Drone Technology: खेती-किसानी में ड्रोन का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है. इसी कड़ी में शुक्रवार को राजधानी लखनऊ के डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) के सेंटर फॉर एडवांस स्टडीज और एआरके इंफो सॉल्यूशन की ओर से ड्रोन तकनीकी पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. एकेटीयू के जन सम्पर्क अधिकारी डॉ पवन कुमार त्रिपाठी ने बताया कि कुलपति प्रो जेपी पांडेय के निर्देशन और कैश के निदेशक प्रो वीरेंद्र पाठक के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यशाला में ड्रोन तकनीकी कि विभिन्न आयामों के बारे में बताया जाएगा. मसलन, ड्रोन तकनीकी की सामन्य जानकारी, विभिन्न उद्योगों में ड्रोन एप्लिकेशन, ड्रोन बनाने की प्रक्रिया, वर्तमान चुनौतियां, पर्यावरण और समाज के लिए उपयोगी आदि पर चर्चा की जाएगी. उन्होंने बताया कि कार्यशाला के मुख्य वक्ता आईआईटी कानपुर के डॉ अभिषेक होंगे. जबकि समन्वयक एसो डीन डॉ अनुज कुमार शर्मा रहेंगे.
किसानों को मिलेगी ड्रोन की पूरी जानकारी
डॉ पवन कुमार त्रिपाठी ने बताया कि बीज की बुवाई करनी हो, फसलों पर कीटनाशक का छिड़काव करना हो फर्टिलाइजर डालना हो, यह सभी काम अब ड्रोन के जरिए किए जा सकेंगे. इसके लिए खास प्रोग्राम डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में चलाया जाएगा. जिसमें किसानों, स्टूडेंट और कोई भी व्यक्ति जो चाहे वह शामिल हो सकता हैं. इसमें उन्हें ड्रोन को कृषि के क्षेत्र में इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके साथ ही उन्हें खास ट्रेनिंग दी जाएगी कि कैसे वह कृषि क्षेत्र में ड्रोन के इस्तेमाल से फार्मिंग कर सकते हैं.
जानिए ड्रोन से खेती करने के फायदे
एकेटीयू के जन सम्पर्क अधिकारी डॉ पवन कुमार त्रिपाठी बताते हैं कि अभी किसानों को आमतौर पर खेत की बुवाई में पूरा दिन लग जाता है. लेकिन ड्रोन टेक्नोलॉजी की मदद से सिर्फ 25 मिनट में एक एकड़ जमीन में किसान बुवाई कर सकेंगे. इतना ही नहीं इसमें कीटनाशक का छिड़काव करना हो या फिर फसलों में खाद डालना हो यह सब काम भी इसी ड्रोन की मदद से किया जा सकेंगे. गति संस्था के पास एग्रीकल्चर ड्रोन है जिसका इस्तेमाल फसल में किया जा सकता है. यह ड्रोन 14 किलो का वजन रखकर अपने साथ उड़ सकता है. इसकी कुल क्षमता 29 किलो की है जिसमें 15 किलो ड्रोन का वजन है और यह एक बार के चार्ज में 20 से 25 मिनट तक काम कर सकता है. इससे समय और मेहनत दोनों की बचत होती है.