Monday, December 23, 2024
Homeकृषि समाचारChhattisgarh News: धान की जगह किसान लेंगे कोदो, असिंचित क्षेत्र होगा समृद्ध,...

Chhattisgarh News: धान की जगह किसान लेंगे कोदो, असिंचित क्षेत्र होगा समृद्ध, मधुमेह व एनिमिया पीड़ितों के लिए लाभ कारी कोदो

कोरबा : खरीफ वर्ष 2024-25 के लिए विभिन्न फसलों की बोआई रकबा जिला कृषि विभाग ने निर्धारत कर दिया है। सरकार ने धान की कीमत 2500 रूपये प्रति क्विंटल से 3100 रूपये तो बढ़ा दिया है और ज्यादातर किसान परंपरागत खेती करना चाहते हैं। जहां सिंचाई की सुविधा नहीं है, वहां के किसानों को मोटा अनाज की सलाह दी जा रही। इससे प्रेरित होकर चार हजार किसानों ने कोदो की खेती की तैयारी शुरू कर दी है।

चयनित किसानों के खेत में पहुंचकर कृषि विस्तार अधिकारी बोआई से लेकर फसल पकने तक बीज की बोआई से लेकर खाद व दवा छिड़काव की जानकारी देंगे। योजना का उद्देश्य कम रकबा में अधिक लाभ देने वाले फसल की समृद्ध खेती को बढ़ावा देना है। धान के अलावा दीगर फसल उत्पादन के लिए कृषि विभाग की ओर से किसानों को प्रेरित किया जा रहा है।

धान की उपज प्रति एकड़ में औसतन 20 से 25 क्विंटल होती है। वहीं कोदो पांच क्विंटल होता है। प्रति एकड़ धान की खेती में 22 हजार रूपये खर्च आता है। कोदो की खेती मात्र तीन से चार हजार रूपये में हो जाती हैं। मिलिंग के बाद धान से चावल की कीमत 50 रूपये है, जबकि कोदो का मूल्य खुले बाजार में 80 से 100 रुपये है। वन विभाग की ओर से समर्थन मूल्य में इसकी खरीदी की जाती है।

कोदो की फसल तीन माह में ही तैयार हो जाती है और पानी भी कम लगता है

कोदो की मिलिंग के लिए कसनिया में मशीन लगाया गया है। किसान यहां मिलिंग कराने के बाद खुले बाजार में स्वयं बिक्री कर सकेंगे। खास बात यह है कि कोदो की फसल तीन माह में ही तैयार हो जाती है और पानी भी कम लगता है। इसके विपरीत धान को तैयार होने में पांच माह का समय लगता है। अधिक से अधिक किसानों को इसकी तकनीकी खेती से जोड़ने के लिए कृषि विभाग की ओर प्रदर्शनी योजना की तैयारी की जा रही है।

जिले मेंं अधिकांश किसान रोपा व लेही पद्धति से खेती करते हैं। किसान अधिक से अधिक योजना का लाभ ले सके इसके लिए प्रेरित किया जा रहा है। योजना से जोड़ने के लिए प्रत्येक कृषि विस्तार अधिकारियों को कहा गया है।

धान के रकबा में 549 हेक्टेयर की वृद्धि

जिले में इस वर्ष 91 हजार 95 हेक्टेयर में धान बोआई क्षेत्राच्छादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। धान की कीमत बढ़ने से इस वर्ष बोआई रकबा बढ़ना स्वाभाविक है। बीते वर्ष 90 हजार 546 हेक्टेयर में बोआई की गई थी। पिछले वर्ष की तुलना में 549 हेक्टेयर रकबा बढ़ गया है। जिन स्थानों में धान उपज की संभावना कम है वहां कोदो के अलावा रागी, मक्का, ज्वार व दलहन, तिलहन को बढ़ावा दिया जा रहा है। शासन ने धान और मक्का की तरह कोदो का सरकारी दर तय किया है। बीते वर्ष की तरह इस वर्ष भी वन समितियों की ओर इसे 35 रुपये किलो में खरीदी की जाएगी।

कोदो की एक बाली को चाहिए आधा लीटर पानी

कोदो की बोआई के लिए मैदानी खेत ही उपयुक्त है। विभागीय अधिकारी का कहना है कि प्रति किलो धान के लिए चार लीटर पानी की जरूरत होती है। इसकी तुलना में कोदो मात्र आधा लीटर पानी में ही तैयार हो जाता है। इसकी बोआई जुलाई से अगस्त महीने में की जाती है। धान पकने के बाद झड़ने लगा है। ऐसे में कटाई और ढुलाई के दौरान खासी मात्रा में नुकसान होता है। कोदो मिजाई करने पर ही झड़ता है। इससे हानि की संभावना धान की तुलना में कम होती है। कोदो के लिए एक या दो वर्षा ही पर्याप्त है।

मधुमेह व एनिमिया पीड़ितों के लिए लाभ कारी

जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एसएन केसरी के अनुसार कोदो प्रोटीन युक्त अनाज है। यह सुपाच्य होने के कारण मरीजों के अलावा स्वस्थ्य लोगों के लिए उत्तम आहार है। यह मधुमेह पीड़ितों के साथ लीवर संबंधित गंभीर बीमारियों के लिए लाभकारी है। इसमें चावल की तरह खासी मात्रा में कार्बोहाईड्रेड पाई जाती है। साथ ही एनिमिया, संबंधी समस्या,अस्थमा व मोटापे से बचाने वाले गुण है। इस वजह से कोदो जैसे पारंपरिक खेती को बढ़ावा देना बेहतर है।

धान व अन्य फसल का बोआई रकबा (लक्ष्य हेक्टेयर में)

फसल का नाम- रकबा धान बोता- 45735 रोपा- 45360 कोदो- 1220 कुटकी- 60 रागी- 555 दलहन- 13753 तिलहन- 4670 वर्जन कम लागत में बेहतर उपज के लिए किसानों को कोदो की खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है। कृषि विस्तार अधिकारियों की माध्यम से किसानों को कोदो, रागी, कुटकी की बोआई के लिए जानकारी दी जा रही है। इस फसल में लागत कम लगने के अलावा पानी की भी खपत कम होती हैं। साथ ही यह धान से पहले पक कर तैयार हो जाता है।

Bhumika

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments