Friday, October 18, 2024
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Rice Export: चावल एक्सपोर्ट पर बड़ा फैसला ले सकती है सरकार, क्या कम होगा बासमती का एमईपी?

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केंद्र सरकार गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट को लेकर जल्द ही बड़ा फैसला ले सकती है. सूत्रों के अनुसार गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाले मंत्रियों का पैनल इसी सप्ताह गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 500 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) तय करने के प्रस्ताव पर फैसला कर सकती है. हालांक‍ि, सालाना करीब 50 हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा कमाने वाले बासमती चावल की एमईपी कम करने के प्रस्ताव को टाला जा सकता है. बासमती चावल का एमईपी इस समय 950 डॉलर प्रति टन है, ज‍िसे कम करने का व‍िचार चल रहा था. क्योंक‍ि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें कम हो गई हैं.

बहरहाल, सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताह वाणिज्य मंत्रालय ने एक्सपोर्टरों की चिंताओं को समझने के लिए उनके साथ बैठक की थी. इसके बाद मंत्रिस्तरीय कमेटी को व‍िचार करने के ल‍िए कुछ प्रस्तावों को अंतिम रूप दिया था. हालांकि, उद्योग सूत्रों ने कहा कि उनकी मांग गैर बासमती चावल पर लगे 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क को 90 डॉलर प्रति टन पर फ‍िक्स करने की थी. लेकिन सरकार ने 500 डॉलर प्रति टन के संभावित एमईपी पर विचार करने के बाद निर्यात शुल्क 100 डॉलर प्रति टन पर अंतिम रूप दिया है. यह फ‍िक्स न‍िर्यात शुल्क नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (एनसीईएल) के माध्यम से भेजे जाने वाले सफेद चावल और उबले चावल दोनों पर मान्य होगा.

बासमती की एमईपी का क्या होगा?

सूत्रों ने बताया कि बासमती के एमईपी को घटाकर 800-850 डॉलर प्रति टन करने की उद्योग जगत की मांग को फिलहाल सरकार ठंडे बस्ते में डाल सकती है. सरकार ने प‍िछले साल ही बासमती की एमईपी को 1200 डॉलर प्रत‍ि टन से घटाकर 950 डॉलर क‍िया था. उद्योग जगत की मांग पर इसे और घटाने की चर्चा थी. उद्योग जगत का कहना है क‍ि बासमती की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम हो गई है इसल‍िए इसकी एमईपी को घटाने की जरूरत है.

बासमती के दाम पर दावा

हालांक‍ि, बासमती चावल का एक्सपोर्ट करने वाली इंडस्ट्री के दावों से अलग केंद्र ने दाम का अलग आंकड़ा द‍िया है. सरकारी आंकड़ों के मुताब‍िक इस साल अप्रैल में बासमती चावल का दाम 1,070 डॉलर प्रति टन म‍िला था, जो मई में थोड़ा बढ़कर 1,080 डॉलर प्रति टन हो गया. दूसरी ओर, गैर-बासमती चावल का औसत निर्यात मूल्य अप्रैल में लगभग 476 डॉलर प्रति टन और मई में 474 डॉलर प्रति टन रहा. बासमती चावल का एक्सपोर्ट भी बढ़ा है. हालांक‍ि गैर-बासमती चावल का निर्यात घट गया है.

PM Kisan की राशि बढ़ा सकती है सरकार, बजट से पहले वित्त मंत्री ने कृषि विशेषज्ञों से की मुलाकात

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आगामी बजट से पहले कृषि विशेषज्ञों से मुलाकात की है. ऐसे में कहा जा रहा है कि कृषि विशेषज्ञों ने पीएम-किसान की किस्त को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 8,000 रुपये सालाना करने का आग्रह किया है. उन्होंने बजट 2024 में कृषि अनुसंधान के लिए अतिरिक्त धनराशि के साथ-साथ सभी सब्सिडी को सीधे डीबीटी के माध्यम से किसानों को ट्रांसफर करने की भी मांग की है. 24 फरवरी, 2019 को शुरू की गई पीएम-किसान योजना का उद्देश्य भूमि-धारक किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है, बशर्ते वे विशिष्ट आय-आधारित मानदंडों को पूरा करते हों.

पीएम किसान योजना के तहत, भारत भर में पात्र किसान परिवारों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से हर चार महीने में तीन किस्तों में सालाना 6,000 रुपये मिलते हैं. अब तक, 11 करोड़ से अधिक किसानों को कुल 3.04 लाख करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया है. आगामी किस्त के साथ, योजना की शुरुआत से अब तक कुल भुगतान 3.24 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगा. हाल ही में, अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17वीं किस्त जारी की, जिससे 9.3 करोड़ किसानों को लाभ हुआ और लगभग 20,000 करोड़ रुपये का वितरण हुआ.

1.27 लाख करोड़ रुपये का आवंटन

पीएम-किसान योजना, एक केंद्रीय क्षेत्र की पहल है जो देश भर में सभी भूमिधारक किसानों के परिवारों को आय सहायता प्रदान करती है. इस वित्तीय सहायता का उद्देश्य कृषि इनपुट खरीदने और घरेलू खर्चों को पूरा करने में सहायता करना है. अंतरिम बजट के दस्तावेजों से पता चलता है कि 2024-25 वित्तीय वर्ष में कृषि मंत्रालय के लिए 1.27 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो चालू वित्त वर्ष से थोड़ा अधिक है.

ऐसे करें पीएम किसान के लिए रजिस्ट्रेशन

pmkisan.gov.in पर जाएं.
किसान कॉर्नर पर जाएं.
“नया किसान पंजीकरण” चुनें.
ग्रामीण या शहरी किसान पंजीकरण चुनें.
आधार संख्या, मोबाइल नंबर, राज्य दर्ज करें और ‘OTP प्राप्त करें’ पर क्लिक करें.
OTP प्रदान करें, आधार प्रमाणीकरण पूरा करें और आधार के अनुसार भूमि और बैंक विवरण दर्ज करें.

लाभार्थी ऑनलाइन जांच करें अपनी स्थिति

आधिकारिक PM किसान वेबसाइट पर जाएं.
लाभार्थी स्थिति पृष्ठ पर पहुंचें.
आधार संख्या या खाता संख्या दर्ज करें.
स्थिति और भुगतान विवरण देखने के लिए ‘डेटा प्राप्त करें’ पर क्लिक करें.

क्या 15 सेमी की दूरी पर धान की रोपाई करने से पानी की होती है बचत, कृषि विभाग ने शुरू किया अभियान

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पंजाब में तेजी से गिरत भूजल स्तर पर ब्रेक लगाने को लेकर पंजाब सरकार सतर्क हो गई है. वह प्रदेश में डीएसआर तकनीक से धान की सीधी बुवाई करने के लिए किसानों को प्रेरित कर रही है. साथ ही सरकार धान की सीधी वुवाई करने वाले किसानों को 1500 रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि भी दे रही है. लेकिन इसके अलावा वह भूजल को बचाने के लिए दूसरे विकल्पों पर भी ध्यान दे रही है. कृषि विभाग ने किसानों को धान के लिए 20 सेमी पंक्ति-से-पंक्ति और 15 सेमी पौधे-से-पौधे की अनुशंसित दूरी का पालन करने के लिए एक अभियान शुरू किया है. इस अभियान के तहत प्रति वर्ग मीटर में 33 पौधों की रोपाई करने की अनुमति है. खास बात यह है कि इससे भूजल के उपयोग कम करने में मदद मिलती है.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब में कपास के तहत क्षेत्र लगातार घट रहा है, इस बार राज्य में धान की खेती अब तक के सबसे अधिक क्षेत्र में होने की संभावना है. भूजल के घटते स्तर की चिंताओं के बीच यह राज्य के लिए एक चिंताजनक प्रवृत्ति है, राज्य के आठ जिलों में कपास की खेती की जाती है, जिनमें से बठिंडा, मानसा, फाजिल्का और मुक्तसर सबसे बड़े हिस्से हैं. पिछले साल, कपास के तहत कुल क्षेत्रफल घटकर 1.73 लाख हेक्टेयर रह गया – जो 2022 में 2.48 लाख हेक्टेयर से कम है.जबकि राज्य का लक्ष्य 3 लाख हेक्टेयर है.

50 फीसदी से अधिक क्षेत्र में कपास की खेती

एक कृषि अधिकारी ने कहा कि धान की उचित रोपाई वाष्पीकरण के कारण होने वाले पानी के नुकसान को कम करती है और बेहतर उपज भी देती है. प्रवासी मजदूरों में आमतौर पर जल्दबाजी में बड़े अंतराल पर पौधे रोपने की प्रवृत्ति होती है और इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है. हाल ही में हुई दो बारिशों के बीच अब तक 50 फीसदी से अधिक क्षेत्र में कपास की खेती की जा चुकी है. पंजाब सरकार ने दावा किया है कि चालू धान के मौसम में अधिक किसान डीएसआर पद्धति को अपना रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप पिछले साल की तुलना में पानी बचाने वाली तकनीक का उपयोग करने वाले क्षेत्र में 15 फीसदी की वृद्धि हुई है.

2 लाख एकड़ में धान की सीधी बुवाई

अधिकारी ने कहा कि इस साल डीएसआर तकनीक का उपयोग करके पहले ही 2 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्र में बुवाई की जा चुकी है, जो पिछले साल पूरे खरीफ सीजन में 1.72 लाख एकड़ थी. हालांकि, राज्य डीएसआर का उपयोग करके 7 लाख हेक्टेयर खेती करने के अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर सकता है.

Success Story: एग्रीकल्चर ड्रोन ने बदली कौशांबी की नेहा की किस्मत, 30 दिन में कर रहीं 90 हजार रुपये की कमाई

UP News: ड्रोन दीदी योजना के जरिये ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं अपने सपनों को एक उड़ान दे रही हैं. साथ ही समाज में अपनी अलग पहचान बना रही हैं. उत्तर प्रदेश के कौशांबी की एक ऐसी ही महिला नेहा यादव हैं, जो 29 वर्ष की उम्र में अब ड्रोन पायलट के रूप में अपनी पहचान बना रही हैं. इंडिया टुडे के किसान तक से खास बातचीत में कौशांबी जिले के ब्लॉक-चायल की रहने वाली नेहा यादव ने बताया कि 10 अक्टूबर 2023 को यूपी फूलपुर में (इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव) IFFCO की ट्रेनिंग कैंप में पहुंचे थे. वहां पर हमको प्रैक्टिकल के साथ ड्रोन उड़ाने की पूरी जानकारी दी गई. टेस्ट में पास होने के बाद मुझे ड्रोन पायलट का लाइसेंस दिया गया. 9 जनवरी 2023 को मुझे IFFCO की तरफ से मुफ्त में ड्रोन के साथ पूरा किट बैग दिया गया था.

एक दिन में 10 एकड़ खेती में कर रहीं छिड़काव

उन्होंने बताया कि पहली बार अपने गांव रामनगर में ड्रोन के जरिए किसान के एक एकड़ खेत में दवा का छिड़काव किया था. उस वक्त मुझे एक एकड़ का 300 रुपये मिला था. नेहा बताती हैं कि अब सुबह शाम मिलाकर 10 एकड़ खेत में दवा का छिड़काव कर रही है. जिससे 3 हजार रुपये प्रतिदिन आय हो जा रही है. यानी एक महीने में 90 हजार की कमाई. वहीं मुझे रोज काम मिलता रहता है. क्योंकि एक एकड़ खेत में दवा का छिड़काव 5-7 मिनट में कर देते हैं. 10 लीटर पानी में पूरे खेत में छिड़काव हो जाता है, इससे कम पानी में पूरे खेत में आसानी से किसानों के खेत में दवा का छिड़काव किया जा सकता हैं. वहीं फसल भी खराब नहीं होती.

एग्री ड्रोन ने बढ़ाया मेरा आत्मविश्वास

नेहा ने आगे बताया कि मैं साइकिल चला लेती हूं, लेकिन जब ड्रोन का रिमोट आता है, तो उनका आत्मविश्वास बढ़ जाता है. परिवार के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि मेरा संयुक्त परिवार है. पति जेसीबी मशीन का कारोबार करते थे, वहीं मेरी दो बेटियां हैं.

उन्होंने बताया कि जब हम ड्रोन उड़ाते हैं तो सैकड़ों की संख्या में भीड़ जुट जाती है. आने वाले समय में ड्रोन खेती के लिए बहुत अहम यंत्र साबित होगा. देश और प्रदेश का हर किसान खेती के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करेंगे. एमए और बीएड तक पढ़ाई कर चुकी नेहा यादव ने बताया कि इस बार धान के सीजन में उन्हें खूब काम मिलेगा. वो अपने गांव में किसानों को ड्रोन के इस्तेमाल से होने वाले फायदे को बताती हैं. इससे अधिक से अधिक संख्या में किसान भी जागरूक हो रहे हैं.

क्या है ड्रोन दीदी योजना?

प्रधानमंत्री ड्रोन दीदी योजना 30 नवंबर 2023 को शुरू की गई थी. इस योजना का लक्ष्य स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 15,000 से अधिक महिलाओं को ड्रोन दीदी बनने का अवसर प्रदान करके सशक्त बनाना है. इसके अतिरिक्त, इस योजना में महिलाओं के लिए 15-दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शामिल है, जो उन्हें ड्रोन चलाने और फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव करने में सक्षम बनाता है.

पीएम ड्रोन दीदी योजना के माध्यम से महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी और कृषि कार्यों में प्रभावी ढंग से योगदान देंगी. इसके अतिरिक्त, लाभार्थियों को ड्रोन संचालन के लिए 15,000 रुपये का मासिक अनुदान भी मिलेगा. प्रधानमंत्री द्रोण दीदी योजना कृषि क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण और तकनीकी उन्नति की दिशा में एक कदम है, जो कृषि क्षेत्र की वृद्धि और विकास को सुनिश्चित करता है.

योजना में मिलेंगे यह लाभ

नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत महिलाओं को 15 दिन ट्रेनिंग दी जाती है. जिसके स्टाइपेंड के तौर पर उन्हें 15 हजार भी दिए जाते हैं. यह राशि उनके खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए भेज दी जाती है. सरकार का लक्ष्य है 10 करोड़ से अधिक स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं में से 15 हजार को इस योजना के तहत लाभान्वित किया जाए. इस योजना के तहत सरकार की ओर से ट्रेनिंग कंप्लीट होने के बाद महिलाओं को ड्रोन भी दिया जाता है.

CM ने लॉन्च की पेंशन स्कीम, अब बुजुर्गों के अलावा इन्हें भी मिलेंगे हर महीने 4000 रुपये

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का शपथ लेते ही चंद्रबाबू नायडू एक्शन मोड में आ गए हैं. वे जनता के हित में ताबड़तोड़ फैसले ले रहे हैं. उन्होंने सोमवार को अमरावती के मंगलगिरी विधानसभा क्षेत्र स्थित पेनुमाका गांव में एनटीआर भरोसा पेंशन योजना की शुरुआत की. उन्होंने एक परिवार को निजी रूप से राशि सौंपकर इस पेंशन योजना की शुरुआत की. खास बात यह है कि सीएम चंद्रबाबू नायडू ने चुनाव से पहले पेंशन राशि बढ़ाने का वादा भी किया था. उन्होंने अपने वादे के अनुसार, पेंशन को 3,000 रुपये से बढ़ाकर 4,000 रुपये कर दिया. यानी अब आर्थिक रूप से गरीब लोगों को पेंशन के रूप में 4000 रुपये मिलेंगे. इस योजना के तहत राज्य भर में 65.31 लाख लाभार्थियों को कुल 4,408 करोड़ रुपये पेंशन के रूप में वितरित किए जाएंगे.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने पेनुमाका गांव की एसटी कॉलोनी में रहने वाली इस्लावथ साई और उनकी झोपड़ी में रहने वाले उनके परिवार को सहायता प्रदान की. साई, उनके पिता बनवथ पमुल्यनायक और मां बनवथ सीता सभी दिहाड़ी मजदूर हैं. वहीं, इस मौके पर गांव वालों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने एनटीआर भरोसा पेंशन के शुभारंभ को ऐतिहासिक बताया. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार लोगों को आर्थिक रूप से सहायता करने के लिए इस योजना को शुरू की है. उन्होंने कहा कि मेरा अंतिम लक्ष्य आंध्र प्रदेश को गरीबी मुक्त बनाना है.

4,408 करोड़ रुपये होंगे वितरित

सीएम चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि पिछली सरकार ने द्वेष के कारण बुजुर्गों और बीमार लोगों को अपनी पेंशन लेने के लिए चिलचिलाती धूप में सचिवालय जाने के लिए मजबूर किया. इस फैसले ने 33 निर्दोष लोगों की जान ले ली. उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में 65.31 लाख लाभार्थियों को 1.2 लाख सचिवालय कर्मचारी कुल 4,408 करोड़ रुपये वितरित करेंगे. सीएम ने कहा कि टीडीपी संस्थापक और पूर्व सीएम एनटी रामाराव थे, जिन्होंने 35 रुपये प्रति माह की शुरुआती राशि के साथ यह पेंशन योजना शुरू की थी. उन्होंने कहा कि टीडीपी के सत्ता में रहने के दौरान इस राशि को बढ़ाकर 75 रुपये, 200 रुपये, 1,000 रुपये और फिर 2014-19 के दौरान 2,000 रुपये कर दिया था. उन्होंने कहा कि अब उनकी सरकार ने पेंशन को 3,000 रुपये से बढ़ाकर 4,000 रुपये कर दिया है.

5 साल के लिए इतने करोड़ होंगे खर्च

मुख्यमंत्री ने कहा कि पेंशन पर खर्च की जाने वाली कुल राशि 33,100 करोड़ रुपये प्रति वर्ष और पांच साल के लिए 1.65 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो पिछली वाईएसआरसी सरकार द्वारा खर्च की गई राशि से बहुत अधिक है. उन्होंने कहा कि लोगों से किए गए वादों को पूरा करने और आर्थिक विषमताओं को पाटने की दिशा में यह हमारा पहला कदम है.

दिव्यांगों को मिलेंगे 6,000 रुपये

सीएम चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि अब बुजुर्गों, विधवाओं, अकेली महिलाओं, हथकरघा श्रमिकों, ताड़ी निकालने वालों, मछुआरों, ट्रांसजेंडरों और कलाकारों को हर महीने 4,000 रुपये मिलेंगे, जबकि दिव्यांगों को 6,000 रुपये मिलेंगे. वहीं, गंभीर बीमारियों से पीड़ित और बिस्तर पर पड़े 24,318 लाभार्थियों की पेंशन के रूप में 15,000 रुपये मिलेंगे. जबकि पहले यह राशि पहले 5,000 रुपये थी. उन्होंने बताया कि इससे राजकोष पर 819 करोड़ रुपये प्रति माह का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.

Basmati Rice: बासमती चावल का न्यूनतम न‍िर्यात मूल्य घटा सकती है सरकार, इंडस्ट्री ने उठाई मांग

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केंद्र सरकार बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर पिछले साल लगाए गए 950 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) को कम करने पर विचार कर सकती है. वजह यह है क‍ि सुगंधित चावल की कुछ किस्मों की वैश्विक कीमतें पहले ही मजबूत आपूर्ति के कारण एमईपी से नीचे आ चुकी हैं. बासमती के निर्यातकों ने कहा कि ज्यादा एमईपी से अगले सीजन के लिए बासमती चावल की घरेलू खरीद पर खराब प्रभाव पड़ सकता है और किसानों की आय प्रभावित हो सकती है. भारतीय किस्मों पूसा 6 और पूसा 1509 की कीमतें वर्तमान में लगभग 750-800 डॉलर प्रति टन के बीच चल रही हैं, जो क‍ि पाकिस्तान में इसी तरह के चावल की कीमतों के बराबर है.

प‍िछले साल ही सरकार ने बासमती पर 1200 डॉलर प्रत‍ि टन का एमईपी लगा द‍िया था. ज‍िसका इंडस्ट्री और क‍िसानों की ओर से भारी व‍िरोध क‍िया गया था. व‍िरोध के बाद सरकार ने इसे घटाकर 950 डॉलर प्रत‍ि टन कर द‍िया था, जो अब तक कायम है. सूत्रों का कहना है क‍ि मंत्रियों की एक कमेटी जल्द ही अक्टूबर, 2023 में लगाए गए एमईपी को हटाने या कम करने पर विचार करने के लिए बैठक करने वाली है.

गैर बासमती चावल का क्या होगा?

सूत्रों ने कहा क‍ि पिछले साल गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर लगाए गए प्रतिबंधों में ढील देने और केंद्रीय पूल स्टॉक में रखे एक्स्ट्रा चावल के निपटान के उपायों जैसे कई प्रस्तावों पर मुहर लग सकती है. सरकार ने गैर बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगा रखा है, जबक‍ि बासमती के एक्सपोर्ट पर 950 डॉलर प्रत‍ि टन की एमईपी की शर्त लगी हुई है. बहरहाल, सरकार ने वर्ष 2024-25 की अप्रैल-मई अवधि के दौरान 9.6 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया है, जो पिछले साल की इसी अवध‍ि की तुलना में 15 फीसदी अधिक है.

सुगंध‍ित चावल का बंपर उत्पादन

बासमती के एक्सपोर्टर विजय सेतिया के अनुसार आयात करने वाले देशों ने पिछले वित्त वर्ष में बासमती चावल का एक बड़ा स्टॉक बनाया है. पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में अगले कुछ महीनों में नई फसल आने की उम्मीद है, इसलिए सरकार को एमईपी को कम करना चाहिए या खत्म कर देना चाहिए. ताकि किसानों को लाभकारी मूल्य मिल सके. व्यापार सूत्रों के मुताब‍िक खरीफ सीजन, 2023 में, देश ने 80 लाख टन सुगंधित चावल का उत्पादन किया है, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 20 फीसदी अधिक है.

एमईपी कम करने की मांग

बासमती सुगंध‍ित चावल है. घरेलू स्तर पर लगभग 15 लाख टन की खपत होती है. बाकी का एक्सपोर्ट क‍िया जाता है. न‍िर्यातकों का कहना है क‍ि खरीफ 2024 में बंपर फसल की उम्मीद है. मॉनसून ‘सामान्य’ रहने का अनुमान है. अगर उत्पादन प‍िछले साल के मुकाबले बढ़ा तो घरेलू स्टॉक में और वृद्धि होगी. इससे कीमतों में और गिरावट आ जाएगी. इसल‍िए सरकार को एमईपी घटा देनी चाह‍िए.

काबुली चना सहित तुअर-चना पर स्टॉक लिमिट लागू, महंगाई रोकने के लिए सरकार का बड़ा फैसला

केंद्र सरकार ने काबुली चना सहित तुअर और चना पर 30 सितंबर, 2024 तक स्टॉक सीमा लागू की है. प्रत्येक दाल के लिए स्टॉक सीमा थोक विक्रेताओं के लिए 200 मीट्रिक टन है. खुदरा विक्रेताओं के लिए 5 मीट्रिक टन, प्रत्येक खुदरा दुकान पर 5 मीट्रिक टन और बड़ी बिजनेस चेन के खुदरा विक्रेताओं के लिए डिपो पर 200 मीट्रिक टन की स्टॉक लिमिट तय की गई है.

अनाज की बढ़ती कीमतों को देखते हुए केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय ने बड़ी कार्यवाही की है. केंद्र ने काबुली चना सहित तुअर और चना पर 30 सितंबर, 2024 तक स्टॉक सीमा लागू कर दी है. दालों की जमाखोरी, सट्टेबाजी को रोकने और उपभोक्‍ताओं को किफायती दर पर तुअर और चना की उपलब्‍धता को बेहतर बनाने के लिए भारत सरकार ने आदेश जारी किया है. इसके तहत थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी बिजनेस चेन के खुदरा विक्रेताओं, मिल मालिकों और आयातकों के लिए दालों पर स्टॉक सीमा लागू की गई है.

क्या है आदेश

आदेश के तहत, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 30 सितंबर, 2024 तक काबुली चना सहित तुअर और चना के लिए स्टॉक सीमा निर्धारित की गई है. प्रत्येक दाल पर व्यक्तिगत रूप से लागू स्टॉक सीमा थोक विक्रेताओं के लिए 200 मीट्रिक टन, खुदरा विक्रेताओं के लिए 5 मीट्रिक टन, प्रत्येक खुदरा दुकान पर 5 मीट्रिक टन और बड़ी चेन के खुदरा विक्रेताओं के लिए डिपो पर 200 मीट्रिक टन, मिल मालिकों के लिए उत्पादन के अंतिम 3 महीने या वार्षिक स्थापित क्षमता का 25 परसेंट, जो भी अधिक हो, होगी. आयातकों के संबंध में कहा गया है कि आयातकों को सीमा शुल्क निकासी की तारीख से 45 दिनों से अधिक समय तक आयातित स्टॉक को अपने पास नहीं रखना है.

सरकार ने तेजी से बढ़ती महंगाई को देखते हुए यह फैसला लिया है. भारी गर्मी से दाल की फसलें भी चौपट हुई हैं जिसे देखते हुए भविष्य में इसकी सप्लाई घटने और दाम में इजाफा की आशंका है. इस पर समय पर काबू पाने के लिए सरकार ने स्टॉक लिमिट लागू कर दी है. सरकार ने अपने फैसले में मिलर्स, रिटेलर्स, बड़ी चेन के रिटेलर, आयातक और होलसेलर्स के लिए एक साथ स्टॉक लिमिट लगा दी है. इससे पहले सरकार ने प्राइवेट चेन रिटेलर्स से कहा था कि वे दालों के अपने स्टॉक को सप्ताह में दो बार घोषित करें, जैसा कि अन्य संस्थाओं के लिए साप्ताहिक है. अप्रैल में सरकार ने आयातित पीली मटर सहित सभी दालों के साप्ताहिक स्टॉक का खुलासा अनिवार्य कर दिया था, ताकि जमाखोरी को रोका जा सके.

दालों की महंगाई

तेजी से बढ़ती महंगाई को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है. दालों की कीमतें पिछले एक साल से बढ़ रही हैं. महाराष्ट्र के सोलापुर में तुअर और चना की कीमतें 11,100-12,250 रुपये प्रति क्विंटल और दिल्ली के प्रमुख बाजारों में 7,075-7,175 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं, जहां मध्य प्रदेश और राजस्थान से सप्लाई होती है. खुदरा बाजार में, तुअर दाल की अखिल भारतीय औसत कीमत 161.3 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो साल-दर-साल 26 परसेंट की वृद्धि थी और चना की कीमत 88.1 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो साल-दर-साल 17.6 परसेंट अधिक थी. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने अभी हाल में ये आंकड़े दिए थे.

Agri Drone: यूरोपियन देशों में जलवा दिखाएगा एग्री ड्रोन विराज, एक बार चार्ज होने पर 4 एकड़ में करता है छिड़काव

भारतीय ड्रोन कंपनी AVPL इंटरनेशनल के लिए यूरोपियन देशों में अपने एग्री ड्रोन विराज को बिक्री करने का रास्ता खुल गया है. दरअसल, कंपनी के मॉडर्न ड्रोन VIRAJ को यूरोपियन यूनियन की एविएशन सेफ्टी एजेंसी (EASA) से उसके के लिए दोहरा सर्टिफिकेशन मिला है. VIRAJ ड्रोन ईयू की सुरक्षा मानकों और गुणवत्ता पर खरा उतरा है और यह पहला ड्रोन है जिसे यह प्रमाणपत्र हासिल हुआ है. कंपनी ने कहा कि इस उपलब्धि से भारत के एग्रीकल्चर ड्रोन इकोसिस्टम को वैश्विक स्तर पर विस्तार करने में मदद मिलेगी.

कृषि क्षेत्र में ड्रोन इकोसिस्टम को विकसित करने में जुटी फर्म AVPL इंटरनेशनल ने कहा कि अत्याधुनिक VIRAJ ड्रोन के लिए यूरोपीय संघ विमानन सुरक्षा एजेंसी (EASA) से दोहरा सर्टिफिकेशन हासिल हुआ है. इससे कंपनी को पूरे यूरोप में अपनी उन्नत तकनीक को व्यावसायिक रूप से तैनात करने का रास्ता खुल गया है. बताया गया कि दोहरा प्रमाणन VIRAJ ड्रोन के उच्चतम सुरक्षा और प्रदर्शन मानकों के पालन को पुख्ता करता है.

ड्रोन इकोसिस्टम में आगे बढ़ेगा भारत

AVPL इंटरनेशनल की सह-संस्थापक और अध्यक्ष प्रीत संधू ने कहा कि हमें अपने VIRAJ ड्रोन के लिए दोहरा सर्टिफिकेशन मिलने वाली भारत की पहली ड्रोन कंपनी बनने पर गर्व है. यह प्रमाणन हमें वैश्विक उद्योग में हाइटेक ड्रोन सॉल्यूशन लाते हुए यूरोपीय बाज़ार में और विस्तार करने की अनुमति देता है. हमारा मानना ​​है कि इस सर्टिफिकेशन के साथ हम वैश्विक ड्रोन प्रमुख कंपनी बनने की ओर अग्रसर हैं. हमारी उपलब्धि इसलिए भी महत्वपूर्ण क्योंकि भारत वैश्विक ड्रोन इकोसिस्टम में और आगे बढ़ेगा.

एक बार चार्ज होने पर 4 एकड़ में छिड़काव करेगा विराज

स्मॉल कैटेगरी के मानव रहित विमान के तहत कैटेगरी में शामिल विराज ड्रोन को कृषि कार्यों में दक्षता के लिए डिजाइन किया गया है. यह एक जुड़वां बैटरी ऑपरेटेड सिस्टम का उपयोग करके चलता है. ड्रोन में उर्वरकों और कीटनाशकों के छिड़काव के लिए 10 लीटर का टैंक और 10 लीटर का बीज डिस्पेंसर दिया गया है. एक बार चार्ज करने पर यह ड्रोन 30 मिनट तक की उड़ान भरता है और छिड़काव या बीज बोने के लिए हर बार चार्ज होने के बाद 3-4 एकड़ को कवर कर सकता है.

वैश्विक बाजार में पैठ बढ़ेगी

AVPL इंटरनेशनल के सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक दीप सिहाग ने कहा कि यह सर्टिफिकेशन पाना सुरक्षा और गुणवत्ता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है. यह निस्संदेह बाजार में हमारी पैठ को बढ़ावा देगा. यूरोपीय बाजार में प्रवेश करते समय हम इनोवेशन और उत्कृष्टता की अपनी परंपरा को जारी रखने के लिए उत्साहित हैं, जिससे ड्रोन टेक्नोलॉजी के भविष्य को नई ऊंचाइयों पर ले जाया जा सके. उन्होंने कहा कि हम हम निकट भविष्य में ऑस्ट्रेलियाई बाजार के लिए CASA सर्टिफिकेट पाने की कोशिशों में जुटे हैं. AVPL इंटरनेशनल के सीईओ हिमांशु शर्मा ने कहा कि यूरोपीय बाजार AVPL इंटरनेशनल के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है.

जानिए, खरीफ की फसलों पर MSP में वृद्धि के फैसले को लेकर यूपी के किसानो नें क्या कहा!

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खरीफ सीजन शुरू होते ही केंद्र सरकार ने 14 फसलों के दाम बढ़ा दिए हैं. इसको लेकर आजतक ने लखीमपुर खीरी जिले के किसानों से बात की. कई किसान खुश दिखे तो कई यह भी मांग करते नजर आए कि भविष्य में डीजल, खाद, बिजली और पानी के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं होनी चाहिए.

तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी और उनकी कैबिनेट ने किसानों के लिए कई फैसले लिए हैं. जिसमें 14 खरीफ फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी का फैसला भी काफी अहम माना जा रहा है. कैबिनेट के फैसले के मुताबिक, एमएसपी में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी तिलहन और दलहन फसलों के लिए की गई है. जिसमें नाइजरसीड तिल और अरहर शामिल हैं. इसके साथ ही तूर दाल, उड़द दाल, मूंग, धान बाजार और मक्का समेत 14 खरीफ फसलें शामिल हैं. मोदी कैबिनेट द्वारा इन फसलों का एसपी बढ़ाए जाने के बाद आजतक की टीम ने धान का कटोरा कहे जाने वाले चंदौली, बांदा, कानपुर, लखीमपुर और गोरखपुर के किसानों से बात की. एसपी बढ़ाए जाने पर किसानों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया व्यक्त की है.

