गर्मियों में गले को तर करना हो या सलाद को टेस्टी बनाना हो, उसमें हर आदमी ककड़ी को सबसे सही चीज मानता है. उसमें भी ककड़ी अगर छोटी और खिच्चा हो तो मांग और भी बढ़ जाती है. वैसे तो ककड़ी की बिक्री गर्मियों में होती है जिसकी खेती ठंड के अंतिम दिनों में शुरू हो जाती है. लेकिन ककड़ी की ऐसी भी वैरायटी है जिसे आप वसंत के साथ गर्मी और खरीफ सीजन में बो सकते हैं. इस वैरायटी का नाम है थार शीतल.
जैसा कि नाम से जाहिर है, यह ऐसी वैरायटी है जो थार यानी कि रेगिस्तान में भी ठंडक ला सकती है. इस किस्म की कई खासियतें हैं. जैसे कि बुवाई से महज 45-50 दिनों के भीतर इसकी उपज निकलने लगती है. किसान बुवाई के 50 दिनों बाद ही इसे बेचने के लिए खेतों से निकाल सकते हैं. यह किस्म 25-30 सेमी लंबे फल देती है जो खाने में मुलायम और देखने में भी मनमोहक हल्के रंग की होती है.
थार शीतल किस्म की खासियत
इस किस्म में किसी तरह की कड़वाहट नहीं होती, जैसा कि आम खीरा-ककड़ी में देखा जाता है. किसान इसे वसंत, गर्मी और खरीफ सीजन में बो सकते हैं. इसकी खेती ऑफ सीजन में भी की जा सकती है. इसके लिए कम गहरी क्यारियां बनाकर ऑफ सीजन में खेती कर सकते हैं. अगर बुवाई का समय सही हो, जलवायु और मौसम अनुकूल हो तो उपज बंपर पाई जा सकती है. सबकुछ सही रहने पर किसान 150-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज ले सकते हैं.
थार शीतल किस्म की अन्य विशेषताओं की बात करें तो इसे 42 डिग्री तापमान पर भी उगाया जा सकता है. यह गर्मी उच्च तापमान में देखी जाती है, जिसमें अधिकांश फसलें झुलस जाती हैं और उनकी उपज प्रभावित होती है. लेकिन थार शीतल किस्म इस उच्च तापमान में भी बंपर उपज देती है. यही वजह है कि इस किस्म को राजस्थान में उगाने के लिए बेस्ट माना जाता है. राजस्थान में इसकी खेती के लिए साल 2022 में एक गजट प्रकाशित कर इसकी जानकारी दी गई थी.
कब करें ककड़ी की खेती
ककड़ी की खेती के लिए फरवरी और मार्च का महीना सबसे सही होता है, लेकिन उसकी अगेती किस्में पहले भी उगा सकते हैं. इससे बाजार में सही रेट मिलता है. ककड़ी की बुवाई गड्ढे या क्यारियों में की जाती है जिसके लिए हर गड्ढे में 3-4 बीज डाले जाते हैं. इसमें खयाल रखना होता है कि जब बीज अंकुरित हो जाएं तो बीज छोड़कर बाकी को हटा दिया जाता है क्योंकि एक ही जगह पर अधिक पौधे नहीं होने चाहिए. अधिक पौधे होने पर उपज प्रभावित होती है. जिस खेत में ककड़ी लगा रहे हैं, उसमें जल निकासी का बेहतर इंतजाम करें. खेत में अधिक पानी नहीं लगना चाहिए, वर्ना फसल खराब हो सकती है. खरपतवार नियंत्रण के लिए बराबर निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए.