कहते हैं कि अगर कोई अपने मन में कुछ करने की ठान ले और हिम्मत हो तो फिर कोई रुकावट रास्ते में नहीं आ सकती है. गुवाहाटी की 18 साल की नम्रता ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. अनुसूचित जाति समुदाय की नम्रता को पढ़ने का शौक था और वह अपने इस शौक को सुअर पालन से पूरा कर रही हैं. नम्रता इस समय अपनी उच्चतर माध्यमिक शिक्षा की पढ़ाई में बिजी हैं. अविश्वसनीय रूप से विनम्र और सूअर पालन में नम्रता की कड़ी मेहनत वाकई असाधारण है. साथ ही नम्रता की कहानी भी दूसरों को प्रभावित करने वाली है.
पिता की मदद के लिए शुरुआत
नम्रता ने 10वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने पिता की मदद के लिए सूअर पालन में अपनी रुचि शुरू की. मैट्रिक की पढ़ाई में नम्रता को 87 फीसदी नंबर के साथ ए ग्रेड मिला था. अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए उन्होंने खेती के अपने शौक को आगे बढ़ाना जारी रखा. आज नम्रता छह सूअर और 12 उत्पादकों का पालन-पोषण करती हैं. स्कूल की छुट्टियों के दौरान नम्रता ने आईसीएआर के नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन पिग में आयोजित ट्रेनिंग सेशन को अटेंड किया. इस दौरान नम्रता ने वैज्ञानिक तरीके से सुअर पालन और आर्टिफिशियल गर्भाधान पर अपनी प्रैक्टिकल नॉलेज को बढ़ाया. नम्रता असम के गुवाहाटी में ट्रेनिंग सेशन में शामिल हुई थीं.
एग्रीकल्चर एंटरप्रेन्योर बनीं नम्रता
नम्रता खुद को एक उभरती हुई एग्रीकल्चर एंटरप्रेन्योर के तौर पर बताती हैं. नम्रता ने यह सब तब किया है जब उसकी जनरेशन ज्यादातर लोगों को यह क्षेत्र कम आकर्षक लगता है. नम्रता ने सूअरों को खिलाने के लिए स्थानीय रूप से उपलब्ध चावल पॉलिश और मछली बाजार के कचरे का प्रयोग किया. इससे इनपुट लागत कम हो गई. सुअरों को खिलाने से पहले इसे नम्रता पकाती हैं. इसके अलावा नम्रता ने सुअर पालन को अजोला (अजोला पिनाटा) की खेती के साथ इंटीग्रेट किया है. सूखे अजोला को वीकली बेसिस पर पोषण पूरक के तौर पर शामिल किया जाता है.
सुअर पालन से कितनी कमाई
नम्रता को इंस्टीट्यूट के एससीएसपी प्रोग्राम के तहत नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन पिग से बायोसिक्योरिटी किट और कृषि उपकरण जैसे इनपुट भी मिले. उनके खेत पर नियमित तौर पर डिसइन्फेक्शन और सफाई की जाती है. बायोसिक्योरिटी के उपायों ने अफ्रीका स्वाइन फीवर की घटनाओं को रोका जिसने आस-पास के कई खेतों को तबाह कर दिया था. अब वह ब्रीडर सुविधा पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बना रही है जहां वह बहुत ज्यादा पैसा कमा रही हैं.
खुद लेतीं सारे फैसले
पिछले साल नम्रता ने 32 सूअर बेचे जिससे सिर्फ सूअर की बिक्री से 1,44,000 रुपये की कमाई हुई. इसके अलावा दो फिनिशर को 60,000 रुपये की कीमत पर बेचा गया. इससे कुल मिलाकर दो लाख से ज्यादा की कमाई हुई. नम्रता अपने परिवार के लिए अब बहुत बड़ा सपोर्ट बन गई हैं और काफी योगदान कर रही हैं. साथ ही वह अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए भी अपने फैसले खुद ले रही हैं.