Friday, October 18, 2024
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CG: किसानों को समय पर मिले गुणवत्तायुक्त खाद-बीज, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दिए निर्देश

Chhattisgarh News: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेश में विकास की गति को तेज करने आज विभागवार समीक्षा बैठकों का सिलसिला शुरू किया। बैठकों की शुरूआत अन्नदाताओं से जुड़े कृषि और उद्यानिकी विभाग की समीक्षा से हुई। बैठक में कृषि विकास, किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी मंत्री रामविचार नेताम भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय लंबे समय तक खेती-किसानी से जुड़े रहे हैं। उन्होंने जमीनी स्तर पर खेती-किसानी का कार्य किया है और इससे अपने परिवार का भरण-पोषण भी किया है। खेती-किसानी में उनके वृहद अनुभव की झलक समीक्षा बैठक में दिए गए निर्देशों में स्पष्ट रूप से सामने आयी। अपने खेती-किसानी के अनुभव साझा करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि एक बार पहले जब उन्होंने डीएपी खाद की मांग की थी, तब उन्हें दूसरी खाद मिली, खाद के बोरे में डीएपी की मार्किंग थी, लेकिन बोरे में दूसरी खाद थी, हमारे किसान भाईयों के साथ यह न हो, यह सुनिश्चित करें।

मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता खेती-किसानी की बेहतरी को लेकर है। अतः किसानों को खेती-किसानी में सहुलियतें प्रदान करने के लिए खाद-बीज की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। भण्डारण और वितरण की स्थिति की लगातार निगरानी की जाए। किसानों को खाद-बीज के वितरण के समय इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा जाए कि किसानों को उनकी मांग के अनुरूप खाद और बीज मिले।

मुख्यमंत्री श्री साय ने किसानों की ज्यादा आमदनी के लिए प्रदेश में सुगंधित और महीन धान की किस्मों को ढूंढ कर इनके उत्पादन के लिए पूरे प्रदेश के किसानों को जागरूक करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सुगंधित धान की लगभग 200 किस्में हैं। इनकी बाजार में अच्छी मांग है। इन किस्मों का विदेशों में निर्यात भी किया जा सकेगा। इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी।

उन्होंने उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के निर्देश देते हुए कहा कि जशपुर जिले में आम, लीची, कटहल का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। चाय का उत्पादन भी प्रारंभ हुआ है। इनके प्रसंस्करण इकाई की स्थापना भी की जाए।मुख्यमंत्री साय ने कहा कि खरीफ का सीजन आ गया है। मानसून भी इस वर्ष पहले आने की संभावना है। मानसून आते ही खेती-किसानी का कार्य तेज गति से शुरू हो जाएगा। अधिकारी खरीफ मौसम के लिए सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर लें। उन्होंने कहा कि खाद्य बीज का वितरण किसानों को मांग के अनुरूप दिया जाए। साथ ही वितरण का नियमित रूप से मॉनिटरिंग हो। मुख्यमंत्री श्री साय ने किसानों को जैविक खेती, आधुनिक खेती से जोड़ने तथा किसानों के लिए कृषि उपकरणों की उपलब्धता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि क्लस्टर बनाकर कृषि यंत्र थ्रेसर और हार्वेस्टर आदि कृषि उपकरण उपलब्ध कराए जाएं।

मुख्यमंत्री साय ने उद्यानिकी विभाग की प्रगति की समीक्षा करते हुए कहा कि उद्यानिकी फसलों के प्रति किसानों को जागरूक किया जाए। उन्होंने कहा कि फूलों की मांग को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में फूलों की खेती को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने सोयाबीन, सेब, पॉम ऑयल, चाय की खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य स्तर पर प्रोजेक्ट तैयार करने को कहा। उन्होंने कहा कि फसल चुनते वक्त क्षेत्र की जलवायु के आधार पर निर्णय लें।

बैठक में जानकारी दी गई कि उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के लिए ‘सेंटर फॉर एक्सिलेंस’ की स्थापना की जाएगी। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रति अधिक से अधिक किसानों को जागरूक करने के उद्देश्य से व्यापक प्रचार-प्रसार के निर्देश दिए। इसी तरह प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से जल ग्रहण क्षेत्र विकास को भी बढ़ावा देने पानी को रोेकने स्ट्रक्चर बनाए जाते हैं और आजीविका मूलक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता है। इस पर अधिकाधिक काम हो। साय ने आदिवासी बहुल जिलों में विश्व बैंक की सहायता से संचालित चिराग परियोजना के क्रियान्वयन में तेजी लाने के निर्देश दिए। इस योजना में समुदाय और परिवारों का सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण, परिवार के आहार पोषण स्तर में सुधार, भूमि एवं जल संरक्षण आदि के कार्य किए जाते हैं।

बैठक में अधिकारियों ने बताया कि खरीफ सीजन 2024 के सभी आवश्यक तैयारियां विभाग द्वारा कर ली गई है। राज्य में खाद और बीज की पर्याप्त उपलब्धता है। किसानों की मांग के अनुरूप खाद बीज का भण्डारण किया जा रहा है। खरीफ सीजन 2024 के लिए किसानों द्वारा 544 लाख टन बीज के मांग के अनुरूप 431 लाख टन का भण्डारण कर लिया गया हैं। वहीं 261 लाख टन बीज का वितरण किसानों को किया जा चुका है। जबकि पिछले वर्ष आज की स्थिति में 402 लाख टन बीज का भण्डारण कर 165 लाख टन बीज का वितरण किया गया था।

मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में अधिकारियों ने बताया कि खरीफ सीजन 2024 के लिए उर्वरक की पर्याप्त उपलब्धता है। किसानों के लिए 13.68 लाख मेट्रिक टन खाद की उपलब्धता को लक्ष्य लेकर तैयारी की गई है। इसमें यूरिया 6.50 लाख मेट्रिक टन, डीएपी 3.40 लाख मेट्रिक टन, एसएसपी 2 लाख मेट्रिक टन, एनपीके 1.20 लाख मेट्रिक टन और एनओपी उर्वरक 58 हजार मेट्रिक टन शामिल है। लक्षित रासायनिक खाद के विरूद्ध 10.38 लाख मेट्रिक टन (76 प्रतिशत खाद) का भण्डारण हो चुका है, वहीं 4.98 लाख मेट्रिक टन (36 प्रतिशत) खाद का वितरण किसानों को किया जा चुका है। खाद बीज वितरण की नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने केंद्र और राज्य प्रवर्तित योजनाओं की प्रगति की जानकारी बैठक में अधिकारियों से ली। उन्होंने कृषक उन्नति योजना के तहत किसानों को योजना के तहत दी जाने वाले भुगतान की राशि की जानकारी ली। अधिकारियों ने बताया कि योजना में 26 लाख 66 हजार 489 किसान पंजीकृत है। 13 हजार 287 करोड़ रूपए का भुगतान किसानों को हो चुका है। खाता संबंधित त्रुटि के कारण 280 किसानों का लगभग 2 करोड़ रूपए का अंतरण शेष है। जल्द ही इन खातों का केवाईसी कर अंतरण कर लिया जाएगा।

अधिकारियों ने बताया कि सरगुजा के बलरामपुर में मक्का उत्पादन तथा प्रोसेसिंग के लिए प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के सचिव पी. दयानंद, डॉ. बसवराजु एस., राहुल भगत, कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती शहला निगार सहित संबंधित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

 

झारखंड में किसानों के लिए खुशखबरी, अब दो लाख रुपये तक का लोन माफ करेगी सरकार

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झारखंड सरकार किसानों को राहत पहुंचाने के लिए राज्य सरकार की तरफ से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. किसानों को कर्ज के बोझ से राहत दिलाने के तहत पहले झारखंड में 50 हजार रुपये का लोन माफ किया जा रहा था. अब राज्य सरकार ने इस कर्ज माफी का दायरा बढ़ा दिया है. मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के निर्देश पर कर्जमाफी की राशि को बढ़ाकर चार गुणा कर दिया गया है. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इस बाबत निर्देश दिया है कि झारखंड के किसानों का दो लाख रुपये तक का लोन माफ किया जाएगा इसके लिए नियमावली तैयार की जाए. इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अब झारखंड में उन किसानों को भी ऋण माफी योजना का लाभ मिलेगा जिन्होंने दो लाख रुपये तक का लोन लिया है.

वर्तमान में कृषि ऋण माफी योजना का लाभ सिर्फ उन किसानों को दिया जा रहा था जिन्होंने 50 हजार रुपये तक का लोन लिया है. पर अब इसे बढ़ाकर दो लाख रुपये तक करने की तैयारी की जा रही है. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि कर्ज माफी की इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए जल्द से जल्द कागजी कार्रवाई को पूरा करें. साथ ही कहा कि झारखंड के अधिक से अधिक किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड से आच्छादित किया जाए. इसके लिए तत्काल पहल शुरू करें, साथ ही कहा कि वैसे किसानों जिन्होंने समय पर अपना लोन चुकाया है उन्हें ब्याज मुक्त कृषि लोन दिया जाएगा.

जल्द शुरू हो बीज बांटने का काम

झारखंड में खरीफ सीजन में किसानों को धान के बीज के लिए परेशानी का सामना नहीं करना पड़े और सही समय पर नर्सरी तैयार करने के लिए किसानों को बीज मिले इसे लेकर भी मुख्यमंत्री ने तैयारी करने के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य के किसानों को जून के आखिरी सप्ताह तक या जुलाई के पहले सप्ताह तक धान बीज का वितरण कर दिया जाना चाहिए. बता दें कि राज्य सरकार किसानों को 50 फीसदी अनुदान पर धान के उन्नत बीज उपलब्ध कराती है. किसान अपने संबंधित लैंपस या पैक्स में जाकर धान प्राप्त कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें पहले से ही आवेदन देना होता है.

बिरसा हरित ग्राम योजना में लाएं तेजी

इसके अलावा मुख्यमंत्री ने राज्य में संचालित बिरसा हरित ग्राम योजना में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत लगाए गए पेड़ों की उचित देखभाल की जाए और उनका उचित रख-रखाव भी किया जाना चाहिए. इस योजना का लाभ ग्रामीणों को पहुंचना चाहिए. योजना के तहत फलदार पौधे लगाए जाते हैं. जिसे बेचकर ग्रामीण अपनी आजीविका कमा सकते हैं साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण से लड़ने में इससे मदद मिल सकती है क्योंकि ग्रामीणों के आसानी से खाने के लिए फल उपलब्ध हो जाता है.

लखनऊ के AKTU में आज लगेगी ‘ड्रोन’ तकनीकी की पाठशाला, IIT कानपुर के वैज्ञानिक देंगे किसानों को टिप्स

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Drone Technology: खेती-किसानी में ड्रोन का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है. इसी कड़ी में शुक्रवार को राजधानी लखनऊ के डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) के सेंटर फॉर एडवांस स्टडीज और एआरके इंफो सॉल्यूशन की ओर से ड्रोन तकनीकी पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. एकेटीयू के जन सम्पर्क अधिकारी डॉ पवन कुमार त्रिपाठी ने बताया कि कुलपति प्रो जेपी पांडेय के निर्देशन और कैश के निदेशक प्रो वीरेंद्र पाठक के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यशाला में ड्रोन तकनीकी कि विभिन्न आयामों के बारे में बताया जाएगा. मसलन, ड्रोन तकनीकी की सामन्य जानकारी, विभिन्न उद्योगों में ड्रोन एप्लिकेशन, ड्रोन बनाने की प्रक्रिया, वर्तमान चुनौतियां, पर्यावरण और समाज के लिए उपयोगी आदि पर चर्चा की जाएगी. उन्होंने बताया कि कार्यशाला के मुख्य वक्ता आईआईटी कानपुर के डॉ अभिषेक होंगे. जबकि समन्वयक एसो डीन डॉ अनुज कुमार शर्मा रहेंगे.

