जांजगीर चांपा: छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिला स्थित बहेराडीह ग्राम में प्रदेश का एक मात्र किसान स्कूल है, जहां किसानों को खेती से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी दी जाती है. साथ ही विलुप्त हो हरे कृषि औजार को धरोहर के तौर पर सहेजकर रखा गया है. ये ऐसे कृषि औजार हैं, जिसका 80 से 90 के दशक के बीच किसान खेती में उपयोग करते थे. इन कृषि औजारों को नई पीढ़ी के लिए सहेजकर रखा गया है. इसमें किसान स्कूल संचालक दीनदयाल यादव का अहम याेगदान है.
प्रदेश का एकमात्र किसान स्कूल यहां होता है संचालित
संचालक दीनदयाल ने बताया कि बहेराडीह किसान स्कूल प्रदेश का पहला ऐसा स्कूल है जो पूरी तरह से किसानों को समर्पित है. जिले के पत्रकार स्व. कुंज बिहारी के नाम पर इस किसान स्कूल का नाम रखा गया है. यहां छत्तीसगढ़ का अलावा अलग-अलग राज्यों के किसान सहित अन्य लोग मिलकर भारत की जो परंपरागत कृषि है, उसको बचाने के लिए अभियान चला रहे हैं. इस अभियान को नाम “पुरखा का सुरक्षा” रखा गया है. इस पुरखा का सुरक्षा अभियान में पुरानी चीजें जो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्ति के कगार पर पहुंच गया है, उसका संरक्षण और संवर्धन नई पीढ़ी के लिए किया जा रहा है. वहीं इस संग्रहालय का नाम धरोहर रखा है.
संग्रहालय में सहेजकर रखा गया है पुराने कृषि यंत्र
संचालक दीनदयाल ने बताया कि बहेराडीह किसान स्कूल में पुरानी कृषि पद्धति और पुराने यंत्र को सहेजकर रखा गया है. उन्होंने बताया कि किसान स्कूल में धरोहर अपने आप में एक मात्र ऐसा संग्रहालय होगा, जहां पुराने कृषि यंत्रों को सहेज कर रखा जा रहा है. कृषि यंत्र में दौरी, नागर हल, बेलन श्सीामिल है. वहीं जब बिजली का आविष्कार नहीं हुआ था तो उस समय कंडील और गैस (मेंटल युक्त) चिमनी (मिट्टी तेल से जलने वाला) जाटा (सुखा अनाज पीसने वाला आटा चक्की), लकड़ी से खाना बनाने वाला दुकलहा चूल्हा, धान से चावल कूटने के लिए ढेकी, धान को नापने के लिए काठा, कोनी जैसे कई पुराने चीजों को सहेजकर रखा गया है. इस धरोहर में सेल्फी जोन है, क्योंकि लोग घूमने के ख्याल से पुरानी चीजों को देखने आते हैं.यहां खुमरी (बांस से बनी टोपी) पहनकर लोग सेल्फी लेते है.