Sunday, December 22, 2024
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जामुन की खेती से बमबम हुए पंजाब के इन दो जिलों के किसान, जीरो लागत में बंपर हो रही कमाई

पंजाब के फाजिल्का और मुक्तसर जिलों के करीब पांच गांवों के किसान इन दिनों जामुन की खेती की वजह से चर्चा में है. यहां पर किसानों के एक समूह ने जामुन की खेती से एक्स्‍ट्रा इनकम कमाई है और अब यह बागवानी मॉडल के तौर पर उभरे हैं. कृषि विशेषज्ञ जामुन को एक ऐसा फल मानते हैं जिसके लिए शायद ही किसी निवेश की जरूरत होती है. यह बदलाव किसानों, बावरिया समुदाय के कटाई करने वालों और फलों की नीलामी में बिचौलियों के तौर पर जाने जाने वाले बाकी गांव वालों की अर्थव्यवस्था में काफी योगदान दे रहा है. अब सबका ध्‍यान इसकी खेती की तरफ बढ़ रहा है.

लगने लगी जामुन की मंडी

हिन्दुस्‍तान टाइम्‍स ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के विशेषज्ञों के हवाले से लिखा है कि इस जल्दी खराब होने वाले फल के फायदेमंद बाजार को देखते हुए कुछ किसानों ने पंजाब में जामुन के बाग भी लगाने शुरू कर दिए हैं जिसे ब्लैक प्लम भी कहा जाता है. फाजिल्का में जामुन की खेती के केंद्र मुलिनवाली और ढिप्पियांवाली में इस साल गर्मियों में उगाए जाने वाले फलों ने फल व्यापारियों के बीच इतनी लोकप्रियता हासिल कर ली है कि पंजाब की इकलौती जामुन मंडी मुक्तसर जिले के पन्नीवाला फत्ता में लगती है. जंडवाला और झोतेंवाला के किसान भी बड़े पैमाने पर जामुन उगा रहे हैं. कई लोग अपनी फसल स्थानीय मंडी में ले जाते हैं, जबकि बाकी और ज्‍यादा फायदे के लिए इसे बाकी स्थानों पर ले जाते हैं.

कई राज्‍यों के व्‍यापारी करते संपर्क

मुक्तसर जिला मंडी अधिकारी (डीएमओ) रजनीश गोयल के अनुसार, इस साल 20 जुलाई तक व्यापारियों को 65 रुपये प्रति किलोग्राम की औसत कीमत पर 2,400 क्विंटल जामुन बेचा गया है. बिक्री से पता चलता है कि कई राज्यों और पंजाब के अलग-अलग हिस्सों के व्यापारियों से एक अनुमान के अनुसार 1.56 करोड़ रुपये का फल खरीदा गया था. साल 2022 में, गांव वालों ने मंडी में 776 क्विंटल जामुन बेचे, जो 2023 में बढ़कर 1,626 हो गए. गोयल ने बताया कि इस बार दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बाकी जगहों के फल व्यापारियों से संपर्क करना शुरू कर दिया है ताकि वे मलौट-फाजिल्का रोड पर स्थित जामुन मंडी का दौरा कर सकें.

जामुन की बिक्री में इजाफा

उनका कहना था कि इस साल जामुन की बिक्री में काफी इजाफा हुआ है और इसे देखकर खुशी हो रही है. उम्मीद है कि बिक्री पिछले साल की तुलना में दोगुनी होगी. पन्नीवाला फत्ता के सुखमंदर सिंह ने बताया कि उन्होंने 2018 में खेतों की सीमा पर 20 पौधे लगाए थे और आज वह‍ जामुन से 60,000 रुपये से ज्‍यादा की एक्‍स्‍ट्रा इनकम कमा रहे हैं. उन्‍होंने बताया कि करीब आठ साल पहले, भूजल स्तर में बढ़ोतरी के चलते उन्‍हें किन्नू का बाग उखाड़ना पड़ा था. चूंकि मलौट क्षेत्र एक पुराना जलभराव वाला क्षेत्र है, इसलिए मैंने छह साल पहले झिझकते हुए जामुन की खेती करने की कोशिश की.

एक पेड़ से कितनी कमाई

एक जामुन के पेड़ को फल लगने में लगभग चार साल लगते हैं और वह एक फल कटाई ठेकेदार के साथ सौदे से करीब 3,000 प्रति पेड़ कमाता हूं. उन्‍होंने बताया कि वह अपने खेतों के आसपास और पेड़ लगाने की योजना बना रहे हैं. मुक्तसर-फाजिल्का बेल्ट के निकट मलौट और अरनीवाला क्षेत्र के आसपास के इलाकों का एक आकस्मिक दौरा जामुन और जामुनी की एक बड़ी उपस्थिति को दर्शाता है, जो एक जंगली किस्म है.

 

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