Sunday, September 8, 2024
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गांव के बेरोजगार युवकों को सरकार देती है एक सांड, नस्ल सुधार की इस योजना के बारे में जानिए

आज के समय में बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है. इतना ही नहीं, यह सरकार के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं है. बेरोजगारी को खत्म करने के लिए सरकार की ओर से कई कदम भी उठाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में आज हम एक ऐसी सरकारी योजना के बारे में बात करेंगे जिसके तहत सरकार बेरोजगार युवाओं को सांड देती है. इसका मुख्य उद्देश्य बेरोजगारी को खत्म करने के साथ-साथ नस्ल सुधारना भी है. आइए जानते हैं क्या है यह पूरी योजना.

कैसे होता है लाभार्थी का चयन

इस योजना के अन्तर्गत प्रगतिशील पशुपालक या गौ-सहायक, ग्रामीण बेरोजगार युवक को उच्च नस्ल का सांड उपलब्ध कराया जाता है. जिन ग्राम पंचायतों में कृत्रिम गर्भाधान की नियमित व्यवस्था नहीं है, उन्हें सांड उपलब्ध कराए जाते हैं. ग्राम पंचायत पात्र लाभार्थी का चयन कर अनुमोदन करती है और प्रस्ताव देती है. आवेदन निकटतम पशु औषधालय में जमा कराया जाता है. आपूर्ति किए गए सांड के समुचित प्रबंधन की जिम्मेदारी के लिए ग्राम पंचायत और लाभार्थी द्वारा 50 रुपए के अनुबंध पत्र में शपथ ली जाती है.

सैक्स शॉर्टेन्ड सीमेन योजना

दूध उत्पादन बढ़ाने और आवारा पशुओं पर नियंत्रण के लिए सरकार ने सैक्स शॉर्टेन्ड सीमेन योजना शुरू की है. पशुपालक सरकारी पशु अस्पतालों में गर्भाधान करवाकर पशुओं की नस्ल सुधार सकते हैं. इससे न सिर्फ दूध उत्पादन बढ़ेगा बल्कि पशुओं की नई नस्ल भी तैयार होगी.

300 से 400 रुपये का मुनाफा

आपको बता दें कि भैंसों का प्रजनन सांढ की मदद से किया जाता है. ग्रामीण और शहरी इलाकों में प्रजनन के लिए सांढ का इस्तेमाल आज भी किया जाता है. प्रत्येक प्रजनन से 300 से 400 रुपये मिलते हैं. यह एक आसान और कारगर तरीका है. जिसकी मदद से बेरोजगार लोगों को आमदनी होती है.

 

Bhumika

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