किसान भाइयों की सुविधा के लिए हम हर माह, महीने के हिसाब से फसलों की बुवाई की जानकारी देते हैं। जिससे आप सही समय पर फसल की बुवाई कर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सके। इसी क्रम में आज हम मार्च माह में बोई जाने वाली फसलों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। इसी के साथ उनकी अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों से भी आपको अवगत करा रहे हैं ताकि आप अपने क्षेत्र के अनुकूल रहने वाली उन्नत किस्मों का चयन करके उत्पादन को बढ़ा सके। आशा करते हैं हमारे द्वारा दी जा रही ये जानकारी किसान भाइयों के लिए फायदेमंद साबित होगी। तो आइए जानते हैं मार्च माह में बोई जाने वाली फसलों के बारे में।
अरहर
सिंचित अवस्था में अरहर की टी-21, यूपीएएस 120 किस्में मार्च में लगाई जा सकती हैं। इसके लिए अच्छे जल निकाल वाली दोमट से हल्की दोमट मिट्टी में दोहरी जुताई करके खरपतवार निकाल लें तथा 1/3 बोरा यूरिया व 2 बोरे सिंगल सुपर फास्फेट डालकर सुहागा लगा दें। अरहर का 7-6 कि.ग्रा.स्वस्थ्य बीज लेकर राइजोवियम जैव खाद से उपचारित करके 16 इंच दूर लाइनों में बोयें। अरहर की 2 लाइनों के बीच यदि बैसाखी मूग लगाना है तो दूरी 20 इंच कर लें। बीजाई के 27 और 47 दिन बाद खरपतवारों की रोकथाम हेतु निराई-गुड़ाई करें। आवश्यतानुसार हल्की सिंचाई कर सकते हैं।
आलू
पहाड़ी क्षेत्रों में आलू लगाने के लिए झुलसा रोग-रोधक कुफरी ज्योति किस्म उपयुक्त है। अच्छे जल निकाल वाली दोमट मिट्टी में बीजाई के समय 1 लीटर क्लोरपाइरीफास 27 ईसी को 10 कि.ग्रा. रेत में मिलाकर डालने से दीमक से सुरक्षा रहती हैं । आलू के 10-12 किवंटल मध्यम आकार के 2-3 आंख वाले टुकड़ों को 0.27 प्रतिशत एमीसान 6 के घोल में 6 घंटों तक डुबोएं। बीजाई के समय काफी नमी होनी चाहिए।
वहीं खेत तैयार करते समय 10 टन कम्पोस्ट, 1 बोरा यूरिया, 2 बोरे डी ए पी तथा 1 बोरा पोटशियम सल्फेट 10 इंच दूर कूड़ों में डालकर मिट्टी से ढक दें फिर उपर बीज आलू के टुकडे 8 इंच की दूरी रखकर मिट्टी से ढक दें। खरपतवार नियंत्रण के लिए बीजाई के 48 घंटों के अन्दर 700 ग्राम आइसोप्रोटोन 77 घुलनशील पाउडर 300 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ें। बारानी क्षेत्रों में नमी बनाएं रखने के लिए खेत पर सूखी घास बिछा दें।
अदरक
मार्च माह में अदरक के 7 कि.ग्रा. स्वस्थ कंदों को 18 ईंच लाइनों में तथा 12 इंच पौधों में दूरी रखकर लगाएं। खेत तैयारी पर 10 टन कम्पोस्ट, एक बोरा यूरिया, एक बोरा डी ए पी तथा एक बोरा पोटाशियम सल्फेट डालें। दो महिने बाद एक बोरा यूरिया गुडाई के समय दें।
मशरूम
मशरूम उगाने के लिए हल्के भीगे साफ गेहूं के भूसे या धान के पुआल में खुम्भ के बीज डालने से 3-4 सप्ताह बाद खुम्भ तोडऩे लायक हो जाते हैं। मशरूम उगाना बहुत आसान है तथा काफी आमदनी देती हैं। हमने मशरूम उत्पादन की तकनीक के बारें में पूरी जानकारी अलग से पिछले लेख में दी हुई हैं। आप इसके लिए हमारी पोस्ट मशरूम की खेती पढ़े।
बसंतकालीन गन्ना
बसंतकालीन गन्ना मार्च अंत तक बोया जा सकता है। गन्ने में शुरू में बढ़ोत्तरी धीमी होती है इसका लाभ उठाते हुए 2 लाइनों के बीच एक लाइन अल्प अवधि वाली वैशाखी मूंग, उर्द, लोबिया, मिंडी इत्यादि की मिश्रित फसल लगा सकते हैं, जिनके लिए अतिरिक्त खाद डालनी पड़ेगी। इससे अतिरिक्त फसल तो मिलती ही है तथा गन्ने में खरपतवार नियंत्रण भी रहता है।
आंवला
आंवले के लिए कांचन, कृष्णा, नरेन्द्र आंवला-6, नरेन्द्र आंवला-7, नरेन्द्र आंवला-10 यह किस्में लगाई जा सकती है। बीज को बोने से 12 घंटे पहले पानी में भिगो देना चाहिए। जो बीज पानी में तैरने लगे उन बीजों को फेंक देना चाहिए।
चारा वाली 4 फसलें
ज्वार : ज्वार हरे चारे की लोकप्रिय फसल है जो पोषक तत्वों से परिपूर्ण, पौष्टिक और स्वादिष्ट पशुचारा है। पशुओं को हरा ज्वार या सूखा ज्वार करबी के रूप में खिलाया जाता है। ज्वार की उजे एस 20, एच सी 136, एच एसी 171, एच सी 260, एच सी 308 किस्में 150-200 क्विंटल हरा चारा देती हैं । इनके 17 कि.ग्रा. बीज को 10 इंच दूर लाइनों में लगाएं।
बाजरा : बाजरे का दाना व कड़बी पशु चारे में काम आती है। बाजरा की कोई भी किस्म के 3-4 कि.ग्रा. बीज को 12 इंच दूर लाइनों में बोयें इससे 70-77 दिन बाद 160 क्विंटल हरा चारा प्राप्त हो जाता हैं । दोनों फसलों में बीजाई के समय 1 बोरा यूरिया डालें तथा 1 महीने बाद आधा बोरा यूरिया और डाल दें। रेतीली मिट्टी में 1 बोरा सिंगल सुपर फासफेट भी बीजाई पर डालें।
लोबिया : लोबिया तेजी से बढऩे वाला दलहनी चारा है। इसे जायद और खरीफ सीजन में उगाया जाता है। लोबिया की एफओएस 1, न. 10, एच एफ सी 42-1, सी एस 88 किस्में 100-170 क्विंटल हरा चारा 2 महिनों में देती हैं । इनका 16-20 कि.ग्रा. बीज को राइजोवियम जैव खाद से उपचारित करने के बाद 12 इंच दूर लाइनों बोयें। बीजाई पर आधा बोरा यूरिया तथा 3 बोरे सिंगल सुपर फासफेट डालें ।
हाथी घास : हाथी घास पशुओं के लिए एक पौष्टिक चारा है। यह बहुत तेजी से बढ़ता है और इसकी लंबाई ज्यादा होने के कारण इसे हाथी घास कहा जाता है। संकर हाथी घास की नेपियर बाजरा संकर -21 किस्म सारा साल हरा चारा देती हैं । इसें जड़ों या तनों के टुकुडों द्वारा उगाया जाता हैं । 20 इंच लम्बे 2-3 गाठों वाले 11000 टुकड़े प्रति एकड़ लगते हैं। आधा टुकड़ा जमीन में तथा आधा हवा में रखकर 30 इंच लाइनों में तथा 24 ईंच पौधे में दूरी रखें। रोपाई से पहले खेते में 20 गाड़ी सड़े-गले गोबर की खाद दें। हर कटाई के बाद 1 बोरा यूरिया डालें। गर्मियों में 10-17 दिन के अन्तर पर सिंचाई करते रहें।