यहाँ से खरीदें
1.
टमाटर (Tomato)
2.
धनिया (Coriander)
3.
मटर (Peas)
4.
बैंगन (Brinjal)
5.
फ्रेंच बीन्स
6.
प्‍याज (onions)
7.
मूली (Radish)
8.
सेम फली (Sem Phali)
9.
लेटस ( lettuce)
10.
पालक (Spinach)
11.
चुकंदर (Beetroot)
12.
पाक चोय (Pak Choy)
13.
गाजर (Carrot)
14.
शलजम (Tumip)
15.
फूलगोभी (Cauliflower)
16.
काले (kale)
17.
ब्रोकोली (Broccoli)
18.
पत्‍ता गोभी (Cabbage)
19.
सेलेरी (celery)
20.
लीक (Leek)

 

अक्टूबर माह में सब्जियां उगाने के लिए मिट्टी तैयार कैसे करें – How to prepare the soil for growing vegetables in October In Hindi

यदि आप अक्टूबर माह में सब्जियों को उगाना चाहते हैं और अच्छी पैदावार चाहते हैं तो इसके लिए आपकों अपने गमले या गार्डन की मिट्टी को तैयार करना होगा। अक्टूबर महीने में गार्डन की मिट्टी को निम्न तरीके से तैयार किया जा सकता है:

मिट्टी तैयार करने के लिए सामग्री

  • मिट्टी
  • गोबर की खाद
  • रेत
  • आर्गेनिक फ़र्टिलाइज़र, जैसे नीम खली, बोन मील, मस्टर्ड केक (वैकल्पिक)

मिट्टी तैयार करने की विधि

  • सबसे पहले आप 50% सामान्य मिट्टी को लें।
  • अब इसमें 40% गाय के गोबर की खाद मिला लें।
  • इसके बाद मिश्रण में 10% रेत को भी अच्छी तरह से मिक्स करें।
  • आप आवश्यकतानुसार मिट्टी के मिश्रण में थोड़ी मात्रा में नीम खली, बोन मील, मस्टर्ड केक जैसे आर्गेनिक फ़र्टिलाइज़र को भी मिला सकते हैं। आर्गेनिक फ़र्टिलाइज़र का उपयोग वैकल्पिक है, यह उपलब्ध न होने पर इनके बगैर भी मिट्टी तैयार की जा सकती है।

अब इस तैयार की गई मिट्टी को उगाई जाने वाली सब्जी के आधार पर निश्चित साइज़ के गमले अथवा ग्रो बैग में भर लें। पालक लगाने के लिए आप ऐसे ग्रो बैग्स को ले जिसमें गहराई कम कर चौड़ाई अधिक हो। इसके लिए आप 18×6 और 24×6 इंच के ग्रो बैग लें सकते हैं।

अक्टूबर माह की सब्जियां उगाने की विधि – Method of growing vegetables of October month in Hindi

अक्टूबर माह में सब्जियों की निम्न किस्मों की बुवाई करने से भरपूर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है: जैसे –

जड़ वाली सब्जियां (Root vegetables): अक्टूबर महीने में आप चुकंदर, मूली (radishes), आलू, अदरक, गाजर (carrots), शलजम (turnips) इत्यादि के बीज लगा सकते हैं। इसके अलावा आप विभिन्न रंग की गाजर इत्यादि का भी चयन कर सकते हैं। अक्टूबर माह में जड़ वाली सब्जियों की बुवाई ठण्ड के मौसम में सुरक्षित और काफी फायदेमंद होती है। जड़ वाली सब्जियों को लगाने के लिए आप 12″ X 12″ या 12″ X 15″ इंच के ग्रो बैग का उपयोग कर सकते हैं। आप इस साइज के ग्रो बैग में केवल 2 या 3 ही पौधे लगा सकते हैं। 12″ X 15″ के ग्रो बैग खरीदने के लिए यहाँ क्लिक करें।

पत्तेदार सब्जियां (Leafy greens) : इस महीने में लेटस, पालक और स्विस चार्ड (Swiss chard) जैसी पत्तेदार सब्जियों को बीज के मध्यम से या रोपाई (transplant) के माध्यम से लगाया जा सकता है। ट्रांसप्लांट (transplant) या रोपाई के माध्यम से उगाई जाने वाली सब्जियों में ब्रोकोली, गोभी, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, Knol Khol (kohlrabi) और फूलगोभी शामिल हैं। केल (kale) बीज को अक्टूबर में भी लगाया जा सकता है। पत्तेदार सब्जियां (Leafy vegetables) लगाने के लिए 24″ X 6″ के एचडीपीई ग्रो बैग सबसे बेस्ट है। 24″ X 6″ के ग्रो बैग खरीदने के लिए यहाँ क्लिक करें।

एलियम (Alliums) : एलियम परिवार में प्याज, लहसुन और लीक (Leek) जैसी सब्जियां शामिल हैं, जिनकी बुवाई अक्टूबर महीने में की जाती है। 24″ X 9″ के एचडीपीई ग्रो बैग या 12″ X 12″ इंच के ग्रो बैग में आप इन सब्जियों को उगा सकते हैं। 24″ X 9″ के ग्रो बैग खरीदने के लिए यहाँ क्लिक करें।

टमाटर अक्टूबर में लगाई जाने वाली बेस्ट वेजिटेबल – Grow Tomato in October in Hindi

ठंडी के मौसम में टमाटर प्राप्त करने के लिए अनेक वैरायटी के टमाटर की बुवाई का सही समय अक्टूबर का महीना है। टमाटर लगाने के लिए सबसे पहले इसके पौधे तैयार किए जाते हैं। टमाटर के बीज से पौधे तैयार होने में लगभग 2 से 3 हफ्ते का समय लगता है इसके बाद टमाटर के पौधे को बड़े ग्रो बैग (12″ X 12″, 12″ X 15″ या 18″ X 18″ इंच के ग्रो बैग) या गमले में ट्रांसफर कर दिया जाता है। टमाटर के पौधे को फुल सनलाइट में ग्रो किया जाता है। टमाटर लगाने के लगभग 70 से 80 दिन बाद आप टमाटर प्राप्त कर सकते हैं।

अक्टूबर के महीने में ग्रो करें मटर – Grow peas in the month of October in Hindi

ठण्ड के मौसम की बेस्ट सब्जी के रूप में मटर को बहुत ज्यादा पसंद किया जाता है। इसकी बुवाई का सही समय अक्टूबर का महीना होता है। हरे मटर को उगाने के लिए आप अच्छी क्वालिटी के हरा मटर के सीड का चुनाव करें। ग्रो बैग या गमले की मिट्टी में लगभग एक से दो सेंटीमीटर गेहराई पर इन बीजों को लगाएं। इसके अलावा मटर के बीज की एक दूसरे से लगभग कम से कम 2 दो इंच की दूरी पर लगाना फायदेमंद होता है। मटर के बीजों को जर्मिनेट होने तक मिट्टी को पर्याप्त पानी देना चाहिए। मटर के सीड्स को जर्मिनेट होने में 6-7 दिनों का समय और मटर की हार्वेस्टिंग के लिए लगभग 40 से 50 दिन का समय लगता है। मटर को ग्रो करने के लिए कम से कम दिन में 6-7 घंटे की धूप मिलना चाहिए।

 

अक्टूबर में लगाएं प्याज – Grow Onion in October in Hindi

आप अक्टूबर माह में प्याज लगा सकते हैं, यह प्याज को ग्रो करने का सबसे अच्छा समय होता हैं। सबसे पहले प्याज के बीज से आप पहले इसके पौधे तैयार करें। पौधे तैयार होने में बीजारोपण से लगभग एक महीने का समय लगता है। इसके बाद आप प्याज के पौधों को किसी बड़े ग्रो बैग में ट्रांसफर कर सकते हैं। प्याज के पौधों को फुल सनलाइट और पर्याप्त मात्रा में पानी देने की आवश्यकता होती है। लगभग 80-100 दिनों में प्याज हार्वेस्ट करने के लिए तैयार हो जाती हैं।

मूली को लगाएं अक्टूबर महीने में – In October grow Radish in Hindi

मूली को होम गार्डनिंग या घर के गमले में उगाना काफी आसन होता है आप अक्टूबर के महीने में भी मूली लगा सकते हैं। मूली लगाने के लिए आप तैयार की मिट्टी को ग्रो बैग या गमले में भरकर इसके बीज को मिट्टी में बिखेर दें और नमी बनाए रखने के लिए पर्याप्त पानी डाले। 5 से 10 दिनों में मूली के अंकुरित हो जाएगें। इनके पौधों को खुली धूप की जरूरत होती है। मूली लगाने के लगभग 50-60 दिन बाद आप मूली उखाड़ सकते हैं और इसका इस्तेमाल खाने में कर सकते हैं। इसे ग्रो करने के लिए आप 12″ X 12″ इंच के ग्रो बैग का उपयोग कर सकते हैं।

अक्टूबर माह में लेटस ग्रो करें – Lettuce that grow in October month in Hindi

लेट्यूस या लेटस को सलाद पत्ता के नाम से भी जाना जाता है। अक्टूबर माह में उगाई जाने वाली सब्जियों में लेटस को भी शामिल किया जा सकता है इसे आप सितम्बर के महीन में भी ग्रो कर सकते हैं। यह एक पत्तेदार सब्जी होती है जो हमारे स्वास्थ्य के लिएकाफी लाभदायक है। लेटस की दो वैरायटी होती है, Lettuce Ice Berg और Lettuce Lola Rossa। इसे लगाने के लिए आप सर्वप्रथम अच्छी तरह से मिट्टी तैयार करें, और इस मिट्टी को ग्रो बैग या गमले में लेकर, एक सेंटीमीटर गेहराई पर लेटस बीज लगाएं और पानी दें। गमले को आप ऐसी जगह पर रखें जहाँ पर पौधे को प्रतिदिन 4-6 घंटे की धूप प्राप्त हो सके। पत्तियों के 4 से 6 इंच लम्बी हो जाने पर, इन्हें आप कैंची से काट सकते हैं। बुवाई से लगभग 50 से 70 दिन बाद लेटस की हार्वेस्टिंग की जा सकती है।

अक्टूबर के महीने में लगाई जाने वाली बेस्ट सब्जी है फूलगोभी – October month planted best vegetable Cauliflower in Hindi

यदि आप अक्टूबर के महीने में सब्जी लगाना चाहते हैं तो आप फूलगोभी का चयन कर सकते हैं। फूलगोभी के सीड्स से इसके पौधे को तैयार करने के लिए फूलगोभी सीड को तैयार की गई मिट्टी को प्रो ट्रे (सीड सीडलिंग ट्रे) या छोटे गमले में भरकर, फूलगोभी के बीज को लगभग एक सेंटीमीटर की गेहराई पर लगाएं। फिर इस मिट्टी में पानी देकर बीजों को भी भिगो दें। बीजों के जर्मिनेट होने तक मिट्टी में पानी देकर इसकी नमी को हमेशा बनाएं रखें।

30 से 35 दिन में फूलगोभी के पौधे की साइज़ लगभग 5-6 इंच हो जाने पर इसे बड़े ग्रो बैग या गमले में ट्रांसफर करें। फूलगोभी को ग्रो करने के लिए दिन में कम से कम 5 से 6 घंटे की धूप मिलना आवश्यक है। आप 12×12 इंच के ग्रो बैग में केवल एक ही फूल गोभी का पौधा लगाएं। आप हर 15 दिन में इसके पौधे की गुड़ाई के दौरान वर्मी कम्पोस्ट और गोबर की खाद का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

पत्ता गोभी लगाने का सही समय है अक्टूबर का महीना – October is the right time to plant Cabbage in Hindi

पत्ता गोभी एक लोकप्रिय सब्जी है जिसको सर्दी के मौसम में खासकर अक्टूबर-नबम्बर के महीने में लगाईं जाती है। पत्ता गोभी को लगाने के लिए बीजों को पहले सीडलिंग ट्रे में लगाकर पौधे तैयार किये जाते है। बीजों को अंकुरित होने में 7 से 15 दिन लगेंगे। बीज लगाने के 4 से 6 सप्ताह बाद इसके पौधे को बड़े ग्रो बैग या गमले में ट्रांसप्लांट किया जाता है। पत्ता गोभी के पौधे को 12″ x 12″ इंच के ग्रो बैग में लगाया जाता है। पत्ता गोभी के पौधों को ग्रो करने के लिए ठंडी जलवायु और फुल लाइट की आवश्यकता होती है। बीज लगाने के लगभग 95 से 150 दिनों बाद पत्ता गोभी का फूल काफी बड़ा हो जाता और यह तोड़ने के लिए तैयार हो जाता हैं।

अक्टूबर में बोई जाने वाली सब्जी है पालक – Vegetable to grow in October is Spinach in Hindi

पालक के बीज की बुवाई का सही समय अक्टूबर-नबम्बर का महीना है। यदि आप अक्टूबर के महीनेमें पालक की बुवाई करना चाहते हैं तो इसके लिए आप 24″ X 6″ के एचडीपीई ग्रो बैग का चयन करें। पालक उगाने के लिए अच्छी क्वालिटी के पालक सीड को ग्रो बैग में भरी मिट्टी के ऊपर फैला दें। अब इन बीजों को लगभग एक से दो सेंटीमीटर गेहराई तक मिट्टी से ढक दें। पालक के पौधों को ग्रो करने के लिए पर्याप्त नमी और 10 से 30 डिग्री तापमान की जरूरत होती है। पालक के सीड्स को जर्मिनेट होने में 6 से 8 दिनों का समय लग सकता है। लगभग 4 से 5 सप्ताह बाद आपको पालक की पहली हार्वेस्टिंग करने को मिल जाएगी। पालक को आप दो से तीन बार हार्वेस्ट कर सकते हैं।

गाजर लगाने का सही समय है अक्टूबर का महीना – October is the right time to plant carrots in Hindi

यदि आप अक्टूबर के महीने में गार्डनिंग करना चाहते हैं तो उगाई जाने वाली सब्जियों में आप गाजर को शामिल कर सकते हैं। अक्टूबर का महीना गाजर के बीज को रोपने का उचित समय है। अच्छी क्वालिटी के गाजर सीड खरीदने के दौरान आप तीन वेरायटी की गाजर जैसे कि ऑरेंज गाजर, लाल गाजर और अर्ली नैनटेस गाजर (Carrot Early Nantes) में से किसी भी चुन सकते हैं।

गाजर को लगाने के लिए 15 x 15 Inch, 18 x 18 Inch या 24 x 24 Inch के ग्रो बैग का उपयोग कर सकते हैं। इन ग्रो बैग में मिट्टी भरकर इसके ऊपर बीजों को फैलाकर, लगभग एक से दो सेंटीमीटर मिट्टी की मोटी परत से ढक दें। गाजर के बीज को एक दूसरे से कम से कम 15 सेमी की दूरी पर लगाएं। बीजों के जर्मिनेट होने तक मिट्टी में पानी देकर इसकी नमी को हमेशा बनाएं रखें। गाजर के पौधे को 10 से 30°C टेंपरेचर की जरूरत होती है। अर्थात गाजर ठण्ड के मौसम में उगाई जाने वाली सब्जी है। गाजर के सीड्स को जर्मिनेट होने में 14-21 दिनों का समय लग सकता है। तथा लगभग 2-3 महीने बाद गाजर पूरी तरह से विकसित हो जाती हैं।

फ्रेंच बीन्स लगाने का सही समय अक्टूबर – October is Best time to grow French beans in Hindi

फ्रेंच बीन्स को खरीफ की फसल के रूप में जून-जुलाई, रबी की फसल के रूप में अक्टूबर-नवंबर और ग्रीष्म की फसल के रूप में फरवरी-मार्च तीनों मौसम में उगाई जाती है। अक्टूबर माह में फ्रेंच बीन्स की बुवाई करने के लिए आप अच्छी क्वालिटी के फ्रेंच बीन्स सीड लें सकते हैं। फ्रेंच बीन्स के बीजों को ग्रो बैग में भरी मिट्टी में लगभग एक से दो सेंटीमीटर गहराई तथा एक दूसरे से कम से कम 2 इंच की दूरी पर लगाएं। फिर इस मिट्टी में पानी देकर बीजों को भी भिगो दें। फ्रेंच बीन्स के सीड्स को जर्मिनेट होने में 5 से 6 दिन का समय लग सकता है। फ्रेंच बीन्स के पौधे को कम से कम 6-7 घंटे की धूप की जरूरत होती है। लगभग 45 से 65 दिन बाद फ्रेंच बीन्स पूरी तरह से विकसित हो जाती है तथा इसकी हार्वेस्टिंग की जा सकती है।

निष्कर्ष – Conclusion

इस आर्टिकल में हमने अक्टूबर के महीने में कौन-कौन सी सब्जियां लगाई जा सकती हैं तथा इन्हें लगाने के तरीके और उसकी हार्वेस्टिंग की जानकारी दी गई है। आप ऊपर दी गई जानकारी का उपयोग करके आसानी से अपने टेरेस गार्डन या होम गार्डन में अक्टूबर माह की सब्जियों को ग्रो कर सकते है।

 

सर्दियों के मौसम में घर पर लगाई जाने वाली सब्जियां – Grow These Winter Vegetables At Home in Hindi

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भारत में सर्दी के मौसम में कौन सी फसलें उगाई जाती हैं? सर्दियों में कौन सी सब्जियां उगाना सबसे अच्छा है? अगर आप भी इन सवालों के जवाब खोज रहे हैं तो आप बिलकुल सही जगह आये हैं, भारत में सर्दी का मौसम सब्जियों को उगाने के लिए सबसे अच्छा समय होता है, आप इस मौसम में कई प्रकार की सब्जियों को उगा सकते हैं। आज हम आपको सर्दियों के मौसम की उन सब्जियों के बारे में बताएंगे, जिन्हें आप अपने टेरेस गार्डन में आसानी से उगा सकते हैं, और उच्च उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। विंटर सीजन को रबी की फसलों का मौसम भी कहा जाता है, तापमान कम होने की वजह से सब्जियां अच्छी तरह से ग्रोथ करती हैं। आप ठंड के मौसम में यानि कि नवंबर से फरवरी तक कई प्रकार की रंगीन और पौष्टिक सब्जियां गमले में उगा सकते हैं। आइये विंटर सीजन में लगाई/उगाई जाने वाली सब्जियों के नाम और बीजों को उगाने से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में जानते हैं।

सर्दी के मौसम में कौन सी फसलें उगाई जाती हैं – Vegetables that can be grown during the winter in Hindi

विंटर यानि सर्दियों के मौसम में उगाई जाने वाली सब्जियों के नाम और सब्जियों के बीज खरीदने की जानकारी नीचे टेबल में दी गई हैं:

No.
सब्जी का नाम
यहाँ से खरीदें
1.
टमाटर (Tomato)
2.
धनिया (Coriander)
3.
मटर (Peas)
4.
बैंगन (brinjal)
5.
फ्रेंच बीन्स (french beans)
6.
प्‍याज (onions)
7.
मूली (Radish)
8.
करेला (Bitter gourd)
9.
लेटस (lettuce)
10.
पालक (Spinach)
11.
चुकंदर (Beetroot)
12.
भिन्डी (Okra)
13.
गाजर (Carrot)
14.
शलजम (Tumip)
15.
फूलगोभी (Cauliflower)
16.
केल (kale)
17.
ब्रोकोली (Broccoli)
18.
पत्ता गोभी (Cabbage)
19.
शिमला मिर्च (capsicums)
20.
जुकिनी (zucchini)
21.
खीरा (cucumbers)
22.
मिर्च (Chillies)
23.
कद्दू (pumpkins)
24.
स्क्वैश (squash)
25.
खरबूजा (melons)
26.
लहसुन (Garlic)
27.
आलू (potatoes)

ठंड के मौसम में आप निम्न सब्जियों को ग्रो कर सकते हैं, जैसे:

सर्दी के मौसम में लगाएं फूल गोभी – Grow Cauliflower in winter season in Hindi

फूल गोभी एक लोकप्रिय सब्जी है जिसको सर्दी के मौसम में लगाया जाता है। फूल गोभी को लगाने के लिए बीजों को पहले सीडलिंग ट्रे में लगाकर पौधे तैयार किये जाते है। बीज लगाने के बाद से 20-24 दिन बाद पौधे प्रत्यारोपण के लिए तैयार हो जाते हैं। इसके बाद इन पौधों को बड़े ग्रो बैग या गमले में लगाया जाता है। गोभी के पौधे को 12 x 12 इंच के ग्रो बैग में लगाया जाता है। फूलगोभी के पौधों को ठंडी जलवायु और फुल लाइट की आवश्यकता होती है। बीज लगाने के 85 से 90 दिन बाद गोभी का फूल काफी बड़ा हो जाता और यह कटाई के लिए तैयार हो जाता है।

ठंड के मौसम में लगाएं शिमला मिर्च – Capsicum vegetable to be grown in winter in Hindi

सर्दियों के मौसम में शिमला मिर्च लगा सकते हैं। शिमला मिर्च को लगाने के लिए पहले इसके बीज से पौधे तैयार करने पड़ते हैं। पौधे तैयार करने के लिए आप अच्छी क्वालिटी के शिमला मिर्च के बीज खरीद सकते हैं। मिर्च के बीजों को लगाने के लिए आप किसी भी सीडलिंग ट्रे या फिर गमले को लीजिए और इसमें मिर्च के बीज को ऊपर ऊपर बिखेर दीजिए। आधा से 1 सेंटीमीटर गहराई पर शिमला मिर्च के बीजों को लगाकर इसमें पानी दे दीजिए। शिमला मिर्च के बीज से पौधे तैयार होने में 20 से 25 दिन लगते है। इसके बाद इन पौधों को आप किसी भी बड़े गमले जिसकी साइज 12 x 12 इंच हो उसमें लगा दीजिए।

लगभग 60-65 दिन बाद आप को शिमला मिर्च तोड़ने को मिलने लगेगी। ठंड के मौसम में शिमला मिर्च को लगाया जाता है, इसलिए इसके पौधे को पानी कम और ज्यादा धूप की जरूरत होती है, इसलिए आपको शिमला मिर्च के पौधे को पानी कम देना है और उसे धूप वाली जगह पर रखना है।

सर्दियों में लगाएं हरा मटर – Winter sowing crops Peas in Hindi

मटर भी बीन्स के परिवार से है और आप इसे सर्दियों के मौसम में ग्रो कर सकते हैं। हरे मटर के पौधे नाजुक होते हैं, क्योंकि वे गर्म और आर्द्र जलवायु पसंद नहीं करते हैं। हरे मटर को अच्छी तरह से ग्रो होने के लिए ठंड और शुष्क मौसम बहुत ही अच्छा होता है। मटर के बीजों को सीधे ग्रो बैग या गमले में लगाया जाता है। हरे मटर का पौधा बेल वाला होता है और उसे जाली के सहारे की आवश्यकता होती है, इसके लिए आप अपने टेरेस पर क्रीपर नेट को लगा सकते हैं। इसके बीजों को लगाने के 80 से 90 दिन पहली बार फलियां तोड़ने मिलने लगती है। आप मटर के पौधे से तीन से चार बार तक फलियों को तोड़ सकते हैं।

विंटर सीजन में लगाएं पालक – Spinach Grow in winter season in Hindi

पालक को आप विंटर सीजन में भी लगा सकते हैं। यह एक ऐसी पत्तेदार सब्जी है जो सर्दी के साथ-साथ सभी मौसम में आसानी से ग्रो हो जाती है। पालक लगाने के लिए आपके पास जो भी मिट्टी है, उसमें अच्छी जैविक खाद मिलाकर पालक के बीज ऊपर ऊपर बिखेर दें और ऊपर से मिट्टी से कवर करने के बाद पानी दें। पानी देने के लिए आप स्प्रे बोटल का इस्तेमाल कर सकते हैं। पानी देने के लगभग 6 से 8 दिन बाद आपके पालक के बीज अंकुरित हो जाएंगे और पालक बहुत जल्द हार्वेस्ट करने को मिलने लगती है। लगभग 4 से 5 हफ्ते बाद ही आपको पालक की पहली पत्ती तोड़ने को मिल जाएगी।

पालक को आप दो से तीन बार हार्वेस्ट कर सकते हैं। आप इसकी पत्तियां तोड़ते जाएंगे तो लगभग 7 से 10 दिन बाद आपको दोबारा इसकी पत्ती तोड़ने को मिल जाएंगी। पालक के साथ आप इसी तरह की अन्य पत्ते वाली सब्जियों को भी ठंड के मौसम में लगा सकते हैं, जिसमें चौलाई भाजी (amaranth), लाल भाजी, लेटस, धनिया, मेथी, सरसों साग जैसी पत्तेदार सब्जियां शामिल हैं।

सर्दी के मौसम में लगाएं गाजर – Carrot winter vegetables to grow at home in Hindi

गाजर सबसे लोकप्रिय सब्जियों में से एक है, जिसको सर्दियों के मौसम में लगाया जाता हैं। गाजर की कई किस्में होती है जो रंग, बनावट, आकार और लंबाई में अलग अलग होती हैं। गाजर के बीजों को सीधे ग्रो बैग या गमले में लगाया जाता है, इसके लगाने के लिए पौधे को तैयार करने की जरूरत नहीं होती है। बीज बोने के 80 से 100 दिनों में किस्म के आधार पर गाजर मिट्टी से निकालने के लिए तैयार हो जाती है। गाजर की जड़ को किसी भी तरह की रुकावट से बचाने के लिए पोटिंग मिश्रण तैयार करते समय मिट्टी को बारीक तोड़ लें और उसे ढीला करने के लिए उसमें रेत और कोकोपीट मिला सकते हैं।

विंटर सीजन में लगाएं प्याज – Grow Onion in winter season in Hindi

भारत में आप ठंड के मौसम में प्याज को लगा सकते हैं, यह प्याज को ग्रो करने का सबसे अच्छा समय होता हैं। प्याज के बीज से आप पहले इसके पौधे को तैयार कर लें, ये पौधे बीजारोपण से लगभग एक महीने में तैयार हो जाते है। उसके बाद आप प्याज के पौधों को किसी बड़े ग्रो बैग में ट्रांसफर कर सकते हैं। प्याज के पौधों को फुल सनलाइट की आवश्यकता होती है। आप इन पौधों को पर्याप्त मात्रा में पानी देते रहें। प्याज की किस्म के आधार पर बीज लगाने के बाद 80-100 दिनों में प्याज हार्वेस्ट करने के लिए तैयार हो जाती हैं।

सर्दी के मौसम की सब्जी है फ्रेंच बीन्स – French beans vegetables to be grown in winter in Hindi

फ्रेंच बीन्स को आप अपने होम गार्डन में ठंड के मौसम में भी ग्रो कर सकते हैं। फ्रेंच बीन्स को बीजों से उगाया जाता है, इसे लगाने के लिए आप 15 बाई 15 इंच या इससे अधिक साइज का ग्रो बैक लीजिए। इसमें आप फ्रेंच बींस के तीन से चार बीज लगा सकते हैं। फ्रेंच बीन लगाने के लगभग 50 से 60 दिन बाद आपको फलियाँ तोड़ने को मिलने लगती है। फ्रेंच बीन खाने में तो स्वादिष्ट तो लगती ही है साथ में यह पोषक तत्वों से भरपूर होती है। तो आप अपने होम गार्डन में सर्दी के मौसम में फ्रेंच बीन्स उगा सकते हैं। आपको इनके गमले को खुली धूप में रखना होगा क्योंकि फ्रेंच बींस को धूप पसंद होती है।

ठंड के मौसम में लगाएं टमाटर – Fast growing winter vegetables Tomato in Hindi

टमाटर सभी घरों में इस्तेमाल होता है, इसे आप ठंडी के मौसम में अपने घर पर भी ग्रो कर सकते हैं। टमाटर की कई अलग-अलग वैरायटी होती हैं तो आप जो भी वैरायटी का टमाटर लगाना चाहे उसके बीज खरीद लें। टमाटर को लगाने के लिए सर्वप्रथम इसके बीजों से पौधे तैयार किए जाते हैं। पौधे तैयार करने के लिए टमाटर के बीज को मिट्टी के ऊपर ऊपर बिखेर देना है, और इसमें पानी दे दीजिए। हल्की नमी बनाए रखने के साथ टमाटर के बीज बहुत ही जल्दी जर्मिनेट हो जाते हैं और लगभग 2 से 3 हफ्ते में टमाटर के पौधे बड़े ग्रो बैग या गमले में ट्रांसफर करने के लिए तैयार भी हो जाते हैं। टमाटर को फुल सनलाइट पसंद होता है। 6 से 8 घंटे की धूप टमाटर के पौधे के लिए पर्याप्त होती है इसे आप सेमी सैड एरिया में भी रख सकते हैं।

टमाटर लगाने के लगभग 70 से 80 दिन बाद आपको टमाटर तोड़ने को मिलने लगते है। टमाटर के अच्छी तरह से ग्रो करने के लिए आपको हर महीने बदल-बदल कर ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर देने की जरूरत होती है। टमाटर के पौधे में कई तरह के रोग लग सकते हैं, इसलिए रोगों और कीटों से टमाटर के पौधे को सुरक्षित रखने के लिए पेस्टिसाइड, लौंग के तेल या नीम तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। टमाटर के पौधे को सपोर्ट की जरूरत भी होती है, तो आप किसी लकड़ी की मदद से पौधे को सपोर्ट दे सकते हैं।

सर्दियों में उगाई जाने वाली सब्जी है मूली – Grow radish in winter season in Hindi

सर्दियों के मौसम में आप मूली भी लगा सकते हैं। मूली को घर में गमले में उगाना बहुत ही आसान होता है। आप इसके बीजों को सीधे ही किसी गमले या ग्रो बैग में लगा सकते हैं। मूली लगाने के लिए इसके बीज को किसी भी गमले में ऊपर ऊपर बिखेर दीजिए और मिट्टी से ढक दें। मिट्टी में अच्छी तरह से नमी को बनाए रखा जाए, तो आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में मूली के जो छोटे-छोटे पौधे मिट्टी से बाहर आने लगेंगे। इनके पौधों को खुली धूप की जरूरत होती है। मूली की जड़ के अलावा इसके पत्तों को भी सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता है। मूली लगाने के लगभग 50 से 60 दिन बाद आपको मूली उखाड़ने को मिल जाएगी, जिसका इस्तेमाल आप अपने किचन में कर सकते हैं।

सर्दी के मौसम की बेस्ट सब्जी लेटस – Lettuce Best growing vegetables in winter season in Hindi

लेट्स या लेट्यूस को आप सर्दी के मौसम में भी ग्रो कर सकते हैं। यह बहुत ही लोकप्रिय सलाद पत्ता होता है, जो आपको कई वैरायटी में मिल जायेगा जैसे कि लेटस् आइसबर्ग (Lettuce Iceberg) और लेटस लोलो रोसो (Lettuce Lollo Rosso) आदि। चूँकि बाजारों में आपको यह सब्जी आसानी से फ्रेश नहीं मिलती है, इसलिए आप इसे अपने होम गार्डन या टेरेस गार्डन में विंटर सीजन में ग्रो कर सकते हैं। लेटस के बीजों को आप अपने गमले या ग्रो बैग में सीधे ही लगा सकते हैं। बीज लगाने के 45 से 60 दिनों के बाद आपको लेटस हार्वेस्ट करने मिल जाएगी।

पत्ता गोभी ठंड के मौसम में लगाई जाने वाली सब्जी – Cabbage vegetable to be planted in winter season in Hindi

पत्ता गोभी एक लोकप्रिय सब्जी है जिसको सर्दी के मौसम में लगाया जाता है। पत्ता गोभी को लगाने के लिए बीजों को पहले सीडलिंग ट्रे में लगाकर पौधे तैयार किये जाते है। बीजों को अंकुरित होने में 7 से 15 दिन लगेंगे। बीज लगाने के 4 से 6 सप्ताह बाद पौधे प्रत्यारोपण के लिए तैयार हो जाते हैं। इसके बाद इन पौधे को बड़े ग्रो बैग या गमले में लगाया जाता है। पत्ता गोभी के पौधे को 12 x 12 इंच के ग्रो बैग में अच्छी तरह से ग्रो किया जा सकता है। पत्ता गोभी के पौधों को ठंडी जलवायु और फुल लाइट की आवश्यकता होती है। बीज लगाने के 95 से 150 दिनों बाद पत्ता गोभी का फूल काफी बड़ा हो जाता और यह तोड़ने के लिए तैयार हो जाता है।

सर्दियों में बोएं धनिया के बीज – Sowing coriander seeds in winter season in Hindi

धनिया जो कि एक मसाले के रूप में इस्तेमाल होती है। आप धनिया पत्ती सर्दियों के सीजन में अपने टेरेस गार्डन पर उगा सकते हैं। धनिया को उगाना बहुत आसान होता है और इसे बहुत ज्यादा ठंड में उगाया जा सकता है। धनिया उगाने के लिए आपको इसके अच्छी क्वालिटी के बीज लेने होंगे। बीजों को आप गमले या ग्रो बैग की मिट्टी के ऊपर दें और मिट्टी की हल्की परत से ढक दें। बीज बोने के लगभग 7 से 10 दिन बाद धनिया के बीज जर्मिनेट हो जाते हैं और लगभग 35 से 40 दिन बाद आपको धनिया पत्ती तोड़ने को भी मिलने लगेगी।

धनिया उगाने के लिए बस इस बात का ध्यान रखें की जब बहुत ज्यादा ठंड होती है तो धनिया को खुली धूप में उगाया जाता है। धनिया को नमी युक्त मिट्टी पसंद होती है लेकिन यदि ज्यादा पानी गमले में रुकेगा तो आपकी धनिया खराब भी हो सकती है।

ठंड के मौसम में लगाएं मिर्च – Winter sowing vegetables chilli in Hindi

मिर्च को आप सर्दी के मौसम में भी लगा सकते हैं। मिर्च को लगाने के लिए इस के पौधे तैयार करने पड़ते हैं। पौधे तैयार करने के लिए आप अच्छी क्वालिटी के मिर्च के बीज खरीद सकते हैं। मिर्च के बीजों को लगाने के लिए आप किसी भी सीडलिंग ट्रे या फिर गमले को लीजिए, इसमें मिर्च के बीज को भिखेर दीजिए तथा आधा से 1 सेंटीमीटर मिट्टी की परत से ढक देने के बाद पानी दें। मिर्च के बीज से पौधे तैयार होने में 2 से 3 सप्ताह लगते हैं। 20 से 25 दिन बाद इन पौधों को आप किसी भी बड़े गमले जिसकी साइज 12 बाई 12 इंच हो उसमें लगा दीजिए। लगभग 60 दिन बाद आपको मिर्च तोड़ने को मिलने लगेगी।

मिर्च के पौधे को कम पानी और ज्यादा धूप की जरूरत होती है, इसलिए आपको मिर्च के पौधे को पानी कम देना है और उसे धूप वाली जगह पर रखना है। यदि आप ओवरवाटरिंग करेंगे तो आपके मिर्च के पौधे के सारे फूल झड़ जाएंगे और उनमें फल भी नहीं आएंगे।

सर्दियों में ग्रो होने वाली सब्जी लौकी – Grow bottle gourd in winter season in Hindi

लौकी को भी आप सर्दी के मौसम में लगा सकते हैं। हालांकि लौकी साल भर होम गार्डन में ग्रो की जा सकती है, लेकिन सर्दियों की लौकी सबसे अच्छी होती है। लौकी लगाने के लिए आप इसे सीधे 15 x 15 इंच या इससे बड़े साइज के गमले या ग्रो बैग में दो लौकी के बीज लगा दीजिए। जब लौकी के पौधे कुछ बड़े हो जाएं, तो आपको एक गमले में एक लौकी का पौधा ही रखना हैं। लौकी लगाने के लगभग 60 दिन बाद हमें लौकी तोड़ने को मिलने लगती है। लौकी में बहुत ज्यादा रोग भी नहीं लगते हैं, लेकिन लौकी में पॉलिनेशन की समस्या आती है इसलिए हमेशा ध्यान रखें कि 2 से 4 लौकी के पौधे जरूर लगाएं ताकि लौकी के पौधे में सही से पॉलिनेशन हो पाए और आपको ढेर सारी लौकी हार्वेस्ट करने को मिले।

बैंगन ग्रो करने का सही समय सर्दी का मौसम – Brinjal Best growing season is winter in Hindi

बैंगन जिसे ब्रिंजल या एगप्लांट भी कहा जाता है। इसे आप सर्दी के मौसम में भी ग्रो कर सकते हैं। वैसे तो बैंगन की ढेर सारी वैरायटी होती हैं, लेकिन हरे बैंगन और ब्लैक बैगन काफी ज्यादा पसंद किए जाते हैं। बैंगन लगाने के लिए 12 x 12 इंच या इससे अधिक साइज़ का गमला लेना सही होता हैं। बैगन को उगाने के लिए आपको इसके बीज से पौधे तैयार करने होते हैं। पौधे तैयार होने में 20 से 25 दिन लगते हैं। पौधे तैयार होने के बाद आप इन्हें बड़े गमले या ग्रो बैग में लगा दीजिए और इसे धूप वाली जगह पर रख दीजिए क्योंकि बैगन को डायरेक्ट सनलाइट पसंद होता है। पौधा लगाने के लगभग 45 से 50 दिन बाद इसमें फूल आने लगते हैं और 60 से 70 दिन में आपको बैगन तोड़ने को मिलने लगेगें।

आपको बैंगन के गमले को धूप वाली जगह में रखना है और समय-समय पर पानी देते रहना है। जब आपको ग्रो बैग या गमले के ऊपर की मिट्टी सूखी दिखे तभी आपको अपने बैंगन के पौधे में पानी देना है।

निष्कर्ष – Conclusion

इस आर्टिकल में हमने सर्दी के मौसम में लगाई जाने वाली सब्जियों की जानकारी दी हैं। अपने किचन गार्डन या फिर टेरेस गार्डन में इन सभी सब्जियों को उगाना बहुत ही आसान है, तो इस विंटर सीजन में आप इन सभी सब्जियों को अपने होम गार्डन पर जरूर लगाएं और यदि आपको भी कोई ऐसी सब्जी पता है जिसे ठंड के मौसम में उगाया जा सकता है तो उसे कमेंट में जरूर लिखें ताकि दूसरे लोगों को उसके बारे में पता चल पाए।

किस महीने में कौन सी सब्जी उगाएं – Month wise growing vegetables in india in Hindi

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Table of Contents

आपको सब्जियों का गार्डन तैयार करने और पौधों से अच्छी उपज लेने के लिए यह पता होना चाहिए कि, किस महीने कौन सी सब्जी लगाई जाती हैं। भारत में मौसम के अनुसार उगाई जाने वाली सब्जियां अधिक पैदावार देती है। जो वेजिटेबल जिस महीने में अच्छी ग्रोथ करती है, हमें उसी मौसम में उस सब्जी को लगाना चाहिए, जिससे अधिक मात्रा में फल मिल सकें। आज हम आपको बताएंगें कि पूरे भारत की जलवायु को ध्यान में रखते हुए साल के 12 महीने में से कौन सी सब्जी का पौधा किस माह लगाना उचित होगा।

घर पर उगाए गए पौधों से अधिक सब्जियों को प्राप्त करने के लिए आपको सही मौसम के अनुसार वेजिटेबल लगाना चाहिए। गलत समय पर गलत सब्जी का बीज लगाने से आपको अच्छी उपज नहीं मिल सकती। पौधों को अच्छी ग्रोथ के लिए एक निश्चित वातावरण की आवश्यकता होती है, कुछ पौधों को अधिक तापमान की आवश्यकता होती है, जबकि कुछ पौधों को केवल कुछ घंटों की धूप चाहिए रहती हैं। इसलिए अधिक धूप वाली सब्जियों को गर्मियों में लगाया जाता है, और जिन सब्जियों को अधिक पानी की आवश्यकता होती और जो पानी में ख़राब नहीं होती हैं, उनको बरसात के मौसम में लगाया जाता है। आइये इसे विस्तार से जानते हैं कि किस महीने में कौन सी सब्जी लगाने से अधिक फायदा होगा।

महीनों के नाम और उसमें लगाई जाने वाली सब्जियां – Which vegetables do you plant in which month in Hindi

आइये विस्तार से जानते है कि भारत में किस महीने कौन सी वेजिटेबल लगाना चाहिए।

जनवरी महीने में उगाई जाने वाली सब्जियां – Vegetables grown in January month in Hindi

जनवरी का महीना ठंड से भरा होता है इसलिए आपको इस महीने उन सब्जियों को लगाना चाहिए जिनको अधिक धूप की आवश्यकता नहीं होती हैं। जनवरी महीने में लगाई जाने वाली सब्जियां निम्न हैं।

S.No.
सब्जी का नाम
बीज यहाँ से खरीदें
1.
टमाटर (Tomato)
2.
धनिया (Coriander)
3.
मटर (Peas)
4.
बैंगन
5.
फ्रेंच बीन्स
6.
प्‍याज (onions)
7.
मूली (Radish)
8.
करेला (Bitter gourd)
9.
लेटस (lettuce)
10.
पालक (Spinach)
11.
चुकंदर (Beetroot)
12.
भिन्डी (Okra)
13.
गाजर (Carrot)
14.
शलजम (Tumip)
15.
फूलगोभी (Cauliflower)
16.
केल (kale)
17.
ब्रोकोली (Broccoli)
18.
पत्‍ता गोभी (Cabbage)
19.
शिमला मिर्च (capsicums)
20.
स्नेक गॉर्ड (snake gourd)
21.
खीरा (cucumbers)
22.
मिर्च (Chillies)
23.
कद्दू (pumpkins)
24.
टिंडा (Tinda)
25.
खरबूजा (Muskmelon)
26.
तरबूज (Watermelon)
27.
आलू (potatoes)
उपलब्ध नहीं

फरवरी महीने में लगाई जाने वाली सब्जियां – Vegetables grown in February month in Hindi

फरवरी महीने से जायद की फसलों को लगाने का समय शुरू हो जाता है। इस समय उगाई जाने वाली सब्जियां अच्छी पैदावार देती हैं। फरवरी के महीने में आपको निम्न सब्जियों को लगाना चाहिए।

S.No.
सब्जी का नाम
बीज यहाँ से खरीदें
1.
पेठा (Ash gourd)
2.
टमाटर (Tomato)
3.
धनिया (Coriander)
4.
तोरई (ridge gourd)
5.
मटर (Peas)
6.
बैंगन
7.
बरबटी / लोबिया (Cowpea / Lobia Beans)
8.
लौकी (Bottle Gourd)
9.
गिलकी (Sponge Gourd)
10.
करेला (Bitter gourd)
11.
पालक (Spinach)
12.
भिन्डी (Okra)
13.
गाजर (Carrot)
14.
फूलगोभी (Cauliflower)
15.
केल (kale)
16.
ब्रोकोली (Broccoli)
17.
शिमला मिर्च (capsicum)
18.
जुकिनी (zucchini)
19.
खीरा (cucumbers)
20.
स्विस चार्ड (Swiss chard)
21.
कद्दू (pumpkins)
22.
स्क्वैश (squash)
23.
खरबूजा (Muskmelon)
24.
ग्‍वार फली (Gwar phali)
25.
टिंडा Tinda (Apple gourds)

मार्च महीने में उगाई जाने वाली सब्जियां – Vegetables grown in March month in Hindi

मार्च के महीने में आप निम्न सब्जियों को लगाएं।

S.No.
सब्जी का नाम
बीज यहाँ से खरीदें
1.
लेट्यूस (Lettuce)
2.
पेठा (Ash gourd)
3.
टमाटर (Tomato)
4.
धनिया (Coriander)
5.
तोरई (ridge gourd)
6.
मटर (Peas)
7.
बैंगन
8.
बरबटी / लोबिया (Cowpea / Lobia Beans)
9.
लौकी (Bottle Gourd)
10.
गिलकी (Sponge Gourd)
11.
करेला (Bitter gourd)
12.
पालक (Spinach)
13.
भिन्डी (Okra)
13.
फूलगोभी (Cauliflower)
14.
ब्रोकोली (Broccoli)
15.
शिमला मिर्च (capsicum)
16.
जुकिनी (zucchini)
17.
खीरा (cucumbers)
18.
तरबूज (Watermelon)
19.
स्क्वैश (squash)
20.
खरबूजा (Muskmelon)
21.
ग्‍वार फली (Gwar phali or Cluster Beans)
22.
टिंडा Tinda (Apple gourds)

अप्रैल महीने में उगाई जाने वाली सब्जियां – Vegetables to grow in April in India in Hindi

भारत में अप्रैल के महीने में लगाई जाने वाली सब्जियां निम्न हैं।

S.No.
सब्जी का नाम
बीज यहाँ से खरीदें
1.
टमाटर (Tomato)
2.
धनिया (Coriander)
3.
तोरई (ridge gourd)
4.
मटर (Peas)
5.
बैंगन (brinjal)
6.
लौकी (Bottle Gourd)
7.
गिलकी (Sponge Gourd)
8.
करेला (Bitter gourd)
9.
पालक (Spinach)
10.
भिन्डी (Okra)
11.
चौलाई (chaulai or Amaranth)
12.
शिमला मिर्च (capsicum)
13.
जुकिनी (zucchini)
14.
खीरा (cucumbers)
15.
तरबूज (Watermelon)
16.
स्क्वैश (squash)
17.
खरबूजा (Muskmelon)
18.
ग्‍वार फली (Gwar phali)
19.
टिंडा (Tinda or Apple gourd)
20.
हरी प्याज (Green onion)
21.
कद्दू (pumpkin)
22.
मूली (radish)

मई महीने में उगाई जाने वाली सब्जियां – Vegetables to grow in may month in Hindi

भारत में मई के महीने में आप निम्न सब्जियों को लगा सकते हैं।

S.No.
सब्जी का नाम
बीज यहाँ से खरीदें
1.
टमाटर (Tomato)
2.
मक्का (corn)
3.
शकरकंद (Sweet potatoes)
उपलब्ध नहीं
4.
मटर (Peas)
5.
बैंगन
6.
फ्रेंच बीन्स (French beans)
7.
डिल (Dill)
8.
अजमोद (Parsley)
9.
पालक (Spinach)
10.
मूली (Radish)
11.
भिन्डी (Okra)
12.
चौलाई (chaulai or Amaranth)
13.
शिमला मिर्च (capsicum)
14.
जुकिनी (zucchini)
15.
खीरा (cucumbers)
16.
तरबूज (Watermelon)
17.
स्क्वैश (squash)
18.
खरबूजा (Muskmelon)
19.
फूलगोभी (Cauliflowers)
20.
ब्रोकोली (Broccoli)
21.
हरी प्याज (green onion)
22.
कद्दू (pumpkin)
23.
मिर्च (Chili)

जून के महीने में लगाई जाने वाली सब्जियां – June month me lagai jane vali sabjiya in Hindi

जून के महीने में आप निम्न सब्जियों को लगाएं।

S.No.
सब्जी का नाम
बीज यहाँ से खरीदें
1.
तोरई
2.
टमाटर (Tomato)
3.
करेला (Bitter gourd)
4.
बैंगन (Brinjal)
5.
फ्रेंच बीन्स
6.
लेट्यूस या लेटस (Lettuce)
7.
मूली (Radish)
8.
खीरा ककड़ी (Cucumber)
9.
शिमला मिर्च (Capsicum)
10.
हरी मिर्च
11.
लौकी (Bottle gourd)
12.
गाजर (Carrot)
13.
कोहलबी (Knol khol)
14.
फूलगोभी
15.
धनिया (Coriander)
16.
ब्रोकली
17.
पत्ता गोभी (Cabbage)
18.
चौलाई भाजी (green Amaranthus)
19.
प्याज (Onion)
20.
गिलकी
21.
ब्रसल्‍स स्‍प्राउट (Brussels Sprout)
22.
कद्दू (Pumpkin)
23.
पेठा (Ash gourd)
24.
बरबटी (लोबिया)
25.
लाल भाजी (redAmaranth)

जुलाई के महीना में लगाई जाने वाली सब्जियां – Vegetables to plant in July in India in Hindi

जुलाई के महीने से बरसात होने लगती है, इसलिए आपको इस मौसम में उन सब्जियों को लगाना चाहिए, जिनको अधिक पानी की आवश्यकता होती हैं। जुलाई के महीने में आप निम्न वेजिटेबल को लगाएं।

S.No.
सब्जी का नाम
बीज यहाँ से खरीदें
1.
गिलकी (Sponge Gourd)
2.
टमाटर (Tomato)
3.
भिण्‍डी (Ladyfinger)
4.
बैंगन (Brinjal)
5.
बरबटी / लोबिया (Cowpea / Lobia Beans)
6.
लेट्यूस या लेटस (Lettuce)
7.
मूली (Radish)
8.
खीरा ककड़ी (Cucumber)
9.
शिमला मिर्च (Capsicum)
10.
हरी मिर्च (green chilli)
11.
लौकी (Bottle gourd)
12.
गाजर (Carrot)
13.
कोहलबी (Knol khol)
14.
फूलगोभी (cauliflower)
15.
धनिया (Coriander)
16.
ब्रोकली (broccoli)
17.
पत्ता गोभी (Cabbage)
18.
चौलाई भाजी (green Amaranthus)
19.
प्याज (Onion)
20.
गिलकी
21.
ब्रसल्‍स स्‍प्राउट (Brussels Sprout)
22.
कद्दू (Pumpkin)
23.
पेठा (Ash gourd)
24.
बरबटी (लोबिया) (lobia)
25.
लाल भाजी (red Amaranth)

