काशी की पहचान बनारसी पान से भी होती है. बनारसी पान पूरी दुनिया में मशहूर है और यह देश के कई हिस्सों में सप्लाई किया जाता है. पान की खेती बनारस के अलावा पश्चिंब बंगाल और बिहार के साथ कुछ अन्य इलाकों में भी होती है. बनारस में पान की खेती करने वाले किसानों की संख्या लगातार घटती जा रही है. सरकार के प्रयास भी जारी हैं लेकिन इसके बावजूद भी बनारस में पान की खेती करने वाले किसान लगातार कम हो रहे हैं. ऐसे में सरकार का फोकस पान की खेती को बढ़ावा देने पर है. इसीलिए सरकार पान की खेती के लिए किसानों को 50 प्रतिशत का अनुदान भी दे रही है.
बनारस में पान की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना चलाई जा रही है. इसके अंतर्गत पान की उपज को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वाराणसी में किसानों को पान की खेती करने वाले इलाकों का भ्रमण कराया जा रहा है. जबकि, समय समय पर किसानों को जागरूक करने के लिए कैंप लगाए जा रहे हैं.
पान की खेती करने वाले किसान घटते जा रहे
बनारस जिले में बच्छाव गांव में सिर्फ दो किसान पान की खेती करते है जिनमे झन्नू लाल भी शामिल है. पान की खेती करके वाले झन्नू लाल ने बताया की उनके परिवार में कई पीढ़ी से पान की खेती होती आ रही है. उनको भी 15 साल से ज्यादा हो गया पान की खेती करते हुए वो 10 बिस्वा जमीन से ₹50 हजार रुपया सालाना कमा लेते हैं. पहले वो एक बीघा में खेती करते थे पर संसाधनों की कमी के कारण कम खेती कर रहे है. सरकार सुविधाएं बढ़ा देगी तो किसानों को और काम करने में अच्छा होता.
पान की खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुदान
बनारस में पान की खेती को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत किसानों को जागरूक करने के लिए काशी के सभी आठ ब्लाकों के 50 से अधिक किसानों को पान की खेती करने वाले क्षेत्र में जाकर भ्रमण कराया गया. इस दौरान पान की खेती को कैसे करके मुनाफा कमाया जा सकता है. सहायक उद्यान निरीक्षक रोशन कुमार सोनकर ने बताया कि बनारस में पान की खेती को बढ़ावा देने के लिए हम किसानों को बच्छाव गांव लाए हैं ताकि वे जान सकें की पान की खेती कैसे की जाती है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा किसानों को पान की खेती करने पर लागत का 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है. अनुदान की बात सुनकर बहुत से किसानों ने पान की खेती करने की इच्छा जताई है.
देशभर में सप्लाई होता है बनारसी पान
पान भले ही बनारस का मशहूर हो लेकिन पान की खेती लगातार जिले में सिमटती जा रही है. पान की आपूर्ति पूर्वांचल समेत बिहार ,बंगाल, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों से होती है. पान व्यापारी का कहना है कि अकेले बनारस में पान का व्यवसाय 15 करोड़ का हर रोज होता है.