MSP गारंटी कानून समेत अन्य मांगों को लेकर शुरू हुए किसान आंदोलन के बीच लोकसभा चुनाव संपन्न हो गया है, जिसमें बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA को बहुमत मिला है और नरेंद्र मोदी की तीसरी बार प्रधानमंत्री पद पर ताजपोशी हुई है. वहीं इसी कड़ी मोदी कैबिनेट का गठन भी हो गया है, जिसमें मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है.
अब परोक्ष रूप से शिवराज सिंंह चौहान पर किसानों की बहुप्रतिक्षित MSP गारंटी कानून की मांग पर अमल करने की जिम्मेदारी है. हालांकि उनके सामने WTO की शर्त की बाधा है तो वहीं इसको लेकर मोदी सरकार के अन्य मंत्रालयों में भी सहमति बनाने की जिम्मेदारी है.
कुल जमा MSP गारंटी कानून पर संघर्ष लंबा होता हुआ दिखाई दे रहा है, लेकिन इन सबके बीच चर्चाओं का बाजार गर्म है कि MSP गारंटी कानून पर संघर्ष से पहले क्या शिवराज किसानों के नुकसान को तत्काल कम करने के लिए देशव्यापी स्तर पर भावांतर योजना जैसा फार्मूला लागू कर सकेंगे.
आइए इसी कड़ी में समझते हैं कि भावांतर योजना क्या है, किसे इसे शुरू करने का श्रेय जाता है. कैसे ये योजना शुरू हुई और मौजूदा समय में किन राज्यों में ये योजना लागू है. साथ ही जानेंगे कि आखिर क्यों कहा जा रहा है कि अगर भावांतर योजना जैसा फार्मूला देशव्यापी लागू होगा तो ये किसानों के गुस्से को कम करने में मददगार साबित हो सकता है.
शिवराज-मंदसौर किसान आंदोलन को भावांतर का श्रेय
भावांतर योजना क्या है, इससे पहले भावांतर कैसे और कब शुरू हुई, इसको लेकर बात कर लेते हैं. असल में मौजूदा कृषि व किसान कल्याण मंत्री और एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भावांतर याेजना शुरू करने का श्रेय जाता है. एमपी में खरीफ सीजन 2017 से ये योजना शुरू की गई थी, जिसकी पृष्ठभूमि 6 जून 2017 में मंदसौर में हुआ किसान आंदोलन था. इसमें प्याज के कम दामों को लेकर किसानों ने आंदोलन शुरू किया था. इस किसान आंदोलन में 6 किसानों की मौत पुलिस की गोलीबारी से हुई थी.
क्या है भावांतर योजना
अब भावांतर योजना क्या है, इस पर बात कर लेते हैं. भावांतर याेजना को किसानों के नुकसान को कम करने वाले एक फार्मूला के तौर पर देखा जा सकता है, जो किसानों की फसल बाजार में MSP से कम में बिकने पर सरकारी क्षतिपूर्ति की व्यवस्था करता है. उदाहरण के तौर पर समझाते हैं कि अगर सोयाबीन की कीमत 3000 प्रति क्विंटल है और अगर किसान ने MSP से नीचे 2700 रुपये क्विंटल पर फसल बेची है तो भावांतर योजना में MSP और बाजार भाव में अंंतर का भुगतान किसान को करने की व्यवस्था की गई थी. हालांकि दाम में अधिक गिरावट होने पर सरकार भुगतान की राशि खुद तय करती थी, इसके लिए दो राज्यों में दामों का आकलन किया जाता था.
MP में बंद, अब इन राज्यों में लागू
देश में सबसे पहले किसानों को MSP से कम में फसल बेचने से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए मध्य प्रदेश में भावांतर योजना शुरू की गई, लेकिन 2018 में ये योजना मध्य प्रदेश में ही बंद हो गई. मसलन, 2018 के विधानसभा चुनाव में किसान कर्ज माफी के मुद्दे पर कांग्रेस की वापसी हुई और भावांतर योजना जैसा फार्मूला पीछे छुट गया. हालांकि इसके बाद हरियाणा और महाराष्ट्र में भावांतर योजना लागू की गई है. हालांकि इन दोनों ही राज्यों में भावांतर योजना का दमदार असर नहीं दिखाई देती है.
किसान आंदोलन, WTO और भावांतर योजना
MSP गारंटी कानून की मांग को लेकर 13 फरवरी से किसान आंदोलन जारी है. किसान MSP गारंटी कानून से कम में मानने को तैयार नहीं हैं, लेकिन एक्सपर्ट MSP गारंटी कानून की मांग में सबसे बड़ा रोड़ा WTO को मान रहे हैं. कुल मिलाकर ये तय है कि MSP गांरटी कानून की मांग पर बहसों का दौर ही लंबा चलना है, लेकिन अगर समझे तो इस रबी सीजन ही सरसों किसानों को प्रति क्विंटल 1000 रुपये से ही अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है. क्योंकि उनकी सरसों MSP से नीचे बिकी है. ऐसे में किसानों को तत्काल राहत देते हुए भावांतर जैसी योजना को लागू करना जरूरी है. इससे किसानों का नुकसान कम होगा. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी. इसके साथ ही MSP गारंटी कानून की मांग पर किसानों को अटल रहना चाहिए.