अगस्‍त के महीने में लगाई जाने वाली सब्जियां – Vegetables grown in August month in Hindi

भारत में अगस्‍त के महीने में आप निम्न सब्जियों को लगा सकते हैं।

S.No.
सब्जी का नाम
बीज यहाँ से खरीदें
1.
भिंडी
2.
तोरई
3.
टमाटर
4.
करेला
5.
बैंगन
6.
फ्रेंच बीन्स
7.
लेट्यूस या लेटस
8.
मूली
9.
खीरा ककड़ी
10.
शिमला मिर्च
11.
पालक
12.
हरी मिर्च
13.
लौकी
14.
गाजर
15.
शलजम
16.
फूलगोभी
17.
धनिया
18.
ब्रोकली
19.
पत्ता गोभी
20.
सरसों (mustard)
21.
चौलाई भाजी
22.
प्याज
23.
गिलकी
24.
ब्रसल्‍स स्‍प्राउट (Brussels Sprout)
25.
कद्दू
26.
पेठा
27.
बरबटी (लोबिया)
28.
ग्वार फली
29.
लाल भाजी (Amaranth)

सितम्बर के महीने में लगाई जाने वाली सब्जियां – Vegetables grown in September month in Hindi

भारत में सितम्बर के महीने में लगाई जाने वाली सब्जियां निम्न हैं।

S.No.
सब्जी का नाम
बीज यहाँ से खरीदें
1.
केल
2.
तोरई
3.
टमाटर
4.
सौंफ के बीज (Fennel Seeds)
5.
बैंगन
6.
फ्रेंच बीन्स
7.
लेट्यूस या लेटस
8.
मूली
9.
खीरा ककड़ी
10.
शिमला मिर्च
11.
पालक
12.
हरी मिर्च
13.
लौकी
14.
गाजर
15.
ब्रसल स्प्राउट (Brussels Sprout)
16.
फूलगोभी
17.
धनिया
18.
ब्रोकली
19.
पत्ता गोभी
20.
शलगम (Turnip)
21.
चौलाई भाजी
22.
सेलरी (Celery)
23.
गिलकी
25.
कद्दू
26.
पेठा
27.
बरबटी (लोबिया)
28.
ग्वार फल्ली

अक्टूबर के महीना में लगाई जाने वाली सब्जियां – October month me ugai jane vali sabjiya In Hindi

अक्टूबर के महीने में आप निम्न सब्जियों को लगाएं।

S.No. सब्जी का नाम बीज यहाँ से खरीदें
1. टमाटर (Tomato) खरीदें
2. धनिया (Coriander) खरीदें
3. मटर (Peas) खरीदें
4. बैंगन (Brinjal) खरीदें
5. फ्रेंच बीन्स खरीदें
6. प्‍याज (onions) खरीदें
7. मूली (Radish) खरीदें
8. सेम फली (Sem Phali) खरीदें
9. लेटस ( lettuce) खरीदें
10. पालक (Spinach) खरीदें
11. चुकंदर (Beetroot) खरीदें
12. पाक चोय (Pak Choy) खरीदें
13. गाजर (Carrot) खरीदें
14. शलजम (Tumip) खरीदें
15. फूलगोभी (Cauliflower) खरीदें
16. केल (kale) खरीदें
17. ब्रोकोली (Broccoli) खरीदें
18. पत्‍ता गोभी (Cabbage) खरीदें
19. सेलेरी (celery) खरीदें
20. लीक (Leek) खरीदें 
21. कोहलबी/जंगली गोभी (kohlrabi) खरीदें
22. ब्रसल्‍स स्‍प्राउट (Brussels Sprout) खरीदें
23. हरी प्‍याज (Green onions) खरीदें
24. सौंफ के बीज (Fennel Seeds) खरीदें
25. आलू (Potatoes) उपलब्ध नहीं

नवम्‍बर के महीने में लगाई जाने वाली सब्जियां – Vegetables grown in November month in Hindi

भारत में नवम्‍बर के महीने में लगाई जाने वाली सब्जियां निम्न हैं।

S.No.
सब्जी का नाम
बीज यहाँ से खरीदें
1.
टमाटर (Tomato)
2.
धनिया (Coriander)
3.
मटर (Peas)
4.
बैंगन
5.
फ्रेंच बीन्स
6.
प्‍याज (onions)
7.
मूली (Radish)
8.
कोहलबी (Kohlrabi) या knol khol
9.
लेटस (lettuce)
10.
पालक (Spinach)
11.
चुकंदर (Beetroot)
12.
पाक चोई (Pak Choy)
13.
गाजर (Carrot)
14.
शलजम (Tumip)
15.
फूलगोभी (Cauliflower)
16.
केल (kale)
17.
ब्रोकोली (Broccoli)
18.
पत्‍ता गोभी (Cabbage)
19.
शिमला मिर्च (capsicums)
20.
जुकिनी (zucchini)
21.
खीरा (cucumbers)
22.
मिर्च (Chillies)
23.
कद्दू (pumpkins)
24.
स्क्वैश (squash)
25.
खरबूज (melons)
26.
लहसुन (Garlic)
उपलब्ध नहीं
27.
आलू (potatoes)
उपलब्ध नहीं

दिसंबर के महीना में लगाई जाने वाली सब्जियां – December month me ugai jane vali sabjiya In Hindi

S.No.
सब्जी का नाम
बीज यहाँ से खरीदें
1.
सेलेरी (celery)
2.
टमाटर (Tomato)
3.
धनिया (Coriander)
4.
कोहलबी (kohlrabi)
5.
मटर (Peas)
6.
बैंगन
7.
फ्रेंच बीन्स
8.
लीक (leek)
9.
प्‍याज (onions)
10.
मूली (Radish)
11.
करेला (Bitter gourd)
12.
लेटस (lettuce)
13.
पालक (Spinach)
14.
मस्टर्ड ग्रीन्स (mustard)
15.
चुकंदर (Beetroot)
16.
भिन्डी (Okra)
17.
गाजर (Carrot)
18.
शलजम (Tumip)
19.
फूलगोभी (Cauliflower)
20.
केल (kale)
21.
ब्रोकोली (Broccoli)
22.
पत्‍ता गोभी (Cabbage)
23.
शिमला मिर्च (capsicums)
24.
जुकिनी (zucchini)
25.
खीरा (cucumbers)
26.
मिर्च (Chillies)
27.
स्विस चार्ड (Swiss chard)
28.
कद्दू (pumpkins)
29.
स्क्वैश (squash)
30.
खरबूजा (melons)
31.
लहसुन (Garlic)
उपलब्ध नहीं
32.
आलू (potatoes)
उपलब्ध नहीं

दिसंबर में सर्दियों के दौरान लगाई जा सकने वाली सर्वोत्तम सब्जियों की सूची नीचे दी गई है, जिनके बीजों को आप ऑनलाइन स्टोर aarugagro.com से खरीद सकते हैं, जैसे:

घर पर रसभरी (ग्राउंड चेरी) का पौधा बीज से कैसे उगाएं, जानें टिप्स – How To Grow Rasbhari (Ground Cherries) From Seed In Hindi

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Table of Contents

रसभरी (केप गूसबेरी), चेरी टमाटर की तरह दिखने वाला एक छोटे आकार का फल है, जिसका रंग पीला और नारंगी होता है। इस फल का स्वाद खट्टा-मीठा होता है। यह एक ऐसा फल है जो आम तौर पर बाजार में दिखाई नहीं देता है। लेकिन यह फल स्वादिष्ट होने के साथ ही हमारी सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। यदि आप अपने घर के गार्डन में कुछ नया उगाने की सोच रहे हैं, तो आप आसानी से उगने वाले इस पौधे (ग्राउंड चेरी) को उगा सकते हैं। रसभरी फल के कई सारे फायदे होते हैं और इस फल को कई तरह से उपयोग किया जाता है। इस आर्टिकल में हम आपको केप गूसबेरी, ग्राउंड चेरी, गोल्डन बेरी और अन्य नामों वाले इस रसभरी के पौधे को घर पर कैसे लगाएं, इस फल का पौधा बीज से कैसे उगाएं, और इसे उगाने के सही समय के बारे में बतायेंगे।

ग्राउंड चेरी का पौधा लगाने के लिए जरूरी चीजें – Supplies Needed To Grow Ground Cherry Plant In Hindi

इस फल को अंग्रेजी में गोल्डन बेरी (Golden Berry), फिजलिस पेरुवियाना (Physalis Peruviana), केप गूसबेरी (Cape Gooseberry), इन्का बेरी (Inca Berry) और हिंदी में रसभरी के नाम से जाना जाता है। घर पर ग्राउंड चेरी (केप गूसबेरी) फल का पौधा उगाने के लिए आपको निम्न चीजों की जरूरत पड़ेगी:

  • गमला या ग्रो बैग (Pot Or Grow Bags)
  • मिट्टी (Soil)
  • रसभरी (ग्राउंड चेरी) फल के बीज (Ground Cherry Seeds)
  • गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट
  • पानी डालने के लिए वाटरिंग कैन या स्प्रे बोतल

ग्राउंड चेरी उगाने से जुड़ी कुछ जरूरी बातें – Growing Ground Cherry (Golden Berries) Plants In Hindi

घर पर रसभरी या ग्राउंड चेरी का पौधा उगाने से पहले आपको निम्न बातों की जानकारी होना जरूरी है, जैसे:

ग्राउंड चेरी (रसभरी) के बीज कब लगाएं – When To Plant Ground Cherry Seeds In Hindi

शुरूआती वसंत (Early Spring) यानि फरवरी के महीने में आप रसभरी के बीजों को घर के अंदर अंकुरित कर सकते हैं और तैयार पौध (Seedling) को मार्च के महीने में बाहर ट्रांसप्लांट कर सकते हैं। आप वसंत (मार्च) या गर्मी के महीनों में (अप्रैल-जून) रसभरी के बीजों को सीधे गमले या बाहर गार्डन में भी लगा सकते हैं। रसभरी (ग्राउंड चेरी) फल के बीजों को अंकुरित होने के लिए उचित तापमान (Optimum Temperature) 24-30°C (75-85°F) होता है।

रसभरी का पौधा लगाने के लिए गमले का साइज – Pot Size To Grow Rasbhari (Ground Cherry) In Hindi

यह पौधा 1.5 से 3 फीट लम्बाई तक बढ़ता है और लगभग 2 फीट चौड़ी जगह को घेरता है। इसकी जड़ों को फैलने के लिए कम से कम 9-10 इंच गहरा गमला जरूर होना चाहिए। रसभरी (ग्राउंड चेरी) के पौधे को उगाने के लिए निम्न साइज के गमले या ग्रो बैग बेस्ट होते हैं:

  • 12×12 इंच (चौड़ाई x ऊंचाई)– इस ग्रो बैग में आप रसभरी का 1 पौधा उगा सकते हैं।
  • 15×12 इंच – 1 से 2 पौधे
  • 15×15 इंच – 1 से 2 पौधे
  • 18×15 इंच – 2 पौधे
  • 24×15 इंच – 3 पौधे
  • इस पौधे के लिए 36x24x12 इंच (लम्बाई x चौड़ाई x ऊंचाई) या उससे बड़ी साइज के रेक्टेंगल ग्रो बैग ज्यादा बेहतर होते हैं, क्योंकि उनमें 3-4 या उससे ज्यादा रसभरी के पौधे एक साथ उगा सकते हैं।

रसभरी का पौधा कितने दिन में फल देता है – When To Harvest Rasbhari (golden berries) In Hindi

सीडलिंग को ट्रांसप्लांट करने के लगभग 90 से 120 दिन बाद रसभरी पौधे में फल लगने लगते हैं। अलग-अलग वैरायटी के लिए हार्वेस्टिंग का समय कुछ दिन कम या ज्यादा हो सकता है।

गमले में रसभरी (ग्राउंड चेरी) फल उगाने का सही तरीका – Grow Ground Cherries (Physalis Peruviana) Seeds In Pot In Hindi

घर पर गमले या ग्रो बैग में रसभरी (केप गूसबेरी) का पौधा उगाने की टिप्स:

मिट्टी तैयार करें – Prepare Soil To Plant Ground Cherry Seeds In Hindi

रसभरी फल (गोल्डन बेरी) के बीजों को अच्छी उपजाऊ और भुरभुरी (Well Draining Soil) मिट्टी में लगाया जाता है। ऐसी मिट्टी बनाने के लिए सबसे पहले नजदीकी गार्डन या खेत से मिट्टी उठाकर ले आयें। फिर इसके बाद मिट्टी को धूप वाली जगह पर रख कर उसमें पानी डालें। 2 दिन बाद जब मिट्टी नरम हो जाए और सूख जाए तब मिट्टी, कोकोपीट और गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट खाद को बराबर मात्रा में मिलाएं। आप कोकोपीट की जगह रेत का उपयोग भी कर सकते हैं। अब रसभरी फल के बीजों को लगाने के लिए मिट्टी तैयार है।

गमले या ग्रो बैग में मिट्टी भरें – Fill Pot To Grow Cape Gooseberry (Physalis) Seeds In Hindi

जिस भी गमले, ग्रो बैग या सीड ट्रे में बीजों को लगाना है, उसमें तैयार की गयी मिट्टी या सीड स्टार्टिंग मिक्स को भर लें। ग्रो बैग को ऊपर से 2 इंच खाली रखें। मिट्टी में अच्छी तरह पानी डालें और इस मिट्टी में 1 दिन के बाद बीजों को लगायें। ऐसा करने से ग्रो बैग में मिट्टी अच्छे से बैठ जाती है और जब बीज को लगाया जाता है तो वह पानी डालने पर नीचे गहराई में नहीं जाता है।

मिट्टी में रसभरी के बीज लगाएं – Sowing Ground Cherry Seeds In Soil In Hindi

रसभरी के बीजों को सीडलिंग तैयार करके भी उगाया जाता है और सीधे ही गमले या गार्डन में भी लगाया जाता है। आइये जानते हैं मिट्टी में रसभरी या ग्राउंड चेरी के बीज लगाने का सही तरीका:

1. रसभरी के बीजों को मिट्टी की सतह पर रखें। गमले या गार्डन की मिट्टी में बीज लगाते समय 2 बीजों के बीच कम से कम 2 इंच (5cm) की दूरी रखें।

2. बीजों के ऊपर कम्पोस्ट या मिट्टी का छिड़काव करें। बीज के ऊपर कम्पोस्ट की 1 सेंटीमीटर मोटी परत (Layer) बिछा सकते हैं।

3. स्प्रयेर की मदद से मिट्टी के ऊपर पानी का छिड़काव करें।

4. अब गमले को गर्म और रोशनी वाली जगह पर रखें, जैसे खिड़की या बालकनी, जहाँ थोड़ी धूप आती हो।

5. अच्छे से देखभाल करने पर बीज 15 से 20 दिन में अंकुरित हो जाते हैं। कई बार बीज अंकुरित होने में 1 महीने का समय भी लग सकता है।

6. यदि बीज सीडलिंग ट्रे में लगाए हैं, तो जब पौधा 6 इंच लम्बा हो जाये, तब उसे बड़े गमले या गार्डन में गहराई में ट्रांसप्लांट कर दें। टमाटर की तरह इस पौधे के तने से भी जड़ें निकलती हैं, इसीलिए इसे गहराई में रोपने (Planting) की सलाह दी जाती है।

7. पौध (Seedling) को ट्रांसप्लांट करने के बाद 1 हप्ते तक पौधे को केवल सुबह की 2 से 3 घंटे की धूप दिखाएँ।

8. 1 हप्ते के बाद पौधे को ऐसी जगह रख दें जहाँ रोजाना 6 से 7 घंटे की धूप आती हो। पौधा, बड़ा हो जाए तब उसे लकड़ी से सहारा (staking) दें।

रसभरी के लिए सबसे अच्छा उर्वरक – Fertilizing Ground Cherry Plant In Hindi

ग्राउंड चेरी (रसभरी) के पौधे को ज्यादा खाद या उर्वरक की जरूरत नहीं होती है। केवल फूल आते समय और फल बनते समय बायो NPK, प्लांट ग्रोथ प्रमोटर और फिश इमल्शन फर्टिलाइजर, डाल सकते हैं।

रसभरी या ग्राउंड चेरी में कीटों का नियंत्रण – Ground Cherry Pest And Diseases Control In Hindi

इस रसभरी के पौधे में ज्यादातर कोई कीट या रोग नहीं लगते हैं लेकिन कभी-कभी फली बीटल (Flee Beetle), एफिड्स (Aphids) और सफेद मक्खी (Whiteflies) हमला कर सकती हैं। नीम तेल का छिड़काव करके इन कीटों से पौधे को बचा सकते हैं।