किसानों को मिलेगी ड्रोन की पूरी जानकारी

डॉ पवन कुमार त्रिपाठी ने बताया कि बीज की बुवाई करनी हो, फसलों पर कीटनाशक का छिड़काव करना हो फर्टिलाइजर डालना हो, यह सभी काम अब ड्रोन के जरिए किए जा सकेंगे. इसके लिए खास प्रोग्राम डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में चलाया जाएगा. जिसमें किसानों, स्टूडेंट और कोई भी व्यक्ति जो चाहे वह शामिल हो सकता हैं. इसमें उन्हें ड्रोन को कृषि के क्षेत्र में इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके साथ ही उन्हें खास ट्रेनिंग दी जाएगी कि कैसे वह कृषि क्षेत्र में ड्रोन के इस्तेमाल से फार्मिंग कर सकते हैं.

जानिए ड्रोन से खेती करने के फायदे

एकेटीयू के जन सम्पर्क अधिकारी डॉ पवन कुमार त्रिपाठी बताते हैं कि अभी किसानों को आमतौर पर खेत की बुवाई में पूरा दिन लग जाता है. लेकिन ड्रोन टेक्नोलॉजी की मदद से सिर्फ 25 मिनट में एक एकड़ जमीन में किसान बुवाई कर सकेंगे. इतना ही नहीं इसमें कीटनाशक का छिड़काव करना हो या फिर फसलों में खाद डालना हो यह सब काम भी इसी ड्रोन की मदद से किया जा सकेंगे. गति संस्था के पास एग्रीकल्चर ड्रोन है जिसका इस्तेमाल फसल में किया जा सकता है. यह ड्रोन 14 किलो का वजन रखकर अपने साथ उड़ सकता है. इसकी कुल क्षमता 29 किलो की है जिसमें 15 किलो ड्रोन का वजन है और यह एक बार के चार्ज में 20 से 25 मिनट तक काम कर सकता है. इससे समय और मेहनत दोनों की बचत होती है.

गांव के बेरोजगार युवकों को सरकार देती है एक सांड, नस्ल सुधार की इस योजना के बारे में जानिए

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आज के समय में बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है. इतना ही नहीं, यह सरकार के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं है. बेरोजगारी को खत्म करने के लिए सरकार की ओर से कई कदम भी उठाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में आज हम एक ऐसी सरकारी योजना के बारे में बात करेंगे जिसके तहत सरकार बेरोजगार युवाओं को सांड देती है. इसका मुख्य उद्देश्य बेरोजगारी को खत्म करने के साथ-साथ नस्ल सुधारना भी है. आइए जानते हैं क्या है यह पूरी योजना.

कैसे होता है लाभार्थी का चयन

इस योजना के अन्तर्गत प्रगतिशील पशुपालक या गौ-सहायक, ग्रामीण बेरोजगार युवक को उच्च नस्ल का सांड उपलब्ध कराया जाता है. जिन ग्राम पंचायतों में कृत्रिम गर्भाधान की नियमित व्यवस्था नहीं है, उन्हें सांड उपलब्ध कराए जाते हैं. ग्राम पंचायत पात्र लाभार्थी का चयन कर अनुमोदन करती है और प्रस्ताव देती है. आवेदन निकटतम पशु औषधालय में जमा कराया जाता है. आपूर्ति किए गए सांड के समुचित प्रबंधन की जिम्मेदारी के लिए ग्राम पंचायत और लाभार्थी द्वारा 50 रुपए के अनुबंध पत्र में शपथ ली जाती है.

सैक्स शॉर्टेन्ड सीमेन योजना

दूध उत्पादन बढ़ाने और आवारा पशुओं पर नियंत्रण के लिए सरकार ने सैक्स शॉर्टेन्ड सीमेन योजना शुरू की है. पशुपालक सरकारी पशु अस्पतालों में गर्भाधान करवाकर पशुओं की नस्ल सुधार सकते हैं. इससे न सिर्फ दूध उत्पादन बढ़ेगा बल्कि पशुओं की नई नस्ल भी तैयार होगी.

300 से 400 रुपये का मुनाफा

आपको बता दें कि भैंसों का प्रजनन सांढ की मदद से किया जाता है. ग्रामीण और शहरी इलाकों में प्रजनन के लिए सांढ का इस्तेमाल आज भी किया जाता है. प्रत्येक प्रजनन से 300 से 400 रुपये मिलते हैं. यह एक आसान और कारगर तरीका है. जिसकी मदद से बेरोजगार लोगों को आमदनी होती है.

 

साय सरकार के छह माह : सुशासन के ट्रैक पर विकास ने फिर पकड़ी रफ्तार… किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए हुए ऐतिहासिक फैसले

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रायपुर: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में सुशासन के ट्रैक पर छत्तीसगढ़ ने फिर से विकास की रफ्तार पकड़ ली है। बीते छह माह पर नजर डाले तो साय सरकार ने किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए बहुत कम समय में ऐतिहासिक फैसले लिए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए वर्ष 2047 तक विकसित-छत्तीसगढ़ का निर्माण के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए विजन डाक्यूमेंट तैयार करने का काम भी शुरू कर दिया गया है।

विधानसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ के लोगों को गारंटी दी थी कि छत्तीसगढ़ में लोगों के जीवन में खुशहाली और समृद्धि के लिए सुशासन की स्थापना की जाएगी। इसे ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने एक अलग सुशासन और अभिसरण विभाग का गठन किया है। यह विभाग कल्याणकारी नीतियों के सफल क्रियान्वयन, उपलब्ध संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग और जन समस्याओं के त्वरित निराकरण के लिए काम कर रहा है। सभी विभागों को सुशासन के लिए अधिक से अधिक आईटी का इस्तेमाल करने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं की निगरानी और समीक्षा के लिए पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन 25 दिसंबर 2023, सुशासन दिवस पर अटल मॉनिटरिंग पोर्टल का शुभारंभ किया गया है।

साय सरकार ने आवासहीन और जरूरतमंद 18 लाख परिवारों के लिए प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति, 13 लाख से अधिक किसानों को धान की बोनस राशि, 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से और 21 क्विंटल प्रति एकड़ के मान से धान खरीदी, महतारी वंदन योजना में 70 लाख से अधिक गरीब परिवारों की महिलाओं को हर माह एक-एक हजार रूपए देने जैसे अनेक निर्णयों पर क्रियान्वयन किया है। राज्य के माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में माओवाद उन्मूलन के लिए तेजी से काम किया जा रहा है। इन क्षेत्रों में लोगों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए नियद नेल्लानार योजना शुरू की गई है। महतारी वंदन योजना, कृषक उन्नति योजना, रामलला दर्शन योजना, उद्यम क्रांति योजना जैसी कई अभिनव योजनाओं की शुरूआत हुई है। लोकतंत्र सेनानियों (मीसा बंदियों) की सम्मान निधि फिर से शुरू कर दी गई है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय 13 जून से सभी विभागों में प्रशासनिक कसावट लाने के लिए समीक्षा बैठक लेने का सिलसिला शुरू कर रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों से कहा है कि जन कल्याणकारी कार्यक्रम का क्रियान्वयन, पारदर्शिता और जवाबदेही को सर्वोच्च प्राथमिकता रखें। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से कहा है कि आम नागरिकों की दिक्कतें दूर करने के लिए संवेदनशील होकर कार्य करें। लोकसभा निर्वाचन के बाद अब शासन की योजनाओं को आम नागरिकों तक पहुंचाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार लगातार तेजी से काम कर रही है। दीनदयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषि मजदूर योजना जैसी अनेक योजनाओं के क्रियान्वयन पर तैयारी शुरू कर दी गई है। राजस्व प्रशासन को भी मजबूत किया जा रहा है। भूमि संबंधी विवादों और दिक्कतों को दूर करने के लिए भू-नक्शों की जियो रिफरेसिंग पर भी रणनीति तैयार कर ली गई है।

18 लाख आवास स्वीकृत
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सरकार बनने के दूसरे ही दिन कैबिनेट की बैठक आयोजित कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी के अनुरूप 18 लाख 12 हजार 743 जरूरतमंद परिवारों को प्रधानमंत्री आवास उपलब्ध कराने स्वीकृति दे दी। इसके लिए 12 हजार 168 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया गया है।

13 लाख किसानों को धान का बोनस
मोदी जी ने प्रदेश के किसानों को गारंटी दी थी कि सरकार बनने पर राज्य के किसानों को 2 साल का बकाया धान बोनस देंगे। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस, सुशासन दिवस पर छत्तीसगढ़ सरकार ने 13 लाख किसानों के बैंक खातों में 3716 करोड़ रुपए का बकाया धान बोनस अंतरित कर इस गारंटी को भी पूरा किया है।

3100 रूपए में धान की खरीदी
साय सरकार ने 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से और 21 क्विंटल प्रति एकड़ के मान से धान खरीदने की गारंटी को पूरा करते हुए 32 हजार करोड़ रुपए के समर्थन मूल्य की राशि का तत्काल भुगतान किसानों को किया और फिर 12 जनवरी को 24 लाख 75 हजार किसानों को कृषक उन्नति योजना के अंतर्गत अंतर की राशि 13 हजार 320 करोड़ रुपए की राशि अंतरित की है। इस साल खरीफ सीजन में राज्य में 145 लाख मीटिरक टन धान की रिकॉर्ड खरीदी हुई है।

70 लाख महिलाओं का वंदन
महतारी वंदन योजना के अंतर्गत महिलाओं के बैंक खातों में राशि अंतरण का शुभारंभ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की वर्चुअल उपस्थिति में 10 मार्च 2024 को हुआ। इस योजना के अंतर्गत राज्य की पात्र महिलाओं को प्रति माह एक-एक हजार रुपए की सहायता राशि दी जा रही है। योजना का लाभ 70 लाख से अधिक महिलाओं को मिल रहा है। अब तक इस योजना की चार माह की राशि जारी की जा चुकी है। पिछली सरकार ने महिला स्व सहायता समूहों से रेडी टू ईट का काम छीन लिया था। छत्तीसगढ़ सरकार ने अब फिर से उन्हें यह काम सौंप दिया है।

श्री रामलला दर्शन योजना
छत्तीसगढ़ के श्रद्धालुओं को अयोध्या में विराजमान श्री रामलला के दर्शन हेतु निःशुल्क आवागमन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्य में श्री रामलला अयोध्या धाम दर्शन योजना संचालित की जा रही है। शासकीय व्यय में अब तक हजारों दर्शनार्थी श्री रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या भेजे जा चुके हैं।

तेन्दूपत्ता संग्रहण दर अब 5500 रुपए
राज्य में तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर 4000 रुपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर अब 5500 रुपए प्रति मानक बोरा कर दी गई है। चालू तेंदूपत्ता सीजन से ही 12 लाख 50 हजार तेंदूपत्ता संग्राहकों को योजना का लाभ मिल रहा है। संग्राहकों के लिए राज्य सरकार द्वारा चरण पादुका योजना भी शुरू की जाएगी, साथ ही उन्हें बोनस का लाभ भी दिया जाएगा।

भर्ती में युवाओं को पांच वर्ष की छूट
युवाओं की बेहतरी के लिए राज्य सरकार ने अहम निर्णय लेते हुए पुलिस विभाग सहित विभिन्न शासकीय भर्तियों में युवाओं को निर्धारित अधिकतम आयु सीमा में 05 वर्ष की छूट का निर्णय लिया है। अभ्यर्थियों को 31 दिसंबर 2028 तक आयु सीमा में 05 वर्ष छूट का लाभ मिलेगा।

