धान की खेती के लिए ज्यादातर किसान बारिश पर निर्भर रहते हैं. जिसके कारण इसकी खेती बारिश के मौसम यानी मॉनसून के मौसम में की जाती है. लेकिन कई बार बारिश के पैटर्न में बदलाव की वजह से बारिश में कमी देखी जाती है. जिसका असर धान की खेती पर भी दिखाई देता है. अब इस समस्या को दूर करने के लिए किसान डैपोग विधि को अपनाकर आसानी से धान की खेती कर सकते हैं. इस विधि के माध्य से मात्र 4 दिनों धान का बिचड़ा निकल आता है. क्या है ये खास विधि आइए जानते हैं.
फिलीपींस में हुई थी खोज
डैपोग विधि धान की नर्सरी तैयार करने की एक प्रकार की विधि है. इस विधि का विकास फिलीपींस में हुआ था. किसान कम बीज, कम क्षेत्र, कम सिंचाई और कम मेहनत में आसानी से धान की नर्सरी तैयार कर सकते हैं. इस विधि में लागत कम होने के साथ-साथ यह नर्सरी कम समय यानी मात्र 14 दिनों में रोपाई के लिए तैयार हो जाती है. इसके अलावा इस विधि में तैयार पौधों को रोपाई के लिए खेतों में ले जाना भी बहुत आसान है.
क्या है डैपोग विधि?
डैपोग विधि एक आसान और सरलता से अपनाई जाने वाली नर्सरी विधि है. इस विधि से एक हेक्टेयर खेत में रोपाई और नर्सरी तैयार करने के लिए 70% खेत की मिट्टी, 20% सड़ी हुई गोबर की खाद, 10% धान की भूसी और 1.50 किलोग्राम डीएपी खाद का मिश्रण तैयार कर लें. इसके बाद खेत के एक कोने पर 10 से 20 मीटर लम्बा, 1 मीटर चौड़ा एवं थोड़ा ऊंचा चबूतरा बना लेना चाहिए. फिर उस पर उसी आकार की एक प्लास्टिक शीट बिछा लेनी चाहिए. इस बिछाई गई शीट के चारों ओर 4 सेमी ऊंची मेड़ बना लेनी चाहिए. अब मिट्टी और खाद को अच्छी तरह मिलाकर इस शीट पर 1 सेमी मोटी परत के रूप में फैला देना चाहिए.
इन खादों का करें इस्तेमाल
इसके बाद किसान को पहले से चयनित 9 से 12 किलोग्राम स्वस्थ बीजों को 5 ग्राम स्ट्रेप्टोमाइसिन के घोल में डुबोकर सायनोबैक्टीरिया जैसे जैव उर्वरकों से उपचारित कर पूरी शीट पर समान रूप से छिड़क देना चाहिए. छिड़के गए बीजों पर मिश्रित मिट्टी की एक और 1 सेमी मोटी परत डालनी चाहिए ताकि बीज उस परत से अच्छी तरह ढक जाएं. इसके बाद इस नर्सरी प्लेटफॉर्म के एक किनारे से कम बहाव वाली पानी की धारा छोड़नी चाहिए ताकि बोई गई मिट्टी और बीज बह न जाएं. अब इस प्लेटफॉर्म को 1 सेमी ऊंचाई तक पानी से भर दें और 7 दिनों तक ऐसे ही रहने दें. फिर पानी निकाल दें. 2 से 3 दिनों के बाद अगर नर्सरी सूखने लगे तो हल्का पानी देकर इसकी नमी बनाए रखनी चाहिए. 14 दिनों के बाद पौधे नर्सरी में लगाने के लिए तैयार हो जाते हैं.
इन बातों का रखें ध्यान
- किसान ध्यान रखें कि अगर पौधा छोटा दिखे या पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगे तो नर्सरी में रोपने के नौ दिन बाद 0.5% यूरिया का घोल बनाकर छिड़काव करें, पौधा फिर से हरा हो जाएगा.
- नर्सरी में अगर जलभराव हो तो पौधे को उखाड़ने से 2 दिन पहले पानी निकाल दें. इससे उसे निकालना आसान हो जाता है.
- इस विधि में पौधे को छोटे-छोटे चौकोर टुकड़ों में काटकर ले जाने की सुविधा मिलती है, इससे खेतों तक उसका परिवहन भी आसान हो जाता है और मजदूरी भी कम लगती है.
- स्वस्थ बीजों का चयन करने के लिए बीज के लिए लाए गए पूरे धान को 10% नमक के घोल में डुबोएं, खराब और हल्के बीज इस पानी पर तैरने लगेंगे. जो भारी बीज नीचे बैठ जाएं, उन्हें ही उपचारित करके नर्सरी में इस्तेमाल करना चाहिए.