Gir Cow business: यूपी में गिर गाय का पालन धीरे-धीरे बढ़ गया है. इसका कारण है इससे मिलने वाली दूध, गोबर और मूत्र. ये तीनों काफी उपयोगी हैं. किसानों के लिए गिर गाय आय का बड़ा जरिया बन सकती है. सहारनपुर के पशु चिकित्सा कल्याण अधिकारी डॉ. संदीप मिश्रा ने किसान तक से बातचीत में बताया उत्तर प्रदेश में पशुपालक गिर गाय को पाल रहे है. इसके दूध में ए2 तत्व पाए जाते है जो स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है. इस नस्ल की गाय गुजरात में पाई जाती है. पशु चिकित्सा अधिकारी ने आगे बताया कि गिर गाय की दूध देने की अवधि करीब 300 दिन की होती है. इस तरह से एक सीजन में यह 2000 लीटर से अधिक ही दूध देती है. शुरुआती दिनों में यह 7-8 लीटर तक दूध देती है जबकि पीक टाइम पर 12 से 15 लीटर तक हो जाता है. इसकी डेयरी से किसान अपनी इनकम में इजाफा कर सकते हैं. गिर गाय का जीवनकाल 12 से 15 साल का होता है. इस दौरान यह 10 से 12 बच्चों (बछड़ों) को जन्म देती है.
गिर गाय के दूध में कई पोषक तत्व
डॉ. मिश्रा बताते हैं कि गिर गाय, एक देसी नस्ल की गाय है, यह गाय अपने पोषण से भरपूर दूध के लिए प्रसिद्ध है, यह दूध प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ए, बी12, और डी जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं जैसे कि हृदय स्वास्थ्य, पाचन तंत्र के लिए अच्छा, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना, हड्डियों और दांतों के लिए अच्छा, त्वचा बाल, मधुमेह के लिए फायदेमंद,है. इसके अतिरिक्त, यह दूध बच्चों, बुजुर्गों, और गर्भवती महिलाओं के लिए भी फायदेमंद है.
गिर गाय कम पड़ती हैं बीमार
उन्होंने बताया कि इस नस्ल का मूल स्थान गुजरात के दक्षिण काठियावाड़ में है. गिर नस्ल की गाय को आसानी से पहचाना जा सकता है. इसके शरीर पर गहरे लाल या चॉकलेटी रंग के धब्बे होते हैं जो इसकी पहचान हैं. ये आकार में अन्य देसी गायों की तुलना में बड़ी होती हैं. इसके कान लंबे होते हैं. माथे में एक उभार होता है. वहीं, सींग पीछे की तरफ मुड़े होते हैं. इसका आकार मध्यम से लेकर बड़ा होता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता सही होने के कारण यह गाय कम बीमार पड़ती हैं.
देसी गिर गाय के पालन पर मिलेगी सब्सिडी
सहारनपुर के पशु चिकित्सा कल्याण अधिकारी डॉ. संदीप मिश्रा ने बताया कि यूपी सरकार ने प्रदेश में गौवंशीय पशुओं की नस्ल सुधार और दूध उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए नन्द बाबा मिशन के तहत नंदिनी कृषक समृद्धि योजना की शुरूआत की है. इस योजना से किसान साहीवाल, गिर, थारपारकर और गंगातीरी प्रजाति की गायों का पालन कर सकते हैं. इस योजना के तहत लाभार्थी किसानों को 25 दुधारू गायों की 35 यूनिट स्थापित करने के लिए गायों की खरीद से लेकर उनके संरक्षण और भरण पोषण के लिए सब्सिडी दी जाएगी. अगर आप भी किसान हैं तो आप आसानी से अपने घर में इस गाय को पालकर अच्छी-खासी कमाई कर सकते हैं.