यूपीएससी की तर्ज पर होगी पीएससी
यूपीएससी की तर्ज पर छत्तीसगढ़ पीएससी परीक्षा को पारदर्शी बनाने के लिए यूपीएससी के पूर्व चेयरमेन श्री प्रदीप कुमार जोशी की अध्यक्षता में आयोग का गठन कर दिया गया है। पीएससी की घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है।

पांच शक्तिपीठों का होगा विकास
राज्य की 5 शक्तिपीठों के विकास के लिए बजट में 5 करोड़ रुपए का प्रावधान कर दिया गया है। शक्तिपीठों के विकास के लिए चारधाम की तर्ज पर 1000 किलोमीटर की परियोजना शुरू की जाएगी। ग्रामीण घरों को नल से जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जल जीवन मिशन के अंतर्गत 4500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।

युवाओं के लिए उद्यम क्रांति योजना
राज्य में युवा स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए उद्यम क्रांति योजना शुरू करते हुए बजट प्रावधान भी कर दिया है। इस योजना के तहत युवाओं को स्वरोजगार स्थापित करने के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी पर ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था की गई है।

अधोसंरचना और कनेक्टीविटी पर जोर
राज्य में सड़क, रेल और हवाई यातायात की सुविधाओं के विस्तार का काम भी शुरू हो चुका है। बिलासपुर और जगदलपुर से नयी उड़ानें शुरू हो चुकी हैं। जशपुर और बलरामपुर हवाई पट्टी के विस्तार के लिए बजट में प्रावधान कर दिया गया है। अंबिकापुर और जगदलपुर हवाई अड्डों में भी सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है।

गरीबों के लिए मुफ्त राशन

छत्तीसगढ़ सरकार ने 68 लाख गरीब परिवारों को 05 साल तक मुफ्त राशन देने का निर्णय लिया है। इसके लिए बजट में 34 सौ करोड़ रुपए का प्रावधान है। दीनदयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषि मजदूर योजना के अंतर्गत प्रति वर्ष 10 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इसके लिए भी बजट में 500 करोड़ रुपए का प्रावधान कर दिया गया है।

राजिम कुम्भ कल्प की पुनः शुरूआत

राज्य की संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए राजिम मेले का आयोजन पुनः उसके व्यापक स्वरूप में राजिम कुंभ कल्प के रूप में शुरू कर दिया गया है। बस्तर में प्राचीन काल से चले आ रहे अनेक ऐतिहासिक मेलों को भी शासकीय संरक्षण और सहायता दी जा रही है।

रायपुर में आईटी हब बनाने का काम शुरू

रायपुर को आईटी हब बनाने का काम शुरू हो गया है। हाल ही में 2 आईटी कंपनियों के साथ एमओयू हुआ है, उन्हें फर्नीस्ड बिल्डअप एरिया भी उपलब्ध करा दिया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार नवा रायपुर को बेंगलुरू की तर्ज पर आईटी हब के रूप में विकसित करने की दिशा में कार्य कर रही है।

शहीद वीर नारायण सिंह स्वास्थ्य योजना

राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के साथ ही शहीद वीरनारायण सिंह स्वास्थ्य योजना शुरू करने का निर्णय लिया गया है। राज्य के दो बड़े मेडिकल कॉलेज अस्पतालों, मेडिकल कॉलेज अस्पताल रायपुर और छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस बिलासपुर (सिम्स) में भवन के विस्तार और सुविधाओं के विकास का काम शुरू कर दिया गया है।

आईआईटी की तर्ज पर प्रौद्योगिकी संस्थान

राज्य में उच्च शिक्षा विभाग राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने का निर्णय लिया है। आईआईटी की तर्ज पर राज्य के जशपुर, बस्तर, कबीरधाम, रायपुर और रायगढ़ में प्रौद्योगिकी संस्थानों का निर्माण किया जाएगा। राज्य में छत्तीसगढ़ उच्च शिक्षा मिशन की स्थापना की जाएगी।

राज्य-राजधानी क्षेत्र का विकास

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र विकास योजना की तर्ज पर राज्य राजधानी क्षेत्र (एससीआर) के विकास के लिए विस्तृत योजना बनाने का प्रावधान किया गया है। इससे राज्य में शहरी विकास को बढ़ावा मिलेगा।

इंडस्ट्रियल कॉरिडोर

राष्ट्रीय राजमार्गों के आसपास औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कोरबा-बिलासपुर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का निर्माण करने का निर्णय लिया गया है। इन्वेस्ट इंडिया की तर्ज पर इन्वेस्ट छत्तीसगढ़ आयोजित करने के लिए बजट में पांच करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। खनिजों के परिवहन में पारदर्शिता के लिए खनिज परिवहन हेतु ऑनलाइन ई-ट्रांजिट पास जारी करने की व्यवस्था पुनः प्रारंभ की गई है। इससे राज्य को मिलने वाले राजस्व में वृद्धि होगी।

आर्थिक सलाहकार परिषद

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में आर्थिक विकास की गति को बढ़ाने के लिए विशेषज्ञ संस्थाओं से परामर्श करने तथा देश और दुनिया में चल रहे बेस्ट प्रैक्टिस को राज्य की परिस्थिति के अनुरूप लागू करने के लिए छत्तीसगढ़ आर्थिक सलाहकार परिषद का गठन करने का निर्णय लिया गया है।

कृषि विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय राष्ट्रीय आम महोत्सव 12 से 14 जून तक आयोजित

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रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, संचालनालय उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी, छत्तीसगढ़ शासन तथा प्रकृति की ओर सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 12, 13 एवं 14 जून को कृषि महाविद्यालय परिसर रायपुर में राष्ट्रीय आम महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। राष्ट्रीय आम महोत्सव का शुभारंभ श्री रामविचार नेताम मंत्री, कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग, आदिम जाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास विभाग, छत्तीसगढ़ शासन करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल, करेंगे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री अनुज शर्मा, विधायक, धरसींवा, श्री मोतीलाल साहू, विधायक, रायपुर ग्रामीण एवं डॉ. संजय अलंग, कुलपति महात्मा गांधी उद्यानिकी विश्वविद्यालय, पाटन, दुर्ग उपस्थित रहेंगे।

राष्ट्रीय आम महोत्सव में आम की 150 से अधिक किस्मों एवं आम से बने 56 व्यंजनों का प्रदर्शन किया जायेगा। इस कार्यक्रम में आम की विभिन्न किस्मों की प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है जिसमें छत्तीसगढ़ एवं देश के विभिन्न राज्यों के आम उत्पादक शामिल होंगे। अवसर पर आम से बने विभिन्न व्यंजनों की प्रतियोगिता भी आयोजित है। इसके अतिरिक्त आम की सजावट प्रतियोगिता भी आयोजित की जा रही है जिसमें विद्यालयीन एवं महाविद्यालयीन विद्यार्थी, महिलाएं तथा अन्य सामान्यजन भी पंजीयन कर भागीदारी कर सकते है। इस प्रतियोगिता में पंजीयन एवं प्रवेश पूर्णतया निःशुल्क रहेगा।

राष्ट्रीय आम महोत्सव में संस्थागत एवं व्यक्तिगत प्रतियोगी भी सहभागी हो सकते हैं। आयोजन के प्रथम दिवस 12 जून को प्रातः 9 बजे से 12 बजे तक प्रविष्टियों का पंजीयन किया जाएगा। इसके पश्चात सामान्यजनों के लिए प्रदर्शनी अवलोकनार्थ सायः 9 बजे तक खुली रहेगी। इस प्रदर्शनी में आम की विभिन्न किस्मों के फल, आम के विभिन्न उत्पाद एवं आम के पौधे भी सामान्यजनों हेतु विक्रय के लिए उपलब्ध रहेंगे। आयोजन के द्वितीय दिवस आम उगाने वाले कृषकों एवं जिज्ञासुओं के लिए 13 जून को 12 बजे से 4 बजे तक तकनीकी मार्गदर्शन एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया है, जिसमें छत्तीसगढ़ में उच्च गुणवत्ता के आम की विभिन्न किस्मों का उत्पादन, आम के विभिन्न उत्पाद एवं उनके विपणन के साथ ही आम उत्पादन हेतु छत्तीसगढ़ शासन की योजनाओं की भी जानकारी प्रदान की जायेगी, जिससे नयी पीढ़ी के लोग आम उत्पादन की ओर बढ़ सके। आम उत्पादन को पर्यावरण के संरक्षण के साथ एक स्वास्थ्यवर्धक व्यवसाय के रूप में अपनाने की जानकारी आम लोगों को प्रदान की जा जाएगी।

राष्ट्रीय आम महोत्सव के अंतिम दिन प्रदर्शनी के अवलोकन के साथ ही प्रतिभागियों के लिए पुरस्कार वितरण एवं सम्मान समारोह का आयोजन भी किया जायेगा। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय फल ‘‘आम’’ जो कि आम जनता का प्रिय फल है उसकी समस्त सामान्य एवं खास किस्मों, विशिष्ट उत्पादों एवं भविष्य में अधिक उत्पादन के लिए रोजगार के साधनों की जानकारी सामान्य नागरिकों, महिलाआें, विद्यर्थियों, नव उद्यमियों एवं कृषकों को प्रदान करना है। राष्ट्रीय आम महोत्सव के अवसर पर आयोजित प्रतियोगिता में प्रतिभागी न्यूनतम 10 आम प्रति किस्म के साथ भाग ले सकते हैं। इस अवसर पर आयोजित आम से बने विभिन्न व्यंजनों की प्रतियोगिता सामान्य जन न्यूनतम 250 ग्राम आम के उत्पाद को पंजीयन कर इस प्रतियोगिता में शामिल हो सकते हैं। राष्ट्रीय आम महोत्सव में ‘प्रकृति की ओर’ सोसायटी की तरफ से आम की पांच गुठलियां लाने पर एक आम का फल दिया जाएगा। प्रति व्यक्ति एक आम ही दिया जाएगा। इस आयोजन में पंजीयन एवं प्रवेश निशुल्क है अतः इस अवसर का लाभ प्राप्त करने हेतु सहभागी बने।

 

Farmers Apps : छत्तीसगढ़ में किसानों के मददगार बनेंगे ये दो मोबाइल ऐप, सरकार कराएगी डाउनलोड

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देश के किसानों को मौसम की सटीक जानकारी मुहैया कराने में मौसम विभाग के दो Mobile App, दामिनी और मेघदूत बहुत कारगर साबित हुए हैं. आदिवासी बहुल राज्य छत्तीसगढ़ के किसान अभी भी खेती की आधुनिक तकनीकों से महरूम हैं. इस कमी को दूर करने के लिए छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने किसानों को IMD के इन दोनों मोबाइल ऐप से लैस करके किसानों को आधुनिक तकनीक से जोड़ने की मुहिम शुरू की है. सरकार की दलील है कि देश में किसानों की पहली जरूरत सिंचाई है और सिंचाई के मामले में किसान पूरी तरह से बारिश पर निर्भर हैं. ऐसे में Rural Population की बहुलता वाले छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में दूरदराज के इलाकों के किसानों को बारिश या मौसम जनित घटनाओं का समय से पहले सटीक पूर्वानुमान बताने के साधनों से लैस करना समय की मांग है. इस मांग को पूरा करने के लिए सरकार ने मौसम से जुड़े दो मोबाइल ऐप किसानों को मुहैया कराने की पहल की है.

जानेंगे किसान, बारिश और बिजली गिरने का पूर्वानुमान

छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से बताया गया कि किसानों के लिए मौसम से जुड़ी दो सबसे गंभीर समस्याएं होती हैं. पहली, इस बात का पता चलना कि बारिश, कब ओर कितनी मात्रा में होगी. दूसरा बिजली गिरने से भी किसानों को जनधन की हानि का सामना करना पड़ता है. इसके लिए सरकार ने मौसम जनित इन दोनों समस्याओं के घटित होने के सटीक पूर्वानुमान से किसानों काे अवगत कराने के लिए मौसम विभाग के दो मोबाइल ऐप का सहारा लिया है.

राज्य सरकार Smart Phone रखने वाले किसानों को दामिनी और मेघदूत ऐप का उपयोग करना सिखाएगी. किसान, दामिनी ऐप की मदद से आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं का पूर्वानुमान हासिल कर सकेंगे. वहीं, मेघदूत ऐप से उन्हें पहले ही पता चल जाएगा कि कब किस इलाके में कितनी बारिश होगी. सरकार का मानना है कि अब किसानों और ग्रामीणों के दो सच्चे साथी के रूप में ‘दामिनी और मेघदूत’ हमेशा उनके साथ रहेंगे. मेघदूत एप उन्हें मौसम की सटीक जानकारी से लैस करेगा, तो दूसरा आकाशीय बिजली के कहर से किसानों को बचाएगा.

गाैरतलब है कि छत्तीसगढ़ में मानसून की दस्तक के साथ ही खेती-किसानी का काम शुरू हो जाता है. Rainfall Prediction की सटीक जानकारी मिलने के कारण किसान समय से बुआई और जरूरत के मुताबिक सिंचाई कर सकेंगे. साथ ही आकाशीय बिजली से होने वाली जनहानि और पशुधन के संकट से भी बच सकेंगे.

हर गांव में होगी मुनादी

भारत सरकार के Ministry of Earth Science ने मेघदूत और दामिनी ऐप विकसित कर मौसम विभाग के माध्यम से देश के किसानों को मुहैया कराए हैं. किसान इन ऐप को Google Play Store के माध्यम से किसी भी Android Phone पर डाउनलोड कर सकते हैं.

छत्तीसगढ़ के किसानों तक इन ऐप की पहुंच अभी भी उम्मीद के मुताबिक नहीं हो पाई थी. इस कमी को दूर करने के लिए अब राज्य सरकार के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने किसानों तक ये ऐप पहुंचाने की पहल की है. विभाग द्वारा सभी जिला कलेक्टरों को इन दोनों ही ऐप किसानों तक पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं. इसके लिए इन ऐप की खूबियों से किसानों को अवगत कराने के लिए इनका व्यापक प्रचार करने को कहा गया है. शासन के निर्देश पर हर गांव में मुनादी पिटवाकर किसानों को ये ऐप उनके फोन में डाउनलोड कराए जाएंगे.

सरकार को भरोसा है कि इन ऐप की मदद से किसानों को मौसम की सटीक जानकारी मिलने के कारण खेती का काम व्यवस्थित और सुचारू हो सकेगा. मेघदूत ऐप के माध्यम से किसान सर्दी और गर्मी के अलावा वर्षा की स्थिति, हवा की गति एवं दिशा आदि की जानकारी मिलेगी. वहीं, मानसून के दौरान ही आकाशीय बिजली की घटनाओं का सिलसिला शुरू होने से किसानों की मुसीबत बढ़ जाती है. इस संकट से बचने में दामिनी ऐप किसानों का मददगार बनेगा. इस ऐप के माध्यम से 20 से 31 किलोमीटर के दायरे में आकाशीय बिजली का पूर्वानुमान किसानों को मिल सकेगा. सरकार की ओर से जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया गया है कि वे किसानों को इन मोबाइल ऐप काे डाउनलोड करने में मदद करने के अलावा इनके इस्तेमाल करने की भी पुख्ता जानकारी दें.

 

Tribal Youth Hostel : छत्तीसगढ़ के दलित, पिछड़े और आदिवासी छात्र आईएएस बनने का सपना कर सकेंगे साकार

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Indian Administrative Services की परीक्षा में सफल होने को लेकर दिल्ली के छात्रों का दबदबा हमेशा से रहा है. इसके पीछे की मूल वजह दिल्ली में शिक्षा की उन्नत सुविधाएं होना है. वहीं, छत्तीसगढ़ के दूरदराज के इलाकों में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं. इस कारण राज्य सरकार ने दिल्ली में दलित, पिछड़े और आदिवासी छात्रों को इस परीक्षा की तैयारी कराने की सुविधा देने की पहल की है. इसके लिए छत्तीसगढ़ के वंचित वर्गों के छात्रों को राज्य सरकार द्वारा दिल्ली में Tribal Youth Hostel की सुविधा मुहैया कराई जा रही है. इसमें छात्रों को भोजन, आवास और कोचिंग की सुविधा मुहैया कराई जाती है. राज्य की विष्णुदेव साय सरकार ने हॉस्टल में छात्रों के लिए सीटों की संख्या में चार गुना इजाफा कर इसकी सेवा सुविधा क्षमता को बढ़ा दिया है.

अब 200 छात्र कर सकेंगे कोचिंग

छत्तीसगढ़ के छात्रों के लिए दिल्ली में संचालित हो रहे ट्राइबल यूथ हॉस्टल में अभी तक 50 छात्रों के रहने और कोचिंग करने की सुविधा थी. राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर इस हॉस्टल की क्षमता को बढ़ाकर 200 कर दिया गया है. हाल ही में सीएम साय ने दिल्ली प्रवास के दौरान यूथ हॉस्टल का दौरा कर छात्रों को मिल रही सुविधाओं में इजाफा किए जाने का जायजा लिया.

सीएम कार्यालय की ओर से बताया गया कि वंचित तबकों के छात्रों को प्रशासनिक अधिकारी बनने का सपना साकार करने में छत्तीसगढ़ सरकार मददगार बनी है. इसके लिए राज्य सरकार ने दिल्ली में संचालित ट्रायबल यूथ हॉस्टल का मुख्यमंत्री साय ने दौरा कर कहा कि अब ज्यादा संख्या में राज्य के छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए प्रोत्साहित होंगे. उन्होंने भरोसा जताया कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दिल्ली के द्वारका स्थित में संचालित ट्रायबल यूथ हॉस्टल सिविल सेवा की तैयारी के मामले में देश का अद्वितीय संस्थान बन गया है.

सीएम साय ने कहा कि इस संस्थान में पढ़ रहे छात्रों की सफलता की दर को देखते हुए सरकार ने अब इसमें 50 छात्रों से बढ़ाकर 200 छात्रों के रहने, खाने और पढ़ने का इंतजाम कर दिया है. इसमें छात्रों के अलावा छात्राओं को भी पढ़ने की सुविधा मुहैया कराई जाती है. उन्होंने हॉस्टल के छात्रों से मुलाकात कर उनसे पढ़ाई सहित अन्य सुविधाओं की जानकारी ली.

जल्द मिलेगी पीजी की सुविधा भी

सीएम साय ने हॉस्टल का निरीक्षण करने के बाद अधिकारियों को निर्देश दिया कि छात्रों की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाए. उन्हें किसी भी प्रकार की कमी महसूस होने पर उसे तुरंत दूर किया जाए. मुख्यमंत्री ने हॉस्टल की सफाई, सुरक्षा और खानपान के साथ कोचिंग में पढ़ाई की गुणवत्ता बरकरार रखने पर विशेष जोर दिया.

उन्होंने कहा कि हॉस्टल की क्षमता में इजाफा किए जाने के बाद अब अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए छत्तीसगढ़ से दिल्ली आने वाले अभ्यर्थियों को भी राज्य सरकार हॉस्टल एवं Paying Guest (PG) की सुविधा दी जाएगी.

सीएम साय ने कहा कि यह निर्णय छात्रों की शिक्षा और करियर को ध्यान में रखकर लिया गया है. इससे छत्तीसगढ़ के ज्यादा से ज्यादा बच्चों को सिविल सेवा सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने का मौका मिलेगा. उन्होंने छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करें. राज्य सरकार छात्रों की हर संभव मदद के लिए उनके साथ है.

ये रही सफलता की दर

मुख्यमंत्री ने हॉस्टल के अधिकारियों को छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन करने काे कहा. अध‍िकारियों ने बताया कि 2012 में निर्मि‍त ट्रॉयबल यूथ हॉस्टल में छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा पिछड़ा वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को UPSC परीक्षा की तैयारी कराई जाती है. इसमें छात्रों को कोचिंग के साथ आवासीय सुविधा भी उपलब्ध है.

यहां रहकर यूपीएससी की कोचिंग करने वाले हिन्दी माध्यम के अभ्यर्थियों के लिए 1.50 लाख रुपये तथा अंग्रेजी माध्यम के अभ्यर्थियों के लिए 2 लाख रुपये की राशि Empanelled Coaching Institutions को छत्तीसगढ़ सरकार के आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा प्रदान की जाती है. इसके अतिरिक्त हॉस्टल में रह रहे छात्रों को Tribal Department द्वारा प्रतिमाह 12 हजार रुपये की राशि भोजन और परिवहन के सुविधा के लिए दी जाती है.

हॉस्टल में पढ़ रहे छात्रों की सफलता दर के बारे में सीएम द्वारा पूछे जाने पर अधिकारियों ने बताया कि हॉस्टल में अब तक 50 छात्रों के रहने की व्यवस्था थी. इनमें अनुसूचित जनजाति वर्ग की 25 सीटें हैं. इनमें 17 छात्र और 08 छात्राएं होती हैं. वहीं अनुसूचित जाति वर्ग की 15 सीटों में से 10 छात्र और 05 छात्राओं के लिए आरक्षित हैं. इसी प्रकार अन्य पिछड़ा वर्ग की 10 सीटों में से 07 छात्रों और 03 छात्राओं के लिए हैं.

इनमें से अब तक 04 छात्र राजस्व सेवा (IRS) के लिए चुने गए. 04 छात्र यूपीएससी के तहत सहायक कमांडेंट, 16 डिप्टी कलेक्टर, 12 उप पुलिस अधीक्षक, 16 नायब तहसीलदार एवं 77 अन्य पदों पर चुने जा चुके हैं. इस प्रकार कुल 129 अभ्यर्थियों का अब तक विभिन्न सेवाओं में चयन हो चुका है.

जल्द जारी होगी पीएम किसान की 17वीं किस्त, अपने मोबाइल पर ऐसे चेक करें पेमेंट

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रविवार नौ जून को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने जो पहली फाइल साइन की, वह किसान निधि किस्‍त से जुड़ी हुई थी. इस फाइल के साइन होने के बाद से देशभर के किसानों को बड़ा फायदा होगा. पीएम मोदी ने किसान निधि की किस्‍त को मंजूरी देने वाली जिस फाइल पर साइन किए हैं अब उसके बाद जल्‍द ही देश के किसानों के खाते में किसान नि‍धि की 17वीं किस्‍त का पैसा आएगा. सोमवार को इस फाइल के साइन होते ही करोड़ों किसानों को खुशी की खबर मिली थी. पीएम मोदी के फैसले से करीब 20,000 करोड़ रुपये के वितरण को मंजूरी मिली है. इससे देश भर के 9.3 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा.

फरवरी में आई थी 16वीं किस्‍त

शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र के लिए अपने समर्पण को दोहराया है. यह लेटेस्‍ट किस्‍त पीएम-किसान योजना के तहत 16वीं किस्त के बाद आई है. 16वीं किस्‍त का पैसा 28 फरवरी को किसानों के बैंक खातों में पहुंचा था. पीएम-किसान योजना के तहत, खेती योग्‍य जमीन वाले किसानों के परिवारों को 6,000 रुपये का वार्षिक वित्तीय लाभ मिलता है, जो 2,000 रुपये की तीन समान किस्तों में उनके खातों में पहुंचता है. इस योजना का उद्देश्य किसानों के परिवारों को महत्वपूर्ण आर्थिक सहायता प्रदान करना है. सबसे खास बात है कि जो फायदे किसानों को मिल रहे हैं उसका भार पूरी तरह से सरकार पर पड़ता है.

मोबाइल पर कैसे करें चेक

खाते में किसान निधि की 17वीं किस्‍त पहुंची है या नहीं इसका पता लगाने के लिए किसान नीचे दी गई प्रक्रिया को अपना सकते हैं-

स्‍टेप 1- सबसे पहले pmkisan.gov.in पर लॉगइन करें.
स्‍टेप 2- होमपेज पर ‘किसान कॉर्नर’ सेक्‍शन के तहत ‘लाभार्थी स्थिति’ वाले ऑप्‍शन पर क्लिक करें.
स्‍टेप 3- रजिस्‍टर्ड आधार संख्या या बैंक अकाउंट नंबर फीड करें.
स्‍टेप 4- किस्त की स्थिति प्रदर्शित करने के लिए ‘डेटा प्राप्त करें’ विकल्‍प पर क्लिक करें.

eKYC है बहुत जरूरी

पीएम किसान निधि योजना के तहत नामांकित किसानों को अपनी eKYC यानी इलेक्ट्रॉनिक नो योर कस्टमर प्रक्रिया पूरी करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. इस प्रक्रिया को सभी रजिस्‍टर्ड लाभार्थियों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है. पीएम किसान पोर्टल पर ओटीपी के जरिये eKYC प्रक्रिया को पूरा किया जा सकता है.

किसानों को 5000 रुपये प्रति एकड़ देगी सरकार, खरीफ फसलों के लिए खाते में जल्द आएगा पैसा

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तेलंगाना सरकार की तरफ से चालू खरीफ सीजन के लिए रायथु बंधू राशि जारी करने की फैसला किया गया है. पिछले कुछ समय से इस पर विवाद जारी था. विपक्ष का कहना था कि सीएम रेवंत रेड्डी को जून तक इस रकम को जारी कर देना चाहिए. राज्‍य की मीडिया ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया है कि किसानों को चालू खरीफ सीजन के लिए भी 5000 रुपये प्रति एकड़ की दर से रायथु बंधु राशि मिलेगी.

अभी लागू नहीं होगी रायथु भरोसा

कांग्रेस सरकार की 7500 रुपये प्रति एकड़ की दर से रायथु भरोसा योजना इस खरीफ के लिए लागू नहीं होगी क्योंकि दिशा-निर्देशों को अभी अंतिम रूप दिया जाना है. मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने पहले घोषणा की थी कि अगले महीने होने वाले विधानसभा सत्र में इस मुद्दे पर चर्चा के बाद रायथु भरोसा के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए जाएंगे. चूंकि खरीफ सीजन शुरू हो चुका है और विधानसभा सत्र आयोजित होने में समय लगेगा, इसलिए सीएम ने मौजूदा स्तर पर योजना जारी रखने का फैसला किया है.

स्‍कीम को लेकर कन्‍फ्यूजन

कांग्रेस सरकार ने रबी सीजन के लिए पिछली बीआरएस सरकार की 5000 रुपये प्रति एकड़ की रयथु बंधु योजना को जारी रखा था. सरकार ने दिसंबर 2023 में राशि जारी करनी शुरू की थी और मई 2024 तक सभी 65 लाख किसानों को कई चरणों में कवर किया. मुख्यमंत्री रायथु भरोसा पर कुछ प्रतिबंध लगाना चाहते हैं. मीडिया की मानें तो वह यह यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि इसका लाभ वास्तविक किसानों/भूमि मालिकों तक पहुंचे, जो वास्तव में खेती कर रहे हैं.

चाहिए सभी दलों का फीडबैक

बीआरएस सरकार ने रायथु बंधु को गैर-कृषि भूमि जैसे रियल एस्टेट उपक्रमों, पहाड़ियों और सड़कों, सिंचाई परियोजनाओं और अन्य सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए सरकार की तरफ से अधिग्रहित की भूमि तक भी बढ़ाया था. रेवंत रेड्डी सभी दलों से इस बारे में फीडबैक लेना चाहते हैं कि लाभ बढ़ाने के लिए भूमि की सीमा जैसे पांच एकड़ या दस एकड़ लगाई जाए या सभी किसानों को उनकी भूमि की सीमा के बावजूद रायथु बंधु देने की मौजूदा प्रक्रिया जारी रखी जाए. कांग्रेस सरकार इस योजना के तहत काश्तकारों और कृषि मजदूरों को भी शामिल करने का इरादा रखती है.

फसलों को कीटों से बचा सकती हैं प्लास्टिक की रद्दी बोतलें, इस देसी जुगाड़ से बनाएं ट्रैप

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प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग हर घर में किसी न किसी प्रकार से किया जाता है. लेकिन, अक्सर लोग इसका इस्तेमाल करने के बाद उस बोतल को बेकार समझकर फेंक देते हैं. लेकिन इन्हीं बेकार बोतलों का इस्तेमाल कई अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि बेकार बोतलें आपकी फसलों को कीटों से भी बचा सकती हैं. दरअसल, फसलों में अक्सर कीटों का खतरा बना रहता है. ऐसे में प्लास्टिक की रद्दी बोतलों से बने ट्रैप के इस्तेमाल से फसलों को नुकसान होने से बचा सकते हैं. यह एक सस्ता लेकिन प्रभावी तरीका है. आइए जानते हैं कैसे.

कीटों को रख सकते हैं दूर

कीटों को पौधे तक पहुंचने से रोकने के लिए प्लास्टिक की बोतल से बने ट्रैप काफी बेहतर तकनीक साबित होते हैं. इस तकनीक को आजमा कर किसान कीटों को पौधे तक नहीं पहुंचने देते हैं. इस तकनीक की मदद से कीड़ों को पौधे से दूर रखने में मदद मिलती है. साथ ही कीड़े भी नहीं मरते हैं. इसके लिए एक पारदर्शी प्लास्टिक की बोतल का ऊपरी हिस्सा काट लें और उस बोतल को छोटे पौधे के ऊपर जमीन पर रख दें. यह ट्रैप रेंगने वाले कीटों को पौधों से दूर रखेगा.

कैसे बनाएं बोतल से ट्रैप

प्लास्टिक की बोतल से ट्रैप बनाने के लिए कीटों के प्रवेश के लिए प्लास्टिक की बोतल में दो छेद करें. छेद आकार में त्रिकोणीय होने चाहिए. इसके बाद बोतल के अंदर लटकाने के लिए उसमें एक तार बांधें. बोतल के निचले हिस्से में लगभग 2 इंच साबुन का पानी भरें या फिर बोतल के निचले आधे भाग में चारा डालें. फिर उस ट्रैप को तार का उपयोग करके बोतल के ढक्कन से लटका दें. इससे मक्खियां और कीट बोतल की ओर आकर्षित हो जाते हैं और फंस जाते हैं.

फलों के लिए करें इस्तेमाल

फलों पर कीट का हमला शुरू होने की संभावना हमेशा बनी रहती है. खास कर फल जब पकने की स्थिति में हो तब यह खतरा अधिक बढ़ जाता है. इससे बचने के लिए फल पकने से 6 से 8 सप्ताह पहले आप पेड़ों की डालियों पर ट्रैप लगा सकते हैं. इसके अलावा खेतों या बगीचों के आसपास की मक्खियों और कीटों से बचाने के लिए भी इसका उपयोग कर सकते हैं. इसके उपयोग से फसलों का नुकसान होने से बच जाता है.

बकरियों को कैसा चारा पसंद है, किस चारे को नहीं खातीं…तमाम सवालों के यहां पढ़ें जवाब

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बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जो बहुत कम पूंजी और कम जगह में आसानी से किया जा सकता है. बकरी एक छोटा पशु है जिसे बहुत आसानी से पाला जा सकता है. सीमांत और भूमिहीन किसान इसे दूध और मांस के लिए पालते हैं. इसके अलावा बकरी की खाल, बाल और रेशों का भी व्यावसायिक महत्व है. इतना ही नहीं बकरी के दूध, मांस, बाल और छाल की कीमत भी बहुत अधिक है. बकरियां प्रतिकूल कठोर वातावरण में कम उर्वरता वाली भूमि पर उपलब्ध झाड़ियों और पेड़ों को खाकर लंबे समय तक जीवित रह सकती हैं. जहाँ कोई अन्य फसल नहीं उगाई जा सकती उन जगहों पर बकरियों को आसानी से पाला जा सकता है.

आपको बता दें बकरियों के दूध का इस्तेमाल औषधि के लिए किया जाता है. कई बीमारियों में दावा के तरह बकरी के दूध का इस्तेमाल होता है. जिस वजह से बकरी के दूध की कीमत गाय के गाय दूध से भी ज्यादा है. इसी कड़ी में आइए जानते हैं बकरियों को कैसा चारा पसंद है और किस चारे को बकरियां नहीं खाती हैं.

बकरियों के लिए सही चारा

  • ग्रामीण क्षेत्रों में बकरियों को केवल चरने के माध्यम से ही भोजन उपलब्ध कराया जा सकता है.
  • बकरियां इधर-उधर घूमना और अपने पिछले पैरों पर खड़े होकर झाड़ियों और छोटे पेड़ों की पत्तियां खाना पसंद करती हैं.
  • अपने ऊपरी होठों की सहायता से बकरियां छोटी-छोटी घासें और झाड़ियां खा सकती हैं जिन्हें अन्य पशु नहीं खा पाते.
  • बकरी विभिन्न प्रकार के चारे को ग्रहण करती है, लेकिन वह स्वयं या अन्य पशुओं द्वारा गंदा किया गया चारा नहीं खाती.
  • बकरी अपना 70 प्रतिशत समय चरागाह में पत्तियां और झाड़ियां खाते हुए बिताती है.
  • बकरियां आमतौर पर चारे के रूप में फलीदार फसलें पसंद करती हैं, जबकि उन्हें ज्वार, मक्का और भूसा कम पसंद है.
  • सभी प्रकार के चारे को बकरियों को देने से पहले बंडलों में लटका देना चाहिए. इसे ऊंचे मंच पर रखना चाहिए और जहां तक संभव हो, उन्हें धूप में रखी पत्तियां देनी चाहिए.
  • बकरी को नीम, बेर, रसभरी, आम, जामुन, इमली, पीपल, कटहल, बबूल, महुआ आदि पेड़ों की पत्तियां बहुत पसंद होती हैं.
  • बकरियों को हरी गोभी और फूलगोभी के पत्ते भी बहुत पसंद होते हैं.
  • हरे चारे की अनुपस्थिति में, उत्पादन बनाए रखने के लिए पूरक आहार दिया जाना चाहिए.
  • बकरियों को प्रजनन काल, गर्भावस्था के अंतिम महीने में तथा दूध देने वाली बकरियों को पूरक आहार दिया जाना चाहिए.

बकरियों की प्रमुख नस्लें

भारत में बकरियों की कई नस्लें हैं जिन्हें लोग दूध उत्पादन, मांस उत्पादन और अन्य उत्पादों के लिए पालते हैं. बकरियों की मुख्य नस्लें इस प्रकार हैं. जमनापारी, बीटल, तेलीचेरी, बरबरी, सिरोही, ओसामाबादी, कन्नी पीच, कोडी पीच, ब्लैक बंगाल, चैगू, जलवाड़ा आदि हमारे देश में बकरियों की मुख्य नस्लें हैं, जिन्हें पालकर किसान और पशुपालक अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

Kisan Andolan: MSP गारंटी कानून की मांग, क्‍या देशभर में ‘भावांतर’ जैसा समाधान खोज पाएंगे शिवराज!

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MSP गारंटी कानून समेत अन्‍य मांगों को लेकर शुरू हुए किसान आंदोलन के बीच लोकसभा चुनाव संपन्‍न हो गया है, जिसमें बीजेपी के नेतृत्‍व वाले NDA को बहुमत मिला है और नरेंद्र मोदी की तीसरी बार प्रधानमंत्री पद पर ताजपोशी हुई है. वहीं इसी कड़ी मोदी कैबिनेट का गठन भी हो गया है, जिसमें मध्‍य प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कृषि व किसान कल्‍याण मंत्रालय की जिम्‍मेदारी दी गई है.

अब परोक्ष रूप से शिवराज सिंंह चौहान पर किसानों की बहुप्रतिक्षित MSP गारंटी कानून की मांग पर अमल करने की जिम्‍मेदारी है. हालांकि उनके सामने WTO की शर्त की बाधा है तो वहीं इसको लेकर मोदी सरकार के अन्‍य मंत्रालयों में भी सहमति बनाने की जिम्‍मेदारी है.

कुल जमा MSP गारंटी कानून पर संघर्ष लंबा होता हुआ दिखाई दे रहा है, लेकिन इन सबके बीच चर्चाओं का बाजार गर्म है कि MSP गारंटी कानून पर संघर्ष से पहले क्‍या शिवराज किसानों के नुकसान को तत्‍काल कम करने के लिए देशव्‍यापी स्‍तर पर भावांतर योजना जैसा फार्मूला लागू कर सकेंगे.

आइए इसी कड़ी में समझते हैं कि भावांतर योजना क्‍या है, किसे इसे शुरू करने का श्रेय जाता है. कैसे ये योजना शुरू हुई और मौजूदा समय में किन राज्‍यों में ये योजना लागू है. साथ ही जानेंगे कि आखिर क्‍यों कहा जा रहा है कि अगर भावांतर योजना जैसा फार्मूला देशव्‍यापी लागू होगा तो ये किसानों के गुस्‍से को कम करने में मददगार साबित हो सकता है.

शिवराज-मंदसौर किसान आंदोलन को भावांतर का श्रेय

भावांतर योजना क्‍या है, इससे पहले भावांतर कैसे और कब शुरू हुई, इसको लेकर बात कर लेते हैं. असल में मौजूदा कृषि व किसान कल्‍याण मंत्री और एमपी के पूर्व मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भावांतर याेजना शुरू करने का श्रेय जाता है. एमपी में खरीफ सीजन 2017 से ये योजना शुरू की गई थी, जिसकी पृष्‍ठभूमि 6 जून 2017 में मंदसौर में हुआ किसान आंदोलन था. इसमें प्‍याज के कम दामों को लेकर किसानों ने आंदोलन शुरू किया था. इस किसान आंदोलन में 6 किसानों की मौत पुलिस की गोलीबारी से हुई थी.

क्‍या है भावांतर योजना

अब भावांतर योजना क्‍या है, इस पर बात कर लेते हैं. भावांतर याेजना को किसानों के नुकसान को कम करने वाले एक फार्मूला के तौर पर देखा जा सकता है, जो किसानों की फसल बाजार में MSP से कम में बिकने पर सरकारी क्षतिपूर्ति की व्‍यवस्‍था करता है. उदाहरण के तौर पर समझाते हैं कि अगर सोयाबीन की कीमत 3000 प्रति क्‍विंटल है और अगर किसान ने MSP से नीचे 2700 रुपये क्‍विंटल पर फसल बेची है तो भावांतर योजना में MSP और बाजार भाव में अंंतर का भुगतान किसान को करने की व्‍यवस्‍था की गई थी. हालांकि दाम में अधिक गिरावट होने पर सरकार भुगतान की राशि खुद तय करती थी, इसके लिए दो राज्‍यों में दामों का आकलन किया जाता था.

MP में बंद, अब इन राज्‍यों में लागू

देश में सबसे पहले किसानों को MSP से कम में फसल बेचने से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए मध्‍य प्रदेश में भावांतर योजना शुरू की गई, लेकिन 2018 में ये योजना मध्‍य प्रदेश में ही बंद हो गई. मसलन, 2018 के विधानसभा चुनाव में किसान कर्ज माफी के मुद्दे पर कांग्रेस की वापसी हुई और भावांतर योजना जैसा फार्मूला पीछे छुट गया. हालांकि इसके बाद हरियाणा और महाराष्‍ट्र में भावांतर योजना लागू की गई है. हालांकि इन दोनों ही राज्‍यों में भावांतर योजना का दमदार असर नहीं दिखाई देती है.

किसान आंदोलन, WTO और भावांतर योजना

MSP गारंटी कानून की मांग को लेकर 13 फरवरी से किसान आंदोलन जारी है. किसान MSP गारंटी कानून से कम में मानने को तैयार नहीं हैं, लेकिन एक्‍सपर्ट MSP गारंटी कानून की मांग में सबसे बड़ा रोड़ा WTO को मान रहे हैं. कुल मिलाकर ये तय है कि MSP गांरटी कानून की मांग पर बहसों का दौर ही लंबा चलना है, लेकिन अगर समझे तो इस रबी सीजन ही सरसों किसानों को प्रति क्‍विंटल 1000 रुपये से ही अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है. क्‍योंकि उनकी सरसों MSP से नीचे बिकी है. ऐसे में किसानों को तत्‍काल राहत देते हुए भावांतर जैसी योजना को लागू करना जरूरी है. इससे किसानों का नुकसान कम होगा. ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था में तेजी आएगी. इसके साथ ही MSP गारंटी कानून की मांग पर किसानों को अटल रहना चाहिए.

Food Security : छत्तीसगढ़ बनेगा Superfood Hub, सरकार ने ‘अमृत काल’ के लिए तय किया लक्ष्य

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई में राज्य सरकार ने अमृत काल के लिए अपने लक्ष्य तय किए हैं. खेती किसानी की समृद्ध परंपरा वाले इस छोटे से राज्य ने छत्तीसगढ़ को 2047 से पहले देश का Superfood Hub बनाने का लक्ष्य तय किया है. इसके लिए सरकार ने बाकायदा कार्ययोजना भी बना ली है. इसके लिए सीएम साय के दिशानिर्देश पर ’’अमृतकाल: छत्तीसगढ़ विजन @ 2047’’ डॉक्यूमेंट तैयार करने के लिए विशेषज्ञों का Working Group गठित किया गया है. वर्किंग ग्रुप के अधिकारियों की बैठक ‘कृषि एवं वानिकी’ से जुड़े लघु, मध्यम एवं दीर्घकालिक लक्ष्य तय करने का भी निश्चय किया है. वर्किंग ग्रुप की ओर से कहा गया है कि छत्तीसगढ़ को देश में सुपरफूड का केन्द्र बनाने, कौशल विकास, फसल चक्र, जैविक खेती तथा तकनीकीकरण पर फाेकस किया जाएगा.

प्रसंस्करण पर रहेगा जोर

मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बताया गया कि राज्य सरकार ने विकास के विभि‍न्न आयाम तय करते हुए ‘अमृतकाल: छत्तीसगढ़ विजन @ 2047’ डॉक्यूमेंट तैयार करने के क्रम में हर क्षेत्र के लिए वर्किंग ग्रुप गठ‍ित किए हैं. इनमें कृषि एवं वानिकी क्षेत्र के लिए गठित वर्किंग ग्रुप ने अपने भावी लक्ष्य तय करते हुए छत्तीसगढ़ में फसल विविधीकरण की असीमित संभावनाओं को देखते हुए Food Processing पर जोर दिया है. इसका मकसद छत्तीसगढ़ को 2047 से पहले देश का ‘सुपर फूड हब’ बनाना है.

इसके लिए राज्य में खाद्य प्रसंस्करण से किसानों को जोड़ते हुए इसे लघु एवं कुटीर उद्योग के माध्यम से पूरे राज्य में फैलाने की कार्ययोजना बनाई गई है. इस दिशा में Agroforestry और Horticulture से हर किसान को जोड़ कर उन्हें अपने उपजाए कृष‍ि उत्पादों का प्रसंस्करण में सक्षम बनाया जाएगा.

इसमें स्पष्ट किया गया है कि छत्तीसगढ़ देश में धान का कटोरा है, इसके साथ राज्य में बागवानी और वनोपज की व्यवस्थित खेती की परंपरा कायम है. इसे बाजार श्रृंखला से जोड़ने के लिए खाद्य प्रसंस्करण पर जोर दिया जाएगा.

ब्रांडिंग को किया जाएगा मजबूत

बैठक में राज्य नीति आयोग के उपाध्यक्ष अजय सिंह ,सदस्य सचिव अनूप श्रीवास्तव एवं सदस्य के. सुब्रमण्यम ने विभागों द्वारा बनाए गए लघु ,मध्यम एवं दीर्घकालीन लक्ष्यों को हासिल करने की रणनीति के निर्धारण के बारे में सुझाव दिए. बैठक में विशेषज्ञों के सुझावाें के आधार पर तय किया गया कि छत्तीसगढ़ को भारत में Superfood Hub बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य को Processed Superfood का Power House बनाने की जरूरत है. इसके लिए बागवानी एवं वानिकी उत्पादों का प्रसंस्करण कर इनकी मजबूत ब्रांडिंग की जाएगी.

इससे पहले Food Processing Technology से किसानों को जोड़ा जाएगा. इसके लिए उन्हें Skill Development से लैस कर, इसके बुनियादी ढांचे में निवेश की संभावनाओं को जमीन पर लागू किया जाएगा. इसी क्रम में फसलों की पैदावार बढ़ाने और फिर उनमें Value Addition करने पर जोर दिया जाएगा.

इस कार्ययोजना से किसानों को जोड़ने के लिए कृषि सेवा केंद्रों का नेटवर्क बढ़ाने, किसानों को पर्याप्त ऋण सुविधा उपलब्ध कराने, Soil Testing पर जोर देने और छत्तीसगढ़ को जड़ी बूटी और वनोपज के केंद्र के रूप में विकसित करने की योजनाओं को लागू करने की कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया गया. इसके साथ ही वनोपज का किसानों को बेहतर दाम मिल सके, इसके लिए पूरे राज्य के वन क्षेत्रों में व्यापार केंद्र बनाने, वन एवं बागवानी उपज का भंडारण, प्रसंस्करण और परिवहन करने के बुनियादी ढांचे को विकसित किया जाएगा.

फसल विविधीकरण से जुड़ेंगे किसान

विशेषज्ञों ने किसानों को कृषि भूमि का बेहतर उपयोग करने के लिए उन्हें Multi Crop System से जोड़ने पर जोर दिया है. इससे राज्य में Crop Diversification यानी फसल विविधीकरण को बढ़ावा दिया जा सकेगा. इससे सभी किसान परिवारों की औसत मासिक आय में बढ़ोतरी होना तय है. इस दिशा में किसानों को आगे लाने के लिए उन्हें बेहतर ऋण की सुविधा उपलब्ध कराने, उन्नत तकनीक से लैस करने की जरूरत पर बल दिया गया.

बैठक में किसानों के हर खेत की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए फसल विविधीकरण को एकमात्र उपाय बताया गया. इसके साथ ही विशेषज्ञों ने Agriculture Research and Development में बड़ा निवेश करने, कौशल विकास एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर जोर देने, Organic Farming, फसल चक्र ,खाद्य वितरण प्रणाली और कोल्ड स्टोरेज को मजबूत करने की कार्ययोजना को भी लागू करने की बात कही.