रसभरी फल की कटाई – Harvesting Ground Cherries Fruits In Hindi

सीडलिंग ट्रांसप्लांट करने के लगभग 90-120 दिन बाद पौधे में फल लगने लगते हैं। इस पौधे में फल लगने का मौसम (Fruiting Season) लास्ट गर्मी से पतझड़ (जुलाई से नवंबर) तक रहता है। जब फल के ऊपर का छिलका सूखने लग जाये तब फल की हार्वेस्टिंग कर लेनी चाहिए। पौधे की मिट्टी के चारो ओर पुआल बिछा सकते हैं, इससे जो फल अपने आप गिरता है वो मिट्टी के सम्पर्क में आकर खराब होने से बच जाता है। इस फल को खाने में, सलाद या चटनी बनाने में और पिज्जा बनाते समय उसकी डेकोरेशन करने में उपयोग कर सकते हैं।

इस आर्टिकल में आपने जाना कि घर पर गमले में रसभरी या ग्राउंड चेरी का पौधा बीज से कैसे लगाएं? इसे कैसे उगाते हैं? और रसभरी लगाने का सबसे अच्छा समय क्या है। ग्राउंड चेरी (केप गूसबेरी) का पौधा उगाने से जुड़ा अगर आपका कोई भी सवाल या सुझाव हो, तो आप उसे कमेन्ट बॉक्स में जरूर लिखें। अगर यह लेख आपके काम आया हो, तो इसे अपने गार्डनिंग करने वाले दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।

 

कैना फूल का पौधा कैसे उगाएं और देखभाल कैसें करें – How To Grow Canna Flower In Hindi

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Table of Contents

कैना का पौधा या कैना लिली फूल, जिसे ‘इंडियन शॉट प्लांट’ के नाम से भी जाना हैं। एक बेहद ही अद्वितीय और सुंदर फूल हैं जो आपके बगीचे को और भी रंगीन बना सकता हैं। कैना फ्लावर प्लांट अपनी विशेष रंगीनता, आकार, और रूप से पहचाना जाता हैं। इसे हम अपने होम गार्डन के गमले में आसानी से लगा सकते हैं। बता दें कि अपने बगीचे में रंगीन फूलों का ख्वाब प्रत्येक गार्डनर का होता हैं और उनके इस ख्वाब पूरा करने के लिए कैना प्लांट एक शानदार विकल्प हो सकता हैं। यह पौधा अपने बड़े, चमकदार और विविध फूलों के लिए पहचाना जाता हैं। कैना के पौधे को टेरेस गार्डन या होम गार्डन के पॉट उगाना बाकई एक सुखद अनुभव होता हैं।

इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएँगे कि कैना प्लांट को पॉट या ग्रो बेग में कैसे उगा (How To Grow Canna Flower In Hindi) सकते हैं ? किन किन तरीकों से हम कैना फ्लावर प्लांट लगा सकते और देखभाल कैसे कर सकते हैं।

कैना लिल्ली या कन्ना फ्लावर पौधा के बारे में जानकारी – Information About Canna Flower Plant In Hindi

  • नाम – कैना फूल पौधा
  • वैज्ञानिक नाम (Scientific Name) – Canna spp.
  • परिवार (Family) – Cannaceae
  • जीवनकाल – कैना फूल का पौधा वार्षिक होता हैं।
  • ऊचाई – सामान्यत: 2 से 6 फीट तक ऊँचा हो सकता हैं।
  • पत्तियाँ – पत्तियाँ बड़ी, सुंदर और अपेक्षाकृत बर्निश्ड होती हैं।
  • फूल (Flowers) – कैना फूलों का आकार, रंग और रूप में विविधता पाई जाती हैं।
  • फूलों का रंग – लाल, पीला, नारंगी, गुलाबी आदि विभिन्न रंग हो सकते हैं।
  • वन्यजीव – कैना फूल अपने रंगीन फूलों के लिए प्रसिद्ध हैं और यह बटरफ्लाईज़ को आकर्षित करता हैं।
  • रोपण – कैना फ्लोवर अधिकतर गर्म और नम जलवायु में अच्छे से उगता हैं और अच्छी ड्रेनेज़ वाली मिट्टी को पसंद करता हैं।

कैना फ्लावर पौधा व बीज का चयन – Selection Of Canna Flower Plant Or Seeds In Hindi

कैना का पौधा स्थानीय नर्सरी से प्राप्त किया जा सकता हैं। नर्सरी से पौधा लेने से पहले ठीक से जांच कर ले कि पौधा पूरी तरह से स्वस्थ हैं या नहीं, किसी भी प्रकार के कीटाणु या बीमारी तो नहीं हैं। कैना के पौधे को बीज या रूट से उगाना एक अच्छा विकल्प हो सकता हैं। अगर आप इस पौधें को बीज से उगाते हैं, तो उगाने से पहले उन्हें पानी में भिगोकर भिगोकर रखें।

मिट्टी तैयार कैसे करें – How To Prepare Soil For Canna Lilly Plant In Hindi

गमले में पौधा लगाने से पहले अच्छी क्वालिटी की मिट्टी का चयन करें जिसका का पीएच स्तर 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए। यह पौधा अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में अच्छे से ग्रोथ करता हैं। तो मिट्टी तैयार करने के लिए हम जरूरी खाद, रेत, गोबर खाद, वर्मीकम्पोस्ट, पर्लाइट और वर्मीकुलाइट आदि जैविक खादों का उपयोग कर सकते हैं। इन सभी का मिश्रण तैयार करें, यह सुनिश्चित करेगा कि मिट्टी में अच्छी ड्रेनेज हो और पानी जमा न हो सकें। फॉस्फोरस और पोटैशियम से भरपूर खाद्य सुनिश्चित करें, जिससे पौधों को सही पोषण मिल सके। मिट्टी को अच्छे से मिश्रित करने के बाद ग्रो बेग या पॉट में भरकर कैना फूल के पौधों को लगाएं।

कैना पौधा लगाने के लिए पॉट या ग्रो बेग का चयन – Choosing A Pot Or Grow Bag For Planting Canna Flowers In Hindi

कैना पौधा उगाने के लिए एक बड़े साइज का पॉट चयन करें, ताकि पौधे का विकास अच्छे से हो सके और पौधा बड़ा हो सकें। ध्यान रहे कि पॉट व ग्रो बेग के नीचे अच्छा ड्रेनेज होना चाहिए ताकि पानी अच्छे से बह सके और मिट्टी गीली न रहे। बता दें कि गमले की गहराई कम से कम 12 इंच और उसकी चौड़ाई 18 इंच होनी चाहिए।

कन्ना का पौधा लगाने की विधि – Method Of Planting Canna Flower Plants In Hindi

  • सेलेक्ट किए गए पॉट में पॉटिंग मिक्स डालें।
  • पॉटिंग मिक्स के बीचों बीच एक गड्डा करें।
  • गड्डे में जरूरी खाद और कोम्पोस्ट मिलाएं।
  • अब, चयन किए गए पौधे को धीरे-धीरे पॉट में स्थापित करें।
  • कैना फूल के पौधे को धीरे-धीरे सही स्थिति में रखें।
  • पौधें की जड़ों पर मिट्टी डालकर दबा दें जिससे पौधा मजबूत स्थिति में हो जाए।
  • अंत में गमले में पानी डालकर मिट्टी को पूरी तरह से गीली कर दें।

कैना लिली पौधे की देखभाल कैसे करें – How To Care For Canna Flower Plant In Hindi

पानी देना – Watering For Canna Flower Plants In Hindi

कैना फूल का पौधा लगाने के बाद वाटर कैन का उपयोग करके इसमें पानी डाले। बता दें कि पौधों को धीरे-धीरे सुबह के समय पानी दें, और सुनिश्चित करें कि मिट्टी अच्छे से गीली हो जाए, लेकिन स्टैगनेंट नहीं होनी चाहिए।

सूर्य का प्रकाश – Sunlight For Canna Flower Plants In Hindi

कैना प्लांट सूर्य के प्रकाश को प्रेफर करता हैं। इसलिए आप इसे खुले स्थान पर रखे, जहां सुबह की सूर्य किरणें सीधे पहुंच सकती हैं।

तापमान – Temperature For Canna Flower Plants In Hindi

पौधों को अच्छे से विकसित करने के लिए, तापमान को लगभग 20-30 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए हैं। बता दें कि यह तापमान पौधे की सुन्दरता और स्वास्थ के लिए अच्छा माना जाता हैं।

पौधे व फूलों की प्रूनिंग – Pruning Of Canna Flower Plant And Flowers In Hindi

पौधों को सही आकार और रूप में रखने के लिए नियमित प्रूनिंग करें। बता दें कि जब फूल खिलता हैं, तो उसे सुबह के समय हटा दें ताकि नए फूल आ सकें।

कीटाणु और बीमारियों से बचाव – Canna Flower Protects Against Germs And Diseases In Hindi

पौधों को नियमित रूप से जांचें और किसी भी कीटाणु या बीमारी के लक्षणों को तुरंत देखें। उचित उपायों का अनुसरण करें ताकि फूल स्वस्थ रहे। कैना का पौधा लगाते समय और उसकी देखभाल के दौरान सही पेस्टिसाइड और ओर्गानिंक रोगनाशकों का उपयोग अवश्य करें। नीचे हमने कुछ कीटाणुओं के नाम दिए हैं जो कैना पौधे को प्रभावित करते हैं –

  • थ्रिप्स (Thrips)
  • माइट्स (Mites)
  • आफीड्स (Aphids)
  • व्हाइटफ्लाई (Whiteflies)
  • जिगर (Caterpillars)
  • पाथोजेनिक फंगस और बैक्टीरिया

कैना प्लांट को कीटाणुओं से बचाने के उपाय या तरीके

कीटाणुओं से बचाव करने करने के लिए नियमित रूप से पौधें की जांच व सफाई करें। नीम और नीम तेल आदि का उपयोग कीटाणुओं को दूर करने में कर सकते हैं। नीचे के ओर से सिंचाई करें ताकि कीटाणु नीचे पौधे के ऊपर न जा सके। घरेलू उपाय जैसे नीम पानी, तुलसी का पानी, या साबुनी पानी के स्प्रे का उपयोग करके कीटाणुओं को दूर कर सकते हैं।

कैना प्लांट की पहचान कैसे करें – How To Identify Canna Flower In Hindi

बता दें कि कैना पौधे का फूल विभिन्न रंगों में मिलता हैं और इसकी खूबसूरत पत्तियाँ लम्बी-लम्बी होती हैं। कैना फ्लोवर की पहचान तब सरल होती हैं जब यह खिलता हैं और अपनी पूरी सुंदरता को बिखेरता हैं। यह पौधा विविधता का प्रतीक हैं, इसके बड़े-बड़े पत्ते देखने में आकर्षक लगते हैं और फूल आपके बगीचे को सजीव रंगों में रंग सकते हैं। कैना फूलों की मीठी और मनमोहक खुशबू आपके बगीचे को महका देती हैं। बता दें कि इसकी ऊँचाई आमतौर पर 3 से 6 फीट के बीच होती हैं और इसके फूल विभिन्न रंगों में पाए जाते हैं, जैसे कि लाल, पीला, नारंगी, और सफेद आदि।

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कैना का पौधा कैसा होता हैं?

कैना फूल का पौधा एक बहुरंगी और सुंदर होता हैं, यह अपने बड़े और विशाल फूलों के लिए जाना जाता हैं। इसकी पत्तियाँ भी बेहद आकर्षक होती हैं और यह गर्मी के महीनों में बहुत अच्छे से फूलता हैं।

कैना के पौधे में कौन-कौन से रंग के फूल लगते हैं?

बता दें कि कैना के पौधे में विभिन्न रंग जैसे – लाल, पीला, नारंगी, सफेद, गुलाबी आदि रंग के फूल लगते हैं।

कैना का पौधा कैसे उगाएं?

कैना का पौधा बीजों या रोपित पौधों से उगाना संभव हैं। अच्छी मिट्टी, नियमित सिंचाई, और सही देखभाल के साथ, आप इसे अपने बगीचे के गमले या ग्रो बेग में उगा सकते हैं।

कैना लिल्ली की देखभाल कैसे करें?

कैना लिल्ली की देखभाल में नियमित सिंचाई, उच्चतम पोषण, और सुरक्षित स्थानीयता शामिल हैं।

कैना फ्लावर प्लांट का विकास कितने समय में होता हैं?

 

पौधें का विकास इसकी प्रजाति, आसपास के तापमान और देखभाल की स्थिति पर निर्भर करता हैं। आमतौर पर, यह गर्मी के महीनों तेजी से विकशित होता हैं।

कौन से समय में कैना का पौधा फूलता हैं?

यह गर्मी के महीनों में अच्छे से फूलता हैं, खासकर जब तापमान उच्च होता हैं।

कन्ना लिल्ली के फूलों का आकार कैसा होता हैं?

फूल बड़े होते हैं और उनका आकार प्रजाति के आधार पर बदलता रहता हैं। ये फूल गहरे रंगों के हो सकते हैं और देखने में आकर्षक व खूबसूरत लगते हैं।

इस लेख में हमने कैना लिल्ली का पौधा कैसे लगाएं व कैना फ्लावर प्लांट लगाने की सम्पूर्ण विधि के बारे में बताया हैं, आपको हमारा लेख कैसा लगा हमें जरूर बताए और लेख से सम्बंधित जरूर सुझाव भी आप हमें दे सकते हैं, धन्यवाद।

 

सॉइल pH क्या होता है, इसे कम या ज्यादा कैसे करें – How To Reduce Or Increase Soil pH In Hindi

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क्या आप उन गार्डनर्स में से एक हैं, जो पौधों की अच्छी ग्रोथ के लिए सब तरफ से सोचते हैं। अगर हाँ, तो हम आपको बता दें, कि मिट्टी का pH पौधे की ग्रोथ के लिए बेहद जरूरी होता है। यह स्तर बीज जर्मिनेशन के साथ उत्पादन क्षमता को प्रभावित करता है। हालाँकि इसकी ज्यादा कमी या वृद्धि दोनों ही पौधे को नुकसान पहुंचा सकती है इसलिए pH हमेशा पौधे की ग्रोइंग कंडीशन के अनुकूल होना चाहिए। आज इस लेख में हम मिट्टी के Ph स्तर के बारे में चर्चा करेंगे, जिसके अंतर्गत हम आपको बताएंगे, कि सॉइल पीएच क्या होता है, यह क्यों महत्वपूर्ण होता हैं तथा मिट्टी के pH में बदलाव कैसे (How To Increase Soil pH In Hindi) करें। साथ ही हम आपको यह भी बताएंगे, कि मिट्टी के pH स्तर को कैसे बढ़ाएं या कम करें।

सॉइल पीएच क्या होता है – What Is Soil pH In Hindi

आमतौर पर pH एक माप होता है, जो मिट्टी की अम्लीयता और क्षारीयता को दर्शाता है। इससे मिट्टी में मिले हुए हाइड्रोजन आयनों की सांद्रता का पता लगाया जाता है।

आमतौर पर pH स्केल 0 से 14 के बीच होता है। यदि इसका मान 7 से नीचे होता है, तो यह अम्लीय स्थितियों को दर्शाता है, इसके विपरीत 7 से ऊपर का मान क्षारीय स्थितियों को दर्शाता है। जब पूरी 7 होता है, तो यह तटस्थ होता है अर्थात इस रेंज की मिट्टी न ही क्षारीय होती है और न ही अम्लीय।

मिट्टी के pH का असर पोषक तत्वों की उपलब्धता, माइक्रोबियल गतिविधि और समग्र पौधों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसलिए पौधे लगाते समय हमेशा सॉइल pH की जांच की जाती है।

मिट्टी के पीएच की जांच – Checking Soil pH In Hindi

गार्डन की मिट्टी का Ph लेवल चैक करने कई तरीके होते है, आइये जानते हैं उनके बारे में:-

  • सॉइल पीएच परीक्षण स्ट्रिप्स द्वारा।
  • मिट्टी के पीएच मीटर द्वारा।
  • सॉइल पीएच परीक्षण किट के द्वारा।
  • लेबोरेटरी में परीक्षण करवाना।
  • लिटमस पेपर के द्वारा।
  • नेचुरल इंडीकेटर्स के द्वारा परीक्षण।

