लालडिंगलियाना मिजोरम के किसान हैं जिन्होंने खेती को छोड़कर अपनी आय को बढ़ाने के लिए मछली पालन को अपनाया है. दरअसल मछली के स्वास्थ्य लाभ और उचित बाजार मूल्य और मांग को देखते हुए उन्होंने मछली पालन की ओर रुख किया.
व्यावसायिक स्तर पर मछली पालन से खूब मुनाफा कमाया जा सकता है. मछली पालन वैसे तो विश्व भर में बहुत पहले से की जाती रही है. लेकिन भारत में इसका व्यावसायिक पालन काफी तेजी से फैल रहा है. इसमें कई राज्यों के किसान मछली पालन करके बेहतर कमाई कर रहे हैं. इसमें उन्हें लागत के अनुरूप अच्छा मुनाफा भी हो रहा है. ऐसे ही एक किसान हैं जो मछली पालन को शौक बनाकर आज सालाना 7 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. इस किसान का नाम है लालडिंगलियाना.
मिजोरम के चम्फाई जिले के कहरवत गांव के रहने वाले लालडिंगलियाना मछली पालन करते हैं. साथ ही वह अपने ग्राम परिषद के सदस्य भी हैं. मछली पालन शुरू करने से पहले वह खेती-किसानी भी करते थे, जिसमें उन्हें अधिक लागत और कम मुनाफा होता था.
19 तालाबों में करते हैं मछली पालन
लालडिंगलियाना ने खेती को छोड़कर अपनी आय को बढ़ाने के लिए मछली पालन को अपनाया. दरअसल मछली के स्वास्थ्य लाभ और उचित बाजार मूल्य और मांग को देखते हुए उन्होंने मछली पालन की ओर रुख किया. उन्होंने 2017 के दौरान नीली क्रांति योजना के तहत “नए तालाबों के निर्माण” के लिए आवेदन किया था. इस योजना की मदद से उन्होंने अपने 2 हेक्टेयर क्षेत्र में 19 तालाबों का सफलतापूर्वक निर्माण करवाया. इसमें उन्हें 8 लाख रुपये की कुल परियोजना लागत की तुलना में 1.73 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्राप्त हुई. वहीं तालाबों के निर्माण में किसान लालडिंगलियाना ने 6.27 लाख रुपये का निवेश किया.
कॉमन कार्प प्रजनन में किया सुधार
लालडिंगलियाना पिछले पांच वर्षों में कुल मछली उत्पादन 8 टन था. जिसमें उन्हें 10 लाख का खर्च आया. साथ ही इसमें उन्हें 31 लाख रुपये का रिटर्न मिला जिसमें उन्हें 21 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ. मछली पालन के 5 वर्षों के अभ्यास के बाद उन्होंने कॉमन कार्प प्रजनन में अपने सुधार किया, इससे उन्होंने अपनी जलकृषि गतिविधि को बनाए रखने में मदद मिली.
सालाना 7 लाख रुपये की कमाई
इसके बाद उन्होंने अपने फार्म में मिश्रित मछली पालन तकनीक को अपनाया. इस तकनीक को अपनाने के बाद लालडिंगलियाना मछली पालन से अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं, जिससे उनकी बचत में भी बढ़ोतरी हुई है. इसके अलावा उन्होंने अपने मछली पालन में आठ मछुआरों को रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं. उनका उद्देश्य बेहतर आजीविका के लिए मछली पालन में सुधार करना है. उन्हें 2019 में (पूर्वोत्तर राज्यों से) सर्वश्रेष्ठ मत्स्य किसान पुरस्कार मिल चुका है. वहीं वह सालाना 7 लाख रुपये की कमाई करते हैं.