इतना ही नहीं, इस मुहिम में उन्नत प्रशिक्षण और डिजिटल उपकरणों के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने के लिए कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने, कृषि-वानिकी को बढ़ावा देने, कृष‍ि उत्पादों की Marketing के पुख्ता इंतजाम करने सहित अन्य जरूरी उपायों को लागू किया जाएगा. बैठक में तय किया गया कि राज्य नीति आयोग आगामी सितंबर तक Vision Document तैयार कर सरकार को सौंप देगा.

 

 

धान लगाने में जुट जाएं ओडिशा और छत्तीसगढ़ के किसान, इन किस्मों का करें चयन, पढ़ें IMD की सलाह

छत्तीसगढ़ और ओडिशा में इस समय प्रचंड गर्मी का प्रकोप देखा जा रहा है. हालांकि अब कुछ दिनों में इन दोनों ही राज्यों में मॉनसून की शुरुआत हो जाएगी और इसके साथ ही खरीफ फसलों और सब्जियों की खेती शुरू हो जाएगी. भारी गर्मी के बाद बारिश होती है और बारिश के दिनों में खेतों में जमजमाव होता है. इसके अलावा गरमा धान की खेती के बाद किसान इसकी कटाई और भंडारण करते हैं. ऐसे में किसानों को इस समय के दौरान किए जाने वाले कृषि कार्य और खेतों में बरती जाने वाली सावधानियों की पूरी जानकारी होनी चाहिए. तब जाकर ही किसानों को अच्छी उपज हासिल होती है और अच्छा मुनाफा होता है. ऐसे में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की तरफ से किसानों के लिए सलाह जारी की गई है. इन सलाहों का पालन करके किसान अच्छी पैदावार हासिल कर सकते हैं.

धान की खेती को ओडिशा के किसानों के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि जिन किसानों ने गरमा धाम की कटाई कर ली है, वे इसे सुरक्षित स्थान पर रख दें. अगर किसान लंबे समय तक के लिए धान का भंडारण करना करना चाहते हैं तो इसे दो से तीन दिनों तक धूप में सुखाएं और ध्यान रखें कि धान में नमी की मात्रा 11-14 प्रतिशत के बीच हो. इसके बाद ही इसे रखना चाहिए. लंबे समय तक धान की क्वालिटी, खुशबू और स्वाद बनाए रखने के लिए धान को सुपर ग्रेन बैग में स्टोर करें. इसके अलावा नुकसान से बचने के लिए सुरक्षित जगह पर रखें. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खेतों में धान के अवशेषों को न जलाएं क्योंकि इससे न केवल पर्यावरण प्रदूषित होता है बल्कि गंभीर प्रदूषण भी होता है.

ओडिशा के किसानों के लिए जारी सलाह

किसानों को धान की फसल के अवशेष को मिट्टी में मिलाने की सलाह दी जाती है. इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है. मिट्टी के वाष्पीकरण को कम करने और मिट्टी की नमी को संरक्षित करने के लिए इसका उपयोग मल्चिंग के रूप में किया जा सकता है. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खरीफ धान के बीज तैयार कर लें. आईएमडी की सलाह में किसानों को धान की विभिन्न किस्मों के बारे में भी जानकारी दी गई है जिसमें कहा गया है कि ऊपरी जमीन में किसान खंडगिरि, सहभागी धन, मंदाकिनी, नवीन, जीबी-1, बीना-11, एमटीयू-1010, सत्यभामा, स्वर्णा जै किस्मों की खती कर सकते हैं.

मध्यम जमीन में जैसे एमटीयू 1156, एमटीयू 1153, लालाट, उन्नत लालाट, मनस्विनी, एमटीयू-1001, संपदा, गीतांजलि, नुआ अचरमती आदि की खेती की जा सकती है. छोटी जोत वाली जमीन में जैसे प्रत्यक्षा, स्वर्णा, स्वर्णा सब-1, मृणालिनी, हशांता, रानी धन, पूजा, एमटीयू-1064, सरला, दुर्गा, प्रधान धन आदि की खेती की जा सकती है.

इस किस्मों की खेती करें छत्तीसगढ़ के किसान

छत्तीसगढ़ में धान की खेती को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि किसान गरमा धान की कटाई कर लें. ग्रीष्मकालीन धान किसानों को सलाह दी जाती है कि वे तना छेदक कीट के नियंत्रण के लिए खेत के पास फेरोमोन ट्रैप और लाइट ट्रैप लगाएं. कीट को नियंत्रित करने के लिए किसान और भी उपायों को अपना सकते हैं. वहीं खरीफ सीजन को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि ख़रीफ़ की फसल बोने से पहले खेतों में उपयोग होने वाली सभी कृषि मशीनरी और उपकरणों को ठीक कर लें. खरपतवार, मिट्टी से पैदा होने वाली बीमारियों और कीड़ों को खत्म करने के लिए मिट्टी को एमबी हल से साफ करें और इसे पॉलिथीन से ढक दें. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खरीफ में बोई जाने वाली धान की फसल के लिए उन्नतशील किस्मों के बीजों की व्यवस्था करें. जैसे:- कर्मामहसूरी, महामाया, दंतेश्वरी, समलेश्वरी, इंदिरा सुगंधित धन-1.

 

काम की खबर: किसान भाई ध्यान रखें ये बात, 4 इंच वर्षा होने के बाद ही करें बोवनी

उज्जैन: आगामी खरीफ मौसम की फसल बुवाई का समय नजदीक आ रहा है। जिले में मुख्य रूप से सोयाबीन फसल बोई जाती है। कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा किसानों को इस संबंध में सलाह जारी की गई है।

किसानों को सलाह दी गई है कि सोयाबीन की बोवनी के लिए मध्य जून से जुलाई के प्रथम सप्ताह का समय बेहतर है। नियमित मानसून के पश्चात लगभग चार इंच वर्षा होने के बाद किसान अपने खेतों में बुवाई करें। मानसून पूर्व वर्षा के आधार पर बोवनी करने से सूखे का लंबा अंतराल होने पर फसल को नुकसान हो सकता है।

किसान कल्याण तथा कृषि विभाग के उप संचालक आरपीएस नायक ने बताया कि किसान के पास स्वयं का उपलब्ध बीज का अंकुरण परीक्षण कर लें और कम से कम 70 प्रतिशत अंकुरण क्षमता वाला बीज ही बुवाई के लिए रखें।

यदि किसान बाहर कहीं और से उन्नत बीज लाते हैं तो अच्छी संस्था से बीज खरीदें। साथ ही पक्का बिल अवश्य लें एवं स्वयं भी घर पर अंकुरण परीक्षण कर लें। किसान अपनी जोत के अनुसार कम से कम दो-तीन किस्मों की बुवाई करें।

 

CG Farmer: एक बार फिर किसान सरकार और लोन भरोसे, 20000 ने लिया 93 करोड़ ऋण

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CG Farmer: महासमुंद की सहकारी समितियों में पंजीकृत 1 लाख 57 हजार में 20 हजार किसानों ने खरीफ फसल के लिए 93 करोड़ रुपए का ऋण लिया है। वहीं पिछले साल का 99 फीसदी ऋण की वसूली की जा चुकी है। इस साल खरीफ फसल के लिए 30 सितंबर तक ऋण का वितरण किया जाएगा।

अप्रैल महीने से खरीफ फसल (CG farmer) के लिए ऋण वितरण की शुरुआत हुई थी। बैंक से मिली जानकारी के अनुसार 2024-25 में ऋण वितरण का लक्ष्य 485 करोड़ रुपए रखा गया है। पिछले वर्ष 434 करोड़ लक्ष्य था और 437 करोड़ रुपए ऋण वितरण किया गया था। इस वर्ष लक्ष्य में वृद्धि की गई है।

ऋण वितरण में इस साल रिकार्ड भी टूट सकता है। पिछले कुछ वर्षों में खाद व बीज के लिए ऋण लेने वाले किसानों (CG farmer) की संया में वृद्धि हुई है। हर साल नगद, खाद व बीज के रूप में ऋण का वितरण किया जाता है। इस साल खरीफ सीजन की फसल लेने के लिए किसानों ने तैयारी शुरू कर दी है।

समितियों में खाद व बीज लेने के पहुंचने लगे हैं। अक्सर जून व जुलाई महीने में ऋण वितरण में तेजी देखने को मिलती है। हालांकि, किसानों के पास ऋण लेने के लिए काफी समय है। मानसून आने के बाद धान की बोआई (CG farmer) प्रारंभ हो जाती है।

इसके पहले किसान खाद व बीज लेकर सुरक्षित रख लेते हैं। जिले की 130 समितियों में खाद व बीज का वितरण किया जा रहा है। वर्तमान में किसानों की डिमांड के हिसाब से पर्याप्त भंडारण है। किसानों (CG farmer) को जरूरत के हिसाब से वितरण किया जा रहा है।

जिला सहकारी बैंक के नोडल अधिकारी जीएन साहू ने बताया कि ऋण वितरण किया जा रहा है। 20 हजार से अधिक किसानों को ऋण (CG farmer) किया जा चुका है। खाद-बीज के भंडारण के साथ वितरण भी प्रारंभ हो गया है। पिछले साल के बकाया ऋण की वसूली भी लगभग हो गई है।

CG Farmer: खाद, बीज का भंडारण

जिले की सहकारी समितियों में खाद व बीज का भंडारण हो चुका है। 17845 टन खाद का भंडारण और 2690 क्विंटल वितरण किया जा चुका है। 20 हजार 172 क्विंटल बीज का भंडारण और वितरण (CG farmer) 2209 क्विंटल किया गया है। 43 हजार क्विंटल बीज और 61 हजार 500 टन खाद की डिमांड है। अब तक पर्याप्त आपूर्ति नहीं की गई है।

सुगंधित धान बीज की कीमत ज्यादा

CG Farmer News: इस साल धान बीज (CG farmer) की कीमत में बढ़ोतरी की गई है। मोटा धान का बीज 3400 रुपए क्विंटल, पतला धान 3900 रुपए और सुगंधित धान बीज की कीमत 4500 रुपए है। पिछले साल मोटा धान बीज 2800, पतला 3000 और सुगंधित धान की बीज की कीमत 3400 रुपए थी।

देखा जाए तो 1100 रुपए प्रति क्विंटल सुगंधित धान बीज की कीमत बढ़ोतरी की गई। धान बीज की कीमत बढ़ने का असर पड़ा है या नहीं, इसका पता सितंबर के बाद चलेगा। क्योंकि, सितंबर में ऋण वितरण के अंतिम आकड़े आएंगे।

CG Farmers: भूमिहीन किसान मजदूरों के खाते में आएंगे 10 हजार रुपए, आ गया बड़ा अपडेट

CG Farmers: प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद गरीबों के लिए न्याय का इंतजार लंबा होते जा रहा है। इसका कारण यह है कि नई सरकार के पुरानी सरकार की कई योजनाओं को बंद कर दिया है। वहीं कुछ योजनाएं ऐसी है, जिन्हें नाम बदलकर अधिक पैसे देने का वादा किया गया है।

इसमें पंडित दीनदयाल भूमिहीन कृषक मजदूर न्याय योजना शामिल हैं। कांग्रेस शासन काल में यह योजना राजीव गांधी भूमिहीन कृषक मजदूर न्याय योजना के नाम से संचालित थी। इसमें किसानों को 7 हजार रुपए सालाना दिया जाता था। भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में इसका नाम बदलकर 10 हजार रुपए देने का वादा किया था।

