बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जो बहुत कम पूंजी और कम जगह में आसानी से किया जा सकता है. बकरी एक छोटा पशु है जिसे बहुत आसानी से पाला जा सकता है. सीमांत और भूमिहीन किसान इसे दूध और मांस के लिए पालते हैं. इसके अलावा बकरी की खाल, बाल और रेशों का भी व्यावसायिक महत्व है. इतना ही नहीं बकरी के दूध, मांस, बाल और छाल की कीमत भी बहुत अधिक है. बकरियां प्रतिकूल कठोर वातावरण में कम उर्वरता वाली भूमि पर उपलब्ध झाड़ियों और पेड़ों को खाकर लंबे समय तक जीवित रह सकती हैं. जहाँ कोई अन्य फसल नहीं उगाई जा सकती उन जगहों पर बकरियों को आसानी से पाला जा सकता है.
आपको बता दें बकरियों के दूध का इस्तेमाल औषधि के लिए किया जाता है. कई बीमारियों में दावा के तरह बकरी के दूध का इस्तेमाल होता है. जिस वजह से बकरी के दूध की कीमत गाय के गाय दूध से भी ज्यादा है. इसी कड़ी में आइए जानते हैं बकरियों को कैसा चारा पसंद है और किस चारे को बकरियां नहीं खाती हैं.
बकरियों के लिए सही चारा
- ग्रामीण क्षेत्रों में बकरियों को केवल चरने के माध्यम से ही भोजन उपलब्ध कराया जा सकता है.
- बकरियां इधर-उधर घूमना और अपने पिछले पैरों पर खड़े होकर झाड़ियों और छोटे पेड़ों की पत्तियां खाना पसंद करती हैं.
- अपने ऊपरी होठों की सहायता से बकरियां छोटी-छोटी घासें और झाड़ियां खा सकती हैं जिन्हें अन्य पशु नहीं खा पाते.
- बकरी विभिन्न प्रकार के चारे को ग्रहण करती है, लेकिन वह स्वयं या अन्य पशुओं द्वारा गंदा किया गया चारा नहीं खाती.
- बकरी अपना 70 प्रतिशत समय चरागाह में पत्तियां और झाड़ियां खाते हुए बिताती है.
- बकरियां आमतौर पर चारे के रूप में फलीदार फसलें पसंद करती हैं, जबकि उन्हें ज्वार, मक्का और भूसा कम पसंद है.
- सभी प्रकार के चारे को बकरियों को देने से पहले बंडलों में लटका देना चाहिए. इसे ऊंचे मंच पर रखना चाहिए और जहां तक संभव हो, उन्हें धूप में रखी पत्तियां देनी चाहिए.
- बकरी को नीम, बेर, रसभरी, आम, जामुन, इमली, पीपल, कटहल, बबूल, महुआ आदि पेड़ों की पत्तियां बहुत पसंद होती हैं.
- बकरियों को हरी गोभी और फूलगोभी के पत्ते भी बहुत पसंद होते हैं.
- हरे चारे की अनुपस्थिति में, उत्पादन बनाए रखने के लिए पूरक आहार दिया जाना चाहिए.
- बकरियों को प्रजनन काल, गर्भावस्था के अंतिम महीने में तथा दूध देने वाली बकरियों को पूरक आहार दिया जाना चाहिए.
बकरियों की प्रमुख नस्लें
भारत में बकरियों की कई नस्लें हैं जिन्हें लोग दूध उत्पादन, मांस उत्पादन और अन्य उत्पादों के लिए पालते हैं. बकरियों की मुख्य नस्लें इस प्रकार हैं. जमनापारी, बीटल, तेलीचेरी, बरबरी, सिरोही, ओसामाबादी, कन्नी पीच, कोडी पीच, ब्लैक बंगाल, चैगू, जलवाड़ा आदि हमारे देश में बकरियों की मुख्य नस्लें हैं, जिन्हें पालकर किसान और पशुपालक अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.