पीएच को प्रभावित करने वाले कारक – Factors Affecting Soil pH In Hindi

वातावरण में ऐसे कई कारक होते हैं, जो मिट्टी के पीएच को प्रभावित कर सकते हैं, इससे उसकी अम्लता या क्षारीयता में भिन्नता हो सकती है। पौधों की वृद्धि के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनाए रखने के लिए इन कारकों को समझना बहुत जरूरी है। मिट्टी के पीएच को प्रभावित करने वाले कारक निम्न हैं:

मूल सामग्री – मिट्टी की मूल सामग्री अर्थात वह कहाँ से प्राप्त की गई है उसके pH को प्रभावित करती है जैसे चूना पत्थर या कैल्शियम युक्त चट्टानों से प्राप्त मिट्टी अधिक क्षारीय होती है, जबकि ग्रेनाइट या अन्य अम्लीय चट्टानों से प्राप्त मिट्टी अधिक अम्लीय हो सकती है।

जलवायु – जलवायु भी मिट्टी के पीएच को प्रभावित कर सकती है। जैसे आर्द्र क्षेत्रों में, कैल्शियम, मैग्नीशियम जैसे तत्वों के बह जाने से मिट्टी अम्लीय हो सकती है, जबकि शुष्क क्षेत्रों में वह कम मात्रा में बह पाते हैं, जिससे वहां अधिक क्षारीय मिट्टी हो सकती है।

कार्बनिक पदार्थ का अपघटन – सूक्ष्मजीवों द्वारा कार्बनिक पदार्थों के अपघटन से कार्बनिक अम्ल उत्पन्न होते हैं। यह प्रक्रिया समय के साथ मिट्टी को क्षारीय और अम्लीय बना सकती है।

पौधे और माइक्रोबियल गतिविधि – कुछ पौधों की जड़ें मिट्टी में कार्बनिक अम्ल छोड़ती हैं, जो पीएच को प्रभावित कर सकती हैं।

उर्वरक का प्रयोग – गार्डन में उपयोग किए गए उर्वरकों का प्रकार मिट्टी के पीएच को प्रभावित कर सकता है

सिंचाई का पानी – उच्च क्षारीयता और अम्लीयता वाला पानी समय के साथ मिट्टी के पीएच मिट्टी के पीएच को प्रभावित कर सकता है।

खनिज सामग्री – मिट्टी की खनिज सामग्री की उपस्थिति से उसके pH में बदलाव हो सकता है।

मृदा संरचना – मिट्टी की बनावट से तात्पर्य उसमें उपस्थित रेत, गाद और मिट्टी से है। रेतीली मिट्टी अधिक अम्लीय होती है, जबकि चिकनी मिट्टी अधिक क्षारीय हो सकती है।

पीएच क्यों महत्वपूर्ण होता है – Why Is Soil pH Important In Hindi

होम गार्डन की मिट्टी का पीएच पौधे की ग्रोथ से लेकर उसे स्वस्थ रहने और यहाँ तक कि उत्पादन क्षमता के लिए भी बेहद जरूरी होता है। आइये विस्तार से जानते हैं- कि मिट्टी के pH का असर किन-किन चीजों पर पड़ता है:-

पोषक तत्वों की उपलब्धता – मिट्टी का पीएच सबसे ज्यादा पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्धता को प्रभावित करता है। सामान्य पीएच रेंज के भीतर पौधे अच्छी तरह पोषक तत्वों को अवशोषित कर लेते हैं।

लाभकारी सूक्ष्मजीवों की उपलब्धता – कई मिट्टी के लाभकारी बैक्टीरिया तटस्थ से लेकर थोड़ी अम्लीय स्थितियों को पसंद करते हैं, जबकि कुछ कवक अधिक क्षारीय मिट्टी में पनपते हैं। मिट्टी के Ph में बदलाव इनकी संख्या को प्रभावित कर सकता है

जैविक प्रक्रियाएँ – मिट्टी का पीएच कार्बनिक पदार्थों के अपघटन के साथ कुछ जैविक प्रक्रियाओं को प्रभावित करता है। अपघटन में शामिल सूक्ष्मजीव pH के प्रति संवेदनशील होते हैं, और उनकी गतिविधि मिट्टी की अम्लता या क्षारीयता से प्रभावित हो सकती है।

जड़ विकास – कुछ पौधे विशिष्ट pH रेंज में ग्रोथ करते हैं और यदि उन्हें पसंदीदा Ph वाली सॉइल में नहीं लगाया गया, तो इससे जड़ विकास और पोषक तत्वों को अवशोषित करने की क्षमता पर असर पड़ सकता है।

एल्युमीनियम विषाक्तता – अम्लीय मिट्टी में, एल्युमीनियम पौधों की जड़ों के लिए अधिक घुलनशील और विषाक्त हो सकता है। जिससे पौधे ग्रोथ नहीं कर पाते हैं।

रोग प्रतिरोध क्षमता – मिट्टी के pH में बदलाव पौधों को कुछ बीमारियों के प्रति संवेदनशील बना सकता है।

पौधे का समग्र स्वास्थ्य एवं विकास – मिट्टी का आदर्श pH पौधों की वृद्धि के लिए अनुकूल वातावरण बनाता है, जो पौधों की समग्र ग्रोथ और स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। इसलिए गार्डनिंग के लिए मिट्टी के Ph को समझना बहुत महत्वपूर्ण होता है।

मिट्टी के पीएच में बदलाव कैसे करें – How To Change Soil pH In Hindi

जब आप अपने गार्डन की मिट्टी के pH की जांच कर लेते हैं, तब उसे पौधों के अनुकूल बनाने के लिए कुछ बदलाव की आवश्यकता होती है। आइये आगे जानते हैं- मिट्टी के pH को कैसे कम करें या बढ़ाएं?

मिट्टी का पीएच बढ़ाने के तरीके – Ways To Increase Soil pH In Hindi

अगर आप मिट्टी के pH लेवल को बढ़ाकर उसे क्षारीय बनाना चाहते हैं, तो निम्न चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं:

  • डोलोमिटिक लाइम
  • कैल्सिटिक लाइम
  • वुड एश फर्टिलाइजर आदि।

मिट्टी का पीएच कम करने के तरीके – Ways To Reduce Soil pH In Hindi

अगर आपके गार्डन की मिट्टी अधिक क्षारीय है और आप उसके pH को कम करना चाहते हैं, तो इसके लिए आप मिट्टी में निम्न चीजें मिला सकते हैं:-

  • कम्पोस्ट खाद
  • पीट मॉस
  • सल्फर युक्त फर्टिलाइजर
  • अमोनियम आधारित उर्वरक आदि।

इस लेख में आपने जाना सॉइल pH क्या होता है, मिट्टी के pH की जांच कैसे करें तथा pH स्तर को कैसे कम करें या बढ़ाएं। उम्मीद है हमारा लेख आपके लिए हेल्पफुल रहा हो। इस लेख के संबंध में आपके जो भी सुझाव हैं, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

How to start a compost pile in your backyard

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Setting up a Compost Pile in the backyard of your home can prove to be a good decision for you. It not only prepares nutrient-rich Compost to improve the soil of your garden, but is also an excellent and environmentally friendly way to recycle organic waste.

Making compost is a natural process that decomposes organic materials into valuable components in the soil. In this article, we will provide you with complete information about How to start a compost pile in your backyard.

What is the Compost Pile?

A Compost Pile is like a designated area where you put kitchen scraps and yard waste. They break down and turn into nutrient-rich compost, great for improving soil in gardens. It’s an eco-friendly way to recycle and make soil better for plants.

The best time to start a compost pile in backyard

The rainy season can be a good time to start a compost pile. Water is used less during the rainy season, and can help loosen your compost pile naturally. Making a compost pile during summer can be a problem because excessive heat can dry out your pile. In cool weather, compost pile management becomes easier, and the decomposition process happens faster.

Steps for making compost in the compost pile

1. Choose a Suitable Location

First, you need to choose a suitable location for your Compost Pile. It should be a place where there is good drainage and receives sufficient sunlight. Compost bins or designated Compost areas work well, and you may consider proximity to your garden for easy access to the prepared Compost.

2. Obtain a Compost Bin or Designate an Area

To gather organic waste, you can either use a compost bin or directly create a Compost Pile on the ground. Using a compost bin is a good decision as it proves to be beneficial for storing Compost, aiding in the decomposition process, and speeding up the recycling process. Bins are also clean and can be managed more easily.

3. Collect Brown and Green Materials

Successful Compost relies on the balance between brown and green materials. Brown materials are rich in carbon and include dry leaves, straw, shredded newspaper, and cardboard. Green materials are nitrogen-rich and include kitchen scraps (fruit and vegetable peels, coffee grounds), fresh yard waste, and green plant trimmings.

4. Layering with Brown Materials

Start your Compost Pile with a layer of brown materials. This provides aeration and prevents the pile from becoming too compact. Place a layer of green materials on top of the brown layer. Strive for a good balance between brown and green materials, and continue layering.

5. Add Water To make pile Soft

Moisture is essential for the Compost-making process. Your Compost Pile should feel like a squeezed sponge – consistently moist, but not waterlogged. If the pile becomes too dry, water it with a hose or watering can.

6. Turn the compost with a pitchfork

Regularly turning your Compost Pile helps in creating aeration, providing oxygen that encourages the growth of aerobic bacteria responsible for decomposition. You can turn the compost with a pitchfork or compost turner. Aim to turn the pile every few weeks to speed up the process.

7. Be Patient

Making compost is a natural process that takes time. Be patient and let the microorganisms, bacteria, and fungi do their job. The time frame for making compost may vary, but within a few weeks to a few months, you should start to see a rich, dark compost ready for use.

8. Harvest the Compost

Once your Compost is deep brown, crumbly, and has an earthy smell, it is ready to be harvested. Cut into the pile, take out the finished Compost, and use it to enrich the soil in your garden. Ensure to leave some Compost at the bottom to start the next batch.

9. Avoid Certain Materials

Avoid adding meat, dairy, or oily food scraps to your Compost Pile as they may attract pests and slow down the decomposition process.

10. Balancing Your Greens and Browns

If your Compost Pile has a foul odor, it may be too wet. Add more brown materials and turn the pile. If decomposition is slow, check the balance between brown and green materials, and ensure proper turning.

11. Utilize the Compost

Once you have harvested your Compost, use it in your flower beds, vegetable gardens, or potted plants. Manure improves soil structure, retains moisture, and provides essential nutrients for plant growth.

12. Keep Making Compost

Compost-making is a continuous process. As soon as you harvest one batch, continue adding new materials to the pile to maintain a constant supply of nutrient-rich manure for your garden.

What is No-dig gardening and How to Start it in India?

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No-dig gardening is a farming practice that uses organic materials from seed without digging and turning the soil as in traditional farming. This technique reduces soil erosion, and it’s good for the soil’s health, nature, and environment. The main principle of no-dig gardening is to avoid digging the soil, and to nourish the soil directly from the top with usable organic matter.

In traditional gardening practices in our country, the land is dug and turned several times a year, resulting in soil degradation. This process leads to the death of beneficial bacteria and organisms crucial for soil health. The notable advantage of no-dig gardening is that it avoids harm to these bacteria and organisms present in the soil. This method involves creating layers on top of the existing soil, thus preserving the natural organisms within these layers. The layers include a compost layer, a mulch layer, and a layer of newspaper or cardboard.

No-dig gardening is a sustainable and environment-friendly farming practice that provides less labour and more natural and healthy soil compared to traditional gardening. It is suitable even for beginning gardeners and its effect lasts for a long time.

Step 1: Choose the right location

Selecting a suitable location is important for successful no-dig gardening. Choose a location with adequate sunlight, good ventilation and proper drainage. The area you select should be free from constantly growing weeds and have a level surface.

Step 2: Prepare the Ground

Layering requires you to prepare the ground by removing existing grass or weeds. Here place a thin layer of newspaper or cardboard directly on the ground. It prevents weed growth by acting as a barrier.
Apart from this it encourages the activity of beneficial bacteria and earthworms.

Step 3: Add Fertilizer

Now apply a generous layer of nutrient-rich compost on newspaper or cardboard. This layer of compost acts as an essential source of nutrition for plants and enhances the structure of the soil. Spread the compost evenly over the entire gardening area.

Step 4: Add a layer of organic mulch

Now add a layer of organic mulch such as straw, wood chips, or shredded leaves on top of the compost layer. This mulch not only helps retain moisture, prevent weed growth but also helps in creating a favorable environment for beneficial microorganisms.

Step 5: Create the Planting Beds

Shape the layers of compost and mulch into raised planting beds. These beds provide elevated planting spaces, better drainage, and improved aeration. The dimensions of the planting beds may vary depending on your preference and available space.

Step 6: Planting

You can now plant directly into the beds without digging. Drill holes through the layers of mulch and compost to reach the soil beneath. Insert the plants into these holes, ensuring they are planted at the proper depth. Thoroughly water the newly planted plants.

Step 7: Watering and Maintenance

Regularly water your no-dig garden to maintain optimal moisture levels. The layers of compost and mulch assist in retaining water, reducing the frequency of watering. Additionally, monitor for any signs of weeds and remove them as needed.

Step 8: Add a fresh layer of organic mulch

Periodically add a fresh layer of organic mulch over the existing mulch. This helps in maintaining moisture, regulating soil temperature, and preventing weed growth. Mulch also decomposes slowly, contributing to the improvement of soil structure.

Step 9: Observing Growth

As your plants grow, observe their progress and address any specific needs they may have. Gardening without digging provides a favorable environment for plant growth, and you will see healthier, more vibrant growth compared to traditional gardening methods.

Step 10: Continuous Improvement

Gardening without digging is an ongoing process of improvement. Over time, the layers will break down, and the soil structure will improve. You can add more compost and mulch as needed to replenish nutrients and enhance the overall health of the garden.

Step 11: Harvesting

When your plants reach maturity, harvest them and enjoy the fruits or vegetables of your labor. Gardening without digging produces nutrient-dense crops, and the flavors are often enhanced due to the enriched soil.

Step 12: Crop Rotation Is Important

Consider practicing crop rotation in subsequent seasons to maintain soil fertility and prevent the buildup of pests and diseases. Move different plant varieties to new areas within the no-dig beds to promote overall garden health.

किसी भी Exams में Top कैसे करें, परीक्षा में टॉप करने के तरीके व टिप्स..

हमारी ये पोस्ट Students के लिए काफी ख़ास होने वाली है. क्योंकि इसमें हम आपको बताएँगे की Exams Me Top Kaise Kare. चाहे स्कूल की कोई परीक्षा हो या फिर कोई Competitive Exam, परीक्षा में टॉप करने के तरीके व Tips हम आप लोगों को बताएँगे. तो चलिए जानते हैं की परीक्षा में Top करने के लिए क्या करें और कैसे करें.

पढाई लिखाई हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, यही वो चीज़ है जो आगे चलकर हमारी ज़िन्दगी को आसान और अनुशाशित बनाती है. जो लोग अच्छी तरह मन लगाकर पढाई करते हैं वो अपनी ज़िन्दगी में ऊंचे मुकाम तक पहुँच जाते हैं और जो पढाई में कमजोर रह जाते हैं वो अपनी ज़िन्दगी में धक्के खाने के लिए मजबूर हो जाते हैं.




एग्जाम में टॉप करना किसको नहीं पसंद, हर कोई अपने एग्जाम में टॉप करना चाहते है, कई बच्चों को लगता है कि क्लास के टॉपर स्टूडेंट्स सारा दिन पढ़ाई करते रहते हैं. उनके मन में एक धारणा बनी होती है कि टॉपर बनने के लिए सबकुछ त्याग कर सिर्फ स्कूल, कोचिंग और सेल्फ स्टडी पर फोकस करना पड़ता है. लेकिन ऐसा नहीं है. पढ़ाई में एवरेज स्टूडेंट भी टॉपर बन सकता है (Topper Kaise Bane).

टॉपर्स हमारे-आपके बीच से ही निकलते हैं. फिर उनमें ऐसा क्या है, जो उन्हें पढ़ाई में सामान्य बच्चों से अलग बनाता है? दरअसल, वह हार्ड वर्क से ज्यादा स्मार्ट वर्क में विश्वास रखते हैं (How To Become Topper). वह भी उसी स्कूल और कोचिंग में जाते हैं, जहां उनकी क्लास के दूसरे बच्चे पढ़ रहे हैं. लेकिन पढ़ाई करने का उनका तरीका उन्हें अलग बनाता है.

परीक्षा में Top करने के तरीके व टिप्स Exam Topper Kaise Bane

हर विद्यार्थी का ये सपना होता है की वो अपने School या Class का Topper बने. लोग उसे पहचानें और हर जगह उसकी सराहना करें. अगर आप ऐसा कर पाते हैं तो आप इस लायक बन भी जाते हैं. Students और Teachers से लेकर आपके पूरे गाँव में आपका चर्चा हो भी जाता है.

लेकिन दोस्तों सिर्फ Exams Me Top Kaise Kare सोचने से कुछ नहीं होगा. इसके लिए आपको बहुत मेहनत करनी पड़ेगी, अनुशाशन में रहना होगा और कुछ त्याग भी करने होंगे. विद्यार्थी जीवन में सबको खेलना, उछल कूद करना, टी वी देखना, Mobile पर गेम खेलना और घूमना अच्छा लगता है.

लेकिन जो बच्चे सही समय आने पर इन सब चीज़ों का त्याग कर सकते हैं वो कामयाब भी हो जाते हैं. कहने का मतलब ये है की School या परीक्षा में Top करने के लिए आपको अपने आप में बहुत सारे बदलाव करने होंगे और एक सही Plan बनाना होगा. जब आप उस योजना के साथ चलोगे तभी ऐसा करने में कामयाब हो पाओगे.




Exams चाहे Board के हों या फिर वैसे, आपको किसी भी Class में Top करने के लिए एक सही रणनीति बनाने की जरुरत होती है. उसके अनुसार आपको अपने अथक प्रयास करने होते हैं, तब जाकर आप परीक्षा में अव्वल आ पाते हो. जो Toppers होते हैं, यानी जो students हमेशा Top करते हैं वो पूरे साल इसी रणनीति के साथ चलते हैं.

कहने का मतलब ये है की अगर आप एक Average विद्यार्थी हैं तो आपको परीक्षा में Top करने के लिए पूरे साल ही मेहनत करनी होगी. अगर आप सोच रहे हैं Exams से 1 महिना पहले थोड़े बदलाव या पढाई करके Top किया जा सकता है तो आप गलत हैं. ऐसा नहीं हो पायेगा.

तो फिर चलिए यहाँ आपको बताते हैं की Exam यानी परीक्षा में Top करने के तरीके कौन कौन से हैं और आपको परीक्षा में सबसे ज्यादा अंक लेने के लिए क्या करना होगा. हम आपको कुछ बेहतरीन Top करने के Tips दे रहे हैं आपको इन सभी को अपने ध्यान में रखना है और इनके अनुसार चलना है.

 

School या Class में Top कैसे करें- Exams Me Top Kaise Kare

 

1.अच्छे से Plan करें: परीक्षा में Top करने के तरीके में सबसे पहली चीज़ आती है पढाई के प्रति अपनी रुचि को जागृत करना. क्योंकि आप कोई भी चीज़ यदि जबरदस्ती करेंगे तो आप उसे अच्छे से नहीं कर पाएंगे. यही बात पढाई में भी लागू होती है. आपको अपने साल की शुरुआत में ही योजना बना लेनी है की आपको पूरे साल कैसे पढाई करनी है.

जिन विषयों में आप ज्यादा कमजोर हैं उनके लिए हर रोज कुछ ज्यादा समय रखें. ताकि उस विषय को समझ पाओ और आपको उसके अभ्यास का पूरा समय मिल पाए. हर रोज अपने द्वारा बनाये गए Plan के अनुसार चलें. हमेशा अपने दिमाग में रखें की इस बार आपको School या क्लास में Top करना है.

2. स्कूल में कभी absent ना हों : क्या आप जानते हैं की Class Topper बनाने का Secret क्या होता है. वो होता है स्कूल से कम से कम छुट्टियाँ लेना. जितने भी लड़के Toppers होते हैं वो सब ऐसा ही करते हैं. क्योंकि उन्हें पता है की स्कूल का एक एक दिन बहुत ही Important होता है. छुट्टी मारते रहने से आप बहुत ही पीछे रह जाते हैं.

अगर आप सोच रहे हैं की Exams Me Top Kaise Kare तो इस बात की गाँठ बाँध लीजिये की इस साल आपको बिना बात स्कूल से कोई छुट्टी नहीं करनी है. इस चीज़ से बहुत ही ज्यादा फर्क पड़ता है. अगर आप लगातार 2 दिन भी स्कूल से छुट्टी ले लेते हैं तो उस दौरान बहुत कुछ पढ़ा दिया जाता है जिसे बाद में अच्छे से समझना बहुत मुश्किल हो जाता है.

3. हमेशा अनुशाशित रहें: विद्यार्थी जीवन में अनुशाशन का बहुत ही बड़ा महत्व है. जो Students इसकी अनदेखी करते हैं वो कभी भी Topper नहीं बन सकते. अनुशाशन का मतलब ये है की आपने पढने के लिए जो Time Table तैयार किया है आप बिना आलस के हर रोज उसके अनुसार पढाई जरूर करें.




समय के पाबन्द बनें, ऐसा नहीं की एक बार बाहर खेलने निकल गए तो सोच लिया की चलो यार आज का पढाई भी कल कर लेंगे. अगर आप ऐसा करने लगेंगे तो आपको अपना लक्ष्य पाने में बहुत कठिनाई होगी. अपने Time Table के हिसाब से आपको हर रोज पढना ही होगा, बाकी सब काम बाद में.

4. Class में दें पूरा ध्यान: ये बहुत ही महत्वपूर्ण पॉइंट है और परीक्षा में Top करने के Tips में सबसे ऊपर आता है. ध्यान रखें Topper वही बनते हैं जिनका ध्यान Class में पढ़ा रहे Teacher की बातों पर होता है. एक बार अगर आपने ये चीज़ Miss कर दी तो समझो फिर आप इसे कभी नहीं पकड़ पाएंगे. आप पीछे ही जाते जायेंगे.

इसलिए जब भी कोई Teacher कुछ पढ़ा रहा हो तो उसे पूरे ध्यान से सीखें. अगर आपको कुछ समझ नहीं आया तो बिना शर्माए आप तुरंत ही अध्यापक से उसके बारे में दुबारा पूछिए. पूछने में कोई शर्म की बात नहीं होती. उस समय अगर आप कुछ भी नहीं पूछेंगे तो आपको बाद में पछताना पड़ेगा. आपको वो चीज़ समझ ही नहीं आ पाएगी.

5. स्कूल से आने के बाद अभ्यास करें: अगर आपको परीक्षा में Top करना है तो इस चीज़ को जरूर अपनाना होगा. जी हाँ आपको स्कूल में जो भी पढाया गया उसी दिन घर आते ही उसका अभ्यास जरूर करना है. ऐसा करने से वो चीज़ आपके दिमाग में पूरी तरह से बैठ जाती है. उसके बाद वो लम्बे समय तक हमें याद रहेगी.

जो लोग इस Exams में Top करने के तरीके को अपनाते हैं वो अव्वल आने में जरूर सफल होते हैं. स्कूल में पढाई गयी किसी भी चीज़ का अभ्यास अगर उसी दिन कर लिया जाए तो वो हमारे स्मृति पटल पर छप जाती है. इसलिए पढाई के इस नियम को सदैव अपने दिमाग में रखें.

6. समय बर्बाद करना छोड़ें: अगर आप वाकई परीक्षा में बहुत ही अच्छे नम्बरों से पास होना चाहते हैं तो आपको अपने समय की कीमत को समझना होगा. अपने लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सभी फालतू कामों और चीज़ों से तौबा करनी होगी. जैसे बहुत ज्यादा टी वी देखना, बहुत देर तक खेलना, बाहर घूमना, मोबाइल गेम्स खेलना आदि.




ध्यान रहे Top करने के लिए आपको अपने प्रतिद्वंदियों को हराना है, और आपके प्रतिद्वंदी कभी भी अपना समय नष्ट नहीं करते. फिर आप कैसे अपना Time बर्बाद कर सकते हैं. आपको अपना हर एक घंटा पढाई की रणनीति और सभी Subjects के अभ्यास में लगाना है. तभी आप अपने साथ वालों को पीछे छोड़ पायेंगे.

7. पुराने Sample Exams Papers से अभ्यास करें: अगर आप सोच रहे हैं की Exams Me Top Kaise Kare तो आपको कुछ अलग करना होगा और दूसरों से हटकर सोचना होगा. आपको अपने Exams शुरू होने से पहले ही परीक्षा देने का कई बार अभ्यास करना है. इसके लिए आप पुराने Exams Papers को लेकर उन्हें Solve करने का अभ्यास करें.

बार बार ऐसा करने से आपको ना सिर्फ Exams में लिखने का तरीका मालूम चलेगा बल्कि परीक्षा को लेकर आपकी Nervousness भी दूर हो जाएगी. इसके अलावा आप अपने साथ के लड़कों से अपने लिए Question Paper तैयार करवाएं और उन्हें Solve करके अपनी तैयारी की समीक्षा करें.

8. इंटेलीजेंट स्टूडेंट्स को दोस्त बनायें : अगर आप Intelligent बनना चाहते हैं और हर तरह की परीक्षा में में अच्छे नंबर प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको अपने Friend Circle की और जरूर ध्यान देना होगा. आपको अपने लिए ऐसे दोस्त चुनने होंगे जो पढाई को लेकर सीरियस हैं और हमेशा अच्छे Marks लेते हैं.

देखिये सीधी सी बात है अगर आप बुरे लड़कों के साथ रहेंगे तो आप भी बुरी बातें ही सीखेंगे. लेकिन अगर आप पढ़ाकू लड़कों के साथ रहेंगे तो आपके बीच हमेशा पढाई लिखाई को लेकर ही बातें चलेंगी. इससे आपको ये भी पता चलेगा की वो इतने अच्छे Marks कैसे ले लेते हैं. यानी Top करने के लिए पढाई कैसे करें, आप उनसे सीखेंगे.

9. अच्छा स्वास्थ्य भी है जरूरी: ऊपर जितने भी परीक्षा में Top करने के Tips हमने आपको दिए हैं वो बेहद जरुरी हैं. लेकिन इस पॉइंट को भी हमेशा अपने दिमाग में रखना जरूरी है. अगर आप स्कूल या क्लास में Topper बनना चाहते हैं तो आपको पूरे साल स्वस्थ रहना होगा. इससे आपको कई तरह के लाभ होंगे.

जैसे एक तो अस्वस्थ होने के कारण आपको स्कूल से छुटियाँ नहीं लेनी पड़ेंगी. दूसरा जब कोई भी स्टूडेंट अस्वस्थ होता है तो उसे कुछ भी करना अच्छा नहीं लगता. ऐसे में पढाई करना कैसे अच्छा लगेगा. इसलिए इस बार आपको इस चीज़ का ख़ास ध्यान रखना है की हमें अपने आप को पूरी तरह से Healthy जरूर रखना है.

10. सबसे मुश्किल विषय की पढाई सुबह करें: अगर आप हमसे ये पूछते हैं की पढाई करने का सबसे सही समय कौनसा होता है? तो हम आपसे कहेंगे की सुबह जल्दी उठकर पढाई करने को सबसे उत्तम माना जाता है. तो आप जिस विषय में सबसे ज्यादा कमजोर हैं, उस Subject की पढाई सुबह उठकर करें.

इसके कई कारण है, जैसे सुबह के समय तनाव बहुत कम होता है. तनाव जितना कम होगा आप उतने ही बेहतर तरीके से पढ़ पाओगे और उसे याद भी रख पाओगे. दूसरा सुबह के समय वायुमंडल में शुद्ध Oxygen होती है. याद रखें आपके मस्तिष्क को जितनी ज्यादा शुद्ध ओक्सिजन मिलेगी वो उतना ही अच्छा काम करेगा.

11. अध्यापकों के साथ अच्छे सम्बन्ध बनायें: किसी भी तरह के Exams Me Top Kaise Kare सोचना किसी के लिए भी गलत नहीं है. ऐसा सोचना सबका हक़ है, चाहे वो कमजोर स्टूडेंट हो या फिर औसत. लेकिन ऐसा करने के लिए आपको अपने हर अध्यापक से अच्छे सम्बन्ध बनाकर रखने जरुरी होते हैं.

आप कभी गौर करके देखना, जितने भी Intelligent स्टूडेंट्स होते हैं वो अपने हर अध्यापक के साथ घुल – मिलकर रहते हैं. उनके साथ Extra Time बिताने के लिए भी तैयार रहते हैं. आपको भी ऐसा ही करना है. अध्यापकों से कभी भी कटें नहीं, और ना ही उनसे शर्मायें. आप उनके साथ पढाई के बारे में विचार विमर्श करते रहें.

Class में Top करने में वही लड़के कामयाब होते हैं जो अपने Teachers के सानिध्य में रहते हैं. क्योंकि ऐसे Students पर अध्यापक खुद ज्यादा ध्यान देना शुरू कर देते हैं. उन्हें लगता है की ये लड़का Top कर सकता है. खासकर उस अध्यापक से आप जरूर अच्छे सम्बन्ध बनायें जिस विषय में आप सबसे ज्यादा कमजोर हैं.

12. Exams की करें बेहतरीन तैयारी: किसी भी Class के Final Exams को हमेशा सीरियसली लें. Exams शुरू होने से 3 महीने पहले ही युद्ध स्तर पर इनकी तैयारी में जुट जाएँ. इन 3 महीनों में आपको अपने सारे काम और खेल छोड़कर सिर्फ और सिर्फ Exams की तैयारी पर ही ध्यान देना है.

हर सब्जेक्ट को समय दें. कभी भी किसी भी विषय को हलके में ना लें. Topper बनने के लिए आपको हर विषय में अच्छे नंबर लेने पड़ेंगे. इसके लिए हर विषय की बढ़िया तैयारी जरुरी है. समय रहते तैयारी शुरू कर देंगे तो Exams शुरू होने से पहले ही आपकी Tough से Tough मुश्किलें भी आसान बन चुकी होंगी.

13. लगातार अथक प्रयास: परीक्षा या Exams में Top करने के Tips में हम अंत में आपसे यही कहना चाहेंगे की किसी भी क्षेत्र में सफलता तभी मिलती है जब हमेशा अपने लक्ष्य को ध्यान में रखा जाए और उस पर लगातार कड़ी मेहनत की जाए.

आप भी पूरे साल जब हमारी इन सभी बातों को मानकर पढाई करेंगे और अनुशाशन में रहेंगे तो ये निश्चित है की आपको बेहतरीन परिणाम मिलेंगे. याद रखें किसी भी अच्छे काम को करने के लिए कभी भी देर नहीं करनी चाहिए. आप भी आज से School Top करने के अपने Mission पर लग जाइए, आप जरूर कामयाब होंगे.

14. Exams में जल्दबाजी ना करें: बहुत से बच्चे यहाँ गलती कर देते हैं. वो पूरे साल बहुत ही अच्छी तैयारी करते हैं, लेकिन जब Exams शुरू हो  हैं तो जल्दबाजी के चक्कर में गलतियाँ कर बैठते हैं. जल्दी के चक्कर में बहुत सी गलतियाँ हो जाती हैं और आपके Marks कट जाते हैं. इसलिए हमेशा अपने पूरे समय का उपयोग करें.

सबसे पहले Question Paper को अच्छे से पढ़ें. पूरी तरह से तनावमुक्त हो जाएँ और पूरा पेपर आराम से करने के बाद उसे अच्छे से Check करना ना भूलें. ताकि अगर आपसे कोई गलती हुयी है तो आप उसे ठीक कर सकें. ये छोटी मोटी बातें आपको अच्छे Marks दिलवाने में सहायता जरूर करती हैं.

कई Students तो Exams जितना नज़दीक आते जाते हैं उतना ही घबराने लगते हैं, जिसके कारण जो वो याद करना चाहते हैं वो नहीं हो पाता है. आपको ऐसा नहीं करना है और अपने आप को बिलकुल शांत रखना है. खुद को अच्छे से Exams के लिए Prepair करने में योग और मैडिटेशन भी आपकी सहायता करते हैं.

आप पढ़ रहे थे हमारी पोस्ट Exams Me Top Kaise Kare – परीक्षा में Top करने के तरीके. जितने अभी Topper बनने के Tips हमने आपको यहाँ दिए, उम्मीद है आपको जरूर पसंद आये होंगे. आप हमारी पोस्ट को Like और Share करना बिलकुल ना भूलें. हमासे जुड़ना चाहते हैं तो हमारे Facebook Page को जरूर Like कर लीजिये.

How To Grow Peas At Home From Seeds

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Peas are multi-nutritious vegetables that are like little green treasures with amazing taste. These little peas not only add flavor to your food, but they are also fun to grow peas in your garden. Imagine picking your own crisp and sweet green peas straight from your home garden! In this guide, we’ll discuss how to grow peas at home in pots, from tiny seeds to delicious pods. Whether you’re an experienced gardener or just starting, join us to enjoy growing peas from seed and planting your patch of green goodness. Let’s try the taste of homegrown peas and watch your home garden bloom with this vibrant and delicious mix!

Step-by-Step Guide To Planting, Growing, And Harvesting Peas

Planting or growing peas at home from seeds is not only rewarding but also a relatively straightforward process. Let’s explore the steps to growing peas from seeds at home.

1) Materials You Will Need to Grow Peas At Home

  • High-Quality Pea Seeds
  • Grow bags or Pots
  • Best Quality potting soil mix
  • Support structures (such as stakes or trellises)
  • Organic Fertilizers
  • Watering can or Spray Bottle
  • Gardening tools (trowel, gloves, etc.)

2) Choosing the Best Pea Varieties

There are three popular varieties of peas in India which include green peas, sugar snap peas, and snow peas. You can choose your favorite variety based on their taste and growing conditions. You can buy the best quality pea seeds with a high germination rate at an affordable price at www.aarugagro.com .

3) Peas Growing Season in India

Peas grow best in cool weather. In India, the ideal time for planting peas from seeds is during the winter months, from October to February.

4) Best-Size Grow Bags or Pots For Growing Peas

The fourth step to growing peas from seeds is to select containers at least 12 inches deep and wide for healthy root development. You can choose from these grow bags or pot sizes to grow peas at home:

12 x 12 Inch (W*H)
15 x 12 Inch (W*H)
15 x 15 Inch (W*H)

5) Choosing The Right Soil Potting Mix

 

Peas grow best in slightly acidic to neutral soils with a pH range of 6.0 to 7.0. Choose well-drained soil rich in organic matter to plant peas. Apart from this, you can also use ready-to-use potting soil mixture to grow peas in pots.

6) Planting Peas From Seeds

  • Sow pea seeds directly into the final pots instead of transplanting, spacing them about 2-4 inches apart.
  • Sow pea seeds at a depth of 1 to 1.5 inches in the soil.
  • After sowing the seeds, water them deeply and keep the pots or containers in a sunny place.

7) Germination Of Peas Seeds

  • Pea seeds will germinate within 7 to 14 days.
  • Keep the soil consistently moist until germination occurs.

8) Fertilizer For Peas Plants

  • Peas require fertilizers containing phosphorus and potassium such as Organic Rock Phosphate Fertilizer, PROM-Phosphorus Rich Organic Manure, or organic potash fertilizer.
  • Do not use a fertilizer high in nitrogen as this will encourage foliage growth instead of flowers or pods.
  • When peas start blooming, apply any liquid organic fertilizer (like tea manure) every week.

9) Care And Maintenance For Peas

 

Watering: Pea plants don’t require a lot of water, so keep the soil moist and water when the soil feels dry, especially during flowering and pod formation.

Sunlight: Peas thrive in full sunlight, so place the pots in a location where they will receive 6 hours of sunlight daily.

Growing Temperature: 10-30°C is the best-growing temperature for pea plants.

Support: As the pea plants grow, provide a supporting structure such as a trellis, poles, pipes, bamboo, rope, or wire.

Pests and Disease: Pea aphids, caterpillars, pea pod borer, and maggots are the common pests found in peas. Downy mildew, powdery mildew, and root rot fungi make foliage yellowed, stunted, and wilted. Use organic pesticides such as neem oil to avoid these insects and pests.

10) Harvesting Of Peas

  • Within 60-80 days peas will be ready to harvest.
  • Harvest peas when the pods are filled but still delicate.
  • Use sharp scissors or pinch the pods off the plant to avoid damaging the vines.

Hope you liked the post on how to grow peas at home directly in the garden or in pots. By following these steps for growing or planting peas from seed and providing proper care, you can enjoy a bumper crop of fresh, homegrown peas – perfect for adding crunchy flavor to your meals!

 

 

Top 10 Spring Blooming Flowers That Will Add Instant Color To Home Garden

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While the spring season in India brings happiness and joy everywhere, garden flowers also bloom in abundance at this time and fill our gardens with colorful flowers. So today we will tell you about some such flowers which like to bloom in spring in India. They are like wonderful garden decorations, and we have prepared spring-season flower names for you. From fancy zinnias to lovely pansies, these spring-bloom flowers are a time change for your garden. Get ready to meet these spring flowering plants that transform your garden into a happy place. Let’s start simple gardening with the top 15 spring flowers that will fill your home garden with colors!

When Do The Spring Months Come In India?

Many people do not know when spring comes in India, so let us tell you that it usually comes in February, March, and April. During this period, the weather changes from cold winter months to mild warm months. It is a joyous time when many plants and trees begin to flower, and gardens come alive with a splash of colors.

Top 10 Popular Spring Season Flowers For Your Home Garden

let’s learn about some of the popular flowers that bloom in spring or spring season flowers name in India and when to plant them.

1) Marigold: Traditional Spring Flowers In India

Marigolds are popular spring bloom flowers and are famous for their delightful yellow and orange flowers which are a classic choice for Indian gardens. Their fragrant flowers and lush foliage make them a great addition to grow bags and pots.

When to Plant: The best time to plant marigold seeds is in late winter or early spring to get colorful flowers during spring.

2) Pansy: Lovely Spring Flowering Plants

Pansies, with their charming ‘faces,’ are cool-season annuals that come in a spectrum of colors. They add a playful touch to beds, borders, or containers.

When to Plant: Late winter and early spring are the perfect times to plant pansy seeds to enjoy their delightful blooms in the spring season.

3) Petunia: Famous Spring Season Flowers Name


Petunia is one of the best flowers that bloom in spring in India and is popular for its trumpet-shaped flowers which are available in different colors. They are perfect for hanging baskets, borders, or pots.

When to Plant: Start sowing petunia seeds indoors in late winter, or plant seedlings in early spring for vibrant flowers throughout the spring.

4) Daffodil (Narcissus): Amazing Flowers That Bloom In Spring

Daffodils or Nargis is a popular spring flowering plant grown primarily from bulbs and known for its bright yellow, trumpet-shaped flowers. They bring a cheerful and classic charm to your home gardens.

When to plant: Plant daffodil bulbs in the fall (September-November), and they will reward you in the form of blooms in early spring.

5) Verbena: Excellent Spring Bloom Flowers

Verbena, with its clusters of small, vibrant flowers, is the ideal spring flower in India. It adds a vibrant and dynamic touch to hanging baskets, pots, or gardens.

When to Plant: Sow verbena seeds in winter or early spring for a vivid spring display.

6) Alyssum: Pretty Spring Flowers In India

Alyssum, with its cute appearance and sweet fragrance, is like the little sweetheart of your home garden. These tiny blooms are a burst of white, pink, purple, or yellow, looking like miniature clouds.

When to Plant: For that extra spring bloom, sow Alyssum seeds directly into your garden or pots in late winter or early spring.

7) Dianthus: Excellent Spring Flowering Plants

The next flower to bloom in spring in India is Dianthus which has flowers with ruffled petals that add beauty and color to your home garden. Dianthus, also known as Sweet William or carnation, brings a touch of romance to your garden.

When to Plant: If you want dianthus flowers to bloom in spring you will need to plant them in late winter or early spring.

8) Snapdragon: Ideal Flowers That Bloom In Spring

The Snapdragon is a vibrant flower that adds excitement to your spring garden. Like its name, it looks like a dragon, which also adds a touch of color to your outdoor space.

When to plant: The best time to plant snapdragon seeds is in late winter or early spring.

9) Sweet Pea: Popular Spring Flowers In India

Sweet Pea is a delicate and fragrant spring-blooming plant that brings an aura of beauty to your home garden. With its unique fragrance and light-colored petals, Sweet Pea is a timeless favorite.

When To Plant: The best time to sow Sweet William seeds is in late winter or early spring.

10) Daisy: Best Spring Season Flowers Name

Daisies are known for their beautiful daisy-like flowers that come in a variety of colors. These beauties are not only attractive but also incredibly resilient, thriving in full sun and well-drained soil.

When to plant: To get flowers in spring, plant daisy seeds or young plants in late winter or early spring.

Thanks for reading this article where I discussed the top 10 spring season flower names and their planting time. Hope you now understand about flowers that bloom in spring in India and now you are ready to get into gardening with spring blooming flowers.

How To Grow Strawberries At Home: A Comprehensive Guide

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Imagine having a bunch of sweet and juicy red strawberries from your home garden or pots-it’s like having a little piece of nature’s candy right at home! Growing or planting strawberries in pots or on the ground is not complicated; It’s like taking tiny seeds and turning them into delicious berries. We’ll show you different ways to grow strawberries, from how to grow strawberries from seed at home to planting them from runners, planting strawberries in pots, taking good care of them, and even growing more plants from the ones you already have. It’s like planting a little strawberry paradise in your home garden. So, let’s enjoy growing your strawberries – easy, exciting, and delicious!

Step-by-Step Guide on How to Grow Strawberries At Home

In this guide on how to grow strawberries at home, we’ll discuss every method of planting strawberries from seed, runners, in pots, to growing strawberries indoors. Let’s begin the journey of planting strawberries.

1) Choose the Correct Type of Strawberries

Selecting the right type of strawberries is important for a successful harvest. There are Four main types:

Alpine Strawberry: This is the most popular variety that produces small, sweet fruits and plants become very clustered. These strawberries grow primarily from seed and can tolerate partial shade.

June-fruiting: These varieties bear fruit once in late spring to early summer.

Evergreen: Whereas, evergreen varieties have two fruiting periods – one in spring and one in fall.

Day-neutral: Day-neutral strawberries produce fruit throughout the growing season.

2) Strawberry Growing Season in India

If you are planning to grow and take care of strawberry plants, it is important to know the best season for their growth. In India, it’s recommended to grow strawberries during the winter season, which starts in late September and lasts till February. This is considered the best time to plant strawberries as it helps in proper fruit development.

 

3) Pick Up the Right Pot or Grow Bag Size

Planting strawberries in pots or grow bags is a fantastic option. Choose containers with good drainage, and ensure they are at least 7-12 inches deep to accommodate the shallow root system of strawberries. You can choose any of these size grow bags or pots as per your planting needs.

  • 7-inch pot (W*H)
  • 8-inch pot (W*H)
  • 9 x 9 inch (W*H)
  • 9 x 12 Inch (W*H)
  • 12 x 12 inch (W*H)

4) Choose the Best Soil For Planting Strawberry

Strawberries thrive in well-draining soil that is full of organic matter. Make sure the soil has a slightly acidic to neutral pH (between 5.5 and 7). You can also use ready-to-use potting soil mix for container gardening.

5) Pick a Place To Grow Strawberries At Home

Decide whether you want to grow strawberries outdoors in the garden or indoors in pots. Outdoor planting requires full sunlight, while indoor plants need at least 6-8 hours of sunlight.

6) Growing Strawberries From Seed

Starting Indoors: Start sowing strawberry seeds in seedling trays or small pots. Use seed-starting mix and sow seeds 1/8 inch deep. Or spread them over it.

Light and Temperature: Provide adequate light, either natural sunlight or artificial lights, and maintain a temperature between 18°C to 25°C for seed germination.

Germination: Strawberry seeds do not germinate quickly and can take anywhere from 14 to 40 days to germinate. It is important to note that not all seeds will germinate at the same time, so it is important to be patient.

Transplanting: After germination of strawberry seeds, when seedlings are 4-6 inches in height at that time transplant them into individual pots and plant only 1-2 saplings per pot.

7) Growing Strawberries From Runners

Identifying Runners: If you already have a mature strawberry plant, you may notice runners emerging from it. Runners are long stems that produce smaller plants at the end.

Preparation: To grow or plant new strawberries from runners, you can place a pot filled with soil next to your mature strawberry plant. Insert the end of the runner into the pot and wait for about 6 weeks. During this time, the runner will grow and develop roots.

Separation: Once the runner has developed roots, separating it from the parent plant is time. This should be done carefully to avoid damaging either the parent or the new plant.

Transplanting: Once separated, you can transplant the new plant by planting it directly into the soil or a new pot filled with well-drained soil.

Care: Newly transplanted strawberry runners need regular watering until they establish themselves in their new environment.

8) Growing Strawberries From Seedlings and Potted Plants

Purchase Healthy Seedlings: Buy healthy strawberry seedlings or young plants from a reputable nursery or garden center.

Selecting Containers: If using potted plants, choose containers or grow bags with good drainage.

Transplanting: Plant the seedlings or potted plants in the home garden, raised beds, or grow bags. Ensure the crown is above the soil surface.

9) Care For Strawberry Plants

  • Light: Strawberries require full sunlight for good fruit production. Make sure the plant receives 6-8 hours of sunlight daily.
  • Water: Watering is very important after planting strawberries. After that, when the 1-inch soil above the pot looks dry, then water it again. Keep the soil moist but not waterlogged.
  • Fertilizer: Add top dressing compost to the strawberry plant every spring. Alternatively, you can fertilize your strawberry plants with organic compost such as cow dung manure, vermicompost, or bone meal fertilizer. It’s best to do this during the growing season or before the plant starts flowering for optimal results.
  • Pests and Problems: Check your plants regularly for pests like aphids and slugs. If necessary, apply organic insecticide neem oil. Keep an eye out for symptoms of diseases like powdery mildew and detect them immediately.
  • Pruning: To encourage healthy growth and better fruit production, remove runners and dead leaves regularly.
  • Mulching: To avoid weeds, soil pollution, and other ill effects, mulching should be done around the strawberry plant for a good harvest. Mulching is necessary after strawberry plants have finished flowering or you can mulch your strawberry plants during winter to protect them from cold weather.

10) Strawberries Harvesting Time

Strawberries are typically start bearing fruit within 4 to 5 months after being transplanted. The flowers on most strawberry plants produce fruits three times throughout the spring, summer, and fall seasons. To ensure the best flavor, it’s recommended that you wait until the strawberries are completely red and plump. Regularly harvesting strawberries is also important if you want your plants to produce more fruit.

Hope you liked the information in which I have discussed how to grow strawberries from seeds at home, or planting from runners. We have described a complete guide to planting strawberries in pots or indoors with plant care tips. Share the post with your family and friends and share your opinion about the article.

How To Grow Mushroom In India

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Mushroom In India: Mushroom cultivation has gained significant traction in India due to its potential for high yields and economic returns. With suitable climatic conditions and proper techniques, growing mushrooms can be a lucrative venture for farmers. This guide presents an overview of the process, highlighting essential steps for successful mushroom cultivation in India.

Selecting Suitable Mushroom Varieties

Different varieties of mushrooms thrive in varying conditions. In India, commonly cultivated species include oyster, button, and paddy straw mushrooms. Assessing factors like climate, availability of resources, and market demand aids in selecting the most suitable variety for cultivation.

Preparation of Substrate Materials

Substrates serve as the growth medium for mushrooms. Common substrates include agricultural waste like paddy straw, wheat straw, or even sawdust. These materials require sterilization or pasteurization to eliminate contaminants before introducing mushroom spawn.

Inoculation with Spawn

After preparing the substrate, inoculation with mushroom spawn follows. Spawn, which is essentially the fungal culture, is introduced into the substrate. This step initiates the growth of mycelium, the vegetative part of the fungus, throughout the substrate material.

Incubation Period

The inoculated substrate needs a conducive environment to allow mycelium to colonize. This stage, termed the incubation period, requires specific temperature and humidity levels, typically ranging between 20°C to 30°C. Adequate ventilation and controlled conditions are crucial for successful mycelial growth.

Casing and Pinning

In certain mushroom varieties like button mushrooms, casing—adding a layer of peat moss or soil—is essential to stimulate fruiting. Following casing, pinheads or primordia start appearing. This stage marks the initiation of mushroom formation.

Maintaining Optimal Growing Conditions

Once pinning occurs, maintaining consistent environmental conditions becomes critical. Factors such as humidity, temperature, light exposure, and air circulation play pivotal roles in determining the yield and quality of mushrooms.

Harvesting and Post-Harvest Handling

Harvesting typically begins when the mushrooms reach the desired size but before they release spores. Careful handpicking ensures minimal damage to the mushrooms. Post-harvest handling involves proper packaging and storage to maintain freshness and quality.

Challenges and Considerations

Despite the potential for profitable cultivation, mushroom farming in India faces challenges such as disease management, maintaining sterile conditions, and market fluctuations. Continuous learning and adopting best practices aid in overcoming these hurdles.

Conclusion

Mushroom cultivation presents a promising opportunity for agricultural diversification and income generation in India. With proper knowledge, suitable varieties, and adherence to best practices, farmers can successfully cultivate mushrooms, contributing to the country’s agricultural growth while reaping economic benefits.

By understanding the nuances of mushroom cultivation and implementing effective techniques, individuals can harness the potential of this thriving industry in India.

Remember, patience and attention to detail are key in mastering the art of mushroom cultivation, promising both agricultural and economic prosperity in the long run.