एमएसपी बढ़ाने का फैसला

ये तस्वीरें पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली की हैं. दरअसल चंदौली को धान का कटोरा कहा जाता है क्योंकि यहां चावल की पैदावार काफी अच्छी होती है. मोदी कैबिनेट के एमएसपी बढ़ाने के फैसले को लेकर हमने चंदौली के किसानों से बात की. यहां कुछ किसानों ने इस फैसले की तारीफ की तो कुछ किसान असंतुष्ट दिखे. उनका कहना था कि जो एमएसपी तय की गई है, उससे कहीं ज्यादा होनी चाहिए थी. चंदौली जिले के नियामताबाद के रहने वाले किसान अनुराग सिंह ने कहा कि जिस तरह से सरकार ने एमएसपी में बढ़ोतरी की है, उसके लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को धन्यवाद देना चाहता हूं. अनुराग सिंह ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जिस तरह से साल दर साल फसलों की एमएसपी बढ़ा रहे हैं, वो हमेशा किसानों का हित चाहते हैं.

किसानों ने बिचौलियों पर चिंता जताई

किसान संजय चौरिहा ने कहा कि खरीफ फसलों में एमएसपी के दाम बढ़ाकर बहुत अच्छा काम किया गया है. अब हमें अपनी लागत के साथ-साथ अपनी फसलों का उचित मूल्य मिलेगा. सरकार हमारे साथ है तो हम सरकार के साथ हैं. किसान संजय ने बिचौलियों पर चिंता जताते हुए सरकार से मांग की है कि इन्हें हटाया जाए और क्रय केंद्रों पर किसानों की लंबी कतारों पर निर्णय लिया जाए. जिससे हमारा समय बर्बाद न हो. बुजुर्ग किसान राममिलन ने कहा कि मोदी जी ने बहुत अच्छा निर्णय लिया है, इससे हमें बहुत लाभ होगा. किसान राजन ने कहा कि निर्णय बहुत अच्छा है, अब हमारी फसलों की लागत भी निकल आएगी और हमें मुनाफा भी होगा. किसान विकास ने भी सरकार के इस निर्णय पर खुशी जताई है और धन्यवाद दिया है. सभी ने बिचौलियों पर चिंता जताई है, क्रय केंद्रों में लंबी कतारों के कारण किसान क्रय केंद्रों में धान नहीं बेच पा रहा है. उसे मजबूरी में इन बिचौलियों को ही बेचना पड़ रहा है, इन किसानों ने भी सरकार से इस ओर ध्यान देने और इस पर विचार करने की मांग की है.

केंद्र सरकार ने बढ़ाए 14 फसलों के दाम

खरीफ सीजन शुरू होते ही केंद्र सरकार ने 14 फसलों के दाम बढ़ा दिए हैं. इसको लेकर आजतक ने लखीमपुर खीरी जिले के किसानों से बात की. कई किसान खुश दिखे तो कई यह भी मांग करते नजर आए कि भविष्य में डीजल, खाद, बिजली और पानी के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं होनी चाहिए. मक्का की खेती करने वाले किसान राजकुमार का कहना है कि जब यह तैयार हो जाएगा तो हम इसे बाजार में ले जाएंगे तब पता चलेगा कि इसका रेट कितना बढ़ाया गया है. सरकार हमारे प्रति इतनी सजग है, हम इसका स्वागत करते हैं. अगर रेट बढ़ाया जाता है तो हम सरकार को धन्यवाद देते हैं. किसान वैसे भी हर समस्या से जूझ रहे हैं, अगर सरकार खाद-बीज पर ध्यान दे, उसमें सब्सिडी दे, बिजली और पानी की व्यवस्था सही हो तो तहसील सरकार किसानों के लिए ही कही जाएगी. यह बहुत अच्छी बात है कि एमएसपी बढ़ा दी गई है. अब रेट ज्यादा होगा तभी किसान खुशहाल होगा, वह अब मक्का की खेती ज्यादा करेगा.

धान पर एमएसपी में 170 की हुई बढ़त

किसान अश्वनी कुमार दुबे ने कहा कि इससे किसानों को काफी राहत महसूस हो रही है. धान पर एमएसपी में 170 रुपए की बढ़ोतरी हुई है क्योंकि पूर्वांचल में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है. कुछ और बढ़ोतरी होनी चाहिए थी क्योंकि मजदूरी और खाद का खर्च पहले ही बढ़ चुका है. फिर भी किसानों को काफी राहत मिली है. युवा किसान विनोद दुबे ने कहा कि निश्चित तौर पर जो किसान परंपरागत खेती करते आ रहे हैं. पूर्वांचल की मुख्य फसलें गेहूं, धान और अरहर रही हैं जिनके दाम बढ़ाए गए हैं. सरकार द्वारा एमएसपी किसानों के हित में है क्योंकि डूबता हुआ आदमी तिनके का सहारा लेता है. क्योंकि आप देख सकते हैं कि भीषण गर्मी पड़ रही है और किसान उसी हालत में काम कर रहा है. डीजल से पानी चला रहा है और लू चलने के कारण काम भी कम हो रहा है

Digital Crop Survey : छत्तीसगढ़ में हर खेत की फसल का दर्ज होगा ब्योरा, किसानों को मिलेगा उपज का पूरा लाभ

देश में कृष‍ि भूमि का संपूर्ण राजस्व रिकॉर्ड Digital Format में दर्ज करने का अभियान तेज गति से चल रहा है. इसका मकसद किसानों के हर खेत में बोई गई फसल और उससे होने वाली उपज का सटीक ब्योरा दर्ज कर किसानों को फसल बीमा सहित अन्य योजनाओं का माकूल लाभ दिलाना है. इस मकसद से छत्तीसगढ़ में Digital Crop Survey कराया जा रहा है.

सरकार, डिजिटल क्रॉप सर्वे में Satellite based Mobile App के जरिए हर गांव में हर किसान के प्रत्येक खेत में बोई गई फसलों की पुख्ता जानकारी दर्ज करती है. सरकार इस सर्वे की जानकारी को एग्री स्टैक पोर्टल में दर्ज करती है. इससे सरकार के पास यह डाटा उपलब्ध रहता है कि किस खेत में कौन सी फसल बोई गई है और किन खेतों में फसल नहीं बोई गई है. इसके आधार पर सरकार फसल की संभावित उपज और वास्तविक उपज के आंकड़ों का मिलान करके जमीन की उत्पादन क्षमता और Crop Insurance का आकलन करने सहित अन्य योजनाओं में किसानों को लाभ देना सुनिश्चित कर पाती है. इतना ही नहीं इस आंकड़ों के आधार पर किसानों को उपज के लिए उचित बाजार भी मुहैया कराना आसान होता है. छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से बताया गया कि डिजिटल क्रॉप सर्वे का काम राज्य में तेज गति से पूरा किया जा रहा है, जिससे किसानों को जल्द इसका लाभ मिल सकेगा.

बाजार की श्रृंखला से जुड़ेंगे किसान

छत्तीसगढ़ सरकार के अनुसार राज्य में किए जा रहे डिजिटल क्रॉप सर्वे के आंकड़ों को Agristack Portal पर डाला जाएगा. इसके जरिए किसानों को उनकी उपज के लिए उचित बाजार उपलब्ध कराने में भी सहायता मिलेगी. इसके लिए राज्यव्यापी स्तर पर Master Trainers का प्रशिक्षण किया गया है.

सरकार का कहना है कि छत्तीसगढ़ में हर खेत में लगी फसल का अब डिजिटल सर्वे होने के बाद किसानों की फसलों की सभी जानकारियां एग्री स्टैक पोर्टल में दर्ज हो जाएंगी. इसके आधार पर किसानों को फसल उत्पादकता के लिए जरूरी इनपुट जैसे फसल ऋण की जानकारी के अलावा विशेषज्ञों की सलाह लेकर बाजार उपलब्ध कराने में भारत सरकार का एग्री स्टैक पोर्टल से मदद मिलेगी. डिजिटल क्रॉप सर्वे करने के लिए राजस्व विभाग के मास्टर ट्रेनरों को दिल्ली स्थित कृषि मंत्रालय के अधिकारियों प्रशिक्षण रायपुर में प्रशिक्षण दिया. इसमें बताया गया कि अब Geo Referencing Technology की मदद से डिजिटल क्रॉप सर्वे किया जाएगा.

हर किसान को मिलेगी आईडी

अधिकारियों ने बताया कि डिजिटल क्रॉप सर्वे की संपूर्ण जानकारी एग्री स्टैक पोर्टल में Online उपलब्ध रहेगी. सर्वे में शामिल हर खेत के मालिक के रूप में किसानों का एग्री स्टैक पोर्टल में ही पंजीयन होगा. पोर्टल पर किसानों का पंजीयन होने के बाद उन्हें एक Farmer ID दी जाएगी. इस आईडी के माध्यम से किसानों को बताया जाएगा कि उन्हें अपने किस खेत की कौन सी फसल में कब कितना खाद पानी देना है.

इस पोर्टल के माध्यम से राज्य के किसानों को अब न केवल जमीन बल्कि जमीन में लगी फसल और उपज को बेचने के लिए बाजार भी उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी. राज्य के भू-अभिलेख संचालक रमेश शर्मा ने प्रशिक्षण में कहा कि इस पोर्टल के जरिए ही किसानों को केंद्र और राज्य सरकार की तमाम योजनाओं से भी लाभान्वित किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि इस पोर्टल का उद्देश्य किसानों, केंद्र सरकार और राज्य सरकार को एक डिजिटल छतरी के नीचे लाना है. भू-अभिलेख विभाग के अपर आयुक्त डॉ. संतोष देवांगन ने बताया कि इस प्रशिक्षण से राज्य के किसानों को लाभ मिलेगा. एग्री स्टेक में किसान का पंजीयन हो जाने से उन्हें जरूरत के मुताबिक खाद और बीज मिल सकेगा. इसके साथ ही किसानों को आवश्यकतानुसार बैंक ऋण लेने की भी सुविधा मिलेगी. प्रशिक्षण में सभी जिलों के भू-अभिलेख अधिकारी और भू-अभिलेख अधीक्षक शामिल हुए.

Cotton Farming: कॉटन की बजाय मक्का और दालों की बुवाई कर रहे किसान, खरीफ सीजन में कपास का रकबा घटकर आधा रह गया

इस फसल सीजन में देश भर में कपास का रकबा कम होने की आशंका है. क्योंकि प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात और महाराष्ट्र के किसान वैश्विक कीमतों में कमजोरी के बीच दलहन और मक्का जैसी आकर्षक फसलें लगाना पसंद कर रहे हैं. उत्तर भारत में खरीफ की बुआई लगभग पूरी हो चुकी है. ऐसे में यहां कपास के रकबे में लगभग आधे की कमी आई है. राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में चालू खरीफ सीजन में कपास की बुआई 40 से 60 प्रतिशत कम हुई है, जिसने उत्पादन की चिंताओं को बल दिया है.

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया का मानना ​​है कि पिछले साल के 124.69 लाख हेक्टेयर रकबे की तुलना में खरीफ 2024 सीजन में रकबे में भारी गिरावट आई है. उत्तर भारत में खरीफ की बुआई लगभग पूरी हो चुकी है. ऐसे में यहां कपास के रकबे में लगभग आधे की कमी आई है. क्योंकि, पंजाब और हरियाणा के किसानों को पिछले साल पिंक बॉलवर्म कीट के हमले के चलते नुकसान उठाना पड़ा था और उत्पादन लागत बढ़ गई थी.

