मॉनसून यानि बरसात के मौसम में पशुओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसमे सबसे बड़ी परेशानी है बारिश होने के बाद फैलने वाली बीमारियां. और इसके बाद अगर कुछ है तो वो है शेड यानि बाड़े में पानी भरने की परेशानी. बाड़े में पानी भरने यानि जलभराव होने के बाद गाय-भैंस की बात तो छोडि़ए भेड़-बकरियां भी ना तो ठीक से खड़ी ही हो पाती हैं और ना ही जमीन पर बैठ पाती हैं. दिन तो दिन उन्हें पूरी-पूरी रात खड़े होकर गुजारती पड़ती है. ऐसे में खुरपका और मुंहपका जैसी जानलेवा बीमारी के साथ ही और दूसरी बीमारियों का खतरा भी बना रहता है.
पेट में कीड़े होने की परेशानी भी इसी दौरान सामने आती है. खासतौर पर भेड़-बकरी पालकों को बरसात के दौरान होने वाली इन सारी परेशानियों को देखते हुए केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा ने एक खास तरीके का मकान तैयार किया है. ये दो मंजिला मकान है. इसे बकरियों का डुप्लेक्स भी कहा जाता है.
इस मकान में बकरी के बच्चों को जल्दी नहीं लगती हैं बीमारियां
सीआईआरजी के प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉ. अरविंद कुमार ने किसान तक को बताया कि बेशक दो मंजिला मकान से जगह की कमी और बचत होती है. लेकिन इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि बकरी के बच्चे बीमारियों से बच जाते हैं. वो बीमारियां जिन पर अच्छी खासी रकम खर्च हो जाती है. इस तरह के मकान में नीचे बड़ी बकरियां रखी जाती हैं. वहीं ऊपरी मंजिल पर छोटे बच्चे रखे जाते हैं. ऊपरी मंजिल पर रहने के चलते बच्चे मिट्टी के संपर्क में नहीं आ पाते हैं तो इससे वो मिट्टी खाने से बच जाते हैं. वर्ना छोटे बच्चे मिट्टी खाते हैं तो इससे उनके पेट में कीड़े हो जाते हैं. बड़े बकरे-बकरियों के खुर भी जलभराव में नहीं भीगते हैं तो उन्हें बीमारियां नहीं लगती हैं.
1.80 लाख रुपये में तैयार होता है दो मंजिला मकान
डॉ. अरविंद कुमार का कहना है कि एक बड़ी बकरी को डेढ़ स्क्वायर मीटर जगह की जरूरत होती है. हमने दो मंजिला मकान का जो मॉडल बनाया है वो 10 मीटर चौड़ा और 15 मीटर लम्बा है. इस मॉडल के मकान में नीचे 10 से 12 बड़ी बकरी रख सकते हैं. वहीं ऊपरी मंजिल पर 17 से 18 बकरी के बच्चों को बड़ी ही आसानी से रख सकते हैं. और इस साइज के मकान की लागत 1.80 लाख रुपये आती है. इस मकान को बनाने में इस्तेमाल होने वाली लोहे की एंगिल और प्लास्टिक की शीट बाजार में आसानी से मिल जाती है. रहा सवाल ऊपरी मंजिल पर बनाए गए फर्श का तो कई कंपनियां इस तरह का फर्श बना रही हैं और आनलाइन मिल भी रहा है. एक बार बनाने के बाद 18 से 20 साल तक यह मकान चल जाते हैं.