Tuesday, December 24, 2024
Homeकृषि समाचारकिसानों से मार्केट रेट पर चना खरीदेगी सरकार, इन 3 राज्यों में...

किसानों से मार्केट रेट पर चना खरीदेगी सरकार, इन 3 राज्यों में 6000 रुपये तक मिलेगा भाव

बाजार में चने का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी कि MSP से अधिक चल रहा है. इसे देखते हुए सरकार ने अपनी एजेंसियों- नेफेड और नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी कि NCCf से कहा है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र के किसानों से चना खरीद की जाए. इन तीनों राज्यों के किसानों से नेफेड और एनसीसीएफ चना की खरीद करेंगे. इन राज्यों में किसानों से मिनिमम एस्योर्ड प्रोक्योरमेंट प्राइस (MAPP) पर चने की खरीद की जाएगी. इन राज्यों में चना का एमएपीपी 5900 रुपये से 6035 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि मौजूदा सीजन में चने की एमएसपी 5440 रुपये चल रहा है.

सूत्रों ने ‘फाइनेंशियल एक्सप्रेस’ को बताया कि सरकार किसानों से प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड के तहत चना खरीद करेगी. अगले हफ्ते यह खरीद शुरू हो सकती है. ऊपर बताए गए तीन राज्यों में एमएपीपी को 5900 रुपये से 6035 रुपये प्रति क्विंटल तक निर्धारित किया गया है. किसान इस बढ़े हुए रेट पर नेफेड या एनसीसीएफ को अपना चना बेच सकते हैं. इससे उन किसानों को राहत मिलेगी जो अच्छे भाव की तलाश में हैं और जिन्हें एमएसपी से नाराजगी है. किसान चने के भाव में गिरावट को लेकर नाराज हैं और उनका कहना है कि खुले बाजार में चना महंगा बिक रहा है जबकि एमएसपी कम है. सरकार किसानों की इस चिंता को दूर करने की कोशिश में है.

सरकार का क्या है प्लान?

प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड के जरिये सरकार कृषि और बागवानी उत्पादों की कीमतों को लेकर हस्तक्षेप करती है. इससे ग्राहकों के साथ-साथ किसानों को भी फायदा होता है. जब सरकार किसानों से सीधा खरीद करती है तो उससे किसानों की कमाई बढ़ती है. इस काम में बिचौलियों की कोई भूमिका नहीं होती, इसलिए किसानों को अच्छे रेट मिल जाते हैं. दूसरी ओर, सरकार कृषि उत्पादों की खरीद कर अपने स्तर पर खुले बाजार में बिक्री करती है जिससे सप्लाई बढ़ती है. इससे महंगाई कम करने में मदद मिलती है. आम आदमी को कुछ सस्ते में खरीद का लाभ मिल जाता है.

चने की मंडी कीमतें वर्तमान में 5,800/क्विंटल से 6,000/क्विंटल के आसपास चल रही हैं. व्यापार सूत्रों ने कहा कि चालू मार्केटिंग सीजन (अप्रैल-जून) में नेफेड द्वारा दस लाख टन (एमटी) के लक्ष्य के मुकाबले केवल 40,000 टन चना खरीदा गया है. नेफेड ने 2023-24 और 2022-23 सीज़न में प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड के तहत क्रमशः 2.3 मीट्रिक टन और 2.6 मीट्रिक टन चना खरीदा था, जिससे बफर स्टॉक को बढ़ावा मिला था.

चने की पैदावार में गिरावट

चने की पैदावार में कमी के कारण आपूर्ति और मांग का संतुलन गड़बड़ हुआ है. इससे मंडियों में चने की कीमतों में काफी वृद्धि हुई है. कृषि मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, 2023-24 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में चना उत्पादन 12.16 मीट्रिक टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ा कम है. हालांकि व्यापार सूत्रों का अनुमान है कि प्रमुख दालों का उत्पादन आधिकारिक अनुमान से काफी कम है. सरकार ने पिछले सप्ताह देसी चने पर आयात शुल्क हटा दिया, जबकि पीली मटर पर आयात शुल्क छूट को अक्टूबर तक बढ़ा दिया, जिसका उद्देश्य चने की कीमतों में बढ़ोतरी को रोकना है.

 

 

Bhumika

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments