किसानों के लिए खुशखबरी है. अल नीनो (el nino) अब विदा हो गया है. बहुत जल्द उसकी जगह ला नीना लेने वाला है. जान लें कि अल नीनो और ला नीना दोनों ऐसी मौसम घटनाएं हैं जिनके बीच छत्तीस का आंकड़ा रहता है. यानी अल नीनो जहां सूखा लाता है, तो वहीं ला नीना बारिश कराता है. दुनिया की कई वेदर एजेंसियों का दावा है कि अल नीनो की विदाई हो चुकी है और उसकी जगह ला नीना (la nina) आने वाला है. सबसे अच्छी बात ये है कि मॉनसून के दौरान ला नीना एक्टिव होगा. इसलिए मान कर चलें कि इस दफे मॉनसून में झमाझम बारिश होगी. पिछली बार तो अल नीनो ने बारिश को नॉर्मल से भी कम पर रोक दिया था.
भू विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव और भारत के आला मौसम वैज्ञानिकों में एक एम राजीवन ने ‘डेक्कन हेराल्ड’ को इस बारे में जानकारी दी है. एम राजीवन कहते हैं, अल नीनो चला गया है और मौसम का ठंडा फेज आने वाला है. इससे अच्छे मॉनसून की संभावनाएं बन सकती हैं. अगले मॉनसून सीजन में किसी भी तरह के सूखे की आशंका को नकारा जा सकता है. मई का इंतजार कीजिए, आपको कुछ अच्छी खबर मिल सकती है.
पिछले साल का हाल
पिछले साल के मॉनसून को याद करें तो आपको अल नीनो के खतरे का एहसास हो जाएगा. भरे मॉनसून के सीजन में अल नीनो ने बारिश का काम खराब कर दिया था. अगस्त में इसका असर सबसे अधिक दिखा और देश में बारिश की मात्रा 36 फीसद से भी कम पर अटक गई. आपको ये भी ध्यान होगा कि अगस्त में जब पूरे देश में झमाझम बारिश होती है, पिछले साल तीन हफ्ते तक एक भी बूंद का नामो-निशान नहीं दिखा.
इस साल की संभावना
हालांकि तभी भारत में मौसम की एक बड़ी घटना हुई जिसे इंडियन ओशन डाइपोल या IOD कहते हैं. आईओडी के बारे में कहा जाता है कि जब यह अपना असर दिखाता है, तो बड़े-बड़े अल नीनो भी घुटके टेक देते हैं. पिछले साल सितंबर में भी यही हुआ. अगस्त जहां भयंकर सूखे की चपेट में गया, तीन हफ्ते बारिश नहीं हुई. वहीं सितंबर में पॉजिटिव आईओडी ने अल-नीनो को धूल चटा दिया और 94 फीसद तक मॉनसून की बारिश हो गई. ध्यान रखें कि आईओडी अपना लोकल मौसम परिवर्तन है, जबकि अल नीनो वैश्विक घटनाक्रम है.
क्या कहती है रिपोर्ट?
इस दफे अगर ला नीना समय पर आता है तो 1987-88 की तरह भारत में एक रिकॉर्ड बनेगा. उस साल भी अल नीनो के विदा होते ही ला नीना एक्टिव हो गया था, बारिश अच्छी दर्ज हुई थी. दुनिया की तमाम वेदर एजेंसियों की रिपोर्ट देखें तो ला नीना के एक्टिव होने की संभावना बेहतर है. लिहाजा, इस बार मॉनसून में बारिश की कमी का रोना नहीं होगा. किसान खरीफ फसलों के लिए नहीं जूझेंगे. अच्छी बारिश होगी तो फसलें भी अच्छी होंगी और देश की महंगाई भी काबू में रहेगी. बस नजर इस बात पर टिकी है कि कितनी जल्दी ला नीना एक्टिव होता है.