CG Farmers: बजट में मंजूरी, आचार संहिता ने रोका काम

राज्य सरकार ने अपने बजट सत्र में पंडित दीनदयाल भूमिहीन कृषक मजदूर न्याय योजना शुरू करने की घोषणा की थी। इसके लिए राज्य सरकार ने 500 करोड़ का बजट में प्रावधान रखा गया है। बजट सत्र खत्म होने के बाद 16 मार्च से लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई थी। अफसरों के मुताबिक आचार संहिता की वजह से काम अटक गया है। आचार संहिता खत्म होने के बाद इस योजना को जमीन पर उतरा जाएगा।

CG Farmers: नहीं मिली चौथी किस्त

कांग्रेस ने 2500 रुपए में धान खरीदी करने का वादा किया था। जब सरकार बनी तो राजीव गांधी किसान न्याय योजना की शुरुआत की। इसमें किसानों को धान खरीदी के अंतर की राशि इनपुट सब्सिडी के रूप में दी जाती थी। यह राशि चार किस्तों में दी जाती थी।

विधानसभा चुनाव की वजह से तत्कालिन सरकार ने किसानों को तीन किस्तों का ही भुगतान किया था। चौथी किस्त का भुगतान मार्च में होना था। सरकार बदलने के बाद किसानों को चौथी किस्त की राशि नहीं मिली। हालांकि भाजपा सरकार बनाने के बाद अपने वादा के अनुसार किसानों को धान खरीदी का प्रति क्विंटल 3100 रुपए का भुगतान किया है। इसके साथ दो साल का बकाया बोनस भी दिया है।

CG Farmers: मितान क्लब भंग, बेरोजगारी भत्ता बंद

प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा ने कांग्रेस शासन काल की कई महत्वपूर्ण योजनाओं को अघोषित रूप से बंद कर दिया है। इसमें राजीव युवा मितान क्लब और बेरोजगारी भत्ता प्रमुखता से शामिल हैं। इसके अलावा गोबर खरीदी भी अभी बंद है। राजीव युवा मितान क्लब में युवा को एक साल में सांस्कृतिक व रचनात्मक कार्यक्रम के लिए 1 लाख रुपए दिए थे। अब इस खर्च का आडिट हो रहा है। वहीं बेरोजगारी भत्ता के तहत युवा बेरोजगारों को प्रति माह 2500 रुपए दिए जाते थे।

Chhattisgarh News: धान की जगह किसान लेंगे कोदो, असिंचित क्षेत्र होगा समृद्ध, मधुमेह व एनिमिया पीड़ितों के लिए लाभ कारी कोदो

कोरबा : खरीफ वर्ष 2024-25 के लिए विभिन्न फसलों की बोआई रकबा जिला कृषि विभाग ने निर्धारत कर दिया है। सरकार ने धान की कीमत 2500 रूपये प्रति क्विंटल से 3100 रूपये तो बढ़ा दिया है और ज्यादातर किसान परंपरागत खेती करना चाहते हैं। जहां सिंचाई की सुविधा नहीं है, वहां के किसानों को मोटा अनाज की सलाह दी जा रही। इससे प्रेरित होकर चार हजार किसानों ने कोदो की खेती की तैयारी शुरू कर दी है।

चयनित किसानों के खेत में पहुंचकर कृषि विस्तार अधिकारी बोआई से लेकर फसल पकने तक बीज की बोआई से लेकर खाद व दवा छिड़काव की जानकारी देंगे। योजना का उद्देश्य कम रकबा में अधिक लाभ देने वाले फसल की समृद्ध खेती को बढ़ावा देना है। धान के अलावा दीगर फसल उत्पादन के लिए कृषि विभाग की ओर से किसानों को प्रेरित किया जा रहा है।

धान की उपज प्रति एकड़ में औसतन 20 से 25 क्विंटल होती है। वहीं कोदो पांच क्विंटल होता है। प्रति एकड़ धान की खेती में 22 हजार रूपये खर्च आता है। कोदो की खेती मात्र तीन से चार हजार रूपये में हो जाती हैं। मिलिंग के बाद धान से चावल की कीमत 50 रूपये है, जबकि कोदो का मूल्य खुले बाजार में 80 से 100 रुपये है। वन विभाग की ओर से समर्थन मूल्य में इसकी खरीदी की जाती है।

कोदो की फसल तीन माह में ही तैयार हो जाती है और पानी भी कम लगता है

कोदो की मिलिंग के लिए कसनिया में मशीन लगाया गया है। किसान यहां मिलिंग कराने के बाद खुले बाजार में स्वयं बिक्री कर सकेंगे। खास बात यह है कि कोदो की फसल तीन माह में ही तैयार हो जाती है और पानी भी कम लगता है। इसके विपरीत धान को तैयार होने में पांच माह का समय लगता है। अधिक से अधिक किसानों को इसकी तकनीकी खेती से जोड़ने के लिए कृषि विभाग की ओर प्रदर्शनी योजना की तैयारी की जा रही है।

जिले मेंं अधिकांश किसान रोपा व लेही पद्धति से खेती करते हैं। किसान अधिक से अधिक योजना का लाभ ले सके इसके लिए प्रेरित किया जा रहा है। योजना से जोड़ने के लिए प्रत्येक कृषि विस्तार अधिकारियों को कहा गया है।

धान के रकबा में 549 हेक्टेयर की वृद्धि

जिले में इस वर्ष 91 हजार 95 हेक्टेयर में धान बोआई क्षेत्राच्छादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। धान की कीमत बढ़ने से इस वर्ष बोआई रकबा बढ़ना स्वाभाविक है। बीते वर्ष 90 हजार 546 हेक्टेयर में बोआई की गई थी। पिछले वर्ष की तुलना में 549 हेक्टेयर रकबा बढ़ गया है। जिन स्थानों में धान उपज की संभावना कम है वहां कोदो के अलावा रागी, मक्का, ज्वार व दलहन, तिलहन को बढ़ावा दिया जा रहा है। शासन ने धान और मक्का की तरह कोदो का सरकारी दर तय किया है। बीते वर्ष की तरह इस वर्ष भी वन समितियों की ओर इसे 35 रुपये किलो में खरीदी की जाएगी।

कोदो की एक बाली को चाहिए आधा लीटर पानी

कोदो की बोआई के लिए मैदानी खेत ही उपयुक्त है। विभागीय अधिकारी का कहना है कि प्रति किलो धान के लिए चार लीटर पानी की जरूरत होती है। इसकी तुलना में कोदो मात्र आधा लीटर पानी में ही तैयार हो जाता है। इसकी बोआई जुलाई से अगस्त महीने में की जाती है। धान पकने के बाद झड़ने लगा है। ऐसे में कटाई और ढुलाई के दौरान खासी मात्रा में नुकसान होता है। कोदो मिजाई करने पर ही झड़ता है। इससे हानि की संभावना धान की तुलना में कम होती है। कोदो के लिए एक या दो वर्षा ही पर्याप्त है।

मधुमेह व एनिमिया पीड़ितों के लिए लाभ कारी

जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एसएन केसरी के अनुसार कोदो प्रोटीन युक्त अनाज है। यह सुपाच्य होने के कारण मरीजों के अलावा स्वस्थ्य लोगों के लिए उत्तम आहार है। यह मधुमेह पीड़ितों के साथ लीवर संबंधित गंभीर बीमारियों के लिए लाभकारी है। इसमें चावल की तरह खासी मात्रा में कार्बोहाईड्रेड पाई जाती है। साथ ही एनिमिया, संबंधी समस्या,अस्थमा व मोटापे से बचाने वाले गुण है। इस वजह से कोदो जैसे पारंपरिक खेती को बढ़ावा देना बेहतर है।

धान व अन्य फसल का बोआई रकबा (लक्ष्य हेक्टेयर में)

फसल का नाम- रकबा धान बोता- 45735 रोपा- 45360 कोदो- 1220 कुटकी- 60 रागी- 555 दलहन- 13753 तिलहन- 4670 वर्जन कम लागत में बेहतर उपज के लिए किसानों को कोदो की खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है। कृषि विस्तार अधिकारियों की माध्यम से किसानों को कोदो, रागी, कुटकी की बोआई के लिए जानकारी दी जा रही है। इस फसल में लागत कम लगने के अलावा पानी की भी खपत कम होती हैं। साथ ही यह धान से पहले पक कर तैयार हो जाता है।

क्लाइमेट चेंज के असर ने उत्तराखंड में इन 5 फलों का उत्पादन बढ़ाया, पारंपरिक फल उगाने से किसानों का हो रहा मोहभंग

तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन ने उत्तराखंड में कई फलों उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित किया है, जिसके चलते स्थानीय किसान पारंपरिक फलों की खेती से मुंह मोड़ रहे हैं. उत्तराखंड के पारंपरिक फलों की खेती में सेब, नाशपाती, आलूबुखारा और खुबानी के उत्पादन की जगह ट्रापिकल यानी उष्णकटिबंधीय मतलब गर्म मौसम में उगने वाले फलों जैसे अमरूद, करौंदा, कीवी, अनार और आम की कुछ किस्मों की खेती बढ़ी है. क्लाइमेट सेंट्रल की स्टडी में फल उत्पादन को लेकर कई रोचक तथ्य सामने आए हैं.

उत्तराखंड में वर्ष 2016-17 से 2022-23 के दौरान पारंपरिक फलों के क्षेत्रफल में भारी कमी देखी जा रही है. हिमालयी क्षेत्र में ऊंचाई वाले स्थानों पर आड़ू, खुबानी, आलूबुखारा और अखरोट जैसे फलों के उत्पादन में सबसे अधिक कमी देखी गई है. जबकि, ट्रापिकल फल यानी उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों यानी गर्म इलाकों में होने वाले फल जलवायु परिवर्तन से कम प्रभावित रहे हैं. आम और लीची का बुवाई क्षेत्र में कमी जरूर आई है, लेकिन उत्पादन में स्थायी बना रहा है.

अमरूद और करौंदा का सर्वाधिक उत्पादन

जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम अनुकूल फलों की खेती को किसानों ने तरजीह दी है. इसके चलते अमरूद उगाने के क्षेत्रफल में वर्ष 2016-17 की तुलना में वर्ष 2022-23 में 36.64 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. वर्ष 2016-17 में अमरूद का क्षेत्रफल 3,432.67 हेक्टेयर था जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 4,609.32 हेक्टेयर हो गया. अमरूद के लिए उत्पादन आंकड़ा 94.89 फीसदी. अमरूद के अलावा करौंदा के उत्पादन में भी 63.77 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया है. फसल उत्पादन की उसी अवधि में अमरूद और करौंदा के लिए सकारात्मक बदलाव दिखा रहा है.

धरती के बढ़ते तापमान ने खेती का तरीका बदला

अमरूद और करौंदा के उत्पादन में वृद्धि यह बताती है कि अब इस प्रकार के फलों को उगाने में किसान दिलचस्पी ले रहे हैं जो स्थानीय मांग और परिस्थितियों के हिसाब से अधिक अनुकूल हैं. बागवानी में इस प्रकार के बड़े बदलावों को कुछ हद तक धरती के बढ़ते तापमान से समझा जा सकता है.

बढ़ते तापमान ने इन फलों की खेती बढ़ाई

बढ़ते तापमान से ट्रापिकल फलों को लाभ होता है जिससे किसान इनकी ओर रुख कर रहे हैं. उत्तराखंड के कुछ जिलों में किसान सेब की कम तापमान पर होने वाली प्रजातियों को चुन रहे हैं और नाशपाती, आड़ू, आलूबुखारा, खुबानी जैसे फलों की जगह कीवी और अनार जैसे ट्रापिकल फल लगा रहे हैं. निचले क्षेत्रों में आम्रपाली आम के अधिक घनत्व वाली खेती का भी प्रयोग किया गया है. जिससे किसानों को अधिक लाभ हुआ है.