Tuesday, December 3, 2024
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10 हजार किसान परिवारों को राहत देगा यमुना प्राधिकरण, मिलेगा 10 साल से लंबित मुआवजा

यमुना एक्सप्रेसवे से सटे गौतम बुद्ध नगर , अलीगढ़ और आगरा के आस-पास रहने वाले लगभग 10 हजार किसान परिवारों को जल्द राहत मिलने वाली है. क्योंकि इन किसानों को जल्द ही मुआवजा मिलने वाला है. यमुना प्राधिकरण ने कहा है कि वह सितंबर के बाद कुल बकाया 1689 करोड़ रुपये के 50 प्रतिशत राशि का भुगतान करना शुरू कर देगा, जो लगभग 845 करोड़ रुपये हैं. जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के दिवालिया हो जाने के बाद से ही 10 सालों से यह मुआवजा लंबित था. राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश के अनुसार मुआवजा का जिम्मा मुंबई स्थित सुरक्षा रियेल्टी पर है जिसनें हाल ही में जेआईएल के दिवालिया होने के बाद उस कंपनी को टेकओवर किया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा रियेल्टी ने कुल बकाया मुआवजा राशि में से अपने हिस्से का लगभग 37 प्रतिशत भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की है, जबकि इससे पहले कंपनी ने एनसीएलएटी के समक्ष 10 प्रतिशत का भुगतान करने का संकेत दिया था. इससे पहले 24 मई को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण ने सुरक्षा रियेल्टी को निर्देश दिया था कि वह किसानों को 1,334.31 करोड़ रुपये या कुल 1,689 करोड़ रुपये के अतिरिक्त मुआवजे का 79 प्रतिशत भुगतान करे, क्योंकि ट्रिब्यूनल ने यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) को एक सुरक्षित वित्तीय ऋणदाता घोषित किया था. शेष 355 करोड़ रुपये की राशि प्राधिकरण द्वारा वहन की जानी थी.

चार किस्तो में भुगतान करेंगी कंपनी

अधिकारियों ने कहा कि किसानों को मुआवजे का भुगतान करने के लिए सुरक्षा रियेल्टी 490 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी और यमुना प्राधिकरण भी अपना हिस्सा देगी. इस बड़ी रकम के भुगतान के बदले सुरक्षा रियेल्टी ने मांग की है कि यमुना प्राधिकरण उसके लिए जमीन पर कब्जा सुनिश्चित करे साथ ही जिन किसानों ने अतिरिक्त मुआवजे की मांग को लेकर विभिन्न अदालतों में मामले दायर किए हैं उन्हें वापस लें. कंपनी चार किस्तों में किसानों को पैसे चुकाएगी. जिसमें 2 किस्त 120 करोड़ रुपये की होगी और दो किस्त 302 करोड़ रुपये की होगी. हालांकि अभी तक भुगतान की समय सीमा तय नहीं की गई है.

पांच स्थानों पर ली थी जमीन

बता दें कि जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड ने नोएडा से आगरा तक बनने वाली 160 किमी लंबी यमुना एक्सप्रेसवे सड़क को बनाने में डेवलपर की भूमिका निभाई थी. 2003 के एक समझौते के अनुसार, एक्सप्रेसवे के निर्माण के बदले में यमुना प्राधिकरण ने जेआईएल को 6,177 एकड़ जमीन दी. यह जमीन एक्सप्रेसवे से सटे पांच अलग-अलग स्थानों पर किसानों से 90 साल के लीज पर ली गई थी. जेआईएल इस जमीन को विभिन्न प्रोजेक्ट के तहत विकसित करने वाली थी. हालांकि इन पांच जगहों में से सिर्फ तीन जगहों पर ही कंपनी ने काम शुरू किया था और 2017 में कंपनी दिवालिया घोषित हो गई थी. बता दें कि पिछले साल 7 मार्च को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने सुरक्षा रियेल्टी लिमिटेड की समाधान योजना को मंजूरी दे दी थी.

 

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