Tuesday, December 24, 2024
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प्लास्टिक से बढ़ा सकते हैं मछलियों का साइज, पहाड़ी इलाकों में काम आती है ये खास तकनीक

देश के पहाड़ी क्षेत्रों में मछली पालन करना थोड़ा मुश्किल है. इसलिए वहां मछली पालन करने के लिए गर्मी के दिनों में ही तालाब को तैयार करना बेहतर होता है. साथ ही वहां विदेशी कार्प प्रजाति की मछलियों को पाला जाता है.

देश में कई राज्यों के किसान अब खेती के साथ-साथ बड़े स्तर पर मछली पालन की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं. इससे किसानों की अच्छी कमाई हो रही है. साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से भी मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सब्सिडी मुहैया कराई जाती रही है. लेकिन कई बार किसानों के पास मछली पालन से जुड़ी जरूरी जानकारी नहीं होने से वह सही तरीके से मछली पालन नहीं कर पाते हैं और नुकसान हो जाता है.

नुकसान से बचने के लिए यह जानना जरूरी है कि मछली पालन में कौन-कौन से तकनीक को अपनाने से फायदे हो सकते हैं. ऐसे में आज आपको बताएंगे कि कैसे प्लास्टिक के इस्तेमाल से मछली की साइज को बढ़ा सकते हैं. वहीं इस खास तकनीक का इस्तेमाल पहाड़ी इलाकों में किया जाता है.

प्लास्टिक है खास तकनीक

देश के पहाड़ी क्षेत्रों में मछली पालन करना थोड़ा मुश्किल है. इसलिए वहां मछली पालन करने के लिए गर्मी के दिनों में ही तालाब को तैयार करना बेहतर होता है. साथ ही वहां विदेशी कार्प प्रजाति की मछलियों को पाला जाता है. वहां तालाबों में किसान प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं. मछली पालन में प्लास्टिक का इस्तेमाल करने से मछलियों की साइज बढ़ने लगता है. दरअसल पॉलीथीन के उपयोग से पानी का तापमान 2 से 6 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है, जो मछलियों को बढ़ने में मदद करता है. इसलिए पहाड़ों में किसान प्लास्टिक का उपयोग मछली पालन में अधिक करते हैं. इससे पानी का तापमान बनाए रखने में भी मदद मिलती है.

कैसे तैयार करते हैं तालाब

पहाड़ी राज्यों में मछली पालन के लिए 100 से 200 वर्ग मीटर का तालाब बेहतर माना जाता है. वहीं तालाब बनाने से पहले मिट्टी और पानी की गुणवत्ता की जांच करना आवश्यक होता है. ऐसे में चिकनी दोमट मिट्टी पानी को कम सोखने के लिए उत्तम मानी जाती है. वहीं तालाब को बनाते समय पॉलीथिन बिछाना चाहिए. ऐसा करने से मछली पालन में अधिक उत्पादन होता है.

इन मछलियों का करें पालन

जो मछली पालक इस तकनीक से मछली पालन करना चाहते हैं, वे मछली पालन से पहले तालाब तैयार होने के बाद उसमें चूने और गोबर का लेप करें. इसके दो सप्ताह के बाद विदेशी कार्प मछलियों को तालाब में डालें, इसमें सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प और कॉमन कार्प किस्म की मछलियां शामिल हैं. इन मछलियों का पालन करने से अधिक उत्पादन होती है.

Bhumika

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