Sunday, December 22, 2024
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क्या 15 सेमी की दूरी पर धान की रोपाई करने से पानी की होती है बचत, कृषि विभाग ने शुरू किया अभियान

पंजाब में तेजी से गिरत भूजल स्तर पर ब्रेक लगाने को लेकर पंजाब सरकार सतर्क हो गई है. वह प्रदेश में डीएसआर तकनीक से धान की सीधी बुवाई करने के लिए किसानों को प्रेरित कर रही है. साथ ही सरकार धान की सीधी वुवाई करने वाले किसानों को 1500 रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि भी दे रही है. लेकिन इसके अलावा वह भूजल को बचाने के लिए दूसरे विकल्पों पर भी ध्यान दे रही है. कृषि विभाग ने किसानों को धान के लिए 20 सेमी पंक्ति-से-पंक्ति और 15 सेमी पौधे-से-पौधे की अनुशंसित दूरी का पालन करने के लिए एक अभियान शुरू किया है. इस अभियान के तहत प्रति वर्ग मीटर में 33 पौधों की रोपाई करने की अनुमति है. खास बात यह है कि इससे भूजल के उपयोग कम करने में मदद मिलती है.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब में कपास के तहत क्षेत्र लगातार घट रहा है, इस बार राज्य में धान की खेती अब तक के सबसे अधिक क्षेत्र में होने की संभावना है. भूजल के घटते स्तर की चिंताओं के बीच यह राज्य के लिए एक चिंताजनक प्रवृत्ति है, राज्य के आठ जिलों में कपास की खेती की जाती है, जिनमें से बठिंडा, मानसा, फाजिल्का और मुक्तसर सबसे बड़े हिस्से हैं. पिछले साल, कपास के तहत कुल क्षेत्रफल घटकर 1.73 लाख हेक्टेयर रह गया – जो 2022 में 2.48 लाख हेक्टेयर से कम है.जबकि राज्य का लक्ष्य 3 लाख हेक्टेयर है.

50 फीसदी से अधिक क्षेत्र में कपास की खेती

एक कृषि अधिकारी ने कहा कि धान की उचित रोपाई वाष्पीकरण के कारण होने वाले पानी के नुकसान को कम करती है और बेहतर उपज भी देती है. प्रवासी मजदूरों में आमतौर पर जल्दबाजी में बड़े अंतराल पर पौधे रोपने की प्रवृत्ति होती है और इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है. हाल ही में हुई दो बारिशों के बीच अब तक 50 फीसदी से अधिक क्षेत्र में कपास की खेती की जा चुकी है. पंजाब सरकार ने दावा किया है कि चालू धान के मौसम में अधिक किसान डीएसआर पद्धति को अपना रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप पिछले साल की तुलना में पानी बचाने वाली तकनीक का उपयोग करने वाले क्षेत्र में 15 फीसदी की वृद्धि हुई है.

2 लाख एकड़ में धान की सीधी बुवाई

अधिकारी ने कहा कि इस साल डीएसआर तकनीक का उपयोग करके पहले ही 2 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्र में बुवाई की जा चुकी है, जो पिछले साल पूरे खरीफ सीजन में 1.72 लाख एकड़ थी. हालांकि, राज्य डीएसआर का उपयोग करके 7 लाख हेक्टेयर खेती करने के अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर सकता है.

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