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा कि बैठक में उत्तर भारत के सदस्यों से प्राप्त जानकारी के अनुसार राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में चालू खरीफ सीजन में कपास की बुआई 40 से 60 प्रतिशत कम है. राज्य से व्यापार फीडबैक के आधार पर सबसे बड़े उत्पादक गुजरात में इस साल कपास के रकबे में 12-15 प्रतिशत की गिरावट आने की उम्मीद है.

कपास की बजाय ये फसलों की बुवाई कर रहे किसान

बताया गया है कि गुजरात के कुछ हिस्सों में बारिश के कारण किसान पहले ही मूंगफली और अन्य फसलों की ओर रुख कर चुके हैं. देश में सबसे बड़ा कपास रकबा रखने वाले महाराष्ट्र में भी स्थिति गुजरात से अलग नहीं है. एसोसिएशन के अनुसार महाराष्ट्र राज्य संघ और अन्य व्यापार सदस्य रकबे में 10-15 प्रतिशत की कमी की आशंका जता रहे हैं. महाराष्ट्र के किसान कपास की जगह तूर यानी अरहर दाल, मक्का और सोयाबीन की खेती कर रहे हैं.

कीटों की वजह से रिस्क नहीं लेना चाहते किसान

एसोसिएशन ने कहा कि बीज वितरकों से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर उत्तर भारत में कपास बुवाई रकबा करीब आधा रह गया है. क्योंकि पंजाब और हरियाणा में किसानों को कीटों के हमले बढ़ने के कारण फसल का नुकसान उठाना पड़ा है. कहा कि राज्य में कपास के बीजों की बिक्री धीमी है. पानी की कमी के कारण मध्य और दक्षिण भारत में कपास की शुरुआती बुवाई बहुत कम हुई है. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में रकबा दसवें हिस्से तक कम होने की संभावना है, जबकि दक्षिण में किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित होने का इंतजार कर रहे हैं.

पिछले साल के कपास बुवाई आंकड़े

आंकड़ों के अनुसार खरीफ 2023-24 सीज़न के दौरान देशभर में कपास बुवाई का रकबा 124.69 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था. इसमें से महाराष्ट्र में 42.34 लाख हेक्टेयर रकबे के साथ सबसे ऊपर है. इसके बाद गुजरात 26.83 लाख हेक्टेयर के साथ दूसरे नंबर पर और तेलंगाना 18.18 लाख हेक्टेयर के साथ चौथे स्थान पर है.

स्वस्थ रहें, मस्त रहें: सिर्फ सेहत नहीं मन शांत रखने की भी है जरूरत, सुबह उठते ही करें ये काम

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ऑफिस और घर के बीच की व्यस्त जिंदगी में आराम के दो पल निकालना सबसे मुश्किल होता जा रहा है. कामकाज में संतुलन बनाने के चक्कर में इंसान ज्यादा काम में उलझता जा रहा है. जिसकी वजह से न सिर्फ सेहत पर असर पड़ रहा है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी खराब हो रहा है. ऐसे में सेहत को लेकर तो बहुत से लोग जागरूक नजर आते हैं लेकिन मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाने की बात बहुत कम लोग करते हैं. अगर आपको बहुत ज्यादा तनाव, टेंशन और चिंता का सामना करना पड़ता है तो अब आपको सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने की जरूरत है. अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए आपको अपनी पूरी लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करने होंगे जो आपकी दिनचर्या को हेल्दी बनाने में मदद करेंगे. ऐसे में आज के स्वस्थ रहें, मस्त रहें में हम बात करेंगे कि आप भी कैसे अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रख सकते हैं.

मेंटल हेल्थ के लिए ये है जरूरी

मेंटल हेल्थ के लिए पर्याप्त नींद लेना बहुत ज़रूरी है. इससे आपके शरीर और दिमाग को आराम करने का समय मिलता है. अगर आप पर्याप्त नींद लेते हैं, तो आपका मूड अच्छा रहता है और अगले दिन आपके पास बहुत ऊर्जा रहती है. लेकिन अगर आप नींद में डूबे रहते हैं और पर्याप्त नींद नहीं ले पाते हैं, तो आपका मूड बहुत चिड़चिड़ा हो जाता है और आपके मेंटल और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है.

योग से मेंटल हेल्थ होगा बेटर

योग इंसानों के मूड को बेहतर बनाने और तनाव को दूर करने में मदद करता है. डिप्रेशन को दूर करने के लिए के लिए योग थेरेपी को सबसे अच्छा माना गया है. यह व्यक्ति के मूड को अच्छा बनाता है. मेंटल हेल्थ को अच्छा बनाने के लिए उत्तानासन, भुजंगासन, धनुरासन जैसे आसन करने की सलाह दी जाती है. धीमी गति से सांस लेना, प्राणायाम, योग निद्रा और विश्राम डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं.

हेल्दी खाना भी है जरूरी

स्वस्थ भोजन खाना बहुत ज़रूरी है और इसका असर आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है. स्वस्थ भोजन खाने से आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत अच्छा असर पड़ता है और आप स्वस्थ और तंदुरुस्त महसूस करते हैं. इससे आपकी चिंता और तनाव कम होता है. स्वस्थ भोजन खाने के साथ-साथ थोड़ी एक्सरसाइज़ करना भी बहुत ज़रूरी है. इससे आपका मूड भी अच्छा रहता है और आप शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रहते हैं.

रोज करें मेडिटेशन

तनाव और चिंता एक प्रकार का मानसिक विकार है और इन्हें ठीक करने के लिए मन को शांत और नियंत्रण में रखना बहुत जरूरी है. आप अचानक से अपने मन पर विजय नहीं पा सकते इसलिए आपको हर दिन थोड़ी देर के लिए कुछ विश्राम तकनीकों का उपयोग करना होगा ताकि आपका मन पूरे दिन शांत रहे और आपके मन में नकारात्मक विचार न आएं.

Agriculture Advisory: देर से आ रहे मॉनसून पर यूपी-बिहार के किसानों के लिए सलाह, ऐसे निपटाएं खेती का काम

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भारत में मॉनसून का समय कृषि के लिए अहम है. सही समय पर वर्षा होने से फसलें सुरक्षित रहती हैं और उत्पादन बढ़ता है. किसानों को मौसम के पूर्वानुमान के अनुसार खेती के उपाय अपनाने चाहिए, ताकि वे मौसम की अनिश्चितताओं से निपट सकें और बेहतर उत्पादन सुनिश्चित कर सकें. मौसम विभाग के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून का उत्तरी सिरा फिलहाल गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल से गुजर रहा है, जबकि दक्षिणी सिरा तमिलनाडु और केरल की तरफ बढ़ रहा है. इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि मॉनसून देश के उत्तरी और पश्चिमोत्तर भागों में कुछ देर से पहुंच सकता है क्योंकि इसके आगे बढ़ने की गति थोड़ी धीमी है.

मॉनसून भारतीय कृषि के लिए अहम

भारत में मॉनसून के आगमन का हर किसी को बेसब्री से इंतजार रहता है. किसान से लेकर सरकार तक सभी की नजरें आसमान पर टिकी रहती हैं. देश की अर्थव्यवस्था और खाद्यान्न उत्पादन का बड़ा हिस्सा मॉनसून पर निर्भर करता है. मॉनसून अच्छा हो तो किसान खुश, शेयर बाजार में उछाल और सरकार भी अपनी पीठ थपथपा सकती है. मॉनसून एक मौसम परिवर्तन है जो मुख्य रूप से हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवाओं द्वारा होता है. ये हवाएं वर्षा लाती हैं, जो भारतीय कृषि के लिए जीवनदायिनी होती हैं. भारत में मॉनसून का आगमन जून के महीने में होता है और यह सितंबर तक रहता है.

उत्तर भारत में मॉनसून की स्थिति

उत्तर भारत में, जून के मध्य तक मॉनसून के आने की संभावना रहती है. यह समय किसानों के लिए अहम होता है लेकिन थोड़ी क्योंकि खेतों में नमी की कमी के कारण फसलें सूखने लगती हैं. इस समय वर्षा होने से धान की फसल में नई जान आ सकती है. उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में भयंकर गर्मी और अत्यधिक ऊंचे तापमान के कारण कृषि कार्य प्रभावित हो रहा है. आमतौर पर बिहार में 15 जून तक मॉनसून पहुंच जाता है, मगर धीमी गति के कारण अब उत्तरी राज्यों में इसके पहुंचने में कुछ विलंब होने की संभावना है. इससे धान सहित अन्य खरीफ फसलों की खेती करने में किसानों को कठिनाई हो रही है.

ICAR की किसानों को सलाह

ICAR की संस्था कृषि बरानी अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद और अखिल भारतीय कृषि-मौसम अनुसंधान परिषद परियोजना ने देरी हो रही मॉनसून को लेकर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए खेती संबंधी सलाह दी है. ऐसा इसलिए क्योंकि कम बारिश और देर हो रहे मॉनसून में भी किसान अपनी खेती से बेहतर उत्पादन ले सकें.

यूपी के किसान ये करें काम

इस परियोजना से जुड़े विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि 1 जून से 17 जून 2024 तक, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में केवल 2 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य से 92 फीसदी कम है. वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश में 6 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य से 83 फीसदी कम है. अगले दो सप्ताह के मौसम पूर्वानुमान के अनुसार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सामान्य से कम और पूर्वी उत्तर प्रदेश में सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना है. संस्थान ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को सलाह दी है कि कम अवधि वाली धान की किस्मों की बुवाई करें और जल्दी बोई गई अरहर की फसल में सिंचाई और निराई-गुड़ाई करें.

पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए कूलर का उपयोग करें और खिड़कियों पर गीले जूट के थैले लगाएं. बैंगन और मिर्च की फसलों को कीटों से बचाने के लिए एजाडिरेक्टिन का छिड़काव करें. पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों को सलाह देते हुए बताया गया है कि हीट वेव और अधिक तापमान से सुरक्षा के लिए खेत में बोई गई धान और सब्जियों की नर्सरी और खेत में लगी सब्जी फसलों, चारा फसलों और बगीचों में लगातार सिंचाई करें. डेयरी पशुओं में खुरपका और मुंहपका रोग के विरुद्ध टीकाकरण करवाएं.

बिहार के किसान ये करें इंतजाम

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, बिहार में 1 जून से 17 जून 2024 तक 17 मिमी बारिश हुई है. इस तरह 73 फीसदी कम बारिश हुई है. लेकिन आशा है कि अगले दो सप्ताह के लिए मौसम सामान्य रहेगा. इसलिए बिहार के किसान धान की मध्यम अवधि की किस्मों की नर्सरी की बुवाई करें. बुवाई से पहले बीजों को कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें. सब्जी फसलों में पत्ती खाने वाले कीट और फल छेदक कीट का प्रकोप हो तो इससे बचाने के लिएडाइमेथोएट का छिड़काव करें.

झारखंड में कम बारिश का अनुमान

झारखंड में 1 जून से 17 जून तक 22 मिमी बारिश हुई है. इस तरह से 67 फीसदी कम बारिश हुई है. अगले दो सप्ताह के लिए मौसम पूर्वानुमान सामान्य से कम है. झारखंड के किसान सब्जी के खेतों में पूरक सिंचाई करें और 2 फीसदी डीएपी + 1 फीसदी एमओपी का फोलियर छिड़काव करें. किसान मक्का की खेती लिए दीमक से बचाने के लिए सूखी रेत के साथ इमिडाक्लोप्रिड का उपयोग करें.

सूअर पालन से पढ़ाई का खर्च निकालती हैं गुवाहाटी की नम्रता, साल भर में की 2 लाख की कमाई

कहते हैं कि अगर कोई अपने मन में कुछ करने की ठान ले और हिम्‍मत हो तो फिर कोई रुकावट रास्‍ते में नहीं आ सकती है. गुवाहाटी की 18 साल की नम्रता ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. अनुसूचित जाति समुदाय की नम्रता को पढ़ने का शौक था और वह अपने इस शौक को सुअर पालन से पूरा कर रही हैं. नम्रता इस समय अपनी उच्चतर माध्यमिक शिक्षा की पढ़ाई में बिजी हैं. अविश्वसनीय रूप से विनम्र और सूअर पालन में नम्रता की कड़ी मेहनत वाकई असाधारण है. साथ ही नम्रता की कहानी भी दूसरों को प्रभावित करने वाली है.

पिता की मदद के लिए शुरुआत

नम्रता ने 10वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने पिता की मदद के लिए सूअर पालन में अपनी रुचि शुरू की. मैट्रिक की पढ़ाई में नम्रता को 87 फीसदी नंबर के साथ ए ग्रेड मिला था. अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए उन्‍होंने खेती के अपने शौक को आगे बढ़ाना जारी रखा. आज नम्रता छह सूअर और 12 उत्पादकों का पालन-पोषण करती हैं. स्‍कूल की छुट्टियों के दौरान नम्रता ने आईसीएआर के नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन पिग में आयोजित ट्रेनिंग सेशन को अटेंड किया. इस दौरान नम्रता ने वैज्ञानिक तरीके से सुअर पालन और आर्टिफिशियल गर्भाधान पर अपनी प्रैक्टिकल नॉलेज को बढ़ाया. नम्रता असम के गुवा‍हाटी में ट्रेनिंग सेशन में शामिल हुई थीं.

एग्रीकल्‍चर एंटरप्रेन्‍योर बनीं नम्रता

नम्रता खुद को एक उभरती हुई एग्रीकल्‍चर एंटरप्रेन्‍योर के तौर पर बताती हैं. नम्रता ने यह सब तब किया है जब उसकी जनरेशन ज्‍यादातर लोगों को यह क्षेत्र कम आकर्षक लगता है. नम्रता ने सूअरों को खिलाने के लिए स्थानीय रूप से उपलब्ध चावल पॉलिश और मछली बाजार के कचरे का प्रयोग किया. इससे इनपुट लागत कम हो गई. सुअरों को खिलाने से पहले इसे नम्रता पकाती हैं. इसके अलावा नम्रता ने सुअर पालन को अजोला (अजोला पिनाटा) की खेती के साथ इंटीग्रेट किया है. सूखे अजोला को वीकली बेसिस पर पोषण पूरक के तौर पर शामिल किया जाता है.

सुअर पालन से कितनी कमाई

नम्रता को इंस्‍टीट्यूट के एससीएसपी प्रोग्राम के तहत नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन पिग से बायोसिक्योरिटी किट और कृषि उपकरण जैसे इनपुट भी मिले. उनके खेत पर नियमित तौर पर डिसइन्‍फेक्‍शन और सफाई की जाती है. बायोसिक्‍योरिटी के उपायों ने अफ्रीका स्वाइन फीवर की घटनाओं को रोका जिसने आस-पास के कई खेतों को तबाह कर दिया था. अब वह ब्रीडर सुविधा पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बना रही है जहां वह बहुत ज्‍यादा पैसा कमा रही हैं.

खुद लेतीं सारे फैसले

पिछले साल नम्रता ने 32 सूअर बेचे जिससे सिर्फ सूअर की बिक्री से 1,44,000 रुपये की कमाई हुई. इसके अलावा दो फिनिशर को 60,000 रुपये की कीमत पर बेचा गया. इससे कुल मिलाकर दो लाख से ज्‍यादा की कमाई हुई. नम्रता अपने परिवार के लिए अब बहुत बड़ा सपोर्ट बन गई हैं और काफी योगदान कर रही हैं. साथ ही वह अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए भी अपने फैसले खुद ले रही हैं.

 

10 हजार किसान परिवारों को राहत देगा यमुना प्राधिकरण, मिलेगा 10 साल से लंबित मुआवजा

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यमुना एक्सप्रेसवे से सटे गौतम बुद्ध नगर , अलीगढ़ और आगरा के आस-पास रहने वाले लगभग 10 हजार किसान परिवारों को जल्द राहत मिलने वाली है. क्योंकि इन किसानों को जल्द ही मुआवजा मिलने वाला है. यमुना प्राधिकरण ने कहा है कि वह सितंबर के बाद कुल बकाया 1689 करोड़ रुपये के 50 प्रतिशत राशि का भुगतान करना शुरू कर देगा, जो लगभग 845 करोड़ रुपये हैं. जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के दिवालिया हो जाने के बाद से ही 10 सालों से यह मुआवजा लंबित था. राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश के अनुसार मुआवजा का जिम्मा मुंबई स्थित सुरक्षा रियेल्टी पर है जिसनें हाल ही में जेआईएल के दिवालिया होने के बाद उस कंपनी को टेकओवर किया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा रियेल्टी ने कुल बकाया मुआवजा राशि में से अपने हिस्से का लगभग 37 प्रतिशत भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की है, जबकि इससे पहले कंपनी ने एनसीएलएटी के समक्ष 10 प्रतिशत का भुगतान करने का संकेत दिया था. इससे पहले 24 मई को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण ने सुरक्षा रियेल्टी को निर्देश दिया था कि वह किसानों को 1,334.31 करोड़ रुपये या कुल 1,689 करोड़ रुपये के अतिरिक्त मुआवजे का 79 प्रतिशत भुगतान करे, क्योंकि ट्रिब्यूनल ने यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) को एक सुरक्षित वित्तीय ऋणदाता घोषित किया था. शेष 355 करोड़ रुपये की राशि प्राधिकरण द्वारा वहन की जानी थी.

चार किस्तो में भुगतान करेंगी कंपनी

अधिकारियों ने कहा कि किसानों को मुआवजे का भुगतान करने के लिए सुरक्षा रियेल्टी 490 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी और यमुना प्राधिकरण भी अपना हिस्सा देगी. इस बड़ी रकम के भुगतान के बदले सुरक्षा रियेल्टी ने मांग की है कि यमुना प्राधिकरण उसके लिए जमीन पर कब्जा सुनिश्चित करे साथ ही जिन किसानों ने अतिरिक्त मुआवजे की मांग को लेकर विभिन्न अदालतों में मामले दायर किए हैं उन्हें वापस लें. कंपनी चार किस्तों में किसानों को पैसे चुकाएगी. जिसमें 2 किस्त 120 करोड़ रुपये की होगी और दो किस्त 302 करोड़ रुपये की होगी. हालांकि अभी तक भुगतान की समय सीमा तय नहीं की गई है.

पांच स्थानों पर ली थी जमीन

बता दें कि जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड ने नोएडा से आगरा तक बनने वाली 160 किमी लंबी यमुना एक्सप्रेसवे सड़क को बनाने में डेवलपर की भूमिका निभाई थी. 2003 के एक समझौते के अनुसार, एक्सप्रेसवे के निर्माण के बदले में यमुना प्राधिकरण ने जेआईएल को 6,177 एकड़ जमीन दी. यह जमीन एक्सप्रेसवे से सटे पांच अलग-अलग स्थानों पर किसानों से 90 साल के लीज पर ली गई थी. जेआईएल इस जमीन को विभिन्न प्रोजेक्ट के तहत विकसित करने वाली थी. हालांकि इन पांच जगहों में से सिर्फ तीन जगहों पर ही कंपनी ने काम शुरू किया था और 2017 में कंपनी दिवालिया घोषित हो गई थी. बता दें कि पिछले साल 7 मार्च को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने सुरक्षा रियेल्टी लिमिटेड की समाधान योजना को मंजूरी दे दी थी.

 

खरीफ सीजन में धान की MSP 2300 रुपये प्रति क्विंटल तय, बाकी फसलों का चेक करें न्यूनतम समर्थन मूल्य

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज 2024-25 के लिए ख़रीफ़ की 14 फ़सलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP पर अनुमोदन दिया है. 2018 के केंद्रीय बजट में केंद्र सरकार द्वारा इसकी घोषणा की गई थी कि किसानों को लागत मूल्य का कम से कम डेढ़ गुना MSP के रूप में दिया जाएगा. Commission for Agricultural Costs and Prices (CACP) ने इसी आधार पर अपनी सिफारिशें की हैं. 10 फ़सलों की MSP उनके औसत उत्पादन लागत से डेढ़ गुना है और 4 फ़सलों की उससे भी अधिक है. धान की MSP 2300 प्रति क्विंटल होगी जो पिछले सीजन की तुलना में 117 रुपये अधिक है.

खरीफ सीजन की फसलों के लिए एमएसपी पर केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले पर सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “आज के फैसले से किसानों को एमएसपी के रूप में करीब 2 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे. यह पिछले सीजन से 35,000 करोड़ रुपये अधिक है.” अश्विनी वैष्णव ने कहा, “पीएम मोदी का तीसरा कार्यकाल बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह किसानों के कल्याण के लिए कई फैसलों के माध्यम से बदलाव के साथ निरंतरता पर केंद्रित है. मंत्रिमंडल ने धान, रागी, बाजरा, ज्वार, मक्का और कपास सहित 14 खरीफ सीजन की फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को मंजूरी दी है.”

सरका की क्या है घोषणा?

तूर की MSP 7550 रुपये प्रति क्विंटल होगी जो पिछले साल की तुलना में 550 रुपये अधिक है. उरद की MSP 7400 रुपये प्रति क्विंटल होगी जो पिछले सीजन की तुलना में 450 रुपये अधिक है. मूंग की MSP 8682 रुपये प्रति क्विंटल होगी जो पिछले सीजन की तुलना में 124 रुपये अधिक है. मूंगफूली की MSP 6783 रुपये प्रति क्विंटल होगी जो पिछले सीजन की तुलना में 406 रुपये अधिक है. कपास की MSP 7121 रुपये अधिक होगी जो पिछले सीजन की तुलना में 501 रुपये अधिक है.

ज्वार की MSP 3371 रुपये प्रति क्विंटल होगी जो पिछले साल की तुलना में 191 रुपये अधिक है. बाजरा की MSP 2625 रुपये प्रति क्विंटल होगी जो पिछले सीजन की तुलना मे 125 रुपये अधिक है और मक्का की MSP 2225 रुपये प्रति क्विंटल होगी जो पिछले सीजन की तुलना में 135 रुपये अधिक है.

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि एमएसपी पर धान और अन्य मोटे अनाजों की सरकारी खरीद एफसीआई और राज्यों की एजेंसियों द्वारा की जाएगी. दलहन और तिलहन की खरीद नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और स्मॉल फार्मर्स एग्री बिजनेस कंसोर्टियम के द्वारा की जाएगी. कपास की खरीद कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा की जाएगी. खरीद में अगर एजेंसियों को कोई नुकसान होता है तो सरकार उसकी भरपाई करेगी.

क्या कहा अश्विनी वैष्णव ने?

अश्विनी वैष्णव ने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए सभी अनिवार्य खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि को मंजूरी दे दी. सरकार ने मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए खरीफ फसलों के MSP में वृद्धि की है, ताकि उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके. पिछले वर्ष की तुलना में MSP में सबसे अधिक वृद्धि तिलहन और दलहन के लिए की गई है, जैसे नाइजरसीड (983 रुपये प्रति क्विंटल), उसके बाद तिल (632 रुपये प्रति क्विंटल) और तुअर/अरहर (550 रुपये प्रति क्विंटल).

हाल के वर्षों में सरकार इन फसलों के लिए उच्च एमएसपी की पेशकश करके अनाज के अलावा अन्य फसलों जैसे दालों और तिलहन और पोषक अनाज/श्री अन्न की खेती को बढ़ावा दे रही है. खरीफ मार्केटिंग सीजन के अंतर्गत आने वाली 14 फसलों के लिए 2003-04 से 2013-14 की अवधि के दौरान, बाजरा के लिए एमएसपी में न्यूनतम निरपेक्ष वृद्धि 745 रुपये प्रति क्विंटल और मूंग के लिए अधिकतम निरपेक्ष वृद्धि 3,130 रुपये प्रति क्विंटल थी, जबकि 2013-14 से 2023-24 की अवधि के दौरान मक्का के लिए एमएसपी में न्यूनतम निरपेक्ष वृद्धि 780 रुपये प्रति क्विंटल और नाइजरसीड के लिए अधिकतम निरपेक्ष वृद्धि 4,234 रुपये प्रति क्विंटल थी.

वर्ष 2004-05 से 2013-14 की अवधि के दौरान खरीफ मार्केटिंग सीजन के अंतर्गत शामिल 14 फसलों की खरीद 4,675.98 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) थी, जबकि वर्ष 2014-15 से 2023-24 की अवधि के दौरान इन फसलों की खरीद 7,108.65 एलएमटी थी. खरीफ सीजन के लिए 14 फसलों पर MSP की घोषणा की गई है. हर फसल पर उसकी लागत की तुलना में कम से कम 50 परसेंट अधिक एमएसपी होगी.

1-धान का नया एमएसपी 2,300 रुपये

2-कपास का नया एमएसपी 7,121 रुपये

3-कपास की दूसरी किस्म पर 7,521 रुपये

4-बाजरा ज्वार का नया एमएसपी 3375 रुपये

5-रागी का नया एमएसपी 4290 रुपये

6-मक्का का नया एमएसपी 2225 रुपये

7-मूंग दाल का एमएसपी 8682 रुपये

8-अरहर दाल का एमएसपी 7550 रुपये

9-उड़द दाल का एमएसपी 7400 रुपये

10-मूंगफली तेल का नया एमएसपी 6783 रुपये

11-रामतिल्ली का नया एमएसपी 8717 रुपये

12-सूरजमुखी का नया एमएसपी 7230 रुपये

एमएसपी की पूरी डिटेल के लिए इस लिंक पर विजिट कर सकते हैं. यहां सरकार ने कई फसलों की एमएसपी के बारे में जानकारी दी है.

 

पहाड़ों पर भी पर्यटकों को गर्मी से नहीं मिल रही राहत, शिमला में 31 डिग्री के पार गया पारा

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देश के कई इलाकों में मॉनसून की बारिश हो रही है इससे गर्मी से थोड़ी राहत जरूर मिली है. पर मैदानी इलाकों में अभी भी गर्मी से हाल बेहाल है. लोग गर्मी से बचने के लिए पहाड़ों का रुख कर रहे हैं. खासकर शिमला और मनाली में पर्यटकों का हुजूम उमड़ पड़ा है. पर जो गर्मी से बचने के लिए इधर भाग रहे हैं उन्हें यहां भी गर्मी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि इस बार पहाड़ों में भी गर्मी अपना कहर बरपा रही है. आमतौर पर इन दोनों शहरों में तापमान कम ही रहता है लेकिन इस बार इन दोनों शहरों में भी तापमान 31 डिग्री तक पहुंच गया है. शिमला शहर में भी तापमान 30.2 डिग्री चल रहा है. वहीं मनाली में पिछले दिनों तापमान 31 डिग्री पार कर चुका था. जबकि धर्मशाला का तापमान 36.7 डिग्री रिकॉर्ड किया गया है.

माना जा रहा है कि पश्चिम दिशा से आ रही गर्म हवाओं के कारण इस बार पहाड़ों का पारा बढ़ा हुआ है. इसके अलावा मॉनसून में देरी भी इसकी एक वजह मानी जा रही है. इसके कारण फिलहाल यहां पर राहत मिलने के आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं. मौसम विभाग के निदेशक सुरेंद्र पाल का कहना है कि मध्यवर्ती और मैदानी इलाकों के अलावा पहाड़ी क्षेत्रों में भी तापमान ज्यादा देखने को मिल रहा हैं. शिमला में जहां पहले कभी भी हीटवेव नहीं चलती थी, वहां भी इस बार हीट वेव देखने के लिए मिला है.

इस वजह से बढ़ा तापमान

उन्होंने कहा कि शिमला का तापमान मनाली से अधिक होता था, पर इस बार इसके उलट मनाली का तापमान शिमला से अधिक देखने के लिए मिला है. मनाली का तापमान 31 डिग्री पहुंच गया जबकि शिमला का तापमान 30.2 डिग्री सेल्सियस रहा. मौसम वैज्ञानिक ने कहा कि आने वाले कुछ दिनों में पहाड़ी इलाकों में गर्मी से राहत मिलने वाली है क्योंकि एक पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय जिसके चलते यहां पर भारी बारिश होने की उम्मीद है. साथ ही कहा कि इस बार मॉनसून में देरी और पश्चिम दिशा से आने वाली गर्म हवाओं के कारण यहां क तापमान बढ़ा हुआ है.

शिमला में पानी की किल्लत

बता दें की हिमाचल में पड़ रही भीषण गर्मी से लगातार हालात बिगड़ते जा रहे हैं. राज्य के अधिकांश हिस्सों में लू की स्थिति बनी हुई है. गर्मी और तेज धूप के कारण प्रदेश के 1797 पेयजल स्त्रोतों और छोटी परियोजनाओं में पानी लगभग सूख गया है. हालत यह है कि जिन इलाकों में लोगों को पीने के पानी के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है उन इलाकों लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए उपाय किए गए हैं. राजधानी शिमला में भी पानी का संकट खड़ा हो गया है. शहर में 4 दिन बाद पानी मिल रहा है.

 

छत्तीसगढ़ में धान का मौसम आ गया, बेमेतरा जिले में किसानों का धान थरहा, रोपाई के लिए हुआ तैयार

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बेमेतरा: बेमेतरा जिले के ब्लॉक बेरला निवासी बड़े किसान सुरेंद्र अग्रवाल का मानसून आने से पहले धान का थरहा, रोपाई के लिए हो गया है तैयार, मौसम विभाग द्वारा 12 जून तक मानसून पहुंचने की बात कही गयी थी पर अब तो 18 जून भी आ गया मानसून आगमन के कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं। इधर किसान अपने खेतों की तैयारी पूरी कर धान रोपा लगाने को तैयार हैं इंतजार है तो बस मानसून के आगमन का। वैसे आजकल अधिकांश किसान ट्यूबवेल की मदद से बहुत कुछ काम मानसून के पहले भी कर लेते हैं परंतु किसानों के अनुसार बरसात के फसल के सफल उत्पादन के लिए मानसूनी बारिश का निश्चित समय पर पर्याप्त गिरना जरूरी होता है। इन दिनों क्षेत्र में धान रोपाई की तैयारी जोरों से चल रही है तो कई जगह रोपा लगना शुरू भी हो चुका है मानसून की दस्तक का बस इंतजार है।

जून के माह में जिले में अकरस जुताई हो जाती है। बारिश होने के बाद अकरस बाेनी भी किसान शुरू कर देते हैं। प्रमुख रूप से जिले में खरीफ में धान की फसल लगाई जाती है तो किसानों को जून माह में खेती की तैयारी कैसे करनी चाहिए । कृषि वैज्ञानिक चंद्रशेखर खरे (शस्य विज्ञान) और चंद्रमणि देव ने किसानों को सलाह दी है कि उन्हें जून में क्या करना चाहिए। धान की खेती करने वालों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि धान का धरहा देने या बुआई करने से पहले धान के बीजों को 17 प्रतिशत नमक के घोल के साथ उपचारित कर लें।

वैज्ञानिकों ने जून में खेती के लिए किसानों को दी सलाह

  • सोयाबीन, अरहर एवं धान हेतु जमीन तैयार कर बुवाई करे।
  • खेत की साफ-सफाई एवं मेड़ोंं की मरम्मत आवश्यक रूप से इस माह में करना चाहिए।
  • खरीफ की लता वाली सब्जी जैसे- लौकी, कुम्हडा को पाॅलीबैग में पौधा तैयार करें व करेला, बरबट्टी लगाने हेतु अच्छी किस्म का चयन कर मेड नाली पद्धति से फसल लगाना सुनिश्चित करें, कुंदरू व परवल लगाने हेतु खेत की तैयारी करें।
  • जो किसान भाई फलदार पौधे लगाना चाहते है वे वर्तमान मे खेतों की तैयारी करें, साथ ही साथ खेतों में वर्षा ऋतु में पौधे लगाने हेतु गड्ढे खोदने का कार्य प्रारंभ करें।
  • धान का थरहा डालने या बुआई से बीजों को 17 प्रतिशत नमक के घोल से उपचारित करें।
  • प्रमाणित या आधार श्रेणी के बीजों को पैकेट में दिए गए फफूंद नाशक से अवश्य उपचारित कर बुवाई करें।
  • अदरक एवं हल्दी की रोपित फसल में पलवार मल्चिंग अवश्य करें तथा पानी निकास की व्यवस्था करें।
  • धान की बुवाई कतारों में करें, कतार बोनी धान में बोवाई के 3 दिन के अंदर अंकुरण पूर्व प्रस्तावित निंदानाशक का छिड़काव करें।
  • शीघ्र एवं मध्यम अवधि की धान की किस्मों की कतार बोनी करें जिसमें बियासी की आवश्यकता नहीं होती एवं धान 10 से 15 दिन पहले पक जाता है।

 

 

 

 

Food Security : छत्तीसगढ़ में मजदूरों को जहां काम वहीं मिलेगा सस्ता खाना, शुरू हुई मॉडल श्रम अन्न केंद्र योजना

छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने मजदूरों को Work Place के आसपास ही Healthy and Cheap Food मुहैया कराने की कारगर पहल की है. इसमें सरकार की ओर से Urban areas में श्रमिकों को अच्छे खाने की तलाश में इधर उधर न भटकना पड़े, इसके लिए सरकार ने मॉडल श्रम अन्न केंद्र शुरू करने की योजना लागू की है. इसका पायलट प्रोजेक्ट सफल होने के बाद अब तीन शहरों में अन्न केंद्र खुलेंगे.

शहरों में अच्छा और पौष्टिक खाना महंगे होटल और रेस्तरां में ही मिलता है. इस खाने की कीमत अधिक होने के कारण यह श्रमिकों की पहुंच से दूर ही होता है. इस कारण से काम की तलाश में शहरों का रुख कर रहे श्रमिकों के लिए उनके कार्यस्थल के आसपास ही अच्छा खाना मुहैया कराने के लिए Chhattisgarh Govt ने एक कारगर योजना शुरू की है. इसमें कामगार मजदूरों के लिये मॉडल श्रम अन्न केंद्र बनाने की पहल की गई है. इस योजना के शुरुआती चरण में Mega Development Projects से जुड़े राज्य के तीन शहरों में इन केंद्रों को शुरू किया जा रहा है. इनमें रायपुर, कोरबा और कुनकुरी में मॉडल श्रम अन्न केंद्रों के फीडबैक के आधार पर राज्य के अन्य शहरों में इनका विस्तार किया जाएगा. इस योजना का लाभ लेने के लिए श्रमिकों को पंजीकरण कराना होगा.

श्रमिकों को मिलेगा अच्छा किफायती भोजन

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार ने राज्य के श्रमिकों की एक और सहूलियत में इजाफा किया है. शहरों में कामकाजी श्रमिकों को अच्छा खाना मिलने में होने वाली दिक्कत को महसूस करते हुए सरकार ने उन्हें उनके कार्य स्थल के आसपास ही किफायती दर पर अच्छी गुणवत्ता का भोजन उपलब्ध कराने के लिए मॉडल श्रम अन्न केन्द्र का विस्तार करने का फैसला किया है.

योजना के तहत ये केन्द्र रायपुर, कोरबा और कुनकुरी में खुलेंगे. राज्य के श्रम मंत्री लखन लाल देवांगन ने इस योजना के बारे में बताया कि मॉडल श्रम अन्न केन्द्र विकास परियोजनाओं की बहुलता वाले रायपुर के तेलीबांधा, कोरबा के नगर निगम बुधवारी टंकी और कुनकुरी में स्थापित किए जाएंगे. प्रयोग के तौर पर राज्य के 9 जिलों में पहले ही 24 जगहों पर श्रम अन्न केंद्र संचालित किए गए. इनके बेहतर परिणाम को देखते हुए अब बड़ी परियोजनाओं वाले इलाकों में इन्हें शुरू किया जा रहा है. देवांगन ने बताया कि जल्द ही योजना का विस्तार करके 13 जिलों के 27 स्थानों पर नए श्रम अन्न केंद्र शुरु किए जाएंगे.

सभी श्रेणी के मजदूर होंगे लाभार्थी

श्रम मंत्री देवांगन ने बताया कि इस योजना का लाभ लेने के लिए श्रमिकों को Advance Registration कराना होगा. इसमें श्रम विभाग में असंगठित एवं निर्माण क्षेत्र के श्रमिकों को भी इस सुविधा का लाभ मिलेगा. इन सभी का पंजीयन श्रम विभाग में होना अनिवार्य है.

उन्होंने Labour Department को निर्देश दिया कि ऐसे श्रमिक, जिनके दस्तावेजों में कमी या त्रुटि पाई जाती है, उन्हें दूर कराकर पंजीयन प्रक्रिया पूरी कराते हुए योजना का लाभ दिलाना सुनिश्चित किया जाए. उन्होंने खैरागढ़ जिले के निर्माण मजदूरों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के पंजीयन, योजना आवेदनों में स्वघोषणा प्रमाण पत्र को अमान्य कर, जिले द्वारा निरस्त किये गये आवेदनों को पुनः जांच करने के निर्देश दिये.

मजदूरों को मिल रहे सरकारी लाभ

विभाग की ओर से बताया गया कि प्रदेश में कुल 6,386 कारखाने हैं. इनमें 922 जोखिम श्रेणी के कारखाने के रूप में चिन्हित किए गए हैं. निर्माण श्रमिकों के बच्चों की शिक्षा के लिए मुख्यमंत्री की पहल पर प्रदेश में Free Coaching Scheme संचालित की जा रही है. इसमें अब तक कुल 1534 आवेदन प्राप्त हुए हैं.

भवन एवं अन्य प्रकार के निर्माण कार्यों में लगे श्रमिकों के कल्याण मंडल के अंतर्गत इस साल 2 लाख 47 हजार 742 श्रमिकों के पंजीकरण में आ रही परेशानी के आवेदन विभाग को मिले. इनमें से 25,700 आवेदनों का निराकरण किया जा चुका है. श्रम मंत्री ने मजदूरों के कल्याण से जुड़ी महतारी जतन योजना और नोनी-बाबू छात्रवृत्ति योजना की समीक्षा करते हुए कहा कि सभी पात्र श्रमिक परिवारों के बच्चों को इसका लाभ दिलाया जाना सुनिश्चित किया जाए.

इसके अलावा श्रम मंत्री देवांगन ने निर्माण कार्यों में लगे श्रमिकों के बच्चों को Private Schools में निःशुल्क शिक्षा देने हेतु स्कूलों एवं बच्चों के चयन की प्रक्रिया प्रारंभ करने के निर्देश दिए. उन्होंने अत्यधिक जोखिम श्रेणी वाले कारखानों का हर साल दो से तीन बार निरीक्षण किये जाने, निरीक्षण के दौरान स्वीकृत नक्शे के अनुरूप कारखाना निर्मित नहीं होने एवं कारखानों में दिए जा रहे प्रशिक्षण की जांच करने के निर्देश दिये.

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Rainfall Alert: अगले कुछ घंटे में इन राज्यों में हो सकती है बारिश, ओले गिरने के भी आसार

मौसम को लेकर बड़ी खबर आ रही है. भीषण गर्मी के बीच मौसम करवट ले सकता है. पंजाब में मौसम मबदलने वाला है. अगले 2 घंटे में बारिश और ओले गिरने के आसार हैं. अमृतसर, जालंधर, लुधियाना में बारिश का अलर्ट जारी किया गया है. प्राइवेट वेदर एजेंसी स्काईमेट के मौसम वैज्ञानिक महेश पालावत ने जानकारी दी है. दिल्ली-NCR में भी बारिश की संभावना है.

दूसरी ओर, भीषण गर्मियों के बीच में, कश्मीर में मौसम ने आश्चर्यजनक रूप से करवट ली है. बांदीपुरा के राजदान में ताजा बर्फबारी हुई है, जिससे तापमान में काफी गिरावट आई है. बर्फबारी का असर मैदानी इलाकों में भी देखा जा सकता है, जहां मौसम सुहावना हो गया है. यह ऐसे समय में हो रहा है जब देश के बाकी हिस्सों में भीषण गर्मी पड़ रही है.

दिल्ली में हो सकती है बारिश

मौसम विभाग की मानें तो दिल्ली के लोगों को आज रात तक राहत मिलने के आसार हैं. रात में मौसम में बदलाव देखने को मिल सकता है. थंडरस्टॉर्म एक्टिविटी हो सकती है जिसके बाद गरम हवाओं से राहत मिलेगी, लेकिन तापमान अभी भी 42 डिग्री से अधिक रहेगा. ⁠दिल्ली समेत हरियाणा और पंजाब में आज से ऑरेंज अलर्ट है. रेड अलर्ट हटा दिया गया है.

दिल्ली में अभी तक मॉनसून समय अनुसार चल रहा है. इसके 30 जून तक दिल्ली पहुंचने की संभावना है. फ़िलहाल ऐसी कोई संभावना नहीं है कि मॉनसून में देरी होगी. 30 जून से पहले हल्की फुल्की बारिश हो सकती है जिसे हम प्री मॉनसून कह सकते हैं. अभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दो दिन का रेड अलर्ट दिया गया है और पू्र्वी यूपी में केवल आज का रेड अलर्ट है.

⁠अगर पहाड़ी राज्यों की बात की जाए तो वहां भी कुछ दिनों तक गर्मी बनी रहेगी, लेकिन जल्दी मौसम में बदलाव हो सकता है. फ़िलहाल वहां भी ऑरेंज अलर्ट है. ⁠मॉनसून धीरे-धीरे अपनी रफ़्तार पकड़ रहा है. जल्द बिहार और बंगाल तक पहुंच सकता है. केरल में भीषण बारिश जारी है और क़रीब 12 सेंमी से ज़्यादा बारिश हो रही है. मॉनसून लगभग दक्षिण भारत कवर कर चुका है और उत्तर पूर्व के भी कुछ राज्यों में बारिश हो रही है.

गुरुग्राम में 21 तक इंतजार

दिल्ली एनसीआर के गुरुग्राम में इन दिनों भीषण गर्मी का सितम जारी है. हालात ये है कि सुबह 7 बजते ही झुलसाती लू का एहसास शुरू होने लगता है और दोपहर 12 बजे तक सड़कें वीरान होने लगती हैं. ट्रैफिक की मूवमेंट बेहद कम हो जाती है तो बाजार सूने दिखाई देने लगते हैं. वही गर्मी के समय बाहर निकले स्थानीय लोगों की मानें तो बेहद जरूरी काम के चलते उन्हें गर्मी में बाहर आना पड़ता है, वर्ना वे बाहर नहीं निकलेंगे. गर्मी से बचने के लिए लोग नींबू की शिकंजी और शीतल पेय का सहारा ले रहे हैं. शीतल पेय के लिए लोगों की भीड़ से भीषण गर्मी का अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं. वहीं मौसम विभाग की मानें तो 21 जून के बाद मौसम बदलने की संभावना दिखाई दे रही है जब हरियाणा और दिल्ली एनसीआर में हल्की और माध्यम दर्जे की बारिश से थोड़ी राहत मिलने लगेगी.

धीमी पड़ी मॉनसून की चाल

उधर, भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कहा है कि 1 जून को मॉनसून की शुरुआत के बाद से भारत में सामान्य से 20 फीसदी कम बारिश हुई है और पूरे महीने के दौरान कुल वर्षा भी औसत से कम होगी. सामान्य से दो दिन पहले भारत के मौदानी इलाकों में पहुंचने और कई अन्य राज्यों को तेजी से कवर करने के बाद मॉनसून ने 12 से 18 जून के बीच कोई तेजी नहीं दिखाई है, जिससे उत्तर भारत के लिए इंतजार बढ़ गया है. देश का यह हिस्सा भीषण गर्मी की लहर से जूझ रहा है. हालांकि, मौसम विभाग ने कहा कि अगले तीन से चार दिनों में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तटीय आंध्र प्रदेश, उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी, बिहार और झारखंड के कुछ हिस्सों में मॉनसून के आगे बढ़ने के लिए स्थितियां अनुकूल